तुम “याजकों का राज्य” ठहरोगे
“तुम मेरी दृष्टि में याजकों का राज्य और पवित्र जाति ठहरोगे।”—निर्ग. 19:6.
1, 2. स्त्री के वंश की हिफाज़त किए जाने की ज़रूरत क्यों थी?
परमेश्वर अपना मकसद कैसे पूरा करेगा, यह जानने के लिए बाइबल में दी पहली भविष्यवाणी को समझना बहुत ज़रूरी है। जब परमेश्वर ने अदन के बाग में वादा किया, तो उसने कहा: “मैं तेरे [शैतान के] और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करुंगा।” यह बैर, या दुश्मनी, कितनी गहरी होती? यहोवा ने कहा: “वह [स्त्री का वंश] तेरे [शैतान के] सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।” (उत्प. 3:15) शैतान और स्त्री के बीच दुश्मनी इतनी गहरी होती कि इब्लीस इस वंश को खत्म करने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा देता।
2 इसलिए इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि भजन के रचयिता ने परमेश्वर के लोगों के बारे में यह प्रार्थना की: “देख तेरे शत्रु [“हुल्लड़,” अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन] मचा रहे हैं; और तेरे बैरियों ने सिर उठाया है। वे चतुराई से तेरी प्रजा की हानि की सम्मति करते, और तेरे रक्षित लोगों के विरुद्ध युक्तियां निकालते हैं। उन्हों ने कहा, आओ, हम उनको ऐसा नाश करें कि राज्य भी मिट जाए।” (भज. 83:2-4) शैतान उस खानदान को ही भ्रष्ट और खत्म कर देना चाहता था, जिससे वंश को आना था। इसलिए इस वंश की हिफाज़त करने और यह गारंटी देने के लिए कि मसीहाई राज का मकसद ज़रूर पूरा होगा, यहोवा ने कुछ और करारों का इंतज़ाम किया।
एक करार जो वंश की हिफाज़त करता है
3, 4. (क) कानून का करार कब लागू होना शुरू हुआ? (ख) इसराएल राष्ट्र ने क्या करने की हामी भरी? (ग) कानून का करार क्या नहीं होने देता?
3 जब अब्राहम, इसहाक और याकूब की संतानों की गिनती लाखों में हो गयी, तो यहोवा ने उनसे इसराएल राष्ट्र बनाया। यहोवा ने उन्हें मूसा का कानून दिया और इसराएल राष्ट्र ने उसे मानने के लिए हामी भरी। बाइबल बताती है कि मूसा ने “वाचा [या करार] की पुस्तक को लेकर लोगों को पढ़ सुनाया; उसे सुनकर उन्हों ने कहा, जो कुछ यहोवा ने कहा है उन सब को हम करेंगे, और उसकी आज्ञा मानेंगे। तब मूसा ने [बलि चढ़ाए गए बैलों के] लोहू को लेकर लोगों पर छिड़क दिया, और उन से कहा, देखो, यह उस वाचा [या करार] का लोहू है जिसे यहोवा ने इन सब वचनों पर तुम्हारे साथ बान्धी है।” (निर्ग. 24:3-8) इस तरह, यहोवा ने इस राष्ट्र के साथ एक अनोखा करार किया और मूसा को इसका बिचवई ठहराया। इस करार को कानून का करार कहा जाता है।
4 कानून का करार ईसा पूर्व 1513 में लागू होना शुरू हुआ। इस करार के ज़रिए, यहोवा ने इसराएल राष्ट्र को एक खास मकसद के लिए चुना। परमेश्वर उनका न्यायी, कानून-साज़ और राजा होता। (यशा. 33:22) मूसा के कानून के मुताबिक, इसराएलियों को न तो झूठे देवी-देवताओं की उपासना करनी थी और न ही झूठी उपासना करनेवालों से शादी-ब्याह रचाना था। इस तरह, मूसा का कानून अब्राहम के वंश को भ्रष्ट नहीं होने देता।—निर्ग. 20:4-6; 34:12-16.
5. (क) कानून के करार ने इसराएल राष्ट्र को क्या बेहतरीन मौका दिया था? (ख) परमेश्वर ने उन्हें क्यों ठुकरा दिया?
