क्या आप यहोवा से मदद लेते हैं?
क्या आप यहोवा से मदद लेते हैं?
“प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा।”—इब्रानियों 13:6.
1, 2. यह क्यों ज़रूरी है कि हम यहोवा से मदद और ज़िंदगी के लिए मार्गदर्शन लें?
मान लीजिए, आप एक पहाड़ी रास्ते पर पैदल सैर कर रहे हैं। लेकिन आप अकेले नहीं हैं। आपको रास्ता दिखाने के लिए उस इलाके का सबसे बढ़िया गाइड आपके साथ है। वह आपसे कहीं ज़्यादा तजुरबा और तेज़ चलने की ताकत रखता है, फिर भी वह इतमीनान से आपके साथ धीरे-धीरे चलता है। वह देखता है कि कभी-कभी आपके कदम डगमगा रहे हैं। चलते-चलते आप एक ऐसी जगह पहुँचते हैं, जो खासकर जोखिम-भरी है। आपकी मदद करने के लिए वह अपना हाथ बढ़ाता है ताकि आप कहीं गिर न पड़ें। ऐसे में क्या आप उसकी मदद को ठुकरा देंगे? हरगिज़ नहीं! आखिर आपके सामने खतरा जो रहा।
2 हम मसीही भी, एक बहुत ही मुश्किल डगर पर चल रहे हैं। क्या इस सकरे रास्ते पर हम अकेले हैं? (मत्ती 7:14) नहीं, बाइबल दिखाती है कि दुनिया के सबसे बढ़िया और तजुरबेकार गाइड, यहोवा परमेश्वर ने इंसानों को अपने साथ-साथ चलने की इजाज़त दी है। (उत्पत्ति 5:24; 6:9) क्या यहोवा अपने सेवकों को चलते रहने में मदद देता है? इस बारे में वह कहता है: “मैं तेरा परमेश्वर यहोवा, तेरा दहिना हाथ पकड़कर कहूंगा, मत डर, मैं तेरी सहायता करूंगा।” (यशायाह 41:13) ऊपर बताए गाइड की तरह, यहोवा भी ऐसे लोगों की तरफ मदद और दोस्ती का हाथ बढ़ाता है जो उसके साथ-साथ चलना चाहते हैं। बेशक, हममें से कोई भी उसकी मदद को ठुकराना नहीं चाहेगा!
3. इस चर्चा के दौरान हम किन सवालों पर गौर करेंगे?
3 पिछले लेख में, हमने ऐसे चार तरीकों पर चर्चा की जिनसे यहोवा ने पुराने ज़माने में अपने लोगों की मदद की थी। क्या आज वह इन्हीं तरीकों से अपने लोगों की मदद करता है? और हम क्या कर सकते हैं ताकि उससे मदद पाने का यकीन रख सकें? आइए इन सवालों पर चर्चा करें। इससे हमारा यह भरोसा मज़बूत होगा कि यहोवा सचमुच हमारा सहायक है।—इब्रानियों 13:6.
स्वर्गदूतों से मदद
4. आज परमेश्वर के सेवक, स्वर्गदूतों से मदद पाने का पक्का यकीन क्यों रख सकते हैं?
4 क्या आज स्वर्गदूत यहोवा के सेवकों की मदद करते हैं? जी हाँ। यह सच है कि वे सच्चे उपासकों को खतरे से बचाने के लिए इंसान का रूप धरकर नहीं आते। बाइबल के ज़माने में भी स्वर्गदूतों ने बहुत कम मौकों पर ऐसा किया। ज़्यादातर बार जब उन्होंने मदद की, तो वे इंसानों को नज़र नहीं आए थे, ठीक जैसे आज भी नज़र नहीं आते। फिर भी, उस ज़माने में परमेश्वर के सेवकों को इस बात से काफी हिम्मत मिली कि उनकी मदद करने के लिए स्वर्गदूत उनके साथ थे। (2 राजा 6:14-17) आज हमारे पास भी ऐसा ही महसूस करने के अच्छे कारण हैं।
5. बाइबल कैसे दिखाती है कि आज प्रचार काम में स्वर्गदूत भी हिस्सा ले रहे हैं?
