विदेशी भाषा बोलनेवाली कलीसिया में जाकर सेवा करना
विदेशी भाषा बोलनेवाली कलीसिया में जाकर सेवा करना
प्रेरित यूहन्ना ने लिखा था: “मैं ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिस के पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था।” (प्रकाशितवाक्य 14:6) आज यह भविष्यवाणी पूरी हो रही है और दुनिया-भर में अलग-अलग बोलियों और भाषाओं में परमेश्वर के राज्य की खुशखबरी सुनायी जा रही है। इनमें से बहुत-सी भाषाएँ बोलनेवाले लोग, अपने वतन से दूर विदेशों में रहते हैं। आज यहोवा के जोशीले साक्षियों ने इन लोगों को भी सुसमाचार सुनाने के लिए उनकी भाषा सीखी है।
क्या आप भी उन साक्षियों में से एक हैं जो फिलहाल विदेशी भाषा बोलनेवाली कलीसिया के साथ संगति कर रहे हैं? या क्या आप भविष्य में ऐसा करने के बारे में सोच रहे हैं? आप इसमें तभी कामयाबी हासिल कर सकेंगे जब आप नेक इरादा रखेंगे और आपका नज़रिया एकदम सही होगा। आपकी ख्वाहिश है कि परमेश्वर के वचन की सच्चाई दूसरों को सिखाएँ, इसलिए आपके पास सबसे नेक इरादा है और वह है, परमेश्वर और पड़ोसी के लिए प्रेम। (मत्ती 22:37-39; 1 कुरिन्थियों 13:1) परमेश्वर को जानने में दूसरों की मदद करने की ख्वाहिश, आपको दूसरों की मदद करने के लिए सबसे बढ़िया ढंग से उकसाती रहेगी, न कि यह ख्वाहिश कि इससे आप दूसरे देश के लोगों की संगति करेंगे, उनके देश का खाना खाएँगे या उनकी संस्कृति के बारे में सीखेंगे। क्या आपको लगता है कि दूसरी भाषा सीखना आपके बस के बाहर है? अगर ऐसा है तो सही नज़रिया रखना आपकी मदद कर सकता है। जेम्स् ने जापानी भाषा सीखी है और वह कहता है: “दूसरी भाषा सीखने से डरिए मत।” आपसे पहले दूसरे कई लोगों ने भी यह भाषा सीखी है, यह बात याद रखना नयी भाषा सीखने में लगे रहने और सही नज़रिया बनाए रखने में आपकी मदद करेगा। तो फिर, आप दूसरी भाषा कैसे सीख सकते हैं? ऐसी कलीसिया के साथ संगति करने में कौन-कौन-सी बातें आपकी मदद करेंगी जहाँ दूसरी भाषा बोली जाती है? और वहाँ आध्यात्मिक तौर पर मज़बूत बने रहने के लिए आपको क्या करने की ज़रूरत है?
दूसरी भाषा सीखने की शुरूआत
दूसरे देश की भाषा सीखने के वैसे तो कई तरीके हैं। सीखनेवालों और सिखानेवालों की अलग-अलग पसंद और तरीके होते हैं। लेकिन ज़्यादातर लोगों के लिए अच्छा रहेगा कि वे किसी बढ़िया शिक्षक के यहाँ भाषा सीखने के लिए कुछ क्लासों में हाज़िर हों। नयी भाषा में बाइबल और बाइबल साहित्य पढ़ने से या उस भाषा की कोई भी रिकार्डिंग सुनने से आप अपना शब्द ज्ञान बढ़ाने की, साथ ही यह जानने की भी कोशिश कीजिए कि उस भाषा की कलीसिया में भाई-बहन राज्य के कामों से जुड़ी अलग-अलग बातों के लिए कौन-से शब्द इस्तेमाल करते हैं। रेडियो, टी.वी. और वीडियो पर उस भाषा में अच्छे किस्म के कार्यक्रम देखकर भी आप उस भाषा और उसकी संस्कृति के बारे में काफी कुछ सीख सकेंगे। एक नयी भाषा सीखने में आपको कितना वक्त बिताना चाहिए? हर दिन थोड़ी-थोड़ी बातें सीखना कभी-कभार घंटों बैठकर थकाऊ अध्ययन करने से बेहतर है।
