लैव्यव्यवस्था 25:1-55
25 फिर यहोवा ने सीनै पहाड़ पर मूसा से कहा,
2 “इसराएलियों से कहना, ‘कुछ समय बाद जब तुम उस देश में बस जाओगे जो मैं तुम्हें देनेवाला हूँ,+ तो पूरे देश की ज़मीन को यहोवा के लिए सब्त का विश्राम मिला करेगा।+
3 छ: साल तुम खेत में बीज बोना और छ: साल अपने अंगूरों के बाग की छँटाई करना और ज़मीन की उपज इकट्ठा किया करना।+
4 मगर सातवाँ साल देश की ज़मीन के लिए पूरे विश्राम का साल यानी यहोवा के लिए सब्त होगा। उस साल तुम न खेत में बीज बोना और न ही अंगूरों के बाग की छँटाई करना।
5 पिछली फसल की कटाई के बाद खेत में जो दाने रह जाते हैं, उनसे अपने आप उगनेवाले अनाज की कटाई मत करना। उसी तरह अंगूरों के बाग से, जिसकी छँटाई नहीं की जाती, वे अंगूर मत बटोरना जो अपने आप उग आते हैं। सातवाँ साल देश की ज़मीन के लिए पूरे विश्राम का साल होगा।
6 लेकिन सब्त के साल के दौरान ज़मीन पर जो कुछ अपने आप उगता है उसे तुम, तुम्हारे दास-दासियाँ, दिहाड़ी के मज़दूर और तुम्हारे साथ रहनेवाले परदेसी खा सकते हैं।
7 साथ ही, तुम्हारे पालतू जानवर और तुम्हारे इलाके के जंगली जानवर खा सकते हैं। तुम ज़मीन से मिलनेवाली सारी उपज खा सकते हो।
8 तुम सात सब्त के साल गिनना, यानी सात गुना सात साल। इस तरह जब कुल मिलाकर 49 साल पूरे होंगे,
9 तो उस 49वें साल के सातवें महीने के दसवें दिन यानी प्रायश्चित के दिन,+ तुम अपने देश में ज़ोर-ज़ोर से नरसिंगा फूँकना। देश का कोना-कोना नरसिंगे की आवाज़ से गूँज उठे।
10 तुम 50वें साल को पवित्र मानना और देश के सभी निवासियों के लिए छुटकारे का ऐलान करना।+ तुम सबके लिए 50वाँ साल छुटकारे का साल होगा। उस साल तुममें से हर किसी को उसकी बेची हुई जायदाद लौटा दी जाएगी। हर कोई अपने परिवार के पास लौट जाए।+
11 तुम्हारे लिए 50वाँ साल छुटकारे का साल होगा। उस साल तुम ज़मीन पर न बीज बोना और न ही पिछली फसल की कटाई के बचे दानों से उगनेवाले अनाज की कटाई करना। और अंगूरों के बाग से, जिसकी छँटाई नहीं की जाती, अंगूर मत बटोरना+
12 क्योंकि 50वाँ साल छुटकारे का साल है। तुम उसे पवित्र साल मानना। उस साल तुम सिर्फ वे चीज़ें खा सकते हो जो ज़मीन पर अपने आप उगती हैं।+
13 इस छुटकारे के साल के दौरान तुममें से हर किसी को अपनी बेची हुई जायदाद लौटा दी जाएगी।+
14 जब तुम अपने संगी-साथी को कुछ बेचते हो या उससे कुछ खरीदते हो, तो उसके साथ बेईमानी करके उसका फायदा न उठाना।+
15 जब तुम अपने संगी-साथी से ज़मीन खरीदते हो तो तुम यह गिनना कि छुटकारे के साल को बीते अब कितने साल हो गए हैं। और बेचनेवाले को देखना चाहिए कि छुटकारे का साल आने में अब कितने साल बाकी हैं जिनके दौरान फसल की पैदावार होगी। फिर उतने सालों की पैदावार के हिसाब से उसे कीमत लगाकर तुम्हें बेचना चाहिए।+
16 अगर छुटकारे का साल आने में बहुत साल बाकी हैं तो बेचनेवाला कीमत बढ़ा सकता है, लेकिन अगर थोड़े ही साल बाकी हैं तो उसे कम कीमत में बेचना चाहिए, क्योंकि दरअसल वह तुम्हें वह फसल बेच रहा है जो बचे हुए सालों के दौरान उगेगी।
17 तुममें से कोई भी अपने संगी-साथी के साथ बेईमानी करके उसका फायदा न उठाए।+ तुम अपने परमेश्वर का डर मानना+ क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।+
18 अगर तुम मेरी विधियाँ मानोगे और मेरे न्याय-सिद्धांतों का पालन किया करोगे तो तुम देश में महफूज़ बसे रहोगे।+
19 ज़मीन से तुम्हें अच्छी पैदावार मिलेगी,+ तुम्हें खाने की कोई कमी नहीं होगी और तुम महफूज़ बसे रहोगे।+
