“हमें बता, ये सब बातें कब होंगी?”
“तेरी मौजूदगी की और दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्त की क्या निशानी होगी?”—मत्ती 24:3.
1. प्रेषितों की तरह, हम क्या जानना चाहते हैं?
धरती पर यीशु की सेवा बस खत्म होनेवाली थी और उसके चेले यह जानने के लिए उत्सुक थे कि भविष्य में क्या होगा। इसलिए उसकी मौत से कुछ दिन पहले, उसके चार प्रेषितों ने उससे पूछा: “ये सब बातें कब होंगी और तेरी मौजूदगी की और दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्त की क्या निशानी होगी?” (मत्ती 24:3; मर. 13:3) जवाब में यीशु ने एक भविष्यवाणी की, जिसमें बहुत-सी बातें शामिल थीं। यह भविष्यवाणी हम मत्ती अध्याय 24 और 25 में पढ़ सकते हैं। इस भविष्यवाणी में बहुत-सी घटनाओं का ज़िक्र किया गया है, जो गौर करने लायक हैं। यीशु के ये शब्द खासकर आज हमारे लिए बहुत मायने रखते हैं क्योंकि हमें भी यह जानने में बहुत दिलचस्पी है कि भविष्य में क्या होनेवाला है।
2. (क) सालों के दौरान हम किस बारे में और भी साफ समझ पाने की कोशिश करते आए हैं? (ख) हम किन तीन सवालों पर चर्चा करेंगे?
2 कई सालों से यहोवा के सेवक आखिरी दिनों के बारे में की गयी यीशु की भविष्यवाणी का अध्ययन करते आए हैं और इसे समझने के लिए उन्होंने परमेश्वर से प्रार्थना भी की है। यीशु की भविष्यवाणी में बतायी घटनाएँ कब पूरी होंगी, इस बारे में वे और भी साफ समझ पाने की कोशिश करते आए हैं। इस सिलसिले में हमारी समझ कैसे और भी बढ़ी है, यह जानने के लिए आइए अब हम तीन सवालों पर गौर करें: “महा-संकट” कब शुरू होगा? यीशु लोगों का “भेड़ों” या “बकरियों” के तौर पर न्याय कब करेगा? यीशु कब “आएगा”?—मत्ती 24:21; 25:31-33.
महा-संकट कब शुरू होगा?
3. महा-संकट के बारे में पहले हमारी समझ क्या थी?
3 कई सालों तक हम मानते आए थे कि महा-संकट की शुरूआत सन् 1914 में प्रथम विश्व युद्ध से हुई और सन् 1918 में यहोवा ने “वे दिन घटाए” जब युद्ध खत्म हुआ, ताकि बचे हुए अभिषिक्त जन सभी राष्ट्रों को खुशखबरी का प्रचार कर सकें। (मत्ती 24:21, 22) प्रचार काम पूरा हो जाने के बाद शैतान की दुनिया का नाश कर दिया जाता। इसलिए हम समझते थे कि महा-संकट के तीन चरण हैं: इसकी शुरूआत सन् 1914 में होती, फिर सन् 1918 में इसे बीच में रोक दिया जाता और इसका अंत हर-मगिदोन से होता।
4. हमें आखिरी दिनों के बारे में यीशु की भविष्यवाणी की क्या समझ मिली?
4 लेकिन यीशु की भविष्यवाणी का और गहराई से अध्ययन करने पर हमें समझ में आया कि आखिरी दिनों के बारे में की गयी यीशु की भविष्यवाणी का एक हिस्सा, दो बार पूरा होता। (मत्ती 24:4-22) पहली बार यह भविष्यवाणी यहूदिया में पहली सदी में पूरी हुई। और आज यह हमारे दिनों में सारी दुनिया में बड़े पैमाने पर पूरी होगी। हमारी समझ में हुई इस फेरबदल से यीशु की भविष्यवाणी के दूसरे हिस्सों के बारे में भी हमारी समझ बदल गयी।—पेज 8 पर दिया फुटनोट 1 देखिए। *
5. (क) सन् 1914 में मुश्किलों से भरा कौन-सा दौर शुरू हुआ? (ख) कुछ वैसी ही मुसीबतें पहली सदी में कब आयी थीं?
