जादू-विद्या—इसके बारे में आपको क्या मालूम होना चाहिए
जादू-विद्या—इसके बारे में आपको क्या मालूम होना चाहिए
आज पश्चिम देशों में तरह-तरह की जादू-विद्या लोकप्रिय है। और समाज में हर वर्ग के लोग इसका अभ्यास करते हैं। उनके विश्वास, उनकी पूजा-विधि, उनके रस्म और नियम सब अलग-अलग हैं। एक लेखिका कहती है: ‘जादू-विद्या के इतने अलग-अलग तरीके हैं कि जिसे जो पसंद हो वह तरीका आज़मा सकता है।’ एक और लेखिका कहती है, ‘दरअसल जादू-विद्या करनेवाले एक व्यक्ति का तरीका दूसरे से बिलकुल उलटा हो सकता है।’
मगर ज़्यादातर जादू-विद्या सीखनेवालों के लिए विचारों में यह मत-भेद कोई समस्या नहीं हैं। उनके लिए एक किताब बताती है कि ‘हालाँकि जादू-विद्या के अलग-अलग तरीके और रस्म हैं, मगर आपको यह सब देखकर उलझन में पड़ने की ज़रूरत नहीं। आप जादू-विद्या की किताबों में से वही तरीका चुनिये जो आपको पसंद है, जो आपको सच लगता है।’
लेकिन कई लोगों के लिए ये मत-भेद एक बहुत बड़ी समस्या है क्योंकि वे सच्चाई की तलाश में हैं। और वे जानते हैं कि किसी बात को हम सिर्फ इसलिए सच नहीं कह सकते क्योंकि वह हमें पसंद है या हमें सच लगती है। मिसाल के लिए, एक ज़माने में डॉक्टरों का मानना था कि अगर किसी को निमोनिया हो जाए तो एक ज़िंदा मुर्गी को दो हिस्सों में काटकर मरीज़ की छाती पर रख देने से उसकी बीमारी ठीक हो सकती है। कई मरीज़ डॉक्टरों की इस बात को सच मानते थे। लेकिन ऐसा इलाज कराने पर किसी का निमोनिया दूर नहीं हुआ। इससे यह साबित होता है कि किसी बात को बस सच मान लेने से ही वह बात सच नहीं हो जाती। इसलिए कई लोग जानना चाहते हैं कि जादू-विद्या जैसी बातों के बारे में सच्चाई क्या है।
सच्चाई हमें बाइबल में ही मिलती है। यीशु ने परमेश्वर से प्रार्थना में कहा: “तेरा वचन सत्य है।” (यूहन्ना 17:17) प्रेरित पौलुस ने लिखा कि बाइबल को “परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है।” (2 तीमुथियुस 3:16) लेकिन जादू-विद्या करनेवाले बाइबल को छोड़कर पौराणिक कथाओं, विज्ञान कल्पकथाओं और प्राचीन धर्मों में विश्वास करते हैं। लेकिन अगर हम सच्चाई जानना चाहते हैं, तो हमें बाइबल में जाँच करनी चाहिए। बाइबल एक ऐसी किताब है जिसे पूरी दुनिया एक पवित्र किताब मानती है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा प्राचीन धर्म-ग्रंथ है जो आज तक पूरा-का-पूरा सही सलामत है। इसे लिखने में 1,600 से भी ज़्यादा साल लगे थे फिर भी इसमें शुरू से आखिरी तक जो कुछ लिखा है उसका आपस में कोई मत-भेद नहीं है। तो आइए देखें कि बाइबल की शिक्षाओं और जादू-विद्या करनेवालों की आम धारणाओं में क्या फर्क है।
आत्मिक लोक में कौन रहते हैं?