5 यहोवा के स्वर्गदूत आज एक ज़रूरी काम में खास दिलचस्पी ले रहे हैं जिसमें हम भी शामिल हैं। यह कौन-सा काम है? इसका जवाब हमें प्रकाशितवाक्य 14:6 में मिलता है: “मैं ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिस के पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था।” ज़ाहिर है कि इस “सनातन सुसमाचार” का ‘राज्य के सुसमाचार’ से नाता है। यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि इस दुनिया के अंत से पहले “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो।” (मत्ती 24:14) बेशक, स्वर्गदूत धरती पर सीधे लोगों के पास जाकर प्रचार नहीं करते। यीशु ने यह अहम ज़िम्मेदारी इंसानों को दी है। (मत्ती 28:19, 20) फिर भी, क्या यह जानकर हमें हौसला नहीं मिलता कि इस काम में पवित्र स्वर्गदूत हमारी मदद कर रहे हैं, जो बुद्धिमान और शक्तिशाली आत्मिक प्राणी हैं?
6, 7. (क) क्या दिखाता है कि स्वर्गदूत, प्रचार काम में हमारी मदद कर रहे हैं? (ख) हम क्या कर सकते हैं ताकि हमें यहोवा के स्वर्गदूतों से ज़रूर मदद मिले?
6 इस बात के ढेरों सबूत हैं कि स्वर्गदूत प्रचार काम में हमारी मदद कर रहे हैं। मसलन, हम अकसर सुनते हैं कि प्रचार में यहोवा के साक्षी किसी ऐसे इंसान से मिले जिसने कुछ ही वक्त पहले परमेश्वर से प्रार्थना की थी कि वह सच्चाई पाने में उसकी मदद करे। साक्षियों को ऐसे अनुभव इतनी बार होते हैं कि इन्हें इत्तफाक मानकर नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। स्वर्गदूतों से मिलनेवाली ऐसी मदद का नतीजा यह है कि आज ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग वही कर रहे हैं जो ‘आकाश के बीच में उड़ते स्वर्गदूत’ ने ऐलान किया था: “परमेश्वर से डरो; और उस की महिमा करो।”—प्रकाशितवाक्य 14:7.
7 क्या आप यहोवा के शक्तिशाली स्वर्गदूतों से मदद पाने के लिए तरसते हैं? अगर हाँ, तो सेवा में अपना भरसक कीजिए। (1 कुरिन्थियों 15:58) अगर हम यहोवा से मिली इस खास ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए खुद को पूरी तरह और खुशी-खुशी दे दें, तो हम स्वर्गदूतों से मदद पाने का पक्का यकीन रख सकते हैं।
स्वर्गदूतों के प्रधान से मदद
8. यीशु, स्वर्ग में किस ऊँची पदवी पर है, और इस जानकारी से हमें क्यों हिम्मत मिलती है?
8 यहोवा, स्वर्गदूतों के ज़रिए एक और तरीके से हमारी मदद करता है। प्रकाशितवाक्य 10:1 में एक विस्मयकारी और “बली स्वर्गदूत” के बारे में बताया गया है, जिसका “मुंह सूर्य का सा” था। ज़ाहिर है कि दर्शन में देखा गया स्वर्गदूत, महिमा से भरपूर यीशु मसीह है जिसे स्वर्ग में अधिकार दिया गया है। (प्रकाशितवाक्य 1:13, 16) क्या यीशु वाकई एक स्वर्गदूत है? एक अर्थ में वह स्वर्गदूत ही है, क्योंकि वह प्रधान दूत है। (1 थिस्सलुनीकियों 4:16) प्रधान दूत का मतलब क्या है? इसका मतलब है, “स्वर्गदूतों में सबसे बड़ा” या “प्रमुख स्वर्गदूत।” यहोवा के सभी आत्मिक पुत्रों में यीशु ही सबसे शक्तिशाली है। यहोवा ने उसे स्वर्गदूतों की सारी सेनाओं का कमान सौंपा है। इस प्रधान स्वर्गदूत के पास हमारी मदद करने के लिए कमाल की शक्ति है। वह किन तरीकों से हमारी मदद करता है?
