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मनोरंजन की दुनिया भूत-प्रेत और जादू-टोने को बड़े मज़ेदार तरीके से पेश करती है, लेकिन यह बहुत खतरनाक हो सकता है

पहले पेज का विषय | अलौकिक शक्‍तियाँ—किसका हाथ है इनके पीछे?

जादू-टोने के बारे में बाइबल क्या बताती है?

जादू-टोने के बारे में बाइबल क्या बताती है?

कुछ लोगों का मानना है कि भूत-प्रेत और अलौकिक शक्‍तियों जैसी कोई चीज़ नहीं होती, यह बस मन का वहम है। कुछ कहते हैं कि यह बस फिल्म जगत में कहानी लिखनेवालों के दिमाग की उपज है। लेकिन पवित्र शास्त्र बाइबल कुछ और ही बताती है। इसमें साफ चेतावनी दी गयी है कि हमें भूत-प्रेत या तंत्र-मंत्र से कोई नाता नहीं रखना चाहिए। जैसे इसमें लिखा है, ‘तुममें ऐसा कोई न हो जो ज्योतिषी का काम करता हो, जादू करता हो, शकुन विचारता हो, टोना-टोटका करता हो, मंत्र फूँककर किसी को काबू में करता हो, भविष्य बताता हो, मरे हुओं से संपर्क करने का दावा करता हो या उससे पूछताछ करता हो।’ हमें ये काम क्यों नहीं करने चाहिए? शास्त्र में इसकी वजह बतायी गयी है, ‘जो कोई ऐसे काम करता है वह यहोवा [परमेश्‍वर] की नज़र में घिनौना है। तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में निर्दोष बने रहना।’—व्यवस्थाविवरण 18:10-13.

आखिर बाइबल में भूत-प्रेत और जादू-टोना जैसे कामों की निंदा क्यों की गयी है?

शुरूआत कैसे हुई?

पवित्र शास्त्र में लिखा है कि परमेश्‍वर ने धरती बनाने से पहले करोड़ों स्वर्गदूत बनाए। (अय्यूब 38:4, 7; प्रकाशितवाक्य 5:11) परमेश्‍वर ने इन सभी स्वर्गदूतों को अपने फैसले खुद करने की आज़ादी दी थी यानी वे खुद चुन सकते थे कि वे सही काम करेंगे या गलत। लेकिन कुछ स्वर्गदूतों ने परमेश्‍वर की इच्छा के खिलाफ काम किया। उन्होंने स्वर्ग में अपनी जगह छोड़ दी और धरती पर आकर खलबली मचा दी। इस वजह से धरती पर “हर तरफ खून-खराबा” होने लगा।—उत्पत्ति 6:2-5, 11; यहूदा 6.

पवित्र शास्त्र में बताया गया है कि ये ताकतवर दुष्ट स्वर्गदूत लाखों लोगों को गुमराह कर रहे हैं। (प्रकाशितवाक्य 12:9) इंसानों में भविष्य जानने की जो इच्छा होती है, उसका भी ये दुष्ट स्वर्गदूत गलत फायदा उठाते हैं।—1 शमूएल 28:5, 7; 1 तीमुथियुस 4:1.

कई बार ऐसा लगता है कि कुछ अलौकिक शक्‍तियाँ लोगों की मदद करती हैं। (2 कुरिंथियों 11:14) मगर सच तो यह है कि ऐसा करके दुष्ट स्वर्गदूत इंसानों की आँखों पर परदा डाल रहे होते हैं, ताकि उन्हें परमेश्‍वर के बारे में सच्चाई न पता चले।—2 कुरिंथियों 4:4.

पवित्र शास्त्र से साफ पता चलता है कि दुष्ट स्वर्गदूतों से संपर्क करना कोई मज़े की बात नहीं है, यह बहुत खतरनाक है। पहली सदी में जो लोग यीशु की शिक्षाओं पर चलना चाहते थे, उन्हें जब बताया गया कि जादू-टोने के पीछे किसका हाथ है, तो जानते हैं उन्होंने क्या किया? शास्त्र में लिखा है, “जो जादूगरी की विद्या में लगे हुए थे, [वे] अपनी-अपनी पोथियाँ ले आए और सबके सामने उन्हें जला दिया,” जबकि इन पोथियों की कीमत बहुत ज़्यादा थी।—प्रेषितों 19:19.