पश्चिम में जादू-विद्या करनेवाले ज़्यादातर लोग प्रकृति की अलग-अलग शक्तियों के नाम पर कई देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। जबकि कुछ लोग एक ही देवी की पूजा करते हैं जिसे वे माता कहते हैं। उस देवी के तीन रूप माने जाते हैं, पहला कुँवारी का रूप, दूसरा माँ का और तीसरा एक बूढ़ी औरत का। ये तीनों रूप ज़िंदगी के तीन पड़ावों को सूचित करते हैं। उस देवी का प्रेमी सींगोंवाला एक देवता है। कई लोग तो देवी और देवता, दोनों की ही पूजा करते हैं। एक लेखक का कहना है कि “ये देवी और देवता प्रकृति में व्याप्त नारीत्व और पुरुषत्व शक्तियों को सूचित करते हैं और दोनों के मिलन से सृष्टि होती है।” एक और जानी-मानी लेखिका कहती है: ‘जादू-विद्या की एक सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें ऐसा कोई नियम नहीं कि आपको सिर्फ एक ही परमेश्वर की पूजा करनी है। आप अपनी पसंद के मुताबिक किसी भी देवी या देवता की पूजा कर सकते हैं।’
लेकिन बाइबल ऐसी धारणाओं का खंडन करती है। बाइबल बताती है कि ‘सच्चा परमेश्वर’ सिर्फ एक है और यीशु मसीह ने उसी परमेश्वर की सेवा में अपनी सारी ज़िंदगी लगा दी। (यूहन्ना 17:3) बाइबल कहती है: “यहोवा महान और स्तुति के अति योग्य है, वह तो सब देवताओं से अधिक भययोग्य है। क्योंकि देश देश के सब देवता मूर्तियाँ ही हैं।”—1 इतिहास 16:25, 26.
शैतान के बारे में क्या? एक अँग्रेज़ी डिक्शनरी बताती है कि जादू-विद्या का मतलब “शैतान से संपर्क करना” है। लेकिन ताज्जुब की बात है कि जादू-विद्या करनेवाला कोई भी इसे सच नहीं मानता। कई लोग तो यह भी कहते हैं कि शैतान नाम की कोई चीज़ है ही नहीं। दि आइरिश टाइम्स में एक जवान लड़की के बारे में बताया गया जो एक “बहुत बड़ी जादूगरनी है और आइरलैंड में जादूगरनियों की एक सबसे मशहूर टोली की लीडर है।” उस लड़की का कहना है: ‘शैतान और परमेश्वर के बारे में ईसाई धर्म सिखाता है। लेकिन हम ईसाई धर्म को नहीं मानते। हम तो यही कहेंगे कि शैतान नाम की कोई चीज़ नहीं होती।’
लेकिन बाइबल साफ-साफ कहती है कि शैतान है और दुनिया की सारी बुराई, अत्याचार और गड़बड़ी के लिए वही ज़िम्मेदार है। (प्रकाशितवाक्य 12:12) और यीशु ने भी सिखाया था कि शैतान है। उसने यह भी चेतावनी दी थी कि अगर हम सावधान न रहें तो हम शैतान के जाल में फँस सकते हैं और अनजाने में उसके हाथ का मोहरा बन सकते हैं। शैतान की मरज़ी पूरी करनेवालों की एक मिसाल पहली सदी के कुछ धर्म-गुरू थे, जो अपने आपको बहुत धर्मी समझते थे। वे खुद को परमेश्वर की संतान मानते थे और उनका यह दावा था कि सिर्फ वे ही परमेश्वर की मरज़ी पूरी कर रहे हैं। लेकिन यीशु उनके दिलों को पढ़ सकता था और जानता था कि हकीकत में वे परमेश्वर के मार्ग पर नहीं बल्कि शैतान के मार्ग पर चल रहे हैं। इसलिए उसने उनसे साफ-साफ कह दिया: “तुम अपने पिता शैतान से हो, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो।” (यूहन्ना 8:44) इतना ही नहीं, बाइबल की प्रकाशितवाक्य किताब यह बताती है कि शैतान ही “सारे संसार का भरमानेवाला है।”—प्रकाशितवाक्य 12:9.
क्या कुछ तरह के जादू फायदेमंद होते हैं?
