पहले पेज का विषय: क्या परमेश्वर वाकई बेरहम है?
लोग क्यों कहते हैं कि परमेश्वर बेरहम है?
इस पत्रिका के कवर पेज पर दिया सवाल, क्या आपको हैरानी में डाल देता है? हाँ, कुछ लोगों को। दुनिया में ऐसे बहुत-से लोग हैं जिन्हें लगता है कि परमेश्वर बेरहम है। ऐसा क्यों?
कुछ लोग जो प्राकृतिक विपत्तियों का सामना कर चुके होते हैं वे कहते हैं: “परमेश्वर क्यों इन्हें होने देता है? क्या वह बेपरवाह है? या क्या वह बेरहम है?”
कुछ लोग जो बाइबल पढ़ते हैं उनके मन में भी यह सवाल आता है। क्योंकि जब वे नूह और उसके समय में आयी बाढ़ जैसे ब्यौरे पढ़ते हैं, तो उन्हें लगता है कि ‘एक प्यार करनेवाला परमेश्वर क्यों लोगों को मौत के घाट उतारेगा? क्या परमेश्वर वाकई बेरहम है?’
क्या आपके मन में भी यह सवाल उठता है कि ‘क्या परमेश्वर वाकई बेरहम है?’ या फिर दूसरों को इस सवाल का जवाब देना आपको मुश्किल लगता है? बात चाहे जो भी हो, आगे दिए सवाल पर गौर करने से आपको मदद मिलेगी।
आखिर हम बेरहमी से नफरत क्यों करते हैं?
सरल शब्दों में कहें, तो यह इसलिए है कि हममें सही और गलत के बीच फर्क करने की समझ है जो कि जानवरों में नहीं होती। सृष्टिकर्ता ने हमें “अपने स्वरूप” में बनाया है। (उत्पत्ति 1:27) इसका मतलब है कि उसने हमें इस तरह बनाया कि हम उसके जैसे गुण दिखाएँ, सही-गलत के बीच फर्क करें साथ ही, उसके दिए नैतिक उसूलों को मानें। अब ज़रा सोचिए: अगर हमें परमेश्वर ने सही और गलत के बीच फर्क करने की काबिलीयत दी है, जिस वजह से हम बेरहमी से नफरत करते हैं, तो क्या इससे यह साबित नहीं होता कि परमेश्वर भी बेरहमी से नफरत करता है?
बाइबल भी इस बात को पक्का करती है, क्योंकि परमेश्वर ने अपने वचन में कहा है: “मेरे मार्ग तुम्हारे मार्गों से और मेरे विचार तुम्हारे विचारों से ऊँचे हैं।” (यशायाह 55:9, वाल्द-बुल्के अनुवाद) इसलिए अगर हम न्यायी बनकर परमेश्वर को बेरहम ठहरा रहे होंगे, तो इसका मतलब होगा कि हम अपने विचारों को परमेश्वर के विचारों से ऊँचा समझ रहे हैं। जी हाँ, बुद्धिमानी इसी में है कि हम किसी भी फैसले पर पहुँचने से पहले ज़्यादा जानकारी लें। हमें खुद से पूछना चाहिए कि अगर परमेश्वर बेरहम नहीं है, तो फिर क्यों उसके कुछ काम लोगों को बेरहम लगते हैं? इसे समझने के लिए आइए देखें कि असल में शब्द “बेरहम” का क्या मतलब है।
जब हम किसी को बेरहम कहते हैं, तो मानो हम उसके इरादों को गलत ठहरा रहे हैं। एक बेरहम इंसान दूसरों को तड़पता देखकर खुश होता है या उनकी परेशानी का उस पर कोई असर नहीं होता। जैसे, अगर एक पिता इस इरादे से अपने बेटे को अनुशासन देता है कि उसे चोट पहुँचाने से उसे खुशी मिलती है, तो हम ऐसे पिता को बेरहम करार देते हैं। लेकिन अगर पिता इस इरादे से अनुशासन दे कि बेटे को खतरों में पड़ने से बचा सके, तो हम उसे अच्छा पिता कहते हैं। ज़ाहिर है, हम नहीं जान पाते कि एक व्यक्ति एक समय पर क्यों इस तरीके से पेश आता है। इसलिए हमें उसके इरादों को गलत ठहराना आसान होता है। हो सकता है, आपके साथ भी ऐसी गलतफहमी हुई हो।
आइए ऐसी दो वजहों पर गौर करें कि क्यों कुछ लोग प्राकृतिक विपत्तियों को देखकर और परमेश्वर की तरफ से न्यायदंड, जो बाइबल में दर्ज़ है उसे पढ़कर कहते हैं कि परमेश्वर बेरहम है। क्या यह वाकई सच है? (w13-E 05/01)