जीवन कहानी
जो प्यार मुझमें पहले था, उसे याद रखने से मुझे धीरज धरने में मदद मिली
सन् 1970 की बात है। गर्मियाँ शुरू ही हुई थीं। मैं वैली फॉर्ज जनरल हॉस्पिटल के बिस्तर पर लेटा था। यह अस्पताल अमरीका के पेन्सिलवेनिया राज्य के फीनिक्सविल कसबे में है। हर आधे घंटे में एक आदमी जो नर्स का काम करता था, मेरे ब्लड प्रेशर की जाँच कर रहा था। वह मुझसे कुछ ही साल बड़ा था। मेरी उम्र उस समय 20 साल थी और मैं एक सैनिक था। मुझे संक्रमण से एक गंभीर बीमारी हो गयी थी। वह आदमी काफी परेशान दिख रहा था। मेरा ब्लड प्रेशर कम होता ही जा रहा था। मैंने उससे पूछा, “क्या तुमने पहले कभी किसी को मरते हुए नहीं देखा?” उसके चेहरे का रंग उड़ गया और उसने कहा, “नहीं, मैंने नहीं देखा।”
उस वक्त मेरा भविष्य बिलकुल धुँधला दिख रहा था। लेकिन मैं अस्पताल में आया कैसे? चलिए मैं आपको अपनी ज़िंदगी के बारे में कुछ बताता हूँ।
युद्ध से मेरा सामना कैसे हुआ
जब वियतनाम में युद्ध चल रहा था उस दौरान मैं ऑपरेशन रूम में टेक्निशियन के तौर पर काम करता था, तब मैं बीमार हो गया। मुझे बीमार और घायल लोगों की मदद करना अच्छा लगता था। मैं डॉक्टर बनना चाहता था। सन् 1969 की जुलाई में मैं वियतनाम पहुँचा। सभी नए लोगों की तरह, एक हफ्ते तक मुझे प्रशिक्षण दिया गया। इससे मुझे वहाँ के अलग समय और तेज़ गर्मी की मार सहने के लिए खुद को ढालने में मदद मिली।
जल्द ही मैं अपने काम की जगह गया, यानी सर्जिकल होस्पिटल में। यह अस्पताल डोंग टाम नाम की जगह में, मेकांग डेल्टा पर बना हुआ है। वहाँ घायल लोगों से भरे हुए बहुत से हेली-कॉप्टर आए हुए थे। मेरे अंदर देश-भक्ति की भावना भरी हुई थी और मुझे काम करना बहुत पसंद था। इसलिए मैं फौरन काम में जुट जाना चाहता था। घायल लोगों को ऑपरेशन के लिए तैयार किया जा रहा था और फिर उन्हें जल्दी से, ऑपरेशन के लिए तैयार किए गए एक छोटे-से कमरे में ले जाया जाता था। यह कमरा लोहे की टीन से बना हुआ और ए.सी. वाला था। उस छोटे-से कमरे में एक डॉक्टर, ऐनसथीज़िया देनेवाला और दो नर्स उन घायलों की जान बचाने के लिए अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश करते थे। मैंने गौर किया कि हेली-कॉप्टर से कुछ बड़े-बड़े काले थैले नहीं उतारे गए। मुझे बताया गया कि उन थैलों में सैनिकों के शरीर के टुकड़े भरे हैं, जो युद्ध में मारे गए थे। इस तरह युद्ध से मेरा सामना हुआ।
परमेश्वर के लिए मेरी खोज
जब मैं नौजवान था तभी से मैं थोड़ा-बहुत जानता था कि यहोवा के साक्षी क्या सच्चाई सिखाते हैं। मेरी माँ साक्षियों के साथ बाइबल