तंत्र-मंत्र के बिना कोई जादू नहीं होता। * पुराने ज़माने से ही माना जाता है कि जादूगरनियाँ हमेशा दूसरों का नुकसान करने के लिए जादू करती हैं। कहा जाता है कि जादूगरनियों में दूसरों को सताने और उनकी जान तक ले लेने की शक्ति होती है। लोग शुरू से ही यह मानते चले आए हैं कि जादूगरनियाँ बहुत दुष्ट होती हैं इसीलिए जब कोई बीमार हो जाता है या किसी की फसल बरबाद हो जाती है या यहाँ तक कि जब किसी की मौत हो जाती है, तो लोग मानते हैं कि यह सब जादूगरनियों की करतूतें हैं।
लेकिन आजकल जादू-विद्या करनेवाले ऐसे इलज़ामों का ज़बरदस्त खंडन करते हैं। ज़्यादातर लोगों का कहना है कि उनमें से सिर्फ कुछ ही खतरनाक होते हैं। उनका मानना है कि जो व्यक्ति जादू-विद्या करता है, उस पर जादू का तीन गुना असर होता है इसलिए वे दूसरों का नुकसान करने के लिए कभी जादू नहीं करते। लोग मानते हैं कि जादू के कई फायदे हैं। कुछ लोग अपने आपको खतरों से बचाने के लिए जादू-टोना करते हैं, कुछ लोग मानते हैं कि जब किराएदार घर खाली कर देते हैं, तो घर पर उनका बुरा असर पड़ता है इसलिए घर को शुद्ध करने के लिए जादू करते हैं। किसी को अपने प्यार में फँसाने, बीमारियों को दूर करने, अच्छी सेहत बनाने, अपनी नौकरी बचाने और पैसा कमाने के लिए भी जादू किया जाता है। जादू के जब इतने सारे फायदे बताए जाते हैं, तो इसमें ताज्जुब की कोई बात नहीं कि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग इसे सीखने में रुचि ले रहे हैं।
लेकिन बाइबल के मुताबिक हर तरह का जादू खतरनाक होता है। परमेश्वर ने मूसा की व्यवस्था में यह साफ-साफ आज्ञा दी: ‘तुम टोना न करना।’ (लैव्यव्यवस्था 19:26) उसने यह भी कहा: “तुझ में कोई ऐसा न हो . . . जो शुभ अशुभ मुहूर्त्तों का माननेवाला, वा टोन्हा, वा तान्त्रिक, वा बाजीगर, वा ओझों से पूछनेवाला . . . हो।”—व्यवस्थाविवरण 18:10, 11.
परमेश्वर ने ये नियम क्यों दिए? क्योंकि वह हमसे प्यार करता है और नहीं चाहता कि हम किसी भी डर और अंधविश्वास के फँदे में फँसें। परमेश्वर चाहता है कि हमें जो भी ज़रूरी हो वह उसी से माँगे। क्योंकि वह ‘हर एक अच्छे वरदान और उत्तम दान’ का देनेवाला है। (याकूब 1:17) प्रेरित पौलुस ने अपने मसीही भाई-बहनों को यह कहकर यकीन दिलाया: “जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस [परमेश्वर] से मिलता है; क्योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं; और जो उसे भाता है वही करते हैं।”—1 यूहन्ना 3:22.
दुष्ट आत्माओं के बारे में क्या?
