पहले पेज का विषय | क्या बाइबल सच में परमेश्वर ने लिखवायी है?
बाइबल —हर कसौटी पर उतरी खरी
विज्ञान के हिसाब से सही जानकारी
बाइबल विज्ञान की किताब तो नहीं है, फिर भी इसमें प्रकृति के बारे में जो जानकारी दी गयी है, वह बिलकुल सही है। ज़रा ध्यान दीजिए कि बाइबल आनुवंशिक और मौसम विज्ञान से जुड़ी बातों के बारे में क्या बताती है।
मौसम विज्ञान—बारिश कैसे होती है?
बाइबल में लिखा है, “[परमेश्वर] पानी को भाप बनाकर ऊपर उठा ले जाता है, कोहरा फिर पानी की बूँदें बन जाता है और बादल इन्हें नीचे उँडेलते हैं।”
बाइबल की इस आयत में जलचक्र के तीन चरण बताए गए हैं। (1) वाष्पीकरण। परमेश्वर, जो सूरज की गरमी का स्रोत है, वाष्पीकरण के ज़रिए “पानी को भाप बनाकर ऊपर उठा ले जाता है।” (2) संघनन। भाप संघनित होकर यानी जमकर बादल बन जाती है। (3) बारिश की बूँदों या बर्फ का नीचे गिरना। बादलों में जमा पानी बारिश की बूँदों या बर्फ के रूप में नीचे गिरता है। बारिश ठीक कैसे होती है, यह वैज्ञानिक आज भी पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं। बाइबल ठीक ही कहती है, “क्या कोई आसमान में फैले बादलों को समझ सकता है?” (अय्यूब 36:29) लेकिन हमारा सृष्टिकर्ता बारिश के बारे में अच्छी तरह जानता है और उसने इस बात का ध्यान रखा कि बाइबल में इस बारे में सही जानकारी लिखी जाए। वैज्ञानिकों ने तो सालों बाद इस बारे में बुनियादी बातें समझीं।
आनुवंशिकता—भ्रूण का बढ़ना
बाइबल के एक लेखक राजा दाविद ने परमेश्वर से कहा, “तेरी आँखों ने मुझे तभी देखा था जब मैं बस एक भ्रूण था, इससे पहले कि उसके सारे अंग बनते, उनके बारे में तेरी किताब में लिखा था।” (भजन 139:16) दाविद ने कविता के रूप में कहा कि भ्रूण के बढ़ने के बारे में पहले से ही मानो कोई किताब लिखी गयी हो या योजना बनायी गयी हो। गौर करनेवाली बात है कि यह जानकारी आज से करीब 3,000 साल पहले लिखी गयी थी!
लेकिन इंसानों को इस विषय के बारे में 1860 के आस-पास जाकर पता चला। उस वक्त ऑस्ट्रिया के एक वैज्ञानिक ग्रेगर मेंडल ने आनुवंशिकता के (जीन के अध्ययन से संबंधित) बुनियादी नियमों का पता लगाया। कुछ साल पहले यानी अप्रैल 2003 में वैज्ञानिकों ने मानव जीनोम के अनुक्रमण पर अध्ययन पूरा किया। मानव जीनोम (इंसान के शरीर में पाए जानेवाले सारे जीन) में हमारे पूरे शरीर के विकास के बारे में निर्देश होते हैं। ये निर्देश जीन में बहुत व्यवस्थित तरीके से दिए होते हैं, ठीक जैसे एक शब्दकोश में अक्षर और उनसे बननेवाले शब्द क्रम से दिए होते हैं। इन निर्देशों के आधार पर भ्रूण के अलग-अलग अंगों का सही वक्त पर विकास होता है, जैसे मस्तिष्क, हृदय, फेफड़े और हाथ-पैर। इसी वजह से वैज्ञानिक मानव जीनोम को “जीवन की किताब” कहते हैं। पर सवाल उठता है कि आखिर बाइबल के लेखक दाविद को इस बारे में इतनी सही जानकारी कहाँ से मिली? इसका जवाब वह खुद ही देता है, “यहोवा की पवित्र शक्ति ने मेरे ज़रिए बात की। उसका वचन मेरी ज़बान पर था।” *
भविष्य के बारे में सही जानकारी
यह कहना करीब-करीब नामुमकिन है कि कोई राज्य या शहर कब, कैसे और किस हद तक बढ़ेगा या उसका पतन हो जाएगा। लेकिन बाइबल में बड़ी-बड़ी हुकूमतों और शहरों के नाश के बारे में बहुत पहले ही साफ-साफ बता दिया गया था। ज़रा दो उदाहरणों पर ध्यान दीजिए।
बैबिलोन का पतन और तबाही
प्राचीन शहर बैबिलोन एक ताकतवर हुकूमत की राजधानी था। इस हुकूमत का एशिया के पश्चिमी इलाके पर सदियों तक दबदबा बना रहा। एक वक्त पर बैबिलोन दुनिया का सबसे बड़ा शहर था। बैबिलोन के बारे में करीब 200 साल पहले परमेश्वर ने बाइबल के एक लेखक यशायाह के ज़रिए भविष्यवाणी करवायी। उसने कहा कि कुसरू नाम का एक राजा बैबिलोन को जीत लेगा और यह भी कहा कि बैबिलोन हमेशा के लिए उजाड़ पड़ा रहेगा। (यशायाह 13:17-20; 44:27, 28; 45:1, 2) यह भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?