का अध्ययन करती थीं लेकिन उन्होंने इतनी तरक्की नहीं की कि उनका बपतिस्मा हो सके। जब मेरी माँ का अध्ययन होता था, तब मुझे उनके साथ अध्ययन में बैठना बहुत अच्छा लगता था। उसी दौरान एक दिन मैं अपने सौतेले पिता के साथ राज-घर के पास से गुज़रा। मैंने राज-घर की तरफ इशारा करते हुए उनसे पूछा, “यह क्या है?” उन्होंने मुझसे कहा, “उन लोगों के करीब कभी मत जाना!” मैं अपने सौतेले पिता से प्यार करता था और मुझे उन पर भरोसा था, इसलिए मैंने उनकी बात मान ली। फिर यहोवा के साक्षियों से मेरा संपर्क टूट गया।वियतनाम से लौटने के बाद, मुझे अपनी ज़िंदगी में परमेश्वर की ज़रूरत महसूस हुई। दर्द-भरी यादों की वजह से मेरा दिल मानो एकदम सुन्न पड़ गया था। ऐसा लगता था कि कोई नहीं समझता कि वियतनाम में क्या हो रहा है। मुझे वे प्रदर्शन याद हैं जिनमें विरोधी अमरीका के सैनिकों को नन्हे-मुन्नों का खून करनेवाले कहते थे। वह इसलिए कि रिपोर्ट में बताया जाता था कि युद्ध में मासूम बच्चों का खून बहाया जा रहा है।
परमेश्वर को जानने की अपनी भूख मिटाने के लिए, मैं अलग-अलग चर्च के कार्यक्रमों में जाने लगा। वैसे तो मुझे हमेशा से ही परमेश्वर से प्यार था मगर चर्च में मैंने जो देखा-सुना, उससे मैं खुश नहीं था। आखिरकार, मैं फ्लॉरिडा राज्य के डेलरे बंदरगाह के पास यहोवा के साक्षियों के राज-घर में गया। यह सन् 1971 की फरवरी में रविवार का दिन था।
जब मैं राज-घर में गया, तो जन-भाषण बस खत्म होनेवाला था। इसलिए उसके बाद होनेवाली प्रहरीदुर्ग अध्ययन के लिए मैं रुक गया। वहाँ किस विषय पर चर्चा की गयी थी, यह तो मुझे याद नहीं, लेकिन मुझे इतना अब भी याद है कि कैसे छोटे-छोटे बच्चे अपनी बाइबल के पन्ने पलटकर आयतें निकाल रहे थे। यह बात मेरे दिल को छू गयी! मैंने चुपचाप बैठकर सभा सुनी और ध्यान-से देखता रहा। जैसे ही मैं राज-घर से निकलनेवाला था, एक 80 साल के प्यारे-से बुज़ुर्ग भाई मेरे पास आए। उनका नाम था जिम गार्डनर। उन्होंने एक किताब निकाली जिसका नाम था, सत्य जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है और मुझसे पूछा, “क्या आप यह लेना चाहेंगे?” मैंने वह किताब ले ली। फिर बाइबल अध्ययन शुरू करने के लिए हमने गुरुवार की सुबह का समय तय किया।
जिस रविवार मैं राज-घर गया था, उस रात मुझे काम करना था। मुझे फ्लॉरिडा के बोका रेटून शहर के एक अस्पताल में काम मिल गया था, जहाँ मैं एमरजेंसी रूम में काम करता था। मैं रात 11 बजे से सुबह के 7 बजे तक काम करता था। रात में माहौल काफी शांत था इसलिए मैं वह किताब पढ़ पाया। इस बीच एक सीनियर नर्स मेरे पास आयी और उसने मेरे हाथ से किताब छीन ली। किताब की जिल्द देखकर वह चिल्लायी, “क्या तुम भी उनके जैसे बननेवाले हो?” मैंने अपनी सत्य किताब उससे वापस ले ली और कहा, ‘मैंने अभी तक बस आधी किताब पढ़ी है, लेकिन लगता है मैं यहोवा का साक्षी बन ही जाऊँगा!’ फिर वह नर्स वहाँ से चली गयी और मैंने उस रात पूरी किताब पढ़ ली।