5 हमें यह भी समझ मिली कि महा-संकट सन् 1914 में शुरू नहीं हुआ था। क्यों नहीं? क्योंकि बाइबल में दर्ज़ भविष्यवाणी बताती है कि महा-संकट की शुरूआत राष्ट्रों के बीच युद्ध से नहीं, बल्कि झूठे धर्मों पर होनेवाले हमले से होगी। इसलिए सन् 1914 में जो घटनाएँ हुईं, वे महा-संकट की शुरूआत नहीं, बल्कि ‘प्रसव-पीड़ा की तरह मुसीबतों की शुरूआत’ थीं। (मत्ती 24:8) ये ‘प्रसव-पीड़ा की तरह मुसीबतें’ कुछ वैसी ही थीं, जैसी ईसवी सन् 33 से 66 के दौरान यरूशलेम और यहूदिया पर आयी थीं।
6. महा-संकट की शुरूआत कैसे होगी?
6 महा-संकट की शुरूआत कैसे होगी? यीशु ने भविष्यवाणी में कहा: “जब तुम्हें वह उजाड़नेवाली घिनौनी चीज़, जिसके बारे में दानिय्येल भविष्यवक्ता के ज़रिए बताया गया था, एक पवित्र जगह में खड़ी नज़र आए (पढ़नेवाला समझ इस्तेमाल करे,) तब जो यहूदिया में हों, वे पहाड़ों की तरफ भागना शुरू कर दें।” (मत्ती 24:15, 16) यह भविष्यवाणी पहली बार ईसवी सन् 66 में पूरी हुई, जब रोमी सेना ने यरूशलेम और उसके मंदिर पर हमला किया। रोमी सेना वह “घिनौनी चीज़” थी जो ‘एक पवित्र जगह में खड़ी’ थी, यानी यरूशलेम और उसके मंदिर में, जिसे यहूदी पवित्र मानते थे। यह भविष्यवाणी दूसरी बार और भी बड़े पैमाने पर तब पूरी होगी, जब संयुक्त राष्ट्र (हमारे ज़माने की “घिनौनी चीज़”) ईसाईजगत पर (जिसे ईसाई “पवित्र जगह” मानते हैं) और महानगरी बैबिलोन के बाकी सभी धर्मों पर हमला करेगा। इस हमले के बारे में प्रकाशितवाक्य 17:16-18 में भी बताया गया है। महानगरी बैबिलोन पर होनेवाले इस हमले से महा-संकट की शुरूआत होगी।
7. (क) पहली सदी में अभिषिक्त मसीही कैसे ‘बच पाए’? (ख) भविष्य में हम क्या होने की उम्मीद कर सकते हैं?
7 यीशु ने यह भी भविष्यवाणी की थी: “वे दिन घटाए जाएँगे।” यह भविष्यवाणी पहली बार ईसवी सन् 66 में पूरी हुई, जब रोमी सेना ने यरूशलेम पर किया अपना हमला बीच में ही रोक दिया, और इस तरह हमले को ‘घटाया।’ जब ऐसा हुआ, तो यरूशलेम और यहूदिया के अभिषिक्त मसीही वहाँ से भाग निकले, ताकि वे ‘बच पाएँ।’ (मत्ती 24:22 पढ़िए; मला. 3:17) तो फिर हम आनेवाले महा-संकट में क्या होने की उम्मीद कर सकते हैं? यही कि जब संयुक्त राष्ट्र झूठे धर्म पर हमला करेगा, तो यहोवा उसके इस हमले को ‘घटाएगा’ और इस तरह सच्चे धर्म को झूठे धर्म के साथ खत्म नहीं होने देगा। इस तरह यहोवा अपने लोगों को बचाएगा।
8. (क) महा-संकट का पहला भाग पूरा हो जाने के बाद क्या घटनाएँ घटेंगी? (ख) 1,44,000 जनों में से सबसे आखिरी सदस्य शायद किस समय स्वर्ग में अपना इनाम पाएगा? (पेज 8 पर दिया फुटनोट 2 देखिए।)
