हाथों में तेरे खुद को सौंपा
1. यहोवा मुझ पे निगाह तेरी,
कमज़ोरियाँ जाने तू मेरी,
देखे तू कोशिशें सब मेरी।
मेरे होंठ जब करें खफा तुझे,
या डगमगाएँ कदम मेरे,
“मुँह ना फेर,” है गुज़ारिश मेरी।
(प्री-कोरस)
पिता, निखार मुझे तू,
मिट्-टी हूँ मैं; मेरा कुम्-हार तू।
(कोरस)
ढाल मुझे तेरे हाथों से,
बन जाऊँ जो तू चाहे।
प्यार से मुझे, अब तू ही तराश।
हर पल बस दुआ करूँ,
नेक राह पर मैं चल सकूँ।
हाथों में तेरे याह,
खुद को है सौंपा।
खुद को है सौंपा।
2. दिल की बंजर ज़मीं बने गुलज़ार
जब मानूँ हिदायतें हर बार।
ज़िंदगी, मेरी तू सवारे!
नरम हो दिल की मिट्-टी मेरी,
और मानूँ दिल से मैं बातें तेरी,
गर गिरूँ है यकीं तू सँभाले।
(प्री-कोरस)
पिता, निखार मुझे तू,
मिट्-टी हूँ मैं; मेरा कुम्-हार तू।
(कोरस)
ढाल मुझे तेरे हाथों से,
बन जाऊँ जो तू चाहे।
प्यार से मुझे, अब तू ही तराश।
हर पल बस दुआ करूँ,
नेक राह पर मैं चल सकूँ।
हाथों में तेरे याह,
खुद को है सौंपा।
खुद को है सौंपा।
(आखिरी पंक्तियाँ)
है तैयार दिल मेरा।
ढाल इसे तू सदा।
हाथों में तेरे याह,
खुद को है सौंपा।
खुद को है सौंपा।