1 कुरिंथियों 10:1-33
10 भाइयो, मैं नहीं चाहता कि तुम इस बात से अनजान रहो कि हमारे बापदादा सभी बादल के नीचे थे और वे सभी समुद्र में से होकर गुज़रे।
2 उन सभी ने बादल के नीचे और समुद्र के बीच मूसा में बपतिस्मा लिया।
3 सभी ने परमेश्वर से मिलनेवाला एक ही खाना खाया।
4 सभी ने परमेश्वर से मिलनेवाला एक ही पानी पीया। इसलिए कि वे परमेश्वर की उस चट्टान से पीया करते थे, जो उनके साथ-साथ चलती थी और वह चट्टान मसीह को दर्शाती थी।
5 फिर भी, परमेश्वर उनमें से ज़्यादातर लोगों से खुश न हुआ, इसलिए वे वीराने में मार डाले गए।
6 ये बातें हमारे लिए सबक बनीं कि हम ऐसे इंसान न हों जो बुरी बातों की चाह रखते हैं, जैसे उन्होंने भी चाहीं।
7 न ही हम मूर्तियों की पूजा करनेवाले बनें, जैसे उनमें से कुछ ने की थी, ठीक जैसा लिखा है: “लोग खाने-पीने बैठे, और फिर उठकर नाचने और मौज-मस्ती करने लगे।”
8 न ही हम व्यभिचार में लगे रहें, जैसे उनमें से कुछ ने व्यभिचार किया और एक ही दिन में उनमें से तेईस हज़ार मारे गए।
9 न ही हम यहोवा की परीक्षा लें, जैसे उनमें से कुछ ने उसकी परीक्षा ली और साँपों के डसने से मारे गए।
10 न ही हम कुड़कुड़ानेवाले बनें, ठीक जैसे उनमें से कुछ कुड़कुड़ाते थे और नाश करनेवाले के हाथों मारे गए।
11 अब ये बातें जो उन पर बीतीं, मिसालों की तरह थीं और हमारी चेतावनी के लिए लिखी गयी थीं जिन पर दुनिया की व्यवस्थाओं का आखिरी वक्त आ पहुँचा है।
12 इसलिए जो सोचता है कि वह मज़बूती से खड़ा है, वह खबरदार रहे कि कहीं गिर न पड़े।
13 तुम ऐसी किसी अनोखी परीक्षा से नहीं गुज़रे, जिससे दूसरे इंसान कभी न गुज़रे हों। मगर परमेश्वर विश्वासयोग्य है और वह तुम्हें ऐसी किसी भी परीक्षा में नहीं पड़ने देगा जो तुम्हारी बरदाश्त के बाहर हो, मगर परीक्षा के साथ-साथ वह उससे निकलने का रास्ता भी निकालेगा ताकि तुम इसे सहन कर सको।
14 इसलिए, मेरे प्यारो, मूर्तिपूजा से दूर भागो।
15 मैं तुमसे ऐसे बात करता हूँ जैसे उनसे जिनके पास परख-शक्ति है। मैं जो कहता हूँ उसका तुम खुद ही फैसला करो।
16 धन्यवाद का वह प्याला, जिसके लिए हम प्रार्थना में धन्यवाद देते हैं, क्या वह मसीह के लहू में एक हिस्सेदारी नहीं? जो रोटी हम तोड़ते हैं, क्या वह मसीह के शरीर में एक हिस्सेदारी नहीं?
17 क्योंकि रोटी एक है, और हम बहुत होने पर भी एक ही शरीर हैं, इसलिए कि हम सब उस एक रोटी में से खाते हैं।
18 उन्हें देखो जो पैदाइशी इस्राएली हैं: जो बलिदानों में से खाते हैं क्या वे वेदी के साथ हिस्सेदार नहीं होते?
19 तो फिर, मैं क्या कहूँ? मूर्तियों के आगे जो बलिदान चढ़ाया जाता है क्या वह कुछ है? या क्या मूर्ति कुछ है?
20 नहीं। मगर मैं यह कहता हूँ कि दूसरे राष्ट्र जो बलि चढ़ाते हैं वे परमेश्वर के लिए नहीं, बल्कि दुष्ट स्वर्गदूतों के लिए बलि चढ़ाते हैं और मैं नहीं चाहता कि तुम दुष्ट स्वर्गदूतों के साथ हिस्सेदार बनो।
21 तुम ऐसा नहीं कर सकते कि यहोवा के प्याले से पीओ और दुष्ट स्वर्गदूतों के प्याले से भी पीओ। तुम ऐसा नहीं कर सकते कि “यहोवा की मेज़” से खाओ और दुष्ट स्वर्गदूतों की मेज़ से भी खाओ।
22 या “क्या हम यहोवा को जलन दिला रहे हैं”? क्या हम उससे ज़्यादा ताकतवर हैं?
23 सब बातें जायज़ तो हैं, मगर सब बातें फायदेमंद नहीं। सब बातें जायज़ तो हैं, मगर सब बातें हौसला नहीं बढ़ातीं।
24 हर कोई अपना ही फायदा न सोचे, बल्कि उन बातों की खोज में लगा रहे जिनसे दूसरों का फायदा हो।
25 गोश्त-बाज़ार में जो कुछ बिकता है वह खाओ और अपने ज़मीर की वजह से कोई पूछताछ मत करो।
26 इसलिए कि “धरती और वे सारी चीज़ें जिनसे वह भरी है, यहोवा की हैं।”
27 अगर कोई अविश्वासी तुम्हें दावत पर बुलाए और तुम जाना चाहो, तो वहाँ जो कुछ तुम्हारे सामने रखा जाए उसे खाओ और अपने ज़मीर की वजह से कोई पूछताछ मत करो।
28 लेकिन अगर कोई तुमसे यह कहता है: “यह चढ़ाए गए बलिदान में से है,” तो उसके बताने की वजह से और ज़मीर की वजह से मत खाना।
29 “ज़मीर” से मेरा मतलब है उस दूसरे का ज़मीर, न कि तुम्हारा ज़मीर। लेकिन, मेरी आज़ादी दूसरे के ज़मीर से क्यों परखी जाए?
30 अगर मैं प्रार्थना में धन्यवाद देकर खाता हूँ, तो फिर उसके लिए मुझे बुरा क्यों कहा जाए, जिसके लिए मैं धन्यवाद देता हूँ?
31 इसलिए चाहे तुम खाते हो या पीते हो या कोई और काम करते हो, सबकुछ परमेश्वर की महिमा के लिए करो।
32 तुम यहूदियों और यूनानियों के लिए, साथ ही परमेश्वर की मंडली के लिए पाप में गिरने की वजह मत बनो,
33 ठीक जैसे मैं भी सब बातों में सब लोगों को खुश कर रहा हूँ और अपने फायदे की नहीं, बल्कि बहुतों के फायदे की खोज में रहता हूँ ताकि वे उद्धार पा सकें।