मैंने अपना बाइबल अध्ययन भाई गार्डनर से यह पूछकर शुरू किया, “तो, हम किससे अध्ययन करेंगे?” उन्होंने जवाब दिया, “जो किताब मैंने तुम्हें दी थी, उसी से।” मैंने कहा, “वह किताब तो मैं पूरी पढ़ चुका हूँ।” भाई गार्डनर ने प्यार से जवाब दिया, “चलो हम पहले अध्याय पर गौर करते हैं।” मैं यह देखकर हैरान रह गया कि मैं कितना कुछ समझने से चूक गया था। उन्होंने किंग जेम्स वर्शन नाम के बाइबल अनुवाद में से मुझे कई सारी आयतें दिखायीं जिसमें यीशु की कही गयी बातें लाल अक्षरों में लिखी थीं। आखिरकार मैंने सच्चे परमेश्वर यहोवा के बारे में सीखना शुरू कर दिया था। भाई गार्डनर ने, जिन्हें मैं प्यार से जिम बुलाता था, उस सुबह मेरे साथ सत्य किताब के तीन अध्यायों पर चर्चा की। उस दिन से हर गुरुवार की सुबह हम तीन अध्यायों पर चर्चा करते थे। अध्ययन
के दौरान मुझे बढ़ा मज़ा आता था। यह मेरे लिए कितने सम्मान की बात थी कि मेरा अध्ययन उस अभिषिक्त भाई ने करवाया, जो चार्ल्स टी. रसल को निजी तौर पर जानते थे!कुछ हफ्तों बाद, मैं राज की खुशखबरी सुनानेवाला एक प्रचारक बन गया। मेरी बहुत-सी चिंताएँ थीं और इन्हें पार करने में जिम ने मेरी मदद की। खास तौर पर घर-घर का प्रचार करने की चुनौती को पार करने में। (प्रेषि. 20:20) जैसे-जैसे जिम मेरे साथ काम करते गए, मुझे प्रचार करने में मज़ा आने लगा। मैं अब भी प्रचार को अपना सबसे बड़ा सम्मान समझता हूँ। यह कितनी खुशी की बात है कि हम परमेश्वर के सहकर्मी हैं!—1 कुरिं. 3:9.
यहोवा के लिए मेरा पहला प्यार
अब आइए मैं आपको एक बहुत ही निजी राज़ के बारे में बताता हूँ। और वह है, यहोवा के लिए मेरा पहला प्यार। (प्रका. 2:4) यहोवा के लिए मेरे उस प्यार ने मुझे युद्ध से जुड़ी दर्दनाक यादों से और दूसरी कई परीक्षाओं से लड़ने में मदद दी है।—यशा. 65:17.
यहोवा के लिए मेरे प्यार ने मुझे युद्ध से जुड़ी दर्दनाक यादों से और दूसरी कई परीक्षाओं से लड़ने में मदद दी है
सन् 1971 के वसंत का एक खास दिन मुझे अब भी याद है। मुझे अभी कुछ ही समय पहले उस घर से निकाल दिया गया था, जहाँ मेरे माता-पिता ने मुझे रहने की इजाज़त दी थी। मेरे सौतेले पिता नहीं चाहते थे कि उनकी जायदाद पर किसी यहोवा के साक्षी का साया भी पड़े! उस समय मेरे पास ज़्यादा पैसे नहीं थे। जिस अस्पताल में मैं काम करता था, वहाँ से मुझे हर दो हफ्तों में तनख्वाह मिलती थी। और मैंने अपनी ज़्यादातर तनख्वाह कपड़ों पर खर्च कर दी थी, ताकि मैं अच्छे कपड़े पहनकर प्रचार में हिस्सा ले सकूँ और सही तरह से यह ज़ाहिर कर सकूँ कि मैं यहोवा का उपासक हूँ। मैंने कुछ पैसे बचा कर रखे थे, मगर वह मिशिगन राज्य के एक बैंक में जमा थे, इसी राज्य में मैं पला-बड़ा था। इसलिए मुझे कुछ दिनों तक अपनी कार में ही रहना पड़ा। मैं गैस गोदाम के बाथरूम में दाढ़ी बनाता और नहाता-धोता था।
जिस दौरान मैं अपनी कार में रहता था, तब एक दिन प्रचार समूह के इकट्ठा होने से एक-दो घंटे पहले ही मैं राज-घर पहुँच गया। मैं अस्पताल से काम करके बस लौटा ही था। मैं राज-घर के पीछे जाकर बैठ गया। वहाँ कोई मुझे देख नहीं सकता था। बैठे-बैठे मेरे
