अध्ययन लेख 6
गीत 10 यहोवा की जयजयकार करें!
“यहोवा के नाम की तारीफ करो”
“यहोवा के सेवको, उसकी तारीफ करो, यहोवा के नाम की तारीफ करो।”—भज. 113:1.
क्या सीखेंगे?
क्या बात हमें उभारती है कि हम हर मौके पर यहोवा के पवित्र नाम की तारीफ करें?
1-2. जब यहोवा के नाम पर कीचड़ उछाला गया, तो उसे कैसा लगा होगा? समझाइए।
मान लीजिए, आपका कोई अपना आप पर बहुत बड़ा इलज़ाम लगाता है और कुछ लोग उसे सच मान लेते हैं। और बात वहीं नहीं रुकती। वे दूसरों को भी उस बारे में बताने लगते हैं और वे लोग भी उसे सच मान लेते हैं। यह सब देखकर आपको कैसा लगेगा? अगर आप उन लोगों से प्यार करते हैं और आपको फिक्र है कि वे आपके बारे में क्या सोचेंगे, तो आपको बहुत बुरा लगेगा।—नीति. 22:1.
2 इस उदाहरण से हम समझ सकते हैं कि जब यहोवा के नाम पर कीचड़ उछाला गया, तो उसे कैसा लगा होगा। स्वर्ग में रहनेवाले उसके अपने एक बेटे ने उसके बारे में पहली औरत हव्वा से झूठ कहा और उसने उस झूठ पर यकीन कर लिया। इसी वजह से हमारे पहले माता-पिता आदम और हव्वा ने यहोवा से बगावत की। और इस तरह सभी इंसानों में पाप और मौत आयी। (उत्प. 3:1-6; रोमि. 5:12) आज पूरी दुनिया में इंसानों को जो कुछ सहना पड़ रहा है, वह सब उस झूठ की वजह से ही है जो शैतान ने अदन के बाग में बोला था। उसी वजह से आज इंसानों को तरह-तरह की तकलीफें झेलनी पड़ती हैं, युद्ध होते हैं और लोगों की मौत हो जाती है। यह सब देखकर यहोवा को बहुत दुख होता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि वह कड़वाहट से भर गया है। असल में बाइबल कहती है, वह “आनंदित परमेश्वर” है।—1 तीमु. 1:11.
3. हमारे पास क्या खास मौका है?
3 हमारे पास यह खास मौका है कि हम यहोवा का नाम पवित्र कर सकते हैं। कैसे? यह आज्ञा मानकर: “यहोवा के नाम की तारीफ करो।” (भज. 113:1) जब हम लोगों को यह बताते हैं कि यहोवा कौन है और वह कैसा परमेश्वर है, तो हम उसके पवित्र नाम की तारीफ कर रहे होते हैं। क्या आप ऐसा करेंगे? आइए ऐसी तीन खास वजहों पर ध्यान दें जिनके बारे में जानकर हमारा मन करेगा कि हम पूरे दिल से परमेश्वर के नाम की तारीफ करें।
यहोवा के नाम की तारीफ करने से उसे खुशी होती है
4. उदाहरण देकर समझाइए कि जब हम यहोवा की तारीफ करते हैं, तो उसे क्यों खुशी होती है। (तसवीर भी देखें।)
4 जब हम स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता यहोवा के नाम की तारीफ करते हैं, तो उसे बहुत खुशी होती है। (भज. 119:108) ऐसा नहीं है कि उसे हम इंसानों से तारीफ पाने की ज़रूरत है, जैसे इंसानों को तारीफ या हौसले की ज़रूरत होती है। पर जब हम उसकी तारीफ करते हैं, तो उसे अच्छा लगता है। ज़रा एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। एक छोटी-सी लड़की दौड़कर अपने पिता के पास आती है और उनके गले लग जाती है और कहती है, “आप दुनिया के सबसे अच्छे पापा हो!” पिता का चेहरा खुशी से खिल उठता है। अपनी बेटी की यह बात उनके दिल को छू जाती है। ऐसा नहीं था कि वे तारीफ के भूखे थे या वे चाहते थे कि उनकी बेटी उनका हौसला बढ़ाए। इसके बजाय वे इसलिए खुश हुए, क्योंकि वे अपनी बेटी से बहुत प्यार करते हैं और उन्हें यह देखकर भी अच्छा लगा कि उनकी बेटी भी उनसे प्यार करती है और उनकी कदर करती है। और वे जानते हैं कि उनकी बेटी में इस तरह के जो अच्छे गुण हैं, उनकी वजह से वह आगे चलकर खुश रह पाएगी। इस तरह हम समझ सकते हैं कि जब हम अपने महान पिता यहोवा की तारीफ करते हैं, तो उसे क्यों खुशी होती है।
5. परमेश्वर के नाम की तारीफ करके हम शैतान का कौन-सा इलज़ाम झूठा साबित कर सकते हैं?