ईसा पूर्व 539 में अक्टूबर की एक रात को कुसरू महान ने बैबिलोन पर कब्ज़ा कर लिया। एक ज़माने में यहाँ सिंचाई के लिए नहरें खोदी गयी थीं, लेकिन देखरेख न होने की वजह से वे सूख गयीं। कहा जाता है कि ईसवी सन् 200 के आते-आते बैबिलोन पूरी तरह उजड़ गया था। आज बैबिलोन के बस खंडहर बचे हैं। बैबिलोन “पूरी तरह उजड़” गया, ठीक जैसे बाइबल में भविष्यवाणी की गयी थी।
बाइबल के इस लेखक को भविष्य में होनेवाली इस घटना के बारे में इतना सबकुछ कैसे पता चला? बाइबल बताती है, “आमोज के बेटे यशायाह ने एक दर्शन देखा, जिसमें बैबिलोन के खिलाफ यह संदेश सुनाया गया।”
नीनवे —“रेगिस्तान जैसा सूखा”
नीनवे शहर अश्शूर साम्राज्य की राजधानी था। यहाँ इमारतें और बाकी चीज़ें ऐसे बनायी गयी थीं कि लोग देखते ही रह जाते थे। इस शहर के लोगों को अपनी चौड़ी-चौड़ी सड़कों, बड़े-बड़े बगीचों, मंदिरों और आलीशान महलों पर बहुत गर्व था। लेकिन सपन्याह ने भविष्यवाणी की कि यह खूबसूरत शहर “उजाड़” दिया जाएगा, इसे “रेगिस्तान जैसा सूखा बना” दिया जाएगा।
ईसा पूर्व 7वीं सदी में बैबिलोन की सेना और मादी लोगों की सेना ने मिलकर नीनवे शहर को पूरी तरह तबाह कर दिया। एक किताब बताती है कि इसके बाद “2,500 साल तक लोग इसे भूल ही गए।” यहाँ तक कि एक वक्त पर लोगों को यकीन ही नहीं होता था कि नीनवे शहर भी कभी था। सन् 1850 के आस-पास जाकर खोजकर्ताओं को इस शहर के खंडहर मिले। आज ये खंडहर मिट्टी में मिलते जा रहे हैं या लोग इन्हें बरबाद कर रहे हैं। इस बारे में विश्व धरोहर की देखरेख करनेवाले एक संगठन ने कहा, “यही चलता रहा, तो नीनवे शहर के बचे-खुचे खंडहर भी सदा के लिए दफन हो जाएँगे।”
सपन्याह को इतने समय पहले यह जानकारी कहाँ से मिली? वह खुद बताता है, “यहोवा का संदेश [उसके] पास पहुँचा।”
बाइबल देती है ज़िंदगी के ज़रूरी सवालों के जवाब
बाइबल में ज़िंदगी के ज़रूरी सवालों के जवाब दिए गए हैं। ज़रा कुछ सवालों पर ध्यान दीजिए।
आज दुनिया में इतनी दुख-तकलीफें क्यों हैं?
बाइबल में कई बार बताया गया है कि दुनिया में क्यों इतनी दुख-तकलीफें हैं। जैसे शास्त्र में लिखा है:
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“इंसान, इंसान पर हुक्म चलाकर सिर्फ तकलीफें लाया है।”
—सभोपदेशक 8:9. इंसान शासन करने के काबिल नहीं हैं, ऊपर से वे भ्रष्ट हैं। इस वजह से लोग इतनी तकलीफें झेल रहे हैं।
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“मुसीबत की घड़ी किसी पर भी आ सकती है और हादसा किसी के साथ भी हो सकता है।”
—सभोपदेशक 9:11. बड़ी-बड़ी बीमारियाँ, दुर्घटनाएँ और प्राकृतिक विपत्तियाँ ऐसी मुसीबतें हैं, जो किसी पर, कहीं भी, किसी भी वक्त आ सकती हैं।
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“एक आदमी से पाप दुनिया में आया और पाप से मौत आयी।”
—रोमियों 5:12. जब दुनिया के सबसे पहले आदमी और औरत को बनाया गया, तब उन्हें परिपूर्ण बनाया गया था, जिस वजह से वे कभी नहीं मरते। लेकिन उन्होंने जान-बूझकर अपने बनानेवाले की आज्ञा तोड़कर पाप किया और इस तरह “पाप दुनिया में आया।”
बाइबल इतना ही नहीं बताती कि लोगों पर तकलीफें क्यों आती हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि परमेश्वर दुख-तकलीफें पूरी तरह खत्म कर देगा और लोगों की “आँखों से हर आँसू पोंछ देगा और न मौत रहेगी, न मातम, न रोना-बिलखना, न ही दर्द रहेगा।”
मरने पर हमारा क्या होता है?