“आजकल टीवी पर, फिल्मों और किताबों में जादूगरनियों को बहुत खूबसूरत और लुभावना दिखाया जाता है। शायद इसी वजह से बहुत-सी लड़कियाँ जादू-टोने पर विश्‍वास करने लगी हैं।”—गैलप यूथ सर्वे, 2014

उसी तरह आज भी बहुत-से लोगों ने ठान लिया है कि वे ऐसा कोई काम नहीं करेंगे या ऐसा मनोरंजन नहीं देखेंगे, जिसका जादू-टोने या तंत्र-मंत्र से कोई नाता हो। मानसी * पर ध्यान दीजिए। जब वह 12 साल की थी, तभी से वह कुछ घटनाओं या खतरों के बारे में पहले से बताने लगी थी। वह टैरो कार्ड देखकर अपने साथ पढ़नेवाले बच्चों को बताती कि उनके साथ क्या होनेवाला है। उसकी कही बातें सच निकलती थीं, इसलिए उसे यह सब करने में और भी मज़ा आने लगा।

मानसी को लगता था कि लोगों की मदद करने के लिए उसे ईश्‍वर से वरदान मिला है। लेकिन वह बताती है, “कुछ बातें मुझे परेशान करती थीं। मैं सिर्फ दूसरों के लिए कार्ड पढ़ पाती थी, अपने लिए कभी नहीं, जबकि मैं अपना भविष्य भी जानना चाहती थी।”

मानसी के मन में बहुत-सारे सवाल थे, इसलिए उसने परमेश्‍वर से प्रार्थना की। कुछ समय बाद यहोवा के साक्षियों की उससे मुलाकात हुई। उसने उनके साथ बाइबल पढ़ना शुरू किया। मानसी ने बाइबल से जाना कि भविष्य बताने की उसकी काबिलीयत उसे परमेश्‍वर से नहीं मिली है। उसने यह भी सीखा कि जो परमेश्‍वर से दोस्ती करना चाहते हैं, उन्हें जादू-टोने या भूत-विद्या से जुड़ी कोई भी चीज़ अपने पास नहीं रखनी चाहिए। (1 कुरिंथियों 10:21) मानसी ने जादू-टोने या भूत-विद्या की किताबें और इससे जुड़ी सारी चीज़ें फेंक दीं। उसने पवित्र शास्त्र से जो सच्चाई सीखी, उसे वह अब दूसरों को बताती है।

अब ज़रा मनोज पर ध्यान दीजिए। जब वह नौजवान था, तो उसे ऐसे उपन्यास पढ़ने का बहुत शौक था, जिनके किरदारों में अलौकिक शक्‍ति होती थी। वह कहता है, “मुझे अपनी उम्र के उन किरदारों के बारे में पढ़ना अच्छा लगता था, जो काल्पनिक दुनिया में चले जाते थे।” धीरे-धीरे मनोज उन उपन्यासों के अलावा जादू-मंतर वाली किताबें भी पढ़ने लगा। वह कहता है, “इस बारे में जानने का मेरा और भी मन करने लगा, इसलिए मैं इस विषय पर लिखी और भी किताबें पढ़ने लगा और फिल्में देखने लगा।”

लेकिन बाइबल पढ़ने और उसे समझने पर मनोज को पता चला कि उसे कुछ भी यूँ ही नहीं पढ़ लेना चाहिए। वह कहता है, “मैंने एक कागज़ पर लिखा कि मेरे पास जादू-टोने या तंत्र-मंत्र से जुड़ी कौन-कौन-सी चीज़ें हैं। फिर मैंने उन सबको निकालकर फेंक दिया। मैंने एक अहम सबक सीखा। शास्त्र में 1 कुरिंथियों 10:31 में लिखा है, ‘सबकुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिए करो।’ अब मैं कुछ भी पढ़ने से पहले खुद से पूछता हूँ, ‘कहीं इस किताब में कुछ ऐसा तो नहीं जो परमेश्‍वर को अच्छा नहीं लगेगा?’ अगर हाँ, तो इससे परमेश्‍वर की महिमा नहीं होगी, इसलिए मैं उसे नहीं पढ़ता।”

ठीक ही कहा गया है कि पवित्र शास्त्र बाइबल एक दीपक है। इसके ज्ञान की रौशनी से हमें साफ पता चलता है कि जादू-टोना या तंत्र-मंत्र असल में क्या है। (भजन 119:105) यही नहीं, बाइबल में वादा किया गया है कि बहुत जल्द ऐसा समय आनेवाला है, जब दुष्ट स्वर्गदूत इंसानों को नहीं सताएँगे। इससे इंसानों को बहुत फायदा होगा। जैसे शास्त्र में लिखा है, “बस थोड़े ही समय बाद दुष्टों का नामो-निशान मिट जाएगा, तू उन्हें वहाँ ढूँढ़ेगा जहाँ वे होते थे, मगर वे नहीं होंगे। मगर दीन लोग धरती के वारिस होंगे और बड़ी शांति के कारण अपार खुशी पाएँगे।”—भजन 37:10, 11.

^ पैरा. 10 इस लेख में नाम बदल दिए गए हैं।