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यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—यीशु की सेवा शुरू होने से पहले की घटनाएँ
खुशखबरी की चार किताबों में बतायी घटनाएँ इस क्रम में घटीं
हर चार्ट के साथ एक नक्शा है जिसमें दिखाया गया है कि यीशु कहाँ-कहाँ गया और उसने किन-किन जगहों में प्रचार किया। नक्शे में तीर के निशान मोटे तौर पर यह दिखाते हैं कि उसने किस दिशा में सफर किया, न कि यह कि ठीक कौन-सा रास्ता लिया।
यीशु की सेवा शुरू होने से पहले की घटनाएँ
वक्त |
जगह |
घटना |
मत्ती |
मरकुस |
लूका |
यूहन्ना |
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ई.पू. 3 |
यरूशलेम का मंदिर |
जिब्राईल स्वर्गदूत जकरयाह को बताता है कि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का जन्म होगा |
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करीब ई.पू. 2 |
नासरत; यहूदिया |
जिब्राईल स्वर्गदूत मरियम को बताता है कि यीशु का जन्म होगा; वह अपनी रिश्तेदार इलीशिबा से मिलने जाती है |
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ई.पू. 2 |
यहूदिया का पहाड़ी इलाका |
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का जन्म और उसका नाम रखा गया; जकरयाह भविष्यवाणी करता है; वीराने में यूहन्ना की ज़िंदगी |
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ई.पू. 2, करीब अक्टू. 1 |
बेतलेहेम |
यीशु का जन्म; “वचन इंसान बना” |
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बेतलेहेम के पास; बेतलेहेम |
स्वर्गदूत चरवाहों को खुशखबरी सुनाता है; स्वर्गदूत परमेश्वर की तारीफ करते हैं; चरवाहे शिशु को देखने आते हैं |
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बेतलेहेम; यरूशलेम |
यीशु का खतना किया गया (8वें दिन); उसके माता-पिता उसे मंदिर ले आए (40वें दिन के बाद) |
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ई.पू. 1 या ई. 1 |
यरूशलेम; बेतलेहेम; मिस्र; नासरत |
ज्योतिषी आते हैं; यूसुफ का परिवार मिस्र भागता है; हेरोदेस छोटे लड़कों को मरवा डालता है; मिस्र से लौटकर वह परिवार नासरत में बस जाता है |
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ई. 12, फसह का त्योहार |
यरूशलेम |
बारह साल का यीशु मंदिर में शिक्षकों से सवाल पूछता है |
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नासरत |
नासरत लौटता है; माता-पिता के अधीन रहता है; बढ़ई का काम सीखता है; मरियम ने यीशु के अलावा चार बेटों और कई बेटियों की परवरिश की (मत 13:55, 56; मर 6:3) |
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29, वसंत |
वीराना, यरदन नदी |
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला सेवा शुरू करता है |