बाइबल कहती है कि जब एक इंसान की मौत होती है, तो वह ऐसी दशा में होता है कि उसे कुछ पता नहीं चलता। सभोपदेशक 9:5 में लिखा है, “जो ज़िंदा हैं वे जानते हैं कि वे मरेंगे, लेकिन मरे हुए कुछ नहीं जानते।” मरने पर इंसान के “सारे विचार मिट जाते हैं।” (भजन 146:4) इसका मतलब है कि मरने पर इंसान का दिमाग और उसकी सारी इंद्रियाँ काम करना बंद कर देती हैं। वह न कुछ कर सकता है, न सोच सकता है और न ही कुछ महसूस कर सकता है।
लेकिन बाइबल सिर्फ इतना नहीं बताती कि मरने पर हमारा क्या होता है, यह हमें एक खुशखबरी भी देती है। वह यह कि जो मौत की नींद सो रहे हैं, उन्हें ज़िंदा किया जाएगा।
इंसान को क्यों बनाया गया है?
बाइबल बताती है कि दुनिया के सबसे पहले आदमी और औरत को परमेश्वर यहोवा ने बनाया था। (उत्पत्ति 1:27) तभी पहले पुरुष आदम को “परमेश्वर का बेटा” कहा गया है। (लूका 3:38) इंसान को इसलिए बनाया गया था कि वह धरती पर हमेशा खुशी से जीए, इसे अपनी संतानों से आबाद करे और स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता के साथ दोस्ती करे। इसी वजह से परमेश्वर ने इंसानों में यह चाहत डाली कि वे उसके बारे में ज़्यादा-से-ज़्यादा जानें। तभी तो बाइबल कहती है, “सुखी हैं वे जिनमें परमेश्वर से मार्गदर्शन पाने की भूख है।”
इसके अलावा बाइबल कहती है, “सुखी हैं वे जो परमेश्वर का वचन सुनते हैं और उस पर चलते हैं!” (लूका 11:28) बाइबल से हम न सिर्फ परमेश्वर के बारे में सीख सकते हैं, बल्कि इसमें दी बातों पर चलकर हम आज खुशियों-भरी ज़िंदगी जी सकते हैं और भविष्य में हमेशा की ज़िंदगी पा सकते हैं।
बाइबल के लेखक को जानिए
दुनिया के लाखों लोगों ने बाइबल से जुड़े सबूतों की जाँच की है। उन्हें पूरा यकीन है कि यह बस एक प्राचीन किताब नहीं, बल्कि परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी किताब है। इसके ज़रिए परमेश्वर इंसानों से बात करता है। इस किताब के ज़रिए वह आपसे कहता है कि आप उसे जानें और उससे दोस्ती करें। बाइबल में लिखा है, “परमेश्वर के करीब आओ और वह तुम्हारे करीब आएगा।”
बाइबल पढ़ने और समझने से हमें एक अनोखी आशीष मिलती है। जिस तरह एक किताब पढ़ने से हमें उसके लेखक की सोच के बारे में काफी कुछ पता चलता है, उसी तरह बाइबल पढ़ने से हमें उसके लेखक यानी परमेश्वर की सोच और भावनाओं के बारे में पता चलता है। क्या यह बात आपके लिए कोई मायने रखती है? बेशक। आप अपने बनानेवाले के जज़बात समझ पाते हैं। इसके अलावा बाइबल यह भी बताती है कि
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परमेश्वर का नाम क्या है, उसका स्वभाव कैसा है, उसमें कौन-से लाजवाब गुण हैं।
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आप परमेश्वर के दोस्त कैसे बन सकते हैं।
क्या आप इस बारे में और जानना चाहते हैं? यहोवा के साक्षी आपकी मदद कर सकते हैं। आप मुफ्त में उनसे बाइबल के बारे में सीख सकते हैं। ऐसा करके आप बाइबल के लेखक परमेश्वर यहोवा के दोस्त बन सकते हैं।
इस लेख में सिर्फ कुछ सबूतों पर गौर किया गया है, जिनसे पता चलता है कि बाइबल परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी गयी है। इस बारे में ज़्यादा जानने के लिए बाइबल हमें क्या सिखाती है? किताब का अध्याय 2 पढ़िए। इसे यहोवा ने साक्षियों ने प्रकाशित किया है और यह www.jw.org पर उपलब्ध है या आप यह कोड स्कैन कर सकते हैं
आप www.jw.org वेबसाइट से बाइबल का लेखक असल में कौन है? नाम का वीडियो भी देख सकते हैं
प्रकाशन > वीडियो में देखिए
^ पैरा. 10 बाइबल के मुताबिक यहोवा, परमेश्वर का नाम है।