8 महा-संकट का पहला भाग पूरा हो जाने के बाद क्या होगा? यीशु के शब्द इस बात की ओर इशारा करते हैं कि इसके बाद और हर-मगिदोन के शुरू होने से पहले एक दौर होगा, जिसमें बहुत-सी घटनाएँ घटेंगी। कौन-सी घटनाएँ? इसका जवाब यहेजकेल 38:14-16 और मत्ती 24:29-31 में दिया गया है। (पढ़िए।) (पेज 8 पर दिया फुटनोट 2 पढ़िए। *) इन घटनाओं के पूरा होने के बाद, हम हर-मगिदोन का युद्ध देखेंगे, जो महा-संकट का आखिरी भाग होगा, ठीक जैसे पहले ईसवी सन् 70 में यरूशलेम का नाश हुआ था। (मला. 4:1) यह आनेवाला महा-संकट, जिसके आखिर में हर-मगिदोन का युद्ध होगा, एक अनोखी घटना होगी, ‘जैसी दुनिया की शुरूआत से अब तक नहीं हुई।’ (मत्ती 24:21) हर-मगिदोन एक ऐसा युद्ध होगा, “जैसा दुनिया की शुरूआत से न अब तक हुआ और न फिर कभी होगा।” (मत्ती 24:21) जब वह पूरा हो जाएगा, तब यीशु मसीह के हज़ार साल का राज शुरू होगा।
9. महा-संकट की भविष्यवाणी का यहोवा के लोगों पर क्या असर होता है?
9 महा-संकट की इस भविष्यवाणी से हमें हिम्मत मिलती है। कैसे? यह भविष्यवाणी हमें यकीन दिलाती है कि हम पर चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ, एक समूह के तौर पर यहोवा के लोग महा-संकट से ज़रूर बच निकलेंगे। (प्रका. 7:9, 14) इससे भी बढ़कर, हमें खुशी है कि हर-मगिदोन के युद्ध में यहोवा यह साबित कर देगा कि विश्व पर हुकूमत करने का हक उसी का है और वह अपने नाम पर लगा हर कलंक मिटा देगा।—भज. 83:18; यहे. 38:23.
यीशु लोगों का भेड़ों या बकरियों के तौर पर न्याय कब करेगा?
10. लोगों का भेड़ों या बकरियों के तौर पर न्याय कब होगा इस बारे में पहले हमारी समझ क्या थी?
10 अब आइए यीशु की भविष्यवाणी के एक और हिस्से पर गौर करें, और वह है भेड़ों और बकरियों के न्याय की मिसाल। यीशु लोगों का भेड़ों या बकरियों के तौर पर न्याय कब करेगा? (मत्ती 25:31-46) पहले हम सोचते थे कि लोगों का भेड़ों या बकरियों के तौर पर न्याय करना सन् 1914 से शुरू होगा और तब तक चलता रहेगा जब तक कि आखिरी दिन खत्म नहीं हो जाते। हमारा मानना था कि जिन्होंने राज का संदेश कबूल नहीं किया और जो महा-संकट शुरू होने से पहले ही मर गए, उनका बकरी के तौर पर न्याय हो चुका है, और उनके दोबारा जी उठने की कोई उम्मीद नहीं है।
11. यह क्यों कहा जा सकता है कि यीशु ने सन् 1914 में लोगों का भेड़ों या बकरियों के तौर पर न्याय करना शुरू नहीं किया था?
11 सन् 1995 में प्रहरीदुर्ग में मत्ती 25:31 की नयी समझ दी गयी थी। उस आयत में लिखा है, “जब इंसान का बेटा अपनी पूरी महिमा के साथ आएगा और सब स्वर्गदूत उसके साथ होंगे, तब वह अपनी शानदार राजगद्दी पर बैठेगा।” प्रहरीदुर्ग में बताया गया था कि यीशु ने परमेश्वर के राज के राजा की हैसियत से सन् 1914 में राज करना शुरू किया था, मगर उस वक्त वह ‘सब राष्ट्रों के लोगों’ के न्यायी की हैसियत से “अपनी शानदार राजगद्दी पर बैठा” नहीं था। (मत्ती 25:32; दानिय्येल 7:13 से तुलना कीजिए।) लेकिन ध्यान दीजिए, भेड़ों और बकरियों की मिसाल में यीशु को खास तौर पर न्यायी बताया गया है। (मत्ती 25:31-34, 41, 46 पढ़िए।) क्योंकि सन् 1914 में यीशु सब राष्ट्रों के लोगों का न्यायी नहीं बना था, इसलिए यह कहा जा सकता है कि उसने उस साल लोगों का भेड़ों या बकरियों के तौर पर न्याय करना शुरू नहीं किया था। (पेज 8 पर दिया फुटनोट 3 देखिए। *) तो फिर सवाल उठता है कि यीशु न्याय करना कब शुरू करेगा?
