भजन 41:1-13
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
41 सुखी है वह इंसान जो दीन-दुखियों का लिहाज़ करता है,+यहोवा उसे संकट के दिन छुड़ाएगा।
2 यहोवा उसकी हिफाज़त करेगा और उसकी जान सलामत रखेगा।
उसे धरती पर सुखी इंसान माना जाएगा,+परमेश्वर उसे कभी उसके दुश्मनों की मरज़ी* पर नहीं छोड़ेगा।+
3 जब वह बिस्तर पर बीमार पड़ा होगा तब यहोवा उसे सँभालेगा,+बीमारी के दिनों में परमेश्वर उसकी देखभाल करेगा।
4 मैंने कहा था, “हे यहोवा, मैंने तेरे खिलाफ पाप किया है।+
मुझ पर कृपा कर,+ मेरी बीमारी दूर कर दे।”+
5 मगर दुश्मन मेरे बारे में बुरी बातें करते हैं,
“यह कब मरेगा? इसका नाम कब मिटेगा?”
6 जब उनमें से कोई मुझे देखने आता है, तो वह झूठ बोलने के इरादे से आता है।
वह मेरी बुराई करने के लिए कुछ-न-कुछ ढूँढ़ लेता है,फिर जाकर उसे दूर-दूर तक फैला देता है।
7 मुझसे नफरत करनेवाले सभी आपस में फुसफुसाते हैं,मेरे खिलाफ साज़िश रचते हैं।
8 वे कहते हैं, “उसे कोई खतरनाक बीमारी लग गयी है,वह गिर गया है, अब कभी नहीं उठ पाएगा।”+
9 मेरा जिगरी दोस्त भी, जिस पर मैं भरोसा करता था,+जो मेरी रोटी खाया करता था, मेरे खिलाफ हो गया है।*+
10 मगर हे यहोवा, तू मुझ पर कृपा कर और मुझे ऊपर उठाताकि मैं उन्हें उनके किए की सज़ा दे सकूँ।
11 जब मेरे दुश्मन मुझसे जीत नहीं पाएँगे,+
तो मैं जान जाऊँगा कि तू मुझसे खुश है।
12 मेरे निर्दोष चालचलन की वजह से तू मुझे ऊँचा उठाता है,+तू मुझे अपनी नज़रों के सामने सदा बनाए रखेगा।+
13 इसराएल के परमेश्वर यहोवा की युग-युग तक* तारीफ होती रहे।+
आमीन, आमीन।