बाइबल बताती है कि दुष्ट आत्माएँ होती हैं। और जादू-विद्या करनेवाले बहुत-से लोग भी इस बात को सच मानते हैं। जादू-विद्या को बढ़ावा देनेवाले एक आदमी ने यह चेतावनी दी: “हमारी इस दुनिया की तरह एक अदृश्य दुनिया भी है जहाँ भूत-प्रेत रहते हैं। उन्हें हम . . . ‘छोटे भूत’, ‘चुड़ैल’ और ‘शैतान’ जैसे नाम दे सकते हैं। वे बहुत ताकतवर होते हैं। . . . उनमें से जो सबसे ज़्यादा चालाक हैं . . . वे (अगर हम उनसे संपर्क करें तो) हमें नुकसान पहुँचा सकते हैं। . . . वे हमारे शरीर में भी समा सकते हैं . . . , यहाँ तक कि हम पर पूरी तरह कब्ज़ा कर सकते हैं। जी हाँ, हम जैसे पुरानी कहानियों में सुनते हैं कि कुछ लोगों को भूत पकड़ लेते थे, यह बात बिलकुल सच है।”
बाइबल के ज़माने में दुष्टात्माएँ, लोगों में समाकर उन्हें कई तरीकों से सताया करती थीं। कुछ लोगों को वे गूँगा, मत्ती 9:32; 12:22; 17:15, 18; मरकुस 5:2-5; लूका 8:29; 9:42; 11:14; प्रेरितों 19:16) कभी-कभी कई दुष्टात्माएँ साथ मिलकर एक ही व्यक्ति पर हमला करके उसे बहुत बुरी तरह सताती थीं। (लूका 8:2, 30) इसलिए यहोवा ने हमारी भलाई के लिए ही नियम दिया कि जादू-विद्या और तंत्र-मंत्र के कामों से हमें बिलकुल दूर रहना चाहिए क्योंकि इनके ज़रिए हम आसानी से दुष्टात्माओं के संपर्क में आ सकते हैं।
अँधा कर देती थीं, और-तो-और कुछ को पागल भी बना देती थीं। कुछ लोगों में जब दुष्टात्माएँ प्रवेश करती थीं, तो उन्हें एक तरह की दैविक शक्ति मिलती थी, जो इंसानी शक्ति से बिलकुल परे है। (सच्चा धर्म
कई लोग जादू-विद्या की तरफ इसलिए खिंचे चले जा रहे हैं क्योंकि उन्हें इसमें कोई खतरा नज़र नहीं आता। वे दावा करते हैं कि जादू-विद्या सिर्फ एक धर्म है जिसमें प्राकृतिक शक्तियों की पूजा की जाती है। कुछ समाजों में जादू-विद्या को बहुत फायदेमंद समझा जाता है। जिन समाजों में कोई भी धर्म मानने की छूट है, वहाँ लोग हर ऊट-पटाँग बात में विश्वास कर लेते हैं। ऐसी जगहों में जादू-विद्या ने अच्छी तरह अपना अड्डा जमा लिया है।
यह बात बिलकुल सच है कि दुनिया के धर्म एक खुले बाज़ार की तरह बन गए हैं जहाँ हर किसी को अपनी मरज़ी का धर्म बिना मोल मिल सकता है। यह ठीक वैसा ही है जैसे लोग बाज़ार से अपनी पसंद के जूते खरीद सकते हैं। लेकिन यीशु ने साफ-साफ बताया था कि धर्म के सिर्फ दो ही रास्ते हैं: “सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और चाकल है वह मार्ग जो विनाश को पहुंचाता है; और बहुतेरे हैं जो उस से प्रवेश करते हैं। क्योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है, और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं।” (मत्ती 7:13, 14) यह सच है कि हमें अपना रास्ता खुद चुनने की आज़ादी है मगर यह चुनाव हमें सोच-समझकर करना चाहिए क्योंकि यह हमारी ज़िंदगी और मौत का सवाल है। परमेश्वर के बारे में ज्ञान पाने के लिए हमें सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए और यह सच्चाई हमें सिर्फ परमेश्वर के वचन, बाइबल से ही मिलती है।
[फुटनोट]
^ gbr-HI 13-4 का पेज 28, “क्या जादू का अभ्यास करने में ख़तरा है?” देखिए।
[पेज 5 पर तसवीर]
आज कई लोग सोचते हैं कि जादू-विद्या में सिर्फ प्रकृति की शक्तियों की पूजा की जाती है और इसमें कोई खतरा नहीं है
[पेज 6 पर तसवीर]
जादू-विद्या का हमेशा तंत्र-मंत्र से संबंध होता है
[पेज 6 पर तसवीर]
क्या जादू-विद्या करनेवाले अनजाने में शैतान की मरज़ी पूरी कर रहे हैं?
[पेज 7 पर तसवीरें]
सच्चाई सिर्फ बाइबल में बताई गई है