5 कानून के करार के तहत, इसराएल में याजकों को सेवा करने के लिए नियुक्त किया गया था। ये याजक, भविष्य में बड़े पैमाने पर सेवा करनेवाले याजकों के समूह को दर्शाते थे। (इब्रा. 7:11; 10:1) दरअसल, कानून के करार ने इसराएल राष्ट्र को “याजकों का राज्य” बनने का एक बहुत ही बेहतरीन मौका और सम्मान दिया था, बशर्ते वे यहोवा की आज्ञाएँ मानते। (निर्गमन 19:5, 6 पढ़िए।) लेकिन अफसोस, इसराएली ऐसा करने से चूक गए। उन्होंने मसीहा को कबूल नहीं किया, जो अब्राहम के वंश का मुख्य हिस्सा था। इसके बजाय, उन्होंने उसे ठुकरा दिया और इसलिए यहोवा ने भी उन्हें ठुकरा दिया।
6. मूसा के कानून का मकसद क्या था?
6 इसराएल राष्ट्र परमेश्वर का वफादार नहीं रहा, इसलिए वह याजकों का राज्य नहीं बना। मगर क्या इसका यह मतलब है कि मूसा का कानून अपना मकसद पूरा करने में नाकाम हो गया? नहीं, ऐसा नहीं है। मूसा के कानून का मकसद था वंश की हिफाज़त करना और लोगों को मसीहा की पहचान कराने में मदद देना। और मूसा के कानून ने ये दोनों मकसद पूरे किए। एक बार जब मसीह धरती पर आ गया और उसकी पहचान हो गयी, तब मूसा के कानून का मकसद पूरा हो गया। बाइबल कहती है: “मसीह की मौत पर मूसा के कानून का अंत हो गया।” (रोमि. 10:4) तो फिर सवाल उठता है कि किस समूह को याजकों का राज्य बनने का मौका दिया जाता? यहोवा ने एक नया राष्ट्र बनाने के लिए एक और करार किया।
एक नया राष्ट्र वजूद में आता है
7. यहोवा ने यिर्मयाह नबी के ज़रिए क्या भविष्यवाणी की थी?
7 कानून के करार के रद्द किए जाने से बहुत पहले, यहोवा ने यिर्मयाह नबी के ज़रिए भविष्यवाणी की थी कि वह इसराएल राष्ट्र के साथ एक “नई वाचा,” या नया करार बाँधेगा। (यिर्मयाह 31:31-33 पढ़िए।) यह करार कानून के करार से अलग होता, क्योंकि इस करार के तहत पापों की माफी पाने के लिए जानवरों के बलिदान की ज़रूरत नहीं होती। यह कैसे मुमकिन होता?
8, 9. (क) यीशु के बहाए लहू के आधार पर क्या मुमकिन हुआ? (ख) नए करार में शामिल लोगों को क्या मौका मिलता? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
8 सदियों बाद, ईसवी सन् 33 में निसान 14 को यीशु ने प्रभु के संध्या भोज की शुरूआत की। उसने अपने 11 वफादार प्रेषितों से दाख-मदिरा का ज़िक्र करते हुए कहा: “यह प्याला उस नए करार का प्रतीक है जो मेरे लहू के आधार पर बाँधा गया है, जो तुम्हारी खातिर बहाया जाना है।” (लूका 22:20) मत्ती के ब्यौरे के मुताबिक, यीशु ने कहा: “यह ‘करार के मेरे लहू’ का प्रतीक है, जिसे बहुतों की खातिर उनके पापों की माफी के लिए बहाया जाना है।”—मत्ती 26:27, 28.
9 यीशु के बहाए लहू के आधार पर नया करार लागू हुआ। यीशु का लहू सिर्फ एक बार बहाया गया, मगर इससे कई लोगों के लिए हमेशा तक पापों की माफी पाना मुमकिन हो गया। यीशु नए करार में शामिल नहीं है। उसने कोई पाप नहीं किया, इसलिए उसे माफी की कोई ज़रूरत नहीं है। मगर हाँ, यहोवा यीशु के बहाए लहू के मोल का इस्तेमाल करके इंसानों को फायदा पहुँचा सकता है। साथ ही, वह अपनी पवित्र शक्ति से कुछ वफादार इंसानों का अभिषेक करके उन्हें “बेटों के नाते” गोद ले सकता है। (रोमियों 8:14-17 पढ़िए।) यहोवा की नज़र में वे उसके बेटे, यीशु की तरह हो जाते हैं, जिसमें कोई पाप नहीं। ये अभिषिक्त जन “मसीह के संगी वारिस” बनते। साथ ही, उन्हें “याजकों का राज्य” बनने का बेहतरीन मौका और सम्मान भी मिलता, जिसे इसराएल राष्ट्र ने गवाँ दिया था। प्रेषित पतरस ने इन अभिषिक्त जनों के बारे में कहा: “तुम एक चुना हुआ वंश, शाही याजकों का दल और एक पवित्र राष्ट्र हो और परमेश्वर की खास संपत्ति बनने के लिए चुने गए लोग हो, ताकि तुम सारी दुनिया में उसके महान गुणों का ऐलान करो जिसने तुम्हें अंधकार से निकालकर अपनी शानदार रौशनी में बुलाया है।” (1 पत. 2:9) सच, नया करार कितनी अहमियत रखता है! यह करार यीशु के चेलों को अब्राहम के वंश का दूसरा हिस्सा बनने का मौका देता है।
नया करार लागू होना शुरू होता है
10. (क) नया करार कब लागू होना शुरू हुआ? (ख) नया करार प्रभु के संध्या भोज के दौरान लागू होना शुरू क्यों नहीं हुआ?
