नीतिवचन 15:1-33
15 नरमी से जवाब देने पर क्रोध शांत हो जाता है,+लेकिन चुभनेवाली बात से गुस्सा भड़क उठता है।+
2 बुद्धिमान जो अच्छी बातें जानता है उन्हें ज़बान पर लाता है,+मगर मूर्ख अपने मुँह से मूर्खता की बातें उगलता है।
3 यहोवा की आँखें हर जगह लगी रहती हैं,अच्छे-बुरे दोनों को देखती रहती हैं।+
4 शांति देनेवाली* ज़बान जीवन का पेड़ है,+मगर टेढ़ी बातें मन को कुचल देती हैं।
5 मूर्ख अपने पिता की शिक्षा को तुच्छ जानता है,+मगर होशियार इंसान डाँट* को कबूल करता है।+
6 नेक जन का घर खज़ाने से भरा रहता है,मगर दुष्ट की कमाई उस पर आफत लाती है।+
7 बुद्धिमान के होंठ ज्ञान फैलाते हैं,+मगर मूर्ख का मन ऐसा करने की नहीं सोचता।+
8 दुष्ट के बलिदान से यहोवा घिन करता है,+मगर सीधे-सच्चे इंसान की प्रार्थना से वह खुश होता है।+
9 यहोवा को दुष्ट की चाल से घृणा है,+मगर नेकी का पीछा करनेवाले से वह प्यार करता है।+
10 सही राह छोड़नेवाले को शिक्षा बुरी* लगती है+और डाँट से नफरत करनेवाला अपनी जान गँवा बैठता है।+
11 जब कब्र* और विनाश की जगह* यहोवा से नहीं छिपी,+
तो फिर इंसान का दिल उससे कैसे छिपा रह सकता है!+
12 हँसी उड़ानेवाले को वह इंसान पसंद नहीं जो उसे सुधारता* है,+
वह बुद्धिमान से कोई सलाह नहीं लेता।+
13 जब दिल खुश हो तो चेहरा खिल उठता है,लेकिन जब मन दुखी हो, तो यह इंसान को अंदर से तोड़ देता है।+
14 समझ रखनेवाला मन पूरी बात जानने की कोशिश करता है,+मगर मूर्ख अपना मुँह मूर्खता से भरता है।+
15 दुखी इंसान के लिए सब दिन बुरे होते हैं,+मगर जिसका मन खुश रहता है, उसके लिए तो हर दिन दावत है।+
16 बहुत दौलत होने और चिंता में डूबे रहने से अच्छा है,+कम में गुज़ारा करना और यहोवा का डर मानना।+
17 जिस घर में नफरत हो वहाँ दावत* उड़ाने से अच्छा है,उस घर में सादा खाना* खाना जहाँ प्यार हो।+
18 गरम मिज़ाजवाला झगड़ा बढ़ाता है,+मगर जो क्रोध करने में धीमा है वह झगड़ा शांत करता है।+
19 आलसी की राह काँटों के बाड़े जैसी होती है,+मगर सीधे लोगों की राह राजमार्ग जैसी होती है।+
20 बुद्धिमान बेटा अपने पिता को खुश करता है,+मगर मूर्ख अपनी माँ को तुच्छ जानता है।+
21 जिसमें समझ ही नहीं उसे मूर्खता से खुशी मिलती है,+मगर पैनी समझ रखनेवाला सीधी राह पर बढ़ता जाता है।+
22 सलाह-मशविरा न करने से योजनाएँ नाकाम हो जाती हैं,लेकिन बहुतों की सलाह से कामयाबी मिलती है।+
23 सही जवाब देने पर एक इंसान खुश हो जाता है+और सही वक्त पर कही गयी बात क्या खूब होती है!+
24 अंदरूनी समझ रखनेवाले को जीवन की राह ऊपर-ऊपर से ले जाती है,+ताकि वह नीचे कब्र में जाने से बचा रहे।+
25 यहोवा घमंडी का घर ढा देगा,+मगर विधवा की ज़मीन* की हिफाज़त करेगा।+
26 दुष्ट की साज़िशों से यहोवा को घिन है,+मगर मनभावनी बातें उसकी नज़रों में शुद्ध हैं।+
27 बेईमानी से कमानेवाला अपने ही परिवार पर आफत* लाता है,+मगर जिसे घूस लेने से नफरत है वह जीवित रहेगा।+
28 नेक इंसान जवाब देने से पहले मन में सोचता है,*+मगर दुष्ट अपने मुँह से बुरी-बुरी बातें उगलता है।
29 यहोवा दुष्ट से दूर रहता है,मगर वह नेक जन की प्रार्थना सुनता है।+
30 आँखों में चमक देखकर दिल झूम उठता हैऔर अच्छी खबर हड्डियों में जान फूँक देती है।+
31 जो जीवन देनेवाली डाँट सुनता है,उसकी गिनती बुद्धिमानों में होती है।+
32 जो शिक्षा को ठुकराता है, वह अपने जीवन को तुच्छ समझता है,+लेकिन जो डाँट सुनकर सुधर जाता है, वह समझ हासिल करता है।+
33 यहोवा का डर मानना, बुद्धि से काम लेना सिखाता है+और नम्र होने पर आदर मिलता है।+
कई फुटनोट
^ या “चंगा करनेवाली।”
^ या “सुधार के लिए दी गयी सलाह।”
^ या “कठोर।”
^ या “डाँटता।”
^ शा., “मोटा-ताज़ा बैल।”
^ शा., “थोड़ी-सी साग-सब्ज़ी।”
^ शा., “की सीमा।”
^ या “अपमान।”
^ या “ध्यान से सोचता है कि किस तरह जवाब दूँ।”