ज़हन में वियतनाम की यादें ताज़ा होने लगीं। लोगों के जलने की बदबू, चारों तरफ बहता खून, इधर-उधर खून के जमे हुए धक्के, मानो मैं यह सब अपनी आँखों से देख रहा हूँ। मैं अपने कानों में जवानों की चीख सुन रहा हूँ, जो मानो मुझसे गिड़गिड़ाकर कह रहे हैं, “क्या मैं बच पाऊँगा? क्या मैं बच पाऊँगा?” मैं जानता था कि वे नहीं बचेंगे, लेकिन मैंने यह सच्चाई अपने चेहरे से ज़ाहिर नहीं होने दी, बल्कि मैंने उन्हें दिलासा देने की पूरी कोशिश की। राज-घर में बैठे-बैठे मेरा दिल भर आया।मेरे दिल में यहोवा के लिए जो प्यार पहले था, उसे बनाए रखने के लिए मैंने अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश की, खासकर तब जब मैं परीक्षाओं और मुश्किलों से गुज़रा
मेरे आँसू बहने लगे। तब मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की। (भज. 56:8) मरे हुओं को ज़िंदा करने की परमेश्वर ने जो आशा दी है, उसके बारे मैं गहराई से सोचने लगा। यह सच्चाई मेरे दिल में घर कर गयी। मैं सोचने लगा कि जितने लोगों का मैंने युद्ध में खून बहते देखा है, उन सबको यहोवा परमेश्वर ज़िंदा करेगा। साथ ही, मैंने और दूसरों ने जो गम सहा है उस सबकी यहोवा भरपाई करेगा। परमेश्वर उन जवानों को दोबारा ज़िंदा करेगा और उन्हें उसके बारे में सच्चाई सीखने का मौका देगा। (प्रेषि. 24:15) उसी वक्त मेरा दिल यहोवा के लिए प्यार से उमड़ने लगा और इस एहसास ने मेरे दिल की गहराइयों को हिलाकर रख दिया। वह दिन आज तक मेरे लिए बहुत खास है। तब से मैंने अपनी तरफ से पूरी-पूरी कोशिश की है कि यहोवा के लिए मेरे दिल में जो प्यार पहले था, वह कभी कम न हो, खासकर परीक्षाओं और मुश्किलों से गुज़रते वक्त।
यहोवा ने मेरे साथ भलाई की
युद्ध में लोग बहुत ही खौफनाक काम करते हैं। और मैं भी इसमें पीछे नहीं था। लेकिन मुझे अपनी दो पसंदीदा आयतों पर मनन करने से बहुत मदद मिली है। पहली आयत है, प्रकाशितवाक्य 12:10, 11 जो कहती है कि इब्लीस पर न सिर्फ हमारी गवाही की वजह से, बल्कि मेम्ने के लहू की वजह से भी जीत हासिल की गयी है। दूसरी आयत गलातियों 2:20 है। इस आयत से मुझे यह एहसास हो गया कि मसीह यीशु “मेरे लिए” मरा। यीशु के बहाए खून के आधार पर यहोवा ने उन सब कामों के लिए मुझे माफ कर दिया जो मैंने किए थे। यह सच्चाई जानने से मुझे साफ ज़मीर मिला। साथ ही, यह बात मुझे उभारती है कि मैं अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश करूँ कि दूसरे भी हमारे दयालु परमेश्वर यहोवा के बारे में सच्चाई जानें!—इब्रा. 9:14.
अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ तो मेरा दिल एहसान से भर जाता है कि यहोवा ने हमेशा मेरा खयाल रखा है। उदाहरण के लिए, जिस दिन जिम को पता चला कि मैं अपनी कार में रह रहा हूँ, तो उन्होंने मुझे एक बहन का पता दिया। वह बहन किराए पर घर देती थी। मुझे वाकई यकीन है कि यहोवा ने ही जिम और उस प्यारी बहन के ज़रिए मुझे रहने के लिए एक बढ़िया जगह दी। सच यहोवा अपने वफादार उपासकों का कितना खयाल रखता है!
