क्यों प्रार्थना करें? क्या परमेश्वर मेरी प्रार्थनाओं का जवाब देगा?
शास्त्र से जवाब
हाँ, ज़रूर देगा। बाइबल बताती है और बहुत-से लोगों का अनुभव भी यही कहता है कि परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देता है। बाइबल कहती है, “वह [परमेश्वर] अपने डरवैयों की इच्छा पूरी करता है, और उनकी दोहाई सुनकर उनका उद्धार करता है।” (भजन 145:19) मगर परमेश्वर आपकी प्रार्थनाओं का जवाब देगा या नहीं, यह काफी हद तक आप पर निर्भर करता है।
क्या बात परमेश्वर के लिए मायने रखती है
हमें परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए न कि यीशु, मरियम, संतों, स्वर्गदूतों या मूर्तियों से। सिर्फ यहोवा परमेश्वर ही ‘प्रार्थना का सुननेवाला’ है।—भजन 65:2.
हमें बाइबल में बतायी गयी परमेश्वर की मरज़ी या माँगों के मुताबिक प्रार्थना करनी चाहिए।—1 यूहन्ना 5:14.
हमें यीशु के नाम से प्रार्थना करनी चाहिए। ऐसा करके हम यीशु को आदर दे रहे होंगे। यीशु ने कहा, “कोई भी पिता के पास नहीं आ सकता, सिवा उसके जो मेरे ज़रिए आता है।”—यूहन्ना 14:6.
हमें पूरे विश्वास के साथ प्रार्थना करनी चाहिए और ज़रूरत पड़ने पर और विश्वास माँगना चाहिए।—मत्ती 21:22; लूका 17:5.
हमें नम्र होना चाहिए और हममें कोई कपट नहीं होना चाहिए। बाइबल कहती है, “यहोवा महान है, तौभी वह नम्र मनुष्य की ओर दृष्टि करता है।”—भजन 138:6.
हमें लगातार प्रार्थना करनी चाहिए। यीशु ने कहा, “माँगते रहो और तुम्हें दे दिया जाएगा।”—लूका 11:9.
क्या बात परमेश्वर के लिए मायने नहीं रखती
आपकी जाति या आप किस देश से हैं। “अब मुझे पूरा यकीन हो गया है कि परमेश्वर भेदभाव नहीं करता, मगर हर ऐसा इंसान जो उसका भय मानता है और नेक काम करता है, फिर चाहे वह किसी भी जाति का क्यों न हो, वह परमेश्वर को भाता है।”—प्रेषितों 10:34, 35.
आप किस तरह बैठें या खड़े हैं। आप बैठकर, झुककर, घुटनों के बल, खड़े होकर या किसी भी तरह प्रार्थना कर सकते हैं।—1 इतिहास 17:16; नहेमायाह 8:6; दानिय्येल 6:10; मरकुस 11:25.
चाहे आप मन-ही-मन प्रार्थना करें या ज़ोर-से। मन में की गयी प्रार्थनाएँ जिन्हें कोई दूसरा नहीं सुन सकता, परमेश्वर उनका भी जवाब देता है।—नहेमायाह 2:1-6.
चाहे आप किसी छोटी बात को लेकर परेशान हों या बड़ी। परमेश्वर बढ़ावा देता है कि आप ‘अपनी सारी चिंताओं का बोझ उसी पर डाल दें, क्योंकि उसे आपकी परवाह है।’—1 पतरस 5:7.