यीशु कैसे हमारा उद्धार करता है?
शास्त्र से जवाब
जब यीशु ने अपना फिरौती बलिदान दिया, तो उसने नेक इंसानों के लिए जीवन पाने का रास्ता खोला। (मत्ती 20:28) इसलिए बाइबल में यीशु को “दुनिया का उद्धारकर्ता” कहा गया है। (1 यूहन्ना 4:14) बाइबल में यह भी बताया गया है, “किसी और के ज़रिए उद्धार नहीं मिलेगा क्योंकि परमेश्वर ने हमें उद्धार दिलाने के लिए धरती पर इंसानों में कोई और नाम नहीं चुना।”—प्रेषितों 4:12.
जब यीशु ने अपनी जान दी, तो उसने ऐसे ‘हर इंसान के लिए मौत का दुख झेला’ जो उस पर विश्वास करता है। (इब्रानियों 2:9; यूहन्ना 3:16) इसके बाद “परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से ज़िंदा कर दिया।” उसे एक अदृश्य शरीर दिया गया और वह स्वर्ग लौट गया। (प्रेषितों 3:15) अब यीशु उन लोगों का ‘पूरी तरह उद्धार करने के काबिल है जो उसके ज़रिए परमेश्वर के पास आते हैं। क्योंकि वह उनकी खातिर परमेश्वर से बिनती करने के लिए हमेशा ज़िंदा रहता है।’—इब्रानियों 7:25.
यीशु को हमारी तरफ से बिनती करने की ज़रूरत क्यों है?
हम सब पाप करते हैं। (रोमियों 3:23) पाप हमारे और परमेश्वर के बीच मानो एक दीवार खड़ी कर देता है और हमें मौत की तरफ ले जाता है। (रोमियों 6:23) लेकिन यीशु एक “मददगार” की तरह उन सबकी खातिर फरियाद करता है, जो उसके बलिदान पर विश्वास करते हैं। (1 यूहन्ना 2:1) यीशु परमेश्वर से बिनती करता है कि वह उन लोगों की प्रार्थनाएँ सुनें और फिरौती बलिदान के आधार पर उनके पाप माफ कर दे। (मत्ती 1:21; रोमियों 8:34) परमेश्वर यीशु की ये बिनतियाँ सुनता है, क्योंकि ये उसकी मरज़ी के मुताबिक हैं। परमेश्वर ने इसीलिए तो यीशु को धरती पर भेजा था कि “दुनिया उसके ज़रिए उद्धार पाए।”—यूहन्ना 3:17.
क्या उद्धार पाने के लिए बस यीशु पर विश्वास करना काफी है?
जी नहीं। उद्धार पाने के लिए यीशु पर विश्वास करना तो ज़रूरी है, लेकिन हमें कुछ और भी करना होगा। (प्रेषितों 16:30, 31) बाइबल में लिखा है, “जैसे जान के बिना शरीर मुरदा होता है, वैसे ही कामों के बिना विश्वास मरा हुआ है।” (याकूब 2:26) तो उद्धार पाने के लिए ज़रूरी है:
हम यीशु और उसके पिता यहोवा के बारे में जानें।—यूहन्ना 17:3.
हम उन पर अपना विश्वास बढ़ाएँ।—यूहन्ना 12:44; 14:1.
हम उनकी आज्ञाएँ मानकर ज़ाहिर करें कि हमें उन पर विश्वास है। (लूका 6:46; 1 यूहन्ना 2:17) यीशु ने कहा था कि जो लोग उसे “हे प्रभु, हे प्रभु” पुकारते हैं, उनमें से हर किसी का उद्धार नहीं होगा। सिर्फ उन्हीं का होगा ‘जो स्वर्ग में रहनेवाले उसके पिता की मरज़ी पूरी करते हैं।’—मत्ती 7:21.
हम मुश्किलों में भी यीशु और यहोवा पर विश्वास करना ना छोड़ें। इस बारे में यीशु ने साफ-साफ कहा था, “जो अंत तक धीरज धरेगा, वही उद्धार पाएगा।”—मत्ती 24:13.