जोश से बात करने के साथ-साथ मैंने सूझ-बूझ से काम लेना सीखा
मई 1971 में किसी काम की वजह से मुझे मिशिगन जाना पड़ा। वहाँ के लिए निकलते वक्त मैंने फ्लॉरिडा में डेलरे बंदरगाह के पास की मंडली से किताबें-पत्रिकाएँ लीं और उनसे अपनी कार की डिग्गी भर ली। फिर मैं उत्तर की तरफ जानेवाले इंटरस्टेट-75 नाम के राजमार्ग पर निकल पड़ा। जॉर्जिया राज्य की सरहद पार करने से पहले ही मेरी कार की डिग्गी खाली हो गयी। मैंने रास्ते में हर तरह की जगहों पर जोश के साथ राज की खुशखबरी का प्रचार किया। मैं जेलखानों में रुका और यहाँ तक कि आराम करने की जगहों पर जो बाथरूम थे वहाँ भी लोगों को ट्रैक्ट दिए। आज भी मैं सोचता हूँ कि जिन लोगों के दिलों में मैंने सच्चाई का बीज बोया, क्या उन्होंने सच्चाई कबूल की होगी।—1 कुरिं. 3:6, 7.
लेकिन एक बात मैं कहना चाहूँगा, जब मैंने पहली बार सच्चाई सीखी थी, तब मैं सूझ-बूझ से बात नहीं करता था, खासकर अपने परिवारवालों को गवाही देते वक्त। यहोवा के लिए मेरे दिल में जो पहला प्यार था, वह मेरे अंदर इतनी तेज़ी से उमड़ रहा था कि मैं बिना डरे लोगों को गवाही तो देता था, पर रुखाई से। मैं अपने भाई, जॉन और रॉन से बहुत प्यार करता हूँ। इसलिए मैं ज़बरदस्ती उन्हें सच्चाई के बारे में बताता था। बाद में, मैंने अपने इस व्यवहार के लिए उनसे माफी माँगी। लेकिन मैंने कभी-भी उनके लिए यह प्रार्थना करना नहीं छोड़ा कि वे एक दिन सच्चाई ज़रूर अपनाएँगे। तब से यहोवा ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। इसलिए अब मैं गवाही देते वक्त और सिखाते वक्त बहुत सूझ-बूझ से काम लेता हूँ।—कुलु. 4:6.
मेरे अपनों के लिए मेरा प्यार
यहोवा के लिए मेरे दिल में जो प्यार है, वह मैं हमेशा याद रखता हूँ, वह कभी कम नहीं होगा। लेकिन मेरी ज़िंदगी में कुछ और लोग भी हैं, जिनके लिए मैं अपना प्यार कभी कम नहीं होने देता। यहोवा के बाद एक और शख्स है जिसके लिए मेरे दिल में प्यार जागा, मेरी प्यारी पत्नी सूज़न। मैं जानता था कि मुझे एक साथी की ज़रूरत है, जो राज का काम करते रहने में मेरा साथ दे। सूज़न मज़बूत औरत है, उसका यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्ता है। शादी से पहले एक-दूसरे को जानने के लिए हम जो मुलाकातें कर रहे थे, उस समय का एक दिन मुझे अच्छी तरह याद है। सूज़न अपने घर के बरामदे में बैठी थी। उसका घर रोड आइलैंड के क्रैन्स्टन में था। वह बैठे-बैठे प्रहरीदुर्ग पढ़ रही थी। उसकी एक बात मेरे दिल को छू गयी। सूज़न हालाँकि प्रहरीदुर्ग का वह लेख पढ़ रही थी, जिसका सभा में अध्ययन नहीं किया जाता, फिर भी वह उसमें दी आयतें बाइबल से खोल-खोलकर पढ़ रही थी। मैंने सोचा, ‘यह एक आध्यात्मिक लड़की है!’ फिर दिसंबर 1971 में हमारी शादी हो गयी। मैं इस बात से बेहद खुश हूँ कि तब से लेकर आज तक वह हमेशा मेरा साथ देती आयी है और मुझे सहारा देती रही है। एक बात के लिए मैं सूज़न की बहुत कदर करता हूँ। वह यह कि सूज़न मुझसे ज़्यादा यहोवा से प्यार करती है।