10 नया करार प्रभु के संध्या भोज के दौरान लागू होना शुरू नहीं हुआ। क्यों? क्योंकि इस करार के लागू होने के लिए ज़रूरी था कि यीशु स्वर्ग लौटे और अपने फिरौती बलिदान की कीमत परमेश्वर को पेश करे। इसके अलावा, जो “मसीह के संगी वारिस” होते, उनका पवित्र शक्ति से अभिषेक भी किया जाना था। इसलिए नया करार ईसवी सन् 33 में पिन्तेकुस्त के दिन लागू होना शुरू हुआ, जब यीशु के चेलों का पवित्र शक्ति से अभिषेक किया गया।
11. (क) नए करार के ज़रिए, यहूदियों और गैर-यहूदियों को परमेश्वर के राज के वारिस बनने का बराबर मौका क्यों मिलता? (ख) नए करार में कितने लोग शामिल होते?
11 जब यहोवा ने यिर्मयाह नबी के ज़रिए ऐलान किया कि वह इसराएल के साथ एक नया करार करेगा, तो इससे ज़ाहिर हुआ कि एक वक्त ऐसा आता, जब कानून का करार “रद्द” कर दिया जाता। जब नया करार लागू होना शुरू हो गया, तब कानून का करार रद्द हो गया। (इब्रा. 8:13) नए करार के ज़रिए, यहूदियों और खतनारहित गैर-यहूदियों दोनों को परमेश्वर के राज के वारिस बनने का बराबर मौका मिलता। क्यों? क्योंकि उनका “खतना वह है जो लिखित नियम के हिसाब से नहीं बल्कि परमेश्वर की पवित्र शक्ति के हिसाब से दिल का खतना” है। (रोमि. 2:29) परमेश्वर अपना कानून उनके दिलो-दिमाग में डालता। (इब्रा. 8:10) नए करार में 1,44,000 अभिषिक्त जन शामिल होते। वे मिलकर एक नया राष्ट्र बनते, जिसे ‘परमेश्वर का इसराएल’ या आत्मिक इसराएल कहा जाता।—गला. 6:16; प्रका. 14:1, 4.
12. कानून के करार और नए करार की तुलना करने पर हम क्या पाते हैं?
12 कानून के करार और नए करार की तुलना करने पर हम क्या पाते हैं? कानून का करार यहोवा और इसराएल राष्ट्र के बीच था, और नया करार यहोवा और आत्मिक इसराएल के बीच है। कानून के करार का बिचवई मूसा था, और नए करार का बिचवई यीशु है। कानून का करार जानवरों के लहू के आधार पर लागू किया गया, और नया करार यीशु के बहाए लहू के आधार पर लागू किया गया। कानून के करार के तहत, इसराएल राष्ट्र का अगुवा मूसा था, और नए करार के तहत, इस करार में शामिल लोगों का अगुवा यीशु है, जो मंडली का मुखिया है।—इफि. 1:22.
13, 14. (क) नया करार राज से कैसे जुड़ा है? (ख) अभिषिक्त जन यीशु के साथ स्वर्ग में राजाओं और याजकों के तौर पर कैसे सेवा करते?
13 नया करार राज से कैसे जुड़ा है? नए करार से पवित्र राष्ट्र बनता है, जिसमें शामिल लोगों को स्वर्ग के राज में राजाओं और याजकों के तौर पर सेवा करने का मौका मिलेगा। यह राष्ट्र अब्राहम के वंश का दूसरा हिस्सा बनता है। (गला. 3:29) इसलिए यह नया करार इस बात को पुख्ता करता है कि अब्राहम से किया गया करार ज़रूर पूरा होगा।
14 राज से जुड़ा एक और पहलू पूरा होना बाकी था। नया करार, आत्मिक इसराएल राष्ट्र को जन्म देता और अभिषिक्त जनों को “मसीह के संगी वारिस” बनने का कानूनी आधार भी देता। मगर वे यीशु के साथ स्वर्ग में राजाओं और याजकों के तौर पर कैसे सेवा करते? एक और कानूनी करार की मदद से।
एक करार जो दूसरों के लिए मसीह के साथ राज करना मुमकिन बनाता है
15. यीशु ने अपने वफादार प्रेषितों के साथ कौन-सा करार किया?
