प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 नवंबर, 2005 अंधेर से भरी दुनिया क्या कोई ऐसा है जो इस दुनिया को वाकई बदल सके? ‘मेरे दिल की मुरादें’ पूरी हुईं छुड़ौती—परमेश्वर की धार्मिकता की बड़ाई करती है बढ़िया चालचलन से मिले अच्छे नतीजे “मेरी ज़िंदगी का एक बेहद हसीन दिन” यहोवा हमारा चरवाहा है क्या आप परमेश्वर के साथ-साथ चलेंगे? दान जिनसे परमेश्वर का दिल खुश होता है पाठकों के प्रश्न वे बधिरों को खुशखबरी सुनाते हैं क्या आप चाहते हैं कि कोई आकर आपसे मिले? प्रिंट करें दूसरों को भेजें दूसरों को भेजें प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 नवंबर, 2005 प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 नवंबर, 2005 हिंदी प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 नवंबर, 2005 https://assetsnffrgf-a.akamaihd.net/assets/ct/e8b2bff3b7/images/cvr_placeholder.jpg