नयी भाषा सीखना तैराकी सीखने जैसा है। आप सिर्फ किताबें पढ़कर तैराक नहीं बन सकते। आपको पानी में उतरकर हाथ-पैर मारने से ही तैरना आ सकता है। उसी तरह नयी भाषा सीखना भी है। सिर्फ पढ़ने से नयी भाषा बोलना नहीं आ जाता। आपको उस भाषा के लोगों की बातचीत
सुननी होगी, उनमें घुलना-मिलना होगा, और चुप बैठने के बजाय कुछ-न-कुछ बोलने की कोशिश करनी होगी! हमारा मसीही काम हमें ऐसे कई मौके देता है। ज़्यादातर मामलों में आप जो सीख रहे होते हैं उसका फौरन सबसे बढ़िया तरीके से प्रचार में इस्तेमाल कर सकते हैं। चीनी भाषा सीखनेवाली मीडोरी कहती है: “शायद आप बहुत डर रहे हों, मगर घरवाला यह देख सकता है कि हम साक्षी उनकी भाषा सीखने के लिए कितनी कड़ी मेहनत कर रहे हैं। यह बात उनके दिल को छू सकती है। हमें उनकी भाषा में बस इतना कहने की ज़रूरत है कि उनसे मिलकर हमें बेहद खुशी हुई, और देखिए उनकी आँखों में कैसी चमक आ जाएगी!”मसीही सभाओं से भी आपको काफी मदद मिल सकती है। हर सभा में कम-से-कम एक जवाब देने की कोशिश कीजिए। चाहे शुरू-शुरू में आपको कितना भी डर क्यों न लगे, आप चिंता मत कीजिए। कलीसिया चाहती है कि आप कामयाब हों! कोरिया भाषा सीखनेवाली मोनिफा कहती है: “सभाओं में मेरे पास एक बहन बैठा करती है और वह मुझे कई शब्दों के मतलब लिखकर देती है। मैं उसकी बेहद एहसानमंद हूँ। वह जिस तरह प्यार और धीरज से मेरा साथ देती है उससे वाकई मुझे बहुत मदद मिलती है।” जैसे-जैसे नयी भाषा का ज्ञान बढ़ेगा आप उस भाषा में सोचना शुरू कर देंगे, फिर आप हर शब्द का मन-ही-मन उनकी भाषा में अनुवाद करने के बजाय उससे वही समझेंगे जो उसका मतलब है।
आपका सबसे पहला लक्ष्य होना चाहिए, “साफ साफ बातें” कहना ताकि दूसरे को समझ आए। (1 कुरिन्थियों 14:8-11) हालाँकि दूसरी भाषा बोलनेवाले आपके गलत तरीके या लहज़े पर एतराज़ न भी जताएँ, फिर भी अच्छा रहेगा कि आप शुरू से ही सही उच्चारण और व्याकरण पर ध्यान दें ताकि लोगों का ध्यान आपके संदेश से हटकर आपकी गलतियों पर न जाए। ऐसा करने से आप वे गलतियाँ नहीं करेंगे जिन्हें बाद में सुधारना मुश्किल होगा। स्वाहिली सीखनेवाला मार्क यह सलाह देता है: “दूसरी भाषा बोलने में जिन्हें महारत हासिल है, उनसे कहिए कि जब आप कोई ज़बरदस्त गलती कर रहे हों तो वे आपको टोकें और सुधारें। इसके लिए आप उन्हें शुक्रिया भी कहिए।” मगर हाँ, जो लोग आपकी इस तरह मदद करते हैं उनकी तरफ लिहाज़ दिखाइए ताकि आप उनका हद-से-ज़्यादा वक्त और ताकत न लें। हालाँकि आप अपना भाषण और जवाब लिखकर दूसरों से उसकी जाँच करा सकते हैं, मगर अच्छा यही होगा कि आप ऐसे शब्दों में अपने भाषण और जवाब लिखें जिनका मतलब आप जान चुके हैं। इससे आप और जल्दी सीख सकेंगे और पूरे विश्वास के साथ बोल पाएँगे।
तरक्की करते रहिए