12. (क) यीशु पहली बार सब राष्ट्रों के लोगों का न्याय कब करेगा? (ख) मत्ती 24:30, 31 और मत्ती 25:31-33, 46 में किन घटनाओं का ज़िक्र किया गया है? (पेज 8 पर दिया फुटनोट 4 भी देखिए।)
12 आखिरी दिनों के बारे में यीशु की भविष्यवाणी ज़ाहिर करती है कि यीशु झूठे धर्म के नाश के बाद ही, पहली बार सब राष्ट्रों के लोगों का न्याय करेगा। जैसा कि पैराग्राफ 8 में बताया गया था, उस दौरान होनेवाली कुछ घटनाओं का ज़िक्र मत्ती 24:30, 31 में किया गया है। उन आयतों की जाँच करने पर आप पाएँगे कि वहाँ पर यीशु ने कुछ घटनाओं की भविष्यवाणी की है, जो उन घटनाओं से मिलती-जुलती हैं जिनका ज़िक्र उसने भेड़ों और बकरियों की मिसाल में किया था। उदाहरण के लिए, इंसान का बेटा अपनी पूरी महिमा के साथ आएगा और सब स्वर्गदूत उसके साथ होंगे; सारी जातियाँ और सब राष्ट्रों के लोग इकट्ठे किए जाएँगे; जिनका भेड़ों के तौर पर न्याय किया जाएगा, वे ‘सिर उठाएँगे’ क्योंकि उन्हें “हमेशा की ज़िंदगी” मिलेगी। (पेज 8 पर दिया फुटनोट 4 देखिए। *) जिनका बकरियों के तौर पर न्याय किया जाएगा, वे ‘विलाप करते हुए छाती पीटेंगे’ क्योंकि उन्हें इस बात का एहसास होगा कि वे “हमेशा के लिए नाश हो जाएँगे।”—मत्ती 25:31-33, 46.
13. (क) यीशु लोगों का भेड़ों या बकरियों के तौर पर न्याय कब करेगा? (ख) इस समझ की वजह से प्रचार काम के बारे में हमारे नज़रिए पर क्या असर पड़ता है?
13 तो फिर हम किस नतीजे पर पहुँच सकते हैं? यही कि यीशु सब राष्ट्रों के लोगों का भेड़ों या बकरियों के तौर पर न्याय तब करेगा जब वह महा-संकट के दौरान आएगा। फिर महा-संकट के आखिर में, यानी हर-मगिदोन में बकरी-समान लोग हमेशा के लिए “नाश हो जाएँगे।” इस समझ की वजह से प्रचार काम के बारे में हमारे नज़रिए पर क्या असर पड़ता है? इससे हमें एहसास होता है कि हमारा प्रचार काम कितनी अहमियत रखता है। जब तक महा-संकट शुरू नहीं होता, तब तक लोगों के पास मौका है कि वे अपनी सोच बदलें और उस तंग रास्ते पर चलना शुरू करें, “जो जीवन की तरफ ले जाता है।” (मत्ती 7:13, 14) यह सच है कि कुछ लोग आज ऐसा रवैया दिखाते हैं जिससे लग सकता है कि वे भेड़-समान हैं या बकरी-समान। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि कौन भेड़ है और कौन बकरी, इसका आखिरी फैसला महा-संकट के दौरान ही किया जाएगा। इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि हम आज ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को राज का संदेश सुनाएँ, ताकि उन्हें इसे कबूल करने का मौका मिल सके।
यीशु कब आएगा?