15 प्रभु का संध्या भोज मनाने के बाद, यीशु ने अपने वफादार प्रेषितों के साथ एक करार किया, जिसे राज का करार कहा जाता है। (लूका 22:28-30 पढ़िए।) यह करार दूसरे करारों से अलग है। कैसे? इस करार में यहोवा शामिल नहीं है। इसके बजाय, यह करार यीशु और अभिषिक्त मसीहियों के बीच किया गया है। जब यीशु ने अपने प्रेषितों से कहा, “ठीक जैसे मेरे पिता ने मेरे साथ एक . . . करार किया है,” तब वह शायद “मेल्कीसेदेक की तरह हमेशा-हमेशा के लिए एक याजक” बनने के करार का ज़िक्र कर रहा था, जो यहोवा ने उसके साथ किया था।—इब्रा. 5:5, 6.
16. राज का करार अभिषिक्त मसीहियों के लिए क्या करना मुमकिन बनाता है?
16 यीशु के 11 वफादार प्रेषित उसकी सभी ‘परीक्षाओं के दौरान लगातार उसके साथ रहे।’ राज के करार ने इस बात की गारंटी दी कि प्रेषित स्वर्ग में राजगद्दी पर बैठकर यीशु के साथ राजाओं और याजकों के तौर पर सेवा करेंगे। लेकिन यह सम्मान सिर्फ उन 11 प्रेषितों को ही नहीं मिलेगा। यीशु ने प्रेषित यूहन्ना को एक दर्शन में दिखायी देकर उससे कहा: “जो जीत हासिल करता है उसे मैं अपने साथ अपनी राजगद्दी पर बैठने की इजाज़त दूँगा, ठीक जैसे मेरे जीत हासिल करने पर मैं अपने पिता के साथ उसकी राजगद्दी पर बैठा था।” (प्रका. 3:21) इसका मतलब है कि राज का करार 1,44,000 अभिषिक्त मसीहियों के साथ किया गया है। (प्रका. 5:9, 10; 7:4) यह करार कानूनी तौर पर अभिषिक्त मसीहियों के लिए यीशु के साथ स्वर्ग में राज करना मुमकिन बनाता है। यह उसी तरह है, जैसे एक दुल्हन राजा से शादी करने के बाद, उसके साथ राज कर सकती है। दरअसल, बाइबल अभिषिक्त मसीहियों को मसीह की “दुल्हन” और “एक पवित्र कुँवारी” कहती है, जिसकी मसीह से शादी होनेवाली है।—प्रका. 19:7, 8; 21:9; 2 कुरिं. 11:2.
परमेश्वर के राज पर अटूट विश्वास रखिए
17, 18. (क) राज से जुड़े 6 करारों के बारे में चंद शब्दों में समझाइए। (ख) हम राज पर अटूट विश्वास क्यों रख सकते हैं?
17 इन दो लेखों में हमने जिन करारों के बारे में चर्चा की, वे सभी राज के या तो किसी एक या एक-से-ज़्यादा पहलुओं से जुड़े हैं। (“परमेश्वर अपना मकसद कैसे पूरा करेगा” चार्ट देखिए।) हमने देखा कि राज से जुड़े अलग-अलग पहलू अलग-अलग करारों के ज़रिए पक्का किए गए हैं। क्यों? ताकि हमें इस बात पर पूरा यकीन हो जाए कि परमेश्वर का मसीहाई राज ज़रूर कामयाब होगा। हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि परमेश्वर मसीहाई राज का इस्तेमाल करके इंसानों और धरती के लिए अपना मकसद ज़रूर पूरा करेगा।—प्रका. 11:15.
18 इसमें कोई शक नहीं कि इंसानों की समस्याओं का सिर्फ एक ही हल है, और वह है परमेश्वर का राज। हमें पूरा यकीन है कि परमेश्वर का राज सभी इंसानों के लिए हमेशा की आशीषें लाएगा। तो आइए, हम जोश के साथ दूसरों को यह सच्चाई बताएँ!—मत्ती 24:14.