मोनिफा कहती है: “दूसरी भाषा सीखना मेरे लिए सबसे मुश्किल काम रहा है। कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि कोशिश करना छोड़ ही दूँ। मगर तब मैं याद करती हूँ कि एक बाइबल विद्यार्थी को जब मैं गहरी आध्यात्मिक सच्चाइयाँ आसान कोरियाई भाषा में सिखाती हूँ तो उसे कितना अच्छा लगता है, और जब मैं देखती हूँ कि मेरी थोड़ी-सी तरक्की पर भी भाई-बहन कितने खुश होते हैं तो मेरी हिम्मत बँध जाती है।” खास बात यही है कि इतनी जल्दी हार मत मानिए। आपका लक्ष्य है कि आप दूसरों को बाइबल की सच्चाइयाँ सिखाएँ जिससे उनकी जान बचती है। (1 कुरिन्थियों 2:10) इसलिए बाइबल की सच्चाई दूसरी भाषा में कैसे सिखाएँ यह सीखने के लिए काफी वक्त, मेहनत और लगन की ज़रूरत होती है। जब आप भाषा सीखते हैं, तो यह मत सोचिए कि दूसरे आपसे कितने आगे निकल गए हैं और आप वहीं-के-वहीं हैं। नयी भाषा सीखनेवाले अलग-अलग रफ्तार से और अलग-अलग मायने में तरक्की करते हैं। लेकिन, अच्छा यह होगा कि आप अपनी तरक्की देखें, दूसरों की नहीं। (गलतियों 6:4) चीनी भाषा सीखनेवाला जून कहता है: “भाषा सीखना ऐसा है मानो आप सीढ़ी चढ़ रहे हैं। जब आपको लगता है कि आप बिलकुल तरक्की नहीं कर रहे, तभी आपको अचानक एहसास होता है कि आपने तरक्की की है।”
नयी भाषा सीखने के लिए आपकी मेहनत सारी ज़िंदगी चलती रहेगी। इसलिए, इसे सीखने से खुशी पाइए और यह उम्मीद मत कीजिए कि आप गलतियाँ नहीं करेंगे। (भजन 100:2) गलतियाँ तो होंगी ही, और गलतियाँ करते-करते ही आप सीखेंगे। एक मसीही ने इतालवी भाषा में प्रचार करना शुरू किया और एक घर-मालिक से पूछा: “क्या आपको ज़िंदगी की झाड़ू के बारे में पता है?” दरअसल वह कहना चाहता था “ज़िंदगी के मकसद” के बारे में। पोलिश भाषा सीखनेवाले एक साक्षी ने कलीसिया को गीत गाने के लिए कहने के बजाय कुत्ता गाने के लिए कहा। और चीनी भाषा सीखनेवाले एक शख्स के लहज़े में हलके से बदलाव का मतलब यह निकला कि वह अपने सुननेवालों को यीशु की छुड़ौती में विश्वास रखने के बजाय उसकी किताबों की अलमारी पर विश्वास रखने के लिए उकसा रहा है। गलतियाँ करने का एक फायदा यह है कि एक बार अपनी गलती सुधार लेने के बाद आप आसानी से सही शब्द नहीं भूलेंगे।
कलीसिया के साथ काम करना
भाषा के अलावा और भी बहुत-सी बातें हैं जिनकी वजह से लोगों में भेदभाव है। अलग-अलग संस्कृति, जाति और देश होने की वजह से भेदभाव और भी बढ़ता जा रहा है। मगर ऐसे भेदभाव को मिटाया जा सकता है। यूरोप में चीनी भाषा के धार्मिक समूहों पर अध्ययन करनेवाले एक विद्वान ने कहा कि यहोवा के साक्षी “अंतर्राष्ट्रीय लोग हैं।” उसने कहा कि साक्षियों के बीच “जाति कोई मायने नहीं रखती और भाषा महज़ एक साधन है जिससे परमेश्वर के वचन की समझ हासिल की जाती है।” दरअसल, बाइबल के सिद्धांतों पर अमल करने से सच्चे मसीही, राष्ट्रों के बीच का भेदभाव भूलकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं। जो लोग ‘नया मनुष्यत्व’ पहन लेते हैं, उनके लिए ‘न तो यूनानी, न यहूदी, न जंगली’ का कोई भेद रहता है।—कुलुस्सियों 3:10, 11.