14, 15. बाइबल के कौन-से चार हवाले, भविष्य में यीशु के न्यायी बनकर आने के बारे में बताते हैं?
14 यीशु की भविष्यवाणी में बतायी गयी दूसरी खास घटनाओं के बारे में क्या? उनके पूरा होने के वक्त के बारे में हमारी जो समझ है, क्या उसमें भी हमें कुछ फेरबदल करने की ज़रूरत होगी? यीशु की भविष्यवाणी ही इसका जवाब देती है। आइए देखें कैसे।
15 मत्ती 24:29–25:46 में दर्ज़ यीशु की भविष्यवाणी के इस भाग में उसने खास तौर पर यह बताया कि इन आखिरी दिनों में और आनेवाले महा-संकट के दौरान क्या होगा। वहाँ पर यीशु ने अपने ‘आने’ या लौटने के ऐसे आठ हवाले दिए, जिसमें उसने एक ही यूनानी क्रिया एरखोमाई के अलग-अलग रूपों का इस्तेमाल किया। महा-संकट के बारे में उसने कहा: “वे इंसान के बेटे को . . . बादलों पर आता देखेंगे।” “तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आ रहा है।” “जिस घड़ी तुमने सोचा भी न होगा, उस घड़ी इंसान का बेटा आ रहा है।” और भेड़ों और बकरियों की मिसाल में यीशु ने कहा: “इंसान का बेटा अपनी पूरी महिमा के साथ आएगा।” (मत्ती 24:30, 42, 44; 25:31) ये चारों हवाले भविष्य के बारे में बताते हैं जब यीशु न्यायी बनकर आएगा। यीशु की भविष्यवाणी में और किन चार जगहों पर उसके आने का ज़िक्र किया गया है?
16. बाइबल की और किन आयतों में यीशु के आने का ज़िक्र किया गया है?
16 विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास के बारे में यीशु ने कहा: “सुखी होगा वह दास अगर उसका मालिक आने पर उसे ऐसा ही करता पाए!” कुंवारियों के दृष्टांत में यीशु ने बताया: “जिस दौरान वे [तेल] खरीदने जा रही थीं, दूल्हा आ गया।” तोड़ों के दृष्टांत में यीशु ने कहा: “बहुत दिन बीतने के बाद उन दासों का मालिक आया।” इसी दृष्टांत में मालिक ने कहा: “लौटने पर जो मेरा है वह तो मैं पाता ही।” (मत्ती 24:46; 25:10, 19, 27) यीशु के आने के सिलसिले में दिए गए ये चार हवाले किस समय के बारे में बता रहे हैं?
17. मत्ती 24:46 में यीशु के आने का जो ज़िक्र किया गया है, उस बारे में अब तक हम क्या बताते आए थे?
17 अब तक हम अपने साहित्य में बताते आए थे कि ये आखिरी चार आयतें यीशु के सन् 1918 में आने पर लागू होती हैं। उदाहरण के लिए, ‘विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास’ के बारे में कही यीशु की बात को ही लीजिए। (मत्ती 24:45-47 पढ़िए।) हमें लगता था कि आयत 46 में जिस “आने” की बात की गयी है, वह उस वक्त की बात है जब यीशु सन् 1918 में अभिषिक्त जनों की आध्यात्मिक हालत का मुआयना करने आया था, और हमें यह भी लगता था कि सन् 1919 में दास को मालिक की सारी संपत्ति पर अधिकारी ठहराया गया था। (मला. 3:1) लेकिन यीशु की भविष्यवाणी का गहराई से अध्ययन करने पर यह ज़ाहिर होता है कि उसकी भविष्यवाणी के कुछ हिस्सों के पूरा होने के वक्त के बारे में हमारी जो समझ है, उसमें कुछ फेरबदल करने की ज़रूरत है। ऐसा क्यों?
18. यीशु की पूरी भविष्यवाणी की जाँच करने से हम उसके आने के बारे में किस नतीजे पर पहुँचते हैं?