आगे चलकर हमारे दो बेटे हुए, जेसी और पॉल। जैसे-जैसे वे बड़े होते गए यहोवा उनके साथ था यानी यहोवा के साथ उनका रिश्ता मज़बूत होता गया। (1 शमू. 3:19) उन दोनों ने सच्चाई पर पूरा यकीन किया और उसके मुताबिक कदम उठाया। मुझे और सूज़न को अपने बेटों पर गर्व है। उनके दिल में यहोवा के लिए जो प्यार शुरू में था, उसे उन्होंने कम नहीं होने दिया। इसलिए वे लगातार यहोवा की सेवा कर रहे हैं। हमारे दोनों बेटों को पूरे-समय की सेवा करते 20 साल से भी ऊपर हो गए हैं। उन्होंने ऐसी लड़कियों से शादी की, जिनका यहोवा परमेश्वर के साथ एक मज़बूत रिश्ता है और वे दिलो-जान से यहोवा से प्यार करती हैं। (इफि. 6:6) मुझे अपनी दोनों बहुओं, स्टेफनी और रॉकल पर नाज़ है। वे मेरे लिए मेरी अपनी बेटियों की तरह हैं।
मेरे बपतिस्मे के बाद, मैंने रोड आइलैंड में करीब 16 साल सेवा की। वहाँ मुझे ऐसे दोस्त मिले, जो मेरे अपनों जैसे हैं। मैंने जिन प्राचीनों के साथ सेवा की, उनके साथ बिताए पलों की कई मीठी यादें मेरे साथ हैं। साथ ही, मैं उन बहुत-से सफरी निगरानों का भी शुक्रगुज़ार हूँ, जिनका मुझ पर अच्छा असर हुआ। ऐसे भाइयों के साथ सेवा करना क्या ही बड़े सम्मान की बात है, जिन्होंने यहोवा के लिए अपना वह प्यार बनाए रखा जो उनमें पहले था! सन् 1987 में हम नॉर्थ कैरोलाइना राज्य में जाकर सेवा करने लगे, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत थी। वहाँ भी हमने कई अच्छे दोस्त बनाए। *
अगस्त 2002 में, सूज़न और मैंने अमरीका के पैटरसन बेथेल परिवार का एक हिस्सा बनने का न्यौता कबूल किया। मैंने सेवा विभाग में काम किया और सूज़न ने लाँड्री (कपड़ों की धुलाई) विभाग में। उसे वहाँ काम करना बहुत पसंद है! फिर अगस्त 2005 में, मुझे शासी निकाय का सदस्य बनकर सेवा करने का सम्मान दिया गया। यह ज़िम्मेदारी पाकर मैंने खुद को बहुत नम्र महसूस किया। मेरी प्यारी पत्नी इस ज़िम्मेदारी के बारे में सोचकर घबरा रही थी, क्योंकि यह बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है, इसमें बहुत काम होता है और अलग-अलग जगहों पर सफर करना होता है। सूज़न को हवाई-सफर करना कभी-भी आसान नहीं लगता, फिर भी हम बहुत हवाई-सफर करते हैं। सूज़न कहती है कि शासी निकाय के बाकी सदस्यों की पत्नियों की प्यार-भरी सलाह से उसे बहुत मदद मिली। इसलिए उसने ठान लिया है कि उससे जहाँ तक हो सकेगा वह मेरा साथ देगी। सूज़न ने वाकई ऐसा किया है और इस वजह से उसके लिए मेरा प्यार और बढ़ जाता है।
मेरे दफ्तर में ऐसी कई तसवीरें लगी हैं, जो मेरे लिए बहुत मायने रखती हैं! ये तसवीरें मुझे याद दिलाती हैं कि मुझे ज़िंदगी में कितनी खुशियाँ मिली हैं। मेरे दिल में यहोवा के लिए जो प्यार पहले था, उसे बनाए रखने के लिए मैंने अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश की है। इसके लिए मुझे पहले से ही ढेरों आशीषें मिल चुकी हैं!
^ पैरा. 31 भाई मॉरिस की पूरे-समय की सेवा के बारे में और ज़्यादा जानने के लिए 15 मार्च, 2006 की प्रहरीदुर्ग का पेज 26 देखिए।