9, 10. (क) जब हम कोई पाप करते हैं तो यीशु कैसे हमारा “सहायक” बनता है? (ख) यीशु की मिसाल से हमें क्या मदद मिल सकती है?
9 उम्रदराज़ प्रेरित यूहन्ना ने लिखा: “यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात् धार्मिक यीशु मसीह।” (1 यूहन्ना 2:1) यूहन्ना ने ऐसा क्यों कहा कि यीशु खासकर ऐसे वक्त पर हमारा “सहायक” होता है जब हम ‘कोई पाप करते’ हैं? दरअसल, हम हर रोज़ पाप करते हैं, और पाप हमें मौत के रास्ते पर ले जाता है। (सभोपदेशक 7:20; रोमियों 6:23) लेकिन यीशु ने हमारे पापों की खातिर, अपना जीवन बलिदान के तौर पर दे दिया था। और अब वह हमारे दयालु पिता, यहोवा के पास मौजूद है ताकि हमारी तरफ से फरियाद कर सके। हममें से हरेक को ऐसी मदद की ज़रूरत है। हमें यह मदद पाने के लिए क्या करना होगा? हमें अपने पापों से पश्चाताप करना होगा और यीशु के बलिदान की बिना पर माफी माँगनी होगी। और हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि हम पाप करने की आदत न बनाएँ।
10 यीशु ने हमारी खातिर जान देने के अलावा एक बेहतरीन मिसाल भी कायम की है। (1 पतरस 2:21) उसकी मिसाल हमारा मार्गदर्शन करती है, सोच-समझकर रास्ता चुनने में मदद देती है ताकि हम गंभीर पापों से दूर रहें और यहोवा परमेश्वर को खुश कर सकें। यीशु की इस मदद के लिए क्या हम उसके एहसानमंद नहीं हैं? यीशु ने अपने चेलों से वादा किया था कि उनके लिए एक और सहायक दिया जाएगा।
पवित्र आत्मा से मदद
11, 12. यहोवा की आत्मा क्या है, यह कितनी शक्तिशाली है, और आज हमें क्यों इसकी ज़रूरत है?
11 यीशु ने वादा किया था: “मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। अर्थात् सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता।” (यूहन्ना 14:16, 17) “सत्य का आत्मा” यानी पवित्र आत्मा कोई शख्स नहीं बल्कि एक शक्ति है। यह यहोवा की अपनी सक्रिय शक्ति है। इसकी ताकत की कोई सीमा नहीं। यह वही शक्ति है जिसका इस्तेमाल करके यहोवा ने पूरे विश्व को सृजा, हैरतअँगेज़ चमत्कार किए और दर्शनों के ज़रिए अपनी मरज़ी ज़ाहिर की। आज यहोवा इन तरीकों से अपनी आत्मा का इस्तेमाल नहीं करता, तो क्या इसका यह मतलब है कि हमें उसकी आत्मा की ज़रूरत नहीं?
12 बेशक हमें इसकी ज़रूरत है! आज हम “कठिन समय” में जी रहे हैं, इसलिए हमें पहले से कहीं ज़्यादा यहोवा की आत्मा की ज़रूरत है। (2 तीमुथियुस 3:1) यह हमें परीक्षाओं को सहने के लिए मज़बूत करती है। हमें ऐसे मनभावने गुण पैदा करने में मदद देती है जिनसे हम यहोवा और अपने आध्यात्मिक भाई-बहनों के करीब आते हैं। (गलतियों 5:22, 23) मगर यहोवा से ऐसी बढ़िया मदद पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
13, 14. (क) हम क्यों पक्का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा अपने लोगों को खुशी-खुशी अपनी पवित्र आत्मा देता है? (ख) किस तरह के कामों से ज़ाहिर होगा कि हम असल में पवित्र आत्मा के वरदान को कबूल नहीं कर रहे हैं?