18 मत्ती 24:46 के पहले की आयतों में जहाँ पर भी यीशु के ‘आने’ का ज़िक्र किया गया है, वह उस समय के बारे में है जब यीशु महा-संकट के दौरान फैसला सुनाने और न्याय करने आएगा। (मत्ती 24:30, 42, 44) साथ ही, जैसा हमने पैराग्राफ 12 में देखा, मत्ती 25:31 में बताया गया यीशु का ‘आना’ भी उसी वक्त होगा जब वह भविष्य में न्याय करने आएगा। तो इन बातों को ध्यान में रखते हुए इस नतीजे पर पहुँचना सही होगा कि मत्ती 24:46, 47 में दर्ज़ बात, यानी यीशु का विश्वासयोग्य दास को अपनी सारी संपत्ति पर अधिकारी ठहराने के लिए आना, भी भविष्य में ही होगी, जब वह महा-संकट के दौरान आएगा। दरअसल, यीशु की पूरी भविष्यवाणी की जाँच करने से यह साफ हो जाता है कि उसके आने के बारे में बतानेवाले ये आठों हवाले भविष्य के बारे में हैं, जब यीशु महा-संकट के दौरान न्याय करने आएगा।
19. इस लेख में हमने अपनी समझ में हुई कौन-कौन-सी फेरबदल पर चर्चा की? और अगले लेखों में हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?
19 हमने इस लेख में क्या सीखा? हमने उन तीन सवालों के जवाब देखे जो हमने इस लेख की शुरूआत में पूछे थे। पहले हमने देखा कि महा-संकट सन् 1914 में शुरू नहीं हुआ बल्कि यह तब शुरू होगा जब संयुक्त राष्ट्र महानगरी बैबिलोन पर हमला करेगा। फिर हमने देखा कि यीशु ने लोगों का भेड़ों या बकरियों के तौर पर न्याय करना सन् 1914 में शुरू नहीं किया, बल्कि वह ऐसा महा-संकट के दौरान करेगा। और आखिर में हमने देखा कि यीशु ने आकर विश्वासयोग्य दास को अपनी सारी संपत्ति पर सन् 1919 में अधिकारी नहीं ठहराया, बल्कि वह ऐसा महा-संकट के दौरान करेगा। इसलिए इस लेख की शुरूआत में पूछे गए तीनों सवालों के जवाब भविष्य में एक ही समय की ओर इशारा करते हैं, और वह है महा-संकट की ओर। हमारी समझ में हुई इस फेरबदल की वजह से क्या विश्वासयोग्य दास की मिसाल के बारे में हमारी समझ पर कोई असर पड़ेगा? इसके अलावा, क्या इससे यीशु की बतायी उन दूसरी मिसालों के बारे में हमारी समझ में कोई बदलाव होगा, जो इस अंत के समय में पूरी हो रही हैं? इन ज़रूरी सवालों पर अगले लेखों में चर्चा की जाएगी।
^ पैराग्राफ 4: [1] ज़्यादा जानकारी के लिए 1 फरवरी, 1994 की प्रहरीदुर्ग के पेज 18-31 और 1 मई, 1999 की प्रहरीदुर्ग के पेज 8-20 देखिए।
^ पैराग्राफ 8: [2] इन आयतों में बतायी गयी घटनाओं में से एक है, ‘चुने हुओं को इकट्ठा करना।’ (मत्ती 24:31) इसलिए ऐसा लगता है कि महा-संकट का पहला भाग पूरा हो जाने के बाद और हर-मगिदोन का युद्ध शुरू होने से पहले, धरती पर बचे सभी अभिषिक्त जनों को स्वर्ग में जी उठाया जाएगा। यह हमारी समझ में हुई एक फेरबदल है, जो पिछली समझ की जगह लेगी, जिसके बारे में 15 अगस्त, 1990 की प्रहरीदुर्ग (अँग्रेज़ी) के पेज 30 पर दिए “पाठकों के प्रश्न” में बताया गया था।
^ पैराग्राफ 11: [3] 15 अक्टूबर, 1995 की प्रहरीदुर्ग के पेज 18-28 देखिए।
^ पैराग्राफ 12: [4] इसी घटना के बारे में लूका 21:28 में भी पढ़िए।