यिर्मयाह 30:1-24
30 यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा,
2 “इसराएल का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘मैं तुझसे जो-जो कहने जा रहा हूँ, वह सब एक किताब में लिख ले।
3 क्योंकि यहोवा ऐलान करता है, “देख! वे दिन आ रहे हैं, जब मैं बँधुआई में पड़े अपने लोगों को, इसराएल और यहूदा को इकट्ठा करूँगा।”+ यहोवा कहता है, “मैं उन्हें वापस उस देश में ले जाऊँगा जो मैंने उनके पुरखों को दिया था और वे दोबारा उस पर अधिकार करेंगे।”’”+
4 यहोवा ने इसराएल और यहूदा को जो संदेश सुनाया वह यह है।
5 यहोवा कहता है,
“हमने उन लोगों की आवाज़ सुनी है जो डर के मारे चीख रहे हैं,हर कहीं आतंक छाया है, कहीं शांति नहीं है।
6 ज़रा पूछो, क्या एक आदमी बच्चा जन सकता है?
तो फिर, मैं क्यों हर ताकतवर आदमी को पेट पकड़े हुए देख रहा हूँ,जैसे बच्चा जननेवाली औरत पकड़ती है?+
क्यों सबका चेहरा पीला पड़ गया है?
7 हाय! यह दिन कितना भयानक है!+
आज तक ऐसा दिन नहीं आया।
याकूब के लिए संकट का समय है।
मगर उसे संकट से बचा लिया जाएगा।”
8 सेनाओं का परमेश्वर यहोवा ऐलान करता है, “उस दिन मैं उनकी गरदन का जुआ तोड़ दूँगा और बंधनों के दो टुकड़े कर डालूँगा। इसके बाद फिर कभी पराए लोग* उन्हें अपने दास नहीं बनाएँगे।
9 वे अपने परमेश्वर यहोवा की सेवा करेंगे और अपने राजा दाविद की सेवा करेंगे जिसे मैं उनके लिए खड़ा करूँगा।”+
10 यहोवा ऐलान करता है, “मेरे सेवक याकूब, तू मत डर,इसराएल, तू मत घबरा।+
क्योंकि मैं तुझे दूर देश से छुड़ा लूँगा,मैं तेरे वंशजों को बँधुआई के देश से निकाल लाऊँगा।+
याकूब वापस आएगा, वह चैन से रहेगा और उसे कोई खतरा नहीं होगा,उसे कोई नहीं डराएगा।”+
11 यहोवा ऐलान करता है, “क्योंकि मैं तुझे बचाने के लिए तेरे साथ हूँ।
मैं उन सभी राष्ट्रों को मिटा दूँगा जहाँ मैंने तुझे तितर-बितर कर दिया था,+मगर तुझे नहीं मिटाऊँगा।+
मैं तुझे सुधारने के लिए उतनी फटकार लगाऊँगा जितनी सही है,तुझे सज़ा दिए बिना हरगिज़ न छोड़ूँगा।”+
12 क्योंकि यहोवा कहता है,
“तुझे जो घाव दिया गया है उसका कोई इलाज नहीं।+
तेरा ज़ख्म कभी ठीक नहीं हो सकता।
13 तेरा मुकदमा लड़नेवाला कोई नहीं है,तेरे ज़ख्म को भरने का कोई उपाय नहीं।
तेरे लिए कोई इलाज नहीं।
14 तुझ पर मरनेवाले तेरे सभी यार तुझे भूल गए हैं।+
वे अब तुझे ढूँढ़ने नहीं आते।
मैंने एक दुश्मन की तरह तुझ पर वार किया है,+एक बेरहम की तरह तुझे मारा है,क्योंकि तेरा दोष बहुत बड़ा है, तेरे पाप बेहिसाब हैं।+
15 तू अपने घाव पर क्यों चिल्ला रही है?
तेरे दर्द की कोई दवा नहीं!
तेरा दोष बहुत बड़ा है, तेरे पाप बेहिसाब हैं,+इसलिए मैंने तेरा यह हाल किया है।
16 बेशक तुझे निगलनेवाले सभी निगल लिए जाएँगे,+तेरे सारे दुश्मन भी बँधुआई में चले जाएँगे।+
जो तुझे लूट रहे हैं, वे लूट लिए जाएँगे,जो तेरी दौलत छीन रहे हैं, उन सबकी दौलत मैं दूसरों से छिनवाऊँगा।”+
17 यहोवा ऐलान करता है, “वे कहते हैं कि तू ठुकरायी हुई है,‘सिय्योन को पूछनेवाला कोई नहीं है,’+
मगर मैं तेरी सेहत दुरुस्त कर दूँगा, तेरे घाव ठीक कर दूँगा।”+
18 यहोवा कहता है,
“मैं याकूब के तंबुओं के लोगों को बँधुआई से इकट्ठा करने जा रहा हूँ,+मैं उसके डेरों पर तरस खाऊँगा।
यह शहर अपने टीले पर फिर से बसाया जाएगा,+किलेबंद मीनार वहाँ दोबारा खड़ी होगी जहाँ उसे होना चाहिए।
19 उनके यहाँ से शुक्रिया अदा करने और खुशियाँ मनाने की आवाज़ें सुनायी देंगी।+
मैं उनकी गिनती बढ़ाऊँगा, वे कम नहीं होंगे,+मैं उनकी तादाद बढ़ाकर अनगिनत कर दूँगा,*वे तुच्छ नहीं समझे जाएँगे।+
20 उसके बेटे बीते दिनों की तरह खुशहाल होंगे,मेरे सामने उसकी मंडली मज़बूती से कायम होगी।+
उस पर अत्याचार करनेवालों से मैं निपटूँगा।+
21 उसका गौरवशाली जन उसी में से निकलेगा,उसका शासक उसके बीच से ही आएगा।
मैं उसे अपने पास आने दूँगा और वह मेरे पास आएगा।”
यहोवा ऐलान करता है, “वरना कौन मेरे पास आने की हिम्मत कर सकता है?”
22 “तुम मेरे लोग होगे और मैं तुम्हारा परमेश्वर होऊँगा।”+
23 देखो! यहोवा के क्रोध की भयानक आँधी चलेगी,+तबाही मचानेवाला तूफान दुष्टों के सिर पर मँडराएगा।
24 यहोवा के क्रोध की आग तब तक नहीं बुझेगी,जब तक कि वह उस काम को पूरा नहीं कर लेता, उसे अंजाम नहीं दे देता जो उसने मन में ठाना है।+
आखिरी दिनों में तुम लोग इसे समझोगे।+