13 सबसे पहले तो हमें पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। यीशु ने कहा था: “जब तुम बुरे होकर अपने लड़केबालों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो स्वर्गीय पिता अपने मांगनेवालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा।” (लूका 11:13) जी हाँ, यहोवा से प्यारा पिता कोई नहीं हो सकता। अगर हम विश्वास के साथ और सच्चे दिल से पवित्र आत्मा के लिए बिनती करें, तो वह हमें ज़रूर यह वरदान देगा। मगर सवाल यह है कि क्या हम इसके लिए प्रार्थना करते हैं? हमें हर दिन अपनी प्रार्थनाओं में पवित्र आत्मा के लिए गुज़ारिश करनी चाहिए।
14 दूसरी बात, पवित्र आत्मा की दिखायी राह पर चलकर हम दिखाते हैं कि हम इस वरदान को कबूल करते हैं। उदाहरण के लिए: मान लीजिए, एक मसीही, पोर्नोग्राफी देखने की लत से छुटकारा पाने के लिए काफी संघर्ष कर रहा है। उसने पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना की है ताकि उसे यह गंदी आदत छोड़ने में मदद मिले। उसने मसीही प्राचीनों से सलाह भी माँगी है, और उन्होंने उसे सख्त कदम उठाने का सुझाव दिया। उन्होंने उसे बताया कि वह अश्लील तसवीरों के करीब तक न जाए। (मत्ती 5:29) लेकिन अगर वह उनकी सलाह को ठुकरा दे और मन के लुभाने पर अश्लील तसवीरों को देखता रहे तो इसका क्या मतलब है? उसने पवित्र आत्मा की मदद के लिए जो प्रार्थना की, क्या वह उसके मुताबिक काम कर रहा है? या वह परमेश्वर की आत्मा को शोकित करने और इस वरदान को खोने का खतरा मोल रहा है? (इफिसियों 4:30) सच पूछिए तो, यहोवा से यह बेहतरीन मदद पाने के लिए हम सभी को अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश करनी चाहिए।
परमेश्वर के वचन से मदद
15. हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम बाइबल को एक मामूली किताब नहीं समझते?
15 बाइबल, कई सदियों से यहोवा के सेवकों की मदद करती आयी है। हमें इस पवित्र शास्त्र को एक मामूली किताब समझने के बजाय, हमेशा याद रखना चाहिए कि यह क्या ही बढ़िया मदद देती है। इस मदद को कबूल करने के लिए हमें मेहनत करनी होगी। हमें बाइबल पढ़ाई को अपने रोज़ाना के शेड्यूल का हिस्सा बनाना होगा।
16, 17. (क) भजन 1:2, 3 में परमेश्वर की व्यवस्था को पढ़ने के फायदों के बारे में कैसे बताया गया है? (ख) भजन 1:3 कैसे दिखाता है कि हमें कड़ी मेहनत करने की ज़रूरत है?
16 परमेश्वर को भानेवाले इंसान के बारे में भजन 1:2, 3 कहता है: “वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है।” क्या आपने इन आयतों का खास मुद्दा समझा है? इन शब्दों को बस यूँ ही पढ़ने से शायद कोई इस नतीजे पर पहुँचे कि यहाँ नदी किनारे पेड़ की छाँव या चैनो-अमन का सिर्फ एक खूबसूरत नज़ारा पेश किया गया है। वाकई ऐसी छाँव में दोपहर के वक्त झपकी लेने से कितना आराम मिलेगा! लेकिन यह भजन हमें आराम फरमाने की सोचने के लिए नहीं कह रहा है। यह हमारे सामने बिलकुल अलग तसवीर पेश कर रहा है, हमें कड़ी मेहनत करने का सुझाव दे रहा है। वह कैसे?