20 लेकिन शायद तुम कहो, “अगर हम सातवें साल बीज नहीं बोएँगे और फसल नहीं काटेंगे तो खाएँगे क्या?”+
21 मैं छठे साल ज़मीन पर आशीषों की बौछार करूँगा, इसलिए उस साल इतनी ज़्यादा पैदावार होगी कि यह तीन साल तक तुम्हारे पास भरपूर होगी।+
22 आठवें साल तुम बीज बोओगे और नौवें साल तक पुरानी फसल का अनाज खाओगे। नयी फसल की उपज मिलने तक तुम पुरानी फसल का ही अनाज खाओगे।
23 देश की कोई भी ज़मीन हमेशा के लिए किसी और को न बेची जाए+ क्योंकि देश की सारी ज़मीन मेरी है।+ और तुम मेरी नज़र में इस देश में परदेसी और प्रवासी हो।+
24 पूरे देश में हर किसी को यह हक दिया जाए कि अगर वह कभी अपनी ज़मीन बेच देता है तो उसे दोबारा खरीदकर वापस पा सकता है।
25 अगर तुम्हारा कोई इसराएली भाई गरीबी में पड़ जाए और मजबूरी में उसे अपनी कुछ ज़मीन बेचनी पड़े, तो उसके किसी नज़दीकी रिश्तेदार को उसका छुड़ानेवाला बनना होगा और उसकी बिकी हुई ज़मीन वापस खरीदनी होगी।+
26 अगर एक आदमी का कोई छुड़ानेवाला नहीं है, मगर उसने इतनी दौलत कमा ली है कि वह खुद अपनी ज़मीन वापस खरीद सकता है,
27 तो उसे कीमत देकर अपनी ज़मीन वापस खरीदनी चाहिए। उसे गिनना चाहिए कि उसकी ज़मीन की बिक्री के बाद अब तक कितने साल बीते हैं और इन सालों की पैदावार की कीमत उस कीमत से घटा देनी चाहिए जो उसे ज़मीन बेचने पर मिली थी। फिर बची हुई रकम देकर उसे अपनी ज़मीन वापस खरीद लेनी चाहिए।+
28 लेकिन अगर एक आदमी के पास अपनी ज़मीन वापस पाने का कोई रास्ता नहीं है, तो छुटकारे के साल तक ज़मीन उस आदमी की रहेगी जिसने खरीद ली है।+ फिर छुटकारे के साल, ज़मीन उसके असली मालिक को यानी उस आदमी को लौटा दी जाएगी जिसने बेची थी।+
29 अगर एक आदमी का घर शहरपनाहवाले नगर में है और वह उसे बेचता है तो बेचने के बाद वह एक साल के अंदर उसे वापस खरीद सकता है। पूरे एक साल तक उसके पास अपना घर वापस खरीदने का हक रहेगा।+
30 लेकिन अगर पूरे साल के बीतने तक वह शहरपनाहवाले नगर में अपना घर वापस नहीं खरीदता तो घर पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमेशा के लिए उस आदमी का हो जाएगा जिसने खरीदा है। छुटकारे के साल वह घर उस आदमी को वापस न दिया जाए जिसने बेचा था।
31 लेकिन अगर एक आदमी का घर शहरपनाहवाले नगर में नहीं, बल्कि एक खुली बस्ती में है तो उसका घर खेत का हिस्सा माना जाएगा। अगर वह अपना घर बेचता है तो उसके पास उसे वापस खरीदने का हक रहेगा। और अगर वह नहीं खरीद पाता तो छुटकारे के साल उसे वापस दे दिया जाए।
32 जहाँ तक लेवियों के घरों की बात है जो उनके शहरों में हैं,+ वे उन्हें बेचने के बाद कभी-भी वापस खरीद सकते हैं। यह हक उनके पास हमेशा के लिए रहेगा।
33 अगर एक लेवी शहर में अपना बेचा हुआ घर वापस नहीं खरीदता, तो छुटकारे के साल उसे वह घर वापस दे दिया जाएगा+ क्योंकि इसराएलियों के बीच लेवियों के शहरों में जितने भी मकान हैं, वे लेवियों की अपनी जायदाद हैं।+
34 मगर किसी लेवी को अपने शहरों के आस-पास के चरागाह की कोई भी ज़मीन नहीं बेचनी चाहिए,+ क्योंकि यह लेवियों की हमेशा की जागीर है।
35 अगर तुम्हारे आस-पास रहनेवाला कोई इसराएली भाई गरीबी में पड़ जाता है और अपना गुज़ारा नहीं कर पाता, तो तुम उसकी मदद करना+ जैसे तुम अपने बीच रहनेवाले परदेसी और प्रवासी+ की मदद करते ताकि वह तुम्हारे बीच ही रहकर अपना गुज़र-बसर कर सके।
36 तुम ऐसे गरीब भाई से ब्याज मत लेना या उसका फायदा उठाकर मुनाफा मत कमाना।+ तुम अपने परमेश्वर का डर मानना+ ताकि तुम्हारा भाई तुम्हारे बीच ही रहकर अपना गुज़र-बसर कर सके।
