9-15 जून
नीतिवचन 17
गीत 157 और प्रार्थना | सभा की एक झलक (1 मि.)
1. पति-पत्नियो, घर में शांति बनाए रखने के लिए मेहनत कीजिए
(10 मि.)
पति-पत्नियो, घर में शांति बनाए रखने के लिए मेहनत लगती है, पर इसके फायदे भी बहुत होते हैं (नीत 17:1; तसवीर देखें)
छोटी-मोटी बातों को लेकर नाराज़ मत होइए, ना ही झगड़िए (नीत 17:9; सज 10/14 पेज 9 पै 2)
खुद पर काबू रखिए (नीत 17:14; प्र08 7/1 पेज 10 पै 6–पेज 11 पै 1)
2. ढूँढ़ें अनमोल रत्न
(10 मि.)
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नीत 17:24—‘मूर्ख की नज़रें धरती के कोने-कोने तक फिरती हैं,’ इसका क्या मतलब है? (इंसाइट-1 पेज 790 पै 2)
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इस हफ्ते पढ़ने के लिए जो अध्याय है, उसमें आपको क्या-क्या रत्न मिले?
3. पढ़ने के लिए आयतें
(4 मि.) नीत 17:1-17 (जी-जान गुण 10)
4. बातचीत शुरू करना
(3 मि.) मौका ढूँढ़कर गवाही देना। (प्यार पाठ 3 मुद्दा 5)
5. बातचीत शुरू करना
(4 मि.) सरेआम गवाही देना। सामनेवाले से पूछिए कि क्या वह बाइबल अध्ययन करना चाहता है। (प्यार पाठ 6 मुद्दा 4)
6. भाषण
(5 मि.) प्र24.01 पेज 23-24 पै 10-13—विषय: यहोवा आपको सहारा देगा। (नीत 17:17) (जी-जान गुण 13)
गीत 113
7. अच्छी बातचीत करने के लिए अच्छी आदतें डालिए
(15 मि.) चर्चा।
परिवार की खुशी के लिए ज़रूरी है कि उसके लोग आपस में अच्छी बातचीत करें। अगर वे खुलकर बात करेंगे तो वे मिलकर बहुत कुछ कर पाएँगे और मुश्किलें आने पर एक-दूसरे की मदद भी कर पाएँगे। (नीत 15:22) आप ऐसा क्या कर सकते हैं ताकि परिवार में सभी खुलकर अपनी बात कह सकें?
साथ मिलकर समय बिताइए। (व्य 6:6, 7) जब परिवार के लोग मिलकर काम करते हैं, एक-साथ सभाओं और प्रचार के लिए जाते हैं और साथ मिलकर मज़े करते हैं, तो उनके बीच प्यार और भरोसा बढ़ता है। यही नहीं, ये ऐसे मौके हैं जब वे इत्मीनान से बातचीत भी कर पाते हैं। लेकिन कई बार शायद आप जो करना चाहते हैं उसे छोड़कर आपको वह करना पड़े, जो परिवार के बाकी लोग करना चाहते हैं। अगर आप ऐसा राज़ी-खुशी करें, तो इसके कई फायदे होंगे। (फिल 2:3, 4) जब आपका परिवार साथ मिलकर समय बिताता है, तो सब अच्छी बातचीत कैसे कर सकते हैं?—इफ 5:15, 16.
परिवार में शांति पाने के लिए नक्शे के मुताबिक चलिए—खुलकर बातचीत कीजिए वीडियो दिखाइए। फिर हाज़िर लोगों से पूछिए:
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अगर हम अपने फोन और दूसरे गैजेट में लगे रहेंगे, तो इसका परिवार की बातचीत पर क्या असर होगा?
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इस वीडियो से आपने और भी अच्छी तरह बातचीत करने के बारे में क्या सीखा?
ध्यान से सुनिए। (याकू 1:19) बच्चे अपनी बात तभी खुलकर कह पाएँगे, जब उन्हें लगेगा कि उनके मम्मी-पापा उन्हें गलत नहीं समझेंगे या उन पर गुस्सा नहीं करेंगे। इसलिए जब आपका बच्चा आपसे कुछ ऐसा कहता है जिससे आप चौंक जाते हैं, तब भी उन पर मत भड़किए। (नीत 17:27) इसके बजाय वह जो सोच रहा है और महसूस कर रहा है, उसे समझने की कोशिश कीजिए। तब आप उसे अपने प्यार का यकीन दिला पाएँगे और उसकी मदद कर पाएँगे।
8. मंडली का बाइबल अध्ययन
(30 मि.) गवाही दो अध्या. 27 पै 19-22, पेज 212 पर बक्स