17 ध्यान दीजिए कि यह छायादार पेड़, नदी किनारे अपने आप नहीं उग आया । यह एक फल देनेवाला पेड़ है, जिसे सोच-समझकर “बहती नालियों के किनारे लगाया गया है।” मगर एक पेड़ बहुत-सी नालियों के किनारे कैसे उग सकता है? दरअसल, फलों के बाग में मालिक चाहे तो कई नालियाँ बना सकता है ताकि उसके अनमोल पेड़ों की जड़ों को भरपूर पानी मिलता रहे। ऊपर दी गयी आयतों का यही तो असल मुद्दा है! अगर हम आध्यात्मिक मायने में उस पेड़ की तरह फल-फूल रहे हैं, तो यह सिर्फ इसलिए है कि किसी ने हमारी खातिर मेहनत की है। हम एक ऐसे संगठन के साथ जुड़े हुए हैं जो सच्चाई का शुद्ध जल हम तक पहुँचा रहा है। लेकिन हमें भी अपना भाग अदा करना चाहिए। हमें इस अनमोल पानी को सोखने के लिए मेहनत करनी चाहिए, यानी परमेश्वर के वचन की सच्चाइयों पर मनन और खोजबीन करनी चाहिए, ताकि ये हमारे दिलो-दिमाग में अच्छी तरह बस जाएँ। ऐसा करने से हम भी अच्छे फल पैदा कर पाएँगे।
18. बाइबल से अपने सवालों के जवाब पाने के लिए हमें क्या करने की ज़रूरत है?
18 अगर हमारी बाइबल, घर के कोने में किसी शेल्फ पर यूँ ही पड़ी रहे, तो हमें कोई फायदा नहीं होनेवाला। ना ही उसमें कोई जादुई ताकत है कि अगर हम उसके सामने आँखें मूँदकर बैठ जाएँ, तो अपने आप वह पन्ना खुल जाएगा जिसमें हमारे सवाल का जवाब लिखा हो। जब हमें कोई फैसला करना हो, तो हमें ‘परमेश्वर के ज्ञान’ के लिए ऐसी खुदाई करनी होगी मानो हम छिपा हुआ खज़ाना ढूँढ़ रहे हैं। (नीतिवचन 2:1-5) हमें जो सलाह की ज़रूरत है उसे बाइबल में ढूँढ़ने के लिए अकसर जी-जान लगाकर और ध्यान से खोजबीन करने की ज़रूरत होती है। हमारे पास बाइबल की समझ देनेवाले कई साहित्य हैं जो ऐसी खोज करने में हमारी मदद करते हैं। अगर हम इनका इस्तेमाल करके, बाइबल में दिए बुद्धि के अनमोल रत्न ढूँढ़ने के लिए पूरे जोश के साथ खुदाई करेंगे, तो हम वाकई यहोवा से मिलनेवाली मदद का फायदा उठा रहे होंगे।
संगी विश्वासियों के ज़रिए मदद
19. (क) प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! के लेखों के बारे में ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि यह संगी विश्वासियों के ज़रिए मिलनेवाली मदद है? (ख) हमारी पत्रिकाओं के किसी लेख से आपको क्या फायदा हुआ?
19 धरती पर रहनेवाले यहोवा के सेवकों ने हमेशा एक-दूसरे की मदद की है। क्या यहोवा बदल गया है और आज ऐसी मदद का इंतज़ाम नहीं करता? ऐसी बात नहीं है। हममें से हरेक को ऐसे वाकये याद होंगे जब भाइयों ने ऐन वक्त पर हमारी मदद की थी। मसलन, क्या आपको प्रहरीदुर्ग या सजग होइए! का ऐसा कोई लेख याद है, जिसने आपको सांत्वना दी या किसी समस्या को सुलझाने या विश्वास की चुनौती का सामना करने में मदद दी? यहोवा ने आपको ऐसी मदद “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए दी है, जिसे ‘समय पर भोजन’ मुहैया कराने के लिए ठहराया गया है।—मत्ती 24:45-47.
