प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 फरवरी, 2001 खतरों के साए में जीना जोखिम-भरी दुनिया में सुरक्षा पाना लैटविया देशवासियों ने राज्य संदेश कबूल किया क्या आपने सच्चाई को पूरी तरह अपना बना लिया है? समर्पण का वादा—क्या आप इसे निभा रहे हैं? आप हताशा से जूझ सकते हैं! वहाँ सेवा करना जहाँ मेरी ज़्यादा ज़रूरत थी एक ऑप्टीशियन ने बीज बोया “तेरा शरीर [नाभि] स्वस्थ रहेगा” क्या आप चाहते हैं कि कोई आकर आपसे मिले? प्रिंट करें दूसरों को भेजें दूसरों को भेजें प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 फरवरी, 2001 प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 फरवरी, 2001 हिंदी प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 फरवरी, 2001 https://assetsnffrgf-a.akamaihd.net/assets/ct/e8b2bff3b7/images/cvr_placeholder.jpg