इसलिए कलीसिया की एकता को बढ़ावा देने के लिए सभी को काम करना चाहिए। इसके लिए ज़रूरी है कि हम अपने दिल और दिमाग को खोलें और सोचने, महसूस करने और काम करने के नए तरीकों को कबूल करें। अपनी पसंद पर बहुत ज़्यादा ध्यान न देने से हम मतभेदों को इतना तूल नहीं देंगे कि इससे हमारे बीच फूट पड़ जाए। (1 कुरिन्थियों 1:10; 9:19-23) हर संस्कृति की अच्छाइयों का मज़ा लेना सीखिए। याद रहे, निःस्वार्थ प्रेम अच्छे रिश्तों और सच्ची एकता के लिए बेहद ज़रूरी है।
विदेशी भाषा की ज़्यादातर कलीसियाओं की शुरूआत एक छोटे समूह से होती है, जिसमें ज़्यादातर लोग नयी भाषा सीखने की कोशिश करते हैं, और उनके साथ कुछ ऐसे लोग होते हैं जिन्होंने हाल ही में बाइबल के उसूलों के बारे में सीखना शुरू किया है। इसलिए, बड़ी और पुरानी कलीसियाओं के मुकाबले ऐसे समूहों में गलतफहमियाँ पैदा होना ज़्यादा मुमकिन है। इसलिए प्रौढ़ मसीहियों को कलीसिया को मज़बूत करने की कोशिश करनी चाहिए। अपनी बोली और कामों से प्यार और कृपा ज़ाहिर करने से ऐसा अच्छा माहौल पैदा होता है जिसमें नए लोग आध्यात्मिक मायने में फल-फूल सकते हैं।
जो लोग विदेशी भाषा की कलीसिया में मदद देने के लिए आगे आते हैं, उन्हें भी ध्यान रखना है कि दूसरों से हद-से-ज़्यादा की उम्मीद न रखें। ऐसी ही एक कलीसिया का प्राचीन रिक कहता है: “कुछ साक्षी जो सच्चाई में अभी नए हैं, वे शायद उन भाइयों की तरह कलीसिया का काम-काज सँभालने में माहिर न हों, जैसे पुरानी और बरसों से काम करनेवाली कलीसियाओं के भाई होते हैं। मगर अपनी काबिलीयत की कमी को वे अपने प्यार और उत्साह से पूरा कर देते हैं। और सच्चाई में दिलचस्पी लेनेवाले बहुत-से लोग सच्चाई में आ रहे हैं।” कलीसिया में हाज़िर रहकर और ऐसे नए लोगों की मदद करने के लिए अपनी तरफ से जो बन पड़ता है वह करने से आप वाकई कलीसिया के बहुत काम आ सकते हैं, फिर चाहे आप नयी भाषा अभी सीख ही रहे हों। सभी, साथ मिलकर कलीसिया की आध्यात्मिक तरक्की में हाथ बँटा सकते हैं।
आध्यात्मिक तरीके से मज़बूत बने रहना
एक भाई को विदेशी भाषा की कलीसिया में काम करते हुए कुछ ही वक्त हुआ था। उसने सुना कि एक माँ अपने बच्चे को जवाब देने की तैयारी करने में मदद दे रही थी। बच्चे ने कहा: “मम्मी, क्या मैं इससे छोटा जवाब नहीं दे सकता?” माँ ने जवाब दिया: “नहीं बेटे, छोटे जवाब भाषा सीखनेवालों के लिए हैं, हमें ये नहीं देने।”
अगर कोई बड़ा, कई महीनों यहाँ तक कि सालों तक अपनी बात अच्छी तरह नहीं कह पाता, तो इसका उसके मन, उसकी भावनाओं और आध्यात्मिकता पर बहुत बुरा असर
होता है। आज फर्राटेदार स्पैनिश बोलनेवाली जैनट, बीते वक्त को याद करके कहती है: “मैं अपनी कमियों की वजह से मायूस हो जाती थी।” अँग्रेज़ी सीखनेवाली हीरोको को याद है कि कभी वह ऐसे सोचा करती थी: ‘मेरे इलाके के कुत्ते-बिल्लियाँ भी मुझसे अच्छी अँग्रेज़ी समझते हैं।’ और कैथी का कहना है: “पहले मेरे पास बहुत-से बाइबल अध्ययन हुआ करते थे और मेरी नोटबुक उन लोगों के पतों से भरी पड़ी थी, जिनसे मुझे वापसी भेंट करनी थी। मगर स्पैनिश भाषा की कलीसिया में आने पर न मेरे पास कोई अध्ययन रहा न ही कोई वापसी भेंट। मुझे लगा जैसे मैं नाकारा बन गयी हूँ।”