सारांश चलाएँ 1 शाऊल की मौत की खबर (1-16) दाविद का शोकगीत (17-27) 2 दाविद, यहूदा का राजा (1-7) ईशबोशेत, इसराएल का राजा (8-11) दोनों घरानों के बीच युद्ध (12-32) 3 दाविद का घराना ताकतवर (1) दाविद के बेटे (2-5) अब्नेर, दाविद की तरफ (6-21) योआब ने अब्नेर को मार डाला (22-30) दाविद ने उसके लिए मातम मनाया (31-39) 4 ईशबोशेत का कत्ल (1-8) दाविद ने कातिलों को मरवाया (9-12) 5 दाविद, पूरे इसराएल का राजा (1-5) यरूशलेम पर कब्ज़ा (6-16) सिय्योन, दाविदपुर (7) दाविद ने पलिश्तियों को हराया (17-25) 6 संदूक यरूशलेम लाया गया (1-23) उज्जाह ने संदूक पकड़ा; उसकी मौत (6-8) मीकल ने दाविद को तुच्छ समझा (16, 20-23) 7 दाविद मंदिर नहीं बनाएगा (1-7) दाविद से राज का करार (8-17) उसकी धन्यवाद की प्रार्थना (18-29) 8 दाविद की जीत (1-14) उसका प्रशासन (15-18) 9 मपीबोशेत के लिए अटल प्यार (1-13) 10 अम्मोन और सीरिया पर जीत (1-19) 11 दाविद ने व्यभिचार किया (1-13) उरियाह को मरवा डाला (14-25) बतशेबा को पत्नी बनाया (26, 27) 12 नातान ने दाविद को फटकारा (1-15क) बतशेबा के बेटे की मौत (15ख-23) बतशेबा ने सुलैमान को जन्म दिया (24, 25) रब्बाह शहर पर कब्ज़ा (26-31) 13 अम्नोन ने तामार का बलात्कार किया (1-22) अबशालोम ने उसे मार डाला (23-33) अबशालोम गशूर भागा (34-39) 14 योआब और तकोआ की औरत (1-17) दाविद ने योआब की तरकीब भाँपी (18-20) अबशालोम को लौटने की इजाज़त (21-33) 15 अबशालोम की साज़िश और बगावत (1-12) दाविद यरूशलेम से भागा (13-30) अहीतोपेल, अबशालोम से मिल गया (31) अहीतोपेल को नाकाम करने के लिए हूशै को भेजा गया (32-37) 16 सीबा ने मपीबोशेत को बदनाम किया (1-4) शिमी ने दाविद को शाप दिया (5-14) अबशालोम ने हूशै को स्वीकार किया (15-19) अहीतोपेल की सलाह (20-23) 17 अहीतोपेल की सलाह नाकाम (1-14) दाविद अबशालोम से भागा (15-29) बरजिल्लै और दूसरों ने मदद की (27-29) 18 अबशालोम की हार और मौत (1-18) दाविद को इसकी खबर मिली (19-33) 19 दाविद ने मातम मनाया (1-4) योआब ने दाविद को फटकारा (5-8क) दाविद यरूशलेम लौटा (8ख-15) शिमी ने माफी माँगी (16-23) मपीबोशेत बेगुनाह साबित हुआ (24-30) बरजिल्लै को सम्मान दिया गया (31-40) गोत्रों के बीच बहस (41-43) 20 शीबा की बगावत; अमासा का कत्ल (1-13) शीबा का सिर काट डाला गया (14-22) दाविद का प्रशासन (23-26) 21 गिबोनियों का बदला (1-14) पलिश्तियों से युद्ध (15-22) 22 दाविद ने परमेश्वर की तारीफ की (1-51) ‘यहोवा मेरे लिए बड़ी चट्टान है’ (2) यहोवा, वफादार लोगों का वफादार (26) 23 दाविद के आखिरी शब्द (1-7) दाविद के वीर योद्धाओं के कारनामे (8-39) 24 दाविद ने गिनती लेकर पाप किया (1-14) महामारी से 70,000 लोग मरे (15-17) दाविद ने वेदी बनायी (18-25) कीमत चुकाए बिना बलिदान नहीं (24) पिछला अगला प्रिंट करें दूसरों को भेजें दूसरों को भेजें 2 शमूएल—सारांश बाइबल की किताबें 2 शमूएल—सारांश हिंदी 2 शमूएल—सारांश https://cms-imgp.jw-cdn.org/img/p/1001070000/univ/art/1001070000_univ_sqr_xl.jpg nwtsty 2 शमूएल इस प्रकाशन की कॉपीराइट Copyright © 2024 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania. इस्तेमाल की शर्तें | गोपनीयता नीति | PRIVACY SETTINGS