5 जब हम स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता यहोवा की तारीफ करते हैं, तो हम शैतान के एक और इलज़ाम को झूठा साबित करते हैं जो उसने हम सब पर लगाया है। उसने दावा किया है कि कोई भी इंसान हमेशा परमेश्वर के नाम की पैरवी नहीं करेगा। वह कहता है, अगर एक इंसान पर मुसीबतें आएँ या उसे लगे कि परमेश्वर की बात ना मानने में ही उसकी भलाई है, तो वह उसकी सेवा करना छोड़ देगा। (अय्यू. 1:9-11; 2:4) लेकिन परमेश्वर के वफादार सेवक अय्यूब ने शैतान को झूठा साबित किया। क्या आप भी ऐसा करेंगे? हममें से हरेक के पास यह मौका है कि हम अपने पिता के नाम पर कभी कोई आँच ना आने दें और हमेशा वफादारी से उसकी सेवा करके उसका दिल खुश करें। (नीति. 27:11) यह सच में हमारे लिए किसी सम्मान से कम नहीं है!
6. हम किस तरह राजा दाविद और लेवियों की तरह बन सकते हैं? (नहेमायाह 9:5)
6 यहोवा के वफादार सेवक उससे प्यार करते हैं, इसलिए वे पूरे दिल से उसके नाम की तारीफ करते हैं। राजा दाविद ने लिखा, “मेरा मन यहोवा की तारीफ करे, मेरा रोम-रोम उसके पवित्र नाम की तारीफ करे।” (भज. 103:1) दाविद जानता था कि यहोवा के नाम की तारीफ करने का मतलब है, खुद यहोवा की तारीफ करना। वह इसलिए कि यहोवा नाम सुनते ही मन में एक ऐसे शख्स की तसवीर आ जाती है जिसमें बहुत बढ़िया गुण हैं और जिसने लाजवाब काम किए हैं। इसी वजह से दाविद अपने पिता के नाम को पवित्र करना चाहता था और दिलो-जान से उसकी तारीफ करना चाहता था। वह चाहता था कि उसका “रोम-रोम” यहोवा की तारीफ करे। दाविद की तरह लेवियों ने भी बढ़-चढ़कर यहोवा की तारीफ की। वे नम्र थे, इसलिए उन्होंने कहा कि वे यहोवा के पवित्र नाम की चाहे जितनी भी तारीफ करें, वह कम है। (नहेमायाह 9:5 पढ़िए।) इसमें कोई शक नहीं कि लेवियों की दिल से की गयी तारीफ सुनकर यहोवा बहुत खुश हुआ होगा।
7. हम प्रचार करते वक्त और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कैसे यहोवा की तारीफ कर सकते हैं?
7 आज हम कैसे यहोवा का दिल खुश कर सकते हैं? हम उसके बारे में इस तरह लोगों से बात कर सकते हैं जिससे यह ज़ाहिर हो कि हम उससे बहुत प्यार करते हैं और दिल से उसका एहसान मानते हैं। प्रचार करते वक्त हमारी यही कोशिश रहती है कि लोग यहोवा को जानें, उससे प्यार करें और उसकी तरफ खिंचे चले आएँ। (याकू. 4:8) हमें बाइबल से यहोवा के गुणों के बारे में भी बताना बहुत अच्छा लगता है, जैसे उसके प्यार, न्याय, बुद्धि, ताकत और ऐसे ही दूसरे बढ़िया गुणों के बारे में। इस तरह हम यहोवा के नाम की तारीफ करते हैं। इसके अलावा, जब हम यहोवा की तरह बनने की कोशिश करते हैं, तब भी हम उसके नाम की तारीफ करते हैं और उसका दिल खुश करते हैं। (इफि. 5:1) और जब हम ऐसा करते हैं, तो शायद कुछ लोग इस बात पर ध्यान दें कि हम दुनिया के लोगों से कितने अलग हैं। (मत्ती 5:14-16) रोज़मर्रा के काम करते वक्त जब हम इस तरह के लोगों से मिलते हैं, तो शायद हमें उन्हें यह बताने का मौका मिले कि हम क्यों दुनिया के लोगों की तरह नहीं हैं। इस वजह से अच्छा मन रखनेवाले लोग उसकी तरफ खिंचे चले आते हैं। इन सभी तरीकों से जब हम यहोवा की तारीफ करते हैं, तो उसका दिल बहुत खुश होता है।—1 तीमु. 2:3, 4.