इस मुकाम पर यह बेहद ज़रूरी है कि हम हिम्मत न हारें। निराश होने पर हीरोको ने सोचा: “अगर दूसरे कर सकते हैं, तो मैं भी कर सकती हूँ।” कैथी कहती है: “मैंने अपने पति के बारे में सोचा, जो अच्छी तरक्की कर रहे हैं और कलीसिया में कितना काम सँभालते हैं। इस तरह सोचने से मेरी अड़चन दूर हुई। अब भी मुझे काफी मेहनत करनी पड़ती है, मगर मैं धीरे-धीरे प्रचार करने और सीखने की काबिलीयत बढ़ा रही हूँ और इससे मुझे खुशी मिलती है।” उसके पति, जेफ का कहना है: “जब घोषणाएँ की जाती हैं या प्राचीनों की बैठक होती है तो हर बात समझ न पाना बहुत परेशानी पैदा कर सकता है। मुझे नम्रता से कबूल करना पड़ता है कि कोई बात मेरी समझ में नहीं आयी, इसलिए मैं उनसे सारी बात समझाने के लिए कहता हूँ, और भाई खुशी-खुशी मेरी मदद करते हैं।”
विदेशी भाषा की कलीसिया के साथ सेवा करते वक्त, हम आध्यात्मिक मायने में थक न जाएँ, इसके लिए ज़रूरी है कि हम अपनी आध्यात्मिक सेहत पर पहले ध्यान दें। (मत्ती 5:3) पुर्तगाली भाषा के इलाके में काम करनेवाला काज़ूयूकी कहता है: “यह बहुत ज़रूरी है कि हम पूरा-पूरा आध्यात्मिक भोजन लें। इसलिए हमारा परिवार जब सभाओं की तैयारी करता है तो हम अपनी भाषा में और पुर्तगाली भाषा में भी तैयारी करते हैं।” कुछ लोग कभी-कभी अपनी भाषा की सभाओं में हाज़िर होते हैं। इसके अलावा, आराम और अच्छी नींद भी बेहद ज़रूरी है।—मरकुस 6:31.
बैठकर खर्च जोड़ना
अगर आप एक ऐसी कलीसिया में जाने की सोच रहे हैं जहाँ दूसरी भाषा बोली जाती है तो आपको पहले इसका खर्च जोड़ लेना चाहिए। (लूका 14:28) इस मामले में, आपको जिन बातों पर सबसे ज़्यादा ध्यान देना चाहिए वे हैं आपकी आध्यात्मिकता और यहोवा के साथ आपका रिश्ता। परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए अपने हालात की जाँच कीजिए। अपने साथी और बच्चों के बारे में भी सोचिए। खुद से पूछिए, ‘क्या मेरे हालात मुझे लंबे समय तक दूसरी भाषा के इलाके में काम करने की इजाज़त देते हैं, क्या मेरे अंदर इतना दम-खम और आध्यात्मिक मज़बूती है कि मैं लंबे समय तक जारी रहनेवाला यह काम पूरा कर सकूँ?’ आपको और आपके परिवार को आध्यात्मिक मायने में जिस फैसले से सबसे ज़्यादा फायदा होगा वही फैसला कीजिए। आप राज्य के प्रचारक के नाते चाहे कहीं भी सेवा करें, बहुत काम करने के लिए है और इससे आपको बहुत खुशी भी मिलेगी।
जो विदेशी भाषा की कलीसिया में सेवा कर सकते हैं, उन्हें बढ़िया प्रतिफल मिलते हैं। बारब्रा अपने पति के साथ स्पैनिश बोलनेवाली कलीसिया में आयी, वह कहती है: “ये मेरी ज़िंदगी का सबसे उम्दा और खुशियों भरा फैसला रहा है। ऐसा लगता है जैसे हम नए सिरे से सच्चाई सीख रहे हों। इस मौके के लिए मैं बहुत एहसानमंद हूँ, खासकर इसलिए कि हम दूसरे देश में जाकर मिशनरी सेवा नहीं कर सकते।”
सारी दुनिया में, हर उम्र के ऐसे हज़ारों आम साक्षी हैं जो दूसरी भाषा सीखने की चुनौती कबूल कर रहे हैं ताकि वे सुसमाचार को और भी फैला सकें। अगर आप भी इनमें से एक हैं, तो अपना इरादा नेक रखिए और हिम्मत मत हारिए। सबसे बड़ी बात, यहोवा पर भरोसा रखिए, वह आपकी मेहनत पर ज़रूर आशीष देगा।—2 कुरिन्थियों 4:7.
[पेज 18 पर तसवीर]
एक काबिल टीचर की क्लास में हाज़िर होने से, हम ज़्यादा तेज़ी और आसानी से भाषा सीख पाते हैं
[पेज 20 पर तसवीर]
विदेशी भाषा सीखते वक्त, आपको अपनी आध्यात्मिक सेहत के बारे में लापरवाह नहीं होना चाहिए