20. किन तरीकों से मसीही प्राचीन ‘मनुष्यों के रूप में दान’ साबित होते हैं?
20 लेकिन हमारे भाई-बहन ज़्यादातर बार, सीधे तौर पर हमारी मदद करते हैं। हो सकता है, एक मसीही प्राचीन का भाषण हमारे दिल को छू जाए या उसकी चरवाही भेंट से हमें किसी मुश्किल दौर से गुज़रने में मदद मिले। या वह प्यार से जो सलाह देता है उससे शायद अपनी किसी कमज़ोरी को जानने और उस पर काबू पाने में हमें मदद मिले। एक मसीही बहन एहसान भरे दिल से लिखती है कि एक प्राचीन ने कैसे उसकी मदद की थी: “एक दिन प्रचार के दौरान, उस भाई ने मुझे अपने विचार बताने के लिए उकसाया। उससे पहलेवाली रात को ही मैंने यहोवा से प्रार्थना की थी कि मुझे किसी ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत है जिसे मैं अपनी तकलीफ बता सकूँ। अगले ही दिन, इस भाई ने मुझे दिलासा देते हुए मेरे साथ बात की। उसने मुझे एहसास दिलाया कि किस तरह एक लंबे अरसे से यहोवा मेरी मदद करता आया है। मैं यहोवा की शुक्रगुज़ार हूँ कि उसने मेरे पास इस प्राचीन को भेजा।” इन सभी तरीकों से मसीही प्राचीन साबित करते हैं कि वे ‘मनुष्यों के रूप में दान’ हैं। यहोवा ने यीशु मसीह के ज़रिए हमें ये दान इसलिए दिए हैं ताकि हमें ज़िंदगी की राह पर धीरज के साथ चलते रहने में मदद मिले।—इफिसियों 4:8.
21, 22. (क) जब कलीसिया के लोग फिलिप्पियों 2:4 में दी गयी सलाह को मानते हैं, तो क्या नतीजा निकलता है? (ख) हमें जो छोटी-छोटी मदद दी जाती है, वह भी क्यों मायने रखती है?
21 प्राचीनों के अलावा हर वफादार मसीही, ईश्वर-प्रेरणा से दी गयी इस सलाह को मानना चाहेगा कि वह “अपनी ही हित की नहीं, बरन दूसरों की हित की भी चिन्ता करे।” (फिलिप्पियों 2:4) जब कलीसिया के लोग इस सलाह पर चलते हैं तो बढ़िया नतीजे निकलते हैं। वे एक-दूसरे की प्यार से मदद करते हैं। मसलन, एक परिवार पर अचानक कई मुसीबतें एक-साथ टूट पड़ीं। हुआ यह कि एक दिन पिता अपनी छोटी बच्ची को लेकर दुकान गया था। घर लौटते वक्त वे एक गाड़ी की दुर्घटना के शिकार हो गए। बच्ची की मौत हो गयी और पिता बुरी तरह घायल हो गया। जब उसे अस्पताल से छुट्टी मिली तो शुरू-शुरू में वह शरीर से इतना कमज़ोर हो गया था कि अपने आप कुछ कर नहीं पा रहा था। उसकी पत्नी अंदर से इतनी टूट चुकी थी कि अकेले पति की देखभाल करना उसके बस में नहीं था। यह देखकर उनकी कलीसिया का एक शादीशुदा जोड़ा, गम में डूबे इस पति-पत्नी को अपने घर ले गया और कई हफ्तों तक उनकी देखभाल की।
22 बेशक, हरेक के साथ ऐसे हादसे नहीं होते या हरेक की मदद के लिए ऐसे बड़े-बड़े त्याग करने की ज़रूरत नहीं होती। कई बार छोटे-छोटे तरीकों से हमारी मदद की जाती है। लेकिन मदद चाहे कितनी ही छोटी क्यों न हो, हम उसकी दिल से कदर करते हैं, है ना? क्या आपको ऐसा कोई वाकया याद है जब किसी भाई या बहन ने आपसे प्यार के दो शब्द कहे या आपको ऐसी मदद दी जिसकी आपको सख्त ज़रूरत थी? यहोवा अकसर ऐसे ही तरीकों से हमारी परवाह करता है।—नीतिवचन 17:17; 18:24.