37 जब तुम उसे पैसा उधार देते हो तो ब्याज न लेना+ या तुम उसे जो खाना देते हो उससे मुनाफा मत कमाना।
38 मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। मैं तुम्हें मिस्र से निकालकर कनान ले जा रहा हूँ+ ताकि यह साबित करूँ कि मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँ।+
39 अगर तुम्हारे आस-पास रहनेवाला कोई इसराएली भाई गरीबी में पड़ जाता है और मजबूर होकर खुद को तुम्हारे हाथ बेच देता है,+ तो तुम उससे वैसे काम न करवाना जैसे तुम एक दास से करवाते हो।+
40 तुम उससे उतना ही काम लेना जितना तुम दिहाड़ी के मज़दूर से या एक प्रवासी से लेते हो।+ वह छुटकारे के साल तक तुम्हारे यहाँ काम करेगा।
41 उसके बाद वह अपने बाल-बच्चों* को लेकर तुम्हारे यहाँ से अपने रिश्तेदारों के पास लौट जाएगा। उसे अपने पुरखों की ज़मीन पर रहने के लिए लौट जाना चाहिए।+
42 क्योंकि इसराएली दरअसल मेरे दास हैं जिन्हें मैं मिस्र से बाहर निकाल लाया हूँ।+ उन्हें खुद को किसी के हाथ बेचकर उसका दास नहीं बनना चाहिए।
43 तुम उस इसराएली भाई के साथ बेरहमी से मत पेश आना+ और अपने परमेश्वर का डर मानना।+
44 तुम्हारे यहाँ जो भी दास-दासियाँ होंगे वे आस-पास की दूसरी जातियों से होने चाहिए। तुम उन जातियों के लोगों से दास-दासियाँ खरीद सकते हो।
45 उसी तरह, जो परदेसी तुम्हारे यहाँ बस जाते हैं, उनसे और उनकी संतान के परिवारों से तुम दास खरीद सकते हो।+ वे तुम्हारी जागीर हो जाएँगे।
46 तुम ये दास विरासत में अपने बेटों को दे सकते हो ताकि वे तुम्हारे बाद तुम्हारी संतान की हमेशा की जागीर हो जाएँ। तुम इन लोगों से दासों की तरह काम ले सकते हो, मगर अपने इसराएली भाइयों पर अत्याचार मत करना।+
47 अगर तुम्हारे बीच रहनेवाला कोई परदेसी या प्रवासी बहुत दौलतमंद हो जाता है और तुम्हारा कोई इसराएली भाई गरीबी की वजह से खुद को उस प्रवासी या परदेसी या उसके किसी रिश्तेदार के हाथ बेच देता है,
48 तो उस इसराएली के पास वापस खरीदे जाने और छुड़ाए जाने का हक होगा। उसका कोई सगा भाई उसे वापस खरीदकर छुड़ा सकता है,+
49 या उसका चाचा या चचेरा भाई या उसके घराने का कोई नज़दीकी रिश्तेदार* उसे वापस खरीदकर छुड़ा सकता है।
या अगर वह इसराएली खुद दौलतमंद हो जाता है तो वह अपनी कीमत अदा करके छूट सकता है।+
50 इसराएली को उस खरीदार के साथ मिलकर हिसाब लगाना चाहिए कि जिस साल उसने खुद को बेचा था तब से छुटकारे के साल तक कितने साल होंगे।+ और उतने सालों के लिए उसे जो मज़दूरी मिलती वही उसकी बिक्री की कीमत होगी।+ उसकी मज़दूरी दिहाड़ी के मज़दूर को दी जानेवाली मज़दूरी के हिसाब से तय होगी।+
51 अगर छुटकारे के साल के लिए बहुत ज़्यादा साल बचे हैं तो उसे उन बचे हुए सालों के हिसाब से कीमत देकर खुद को छुड़ाना चाहिए।
52 उसी तरह, अगर छुटकारे के साल के लिए बहुत कम साल बचे हैं तो उसे उन बचे हुए सालों के हिसाब से कीमत देकर खुद को छुड़ाना चाहिए।
53 उसे साल-दर-साल एक दिहाड़ी के मज़दूर की तरह खरीदार के यहाँ काम करना होगा। और तुम ध्यान रखना कि उसका खरीदार उसके साथ बेरहमी से पेश न आए।+
54 लेकिन अगर एक इसराएली इन शर्तों के मुताबिक कीमत अदा करके खुद को छुड़ा नहीं सकता, तो छुटकारे के साल+ वह और उसके बच्चे* छूट जाएँगे।
55 इसराएली मेरे दास हैं। हाँ, ये मेरे दास हैं जिन्हें मैं मिस्र से बाहर निकाल लाया हूँ।+ मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।