यशायाह 58:1-14
58 उसने मुझसे कहा, “चुप मत रह, गला फाड़कर चिल्ला!
नरसिंगे की तरह ऊँची आवाज़ में चिल्ला।
मेरे लोगों को उनके अपराध बता,+याकूब के घराने को उसके पाप सुना।
2 वे हर दिन मेरी खोज में रहते हैं,मेरी राहों को जानने के लिए ऐसे खुश होते हैं,मानो वे नेकी की राह पर चलनेवाला राष्ट्र हों,जिसने अपने परमेश्वर के नियमों को कभी न टाला हो।+
वे मेरे नेक फैसलों के बारे में ऐसे पूछते हैं,मानो उन्हें अपने परमेश्वर के करीब आने में खुशी मिल रही हो।+
3 वे कहते हैं, ‘जब हम उपवास करते हैं तब तू क्यों नहीं देखता?+
जब हम अपने पापों के लिए दुख मनाते हैं तब तू क्यों ध्यान नहीं देता?’+
क्योंकि तुम उपवास के दिन भी अपनी इच्छा* पूरी करने में लगे रहते हो,अपने मज़दूरों पर ज़ुल्म ढाते हो।+
4 उपवास के दिन लड़ाई-झगड़ा करते होऔर करारे मुक्के जमाते हो।
जिस तरह के उपवास तुम आजकल करते हो, उससे स्वर्ग में तुम्हारी नहीं सुनी जाएगी।
5 क्या मैंने तुम्हें इस तरह उपवास करने को कहा हैकि तुम उस दिन खुद को दुख पहुँचाओ,लंबी-लंबी घास की तरह अपना सिर झुकाओ,टाट और राख को अपना बिस्तर बनाओ?
क्या तुम इसे उपवास कहते हो? क्या इस तरह यहोवा को खुश किया जाता है?
6 नहीं! मैं जो उपवास चाहता हूँ वह यह है
कि तुम अन्याय की बेड़ियाँ तोड़ दो,जुए के बंधन खोल दो,+ज़ुल्म सहनेवालों को रिहा करो,+हर जुए के दो टुकड़े कर दो।
7 अपनी रोटी भूखों के साथ बाँटो,+गरीब और बेघर लोगों को अपने घर में पनाह दो,किसी को नंगा देखकर उसे तन ढकने के लिए कपड़े दो,+अपने जाति भाइयों से मुँह मत मोड़ो।
8 तब तुम्हारी रौशनी सुबह की किरणों की तरह चमकेगी+और जल्द ही तुम चंगे हो जाओगे।
नेकी तुम्हारे आगे-आगे चलेगीऔर यहोवा का तेज तुम्हारी रक्षा के लिए पीछे-पीछे आएगा।+
9 तुम यहोवा से फरियाद करोगे और वह तुम्हें जवाब देगा,तुम मदद के लिए उसे पुकारोगे और वह कहेगा, ‘मैं यहाँ हूँ।’
अगर तुम अपने बीच से जुआ फेंक दो,दूसरों पर उँगली उठाना बंद करो, उनके बारे में गलत बातें बोलना छोड़ दो,+
10 अगर तुम किसी भूखे को वह चीज़ दो जो खुद तुम्हें चाहिए+और सताए हुओं का पूरा खयाल रखो,तब तुम्हारी रौशनी अँधेरे में भी चमकेगीऔर तुम्हारा अंधकार, भरी दोपहरी की तरह जगमगाएगा।+
11 यहोवा हमेशा तुम्हारे आगे-आगे चलेगाऔर सूखे देश में भी तुम्हें तृप्त करेगा,+वह तुम्हारी हड्डियों में जान फूँक देगाऔर तुम सिंचे हुए बाग की तरह हरे-भरे हो जाओगे,+उस सोते की तरह हो जाओगे जो कभी नहीं सूखता।
12 तुम्हारे लिए पुराने खंडहर फिर से बनाए जाएँगे,+जो नींव सदियों से उजाड़ पड़ी हैं उन्हें दोबारा डाला जाएगा।+
तुम्हें टूटी शहरपनाह की मरम्मत करनेवाला कहा जाएगा,+उन रास्तों का बनानेवाला कहा जाएगा, जिनके आस-पास फिर से लोग बसेंगे।
13 अगर तुम सब्त के दिन, मेरे पवित्र दिन अपनी ख्वाहिशें पूरी करने से दूर रहो,+इसे अपार खुशी का दिन, यहोवा का पवित्र दिन मानकर इसका आदर करो,+अपनी ख्वाहिशें पूरी करने और बेकार की बातें करने के बजाय इस दिन को खास समझो,
14 तब तुम्हें यहोवा के कारण अपार खुशी मिलेगी।
तब मैं धरती की ऊँची-ऊँची जगहों को तुम्हारे अधीन कर दूँगा+
और तुम्हारे पुरखे की ज़मीन से तुम्हें उपज खिलाऊँगा,*हाँ, याकूब की विरासत की ज़मीन से।+
यह बात यहोवा ने कही है।”