23. जब यहोवा हमें एक-दूसरे की मदद करते देखता है तो उसे कैसा लगता है?
23 क्या आप चाहते हैं कि यहोवा दूसरों की मदद करने के लिए आपका इस्तेमाल करे? यह खास मौका आपके सामने खुला है। आप दूसरों की मदद करने के लिए जो मेहनत करते हैं, उसकी यहोवा कदर करता है। उसका वचन कहता है: “जो कंगाल पर अनुग्रह करता है, वह यहोवा को उधार देता है, और वह अपने इस काम का प्रतिफल पाएगा।” (नीतिवचन 19:17) जब हम अपने भाई-बहनों की खातिर खुद को देते हैं, तो हमें बेइंतिहा खुशी मिलती है। (प्रेरितों 20:35) दूसरी तरफ, जो लोग जानबूझकर दूसरों से कटे-कटे रहते हैं, उन्हें न तो दूसरों की मदद करने की खुशी मिलती है, ना ही वे खुद ऐसी मदद पाते हैं। (नीतिवचन 18:1) इसलिए आइए हम बिना नागा, मसीही सभाओं में हाज़िर रहें ताकि हम एक-दूसरे की हौसला-अफज़ाई कर सकें।—इब्रानियों 10:24, 25.
24. हमें इस वजह से निराश क्यों नहीं होना चाहिए कि बीते ज़माने की तरह आज यहोवा हैरतअँगेज़ काम नहीं करता?
24 यहोवा जिन तरीकों से हमारी मदद करता है, उनके बारे में सोचने से क्या हमें खुशी नहीं होती? हालाँकि आज बीते समय की तरह यहोवा अपने उद्देश्यों को अंजाम देने के लिए बड़े-बड़े करिश्मे नहीं करता, फिर भी हमें निराश होने की ज़रूरत नहीं। यह बात ज़्यादा मायने रखती है कि यहोवा हमें ऐसी हर मदद देता है जो हमारे वफादार बने रहने के लिए ज़रूरी है। अगर हम सभी साथ मिलकर विश्वास में बने रहें तो हमें यहोवा के सबसे शानदार और हैरतअँगेज़ करिश्मे देखने का मौका मिलेगा! इसलिए आइए ठान लें कि हम यहोवा से मिलनेवाली मदद को कबूल करेंगे और उसका पूरा-पूरा फायदा उठाएँगे ताकि हम दिखा सकें कि सन् 2005 के इस सालाना वचन से हम पूरी तरह सहमत हैं: “मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है।”—भजन 121:2.
आपका क्या खयाल है?
ज़रूरत के वक्त हमारी मदद करने के लिए यहोवा इन तरीकों का कैसे इस्तेमाल करता है?
• स्वर्गदूतों के ज़रिए?
• अपनी पवित्र आत्मा के ज़रिए?
• अपने प्रेरित वचन से?
• संगी विश्वासियों के ज़रिए?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 18 पर तसवीर]
हमें इस बात से हिम्मत मिलती है कि प्रचार काम में स्वर्गदूत हमारी मदद कर रहे हैं
[पेज 21 पर तसवीर]
यहोवा हमें ज़रूरी सांत्वना देने के लिए किसी भाई या बहन का इस्तेमाल कर सकता है