यहोवा के नाम की तारीफ करने से यीशु को खुशी होती है
8. हम क्यों कह सकते हैं कि यीशु ने सबसे बढ़-चढ़कर यहोवा के नाम की तारीफ की?
8 चाहे स्वर्ग में स्वर्गदूत हों या धरती पर इंसान, कोई भी यहोवा को उतनी अच्छी तरह नहीं जानता जितना कि यीशु। (मत्ती 11:27) वह अपने पिता से बहुत प्यार करता है और उसने हमेशा बढ़-चढ़कर यहोवा के नाम की तारीफ की। (यूह. 14:31) अपनी मौत से पहले यीशु ने प्रार्थना में अपने पिता से कहा, “मैंने तेरा नाम [लोगों को] बताया है।” (यूह. 17:26) धरती पर साढ़े तीन साल की सेवा के दौरान यही वह सबसे ज़रूरी काम था जो उसने किया। आइए जानें कि उसने यह कैसे किया।
9. यीशु ने कैसे एक मिसाल देकर अपने पिता के बारे में और भी अच्छी तरह समझाया?
9 यीशु ने लोगों को सिर्फ यह नहीं बताया कि परमेश्वर का नाम यहोवा है। वह जिन यहूदियों को सिखाता था, वे पहले से ही परमेश्वर का नाम जानते थे। फिर भी उसने उन्हें “पिता के बारे में” अच्छी तरह “समझाया।” (यूह. 1:17, 18) जैसे इब्रानी शास्त्र में बताया गया है कि यहोवा दया करनेवाला परमेश्वर है और करुणा से भरा है। (निर्ग. 34:5-7) लेकिन यह बात और भी अच्छी तरह समझाने के लिए यीशु ने खोए हुए बेटे और उसके पिता की मिसाल दी। बाइबल में हम पढ़ते हैं कि बेटा पश्चाताप करता है और अपने पिता के घर लौट आता है। लेकिन जब वह “काफी दूर ही” होता है, तभी पिता की नज़र उस पर पड़ती है और वह दौड़ा-दौड़ा बेटे के पास जाता है और उसे गले लगा लेता है। वह पूरे दिल से उसे माफ कर देता है। इस तरह हम साफ-साफ समझ पाते हैं कि यहोवा कितना दयालु परमेश्वर है, उसके दिल में कितनी करुणा है। (लूका 15:11-32) यीशु ने हमें पिता की बिलकुल वैसी ही तसवीर दिखायी जैसा वह है।
10. (क) हम कैसे जानते हैं कि यीशु ने अपने पिता का नाम लिया और वह चाहता था कि दूसरे भी ऐसा ही करें? (मरकुस 5:19) (तसवीर भी देखें।) (ख) आज यीशु हमसे क्या चाहता है?
10 यीशु चाहता था कि दूसरे लोग भी यहोवा को जानें और उसका नाम लें। उसके ज़माने के कुछ धर्म गुरुओं का शायद मानना था कि परमेश्वर का नाम इतना पवित्र है कि उसे ज़बान पर नहीं लाना चाहिए। लेकिन यीशु ने ऐसी इंसानी परंपराओं को खुद पर हावी नहीं होने दिया और वह अपने पिता के नाम की महिमा करता रहा। ज़रा एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। एक बार गिरासेनियों के इलाके में उसने एक ऐसे आदमी को ठीक किया, जो दुष्ट स्वर्गदूतों के कब्ज़े में था। यह देखकर लोग बहुत डर गए और वे यीशु से बिनती करने लगे कि वह उनके इलाके से चला जाए। (मर. 5:16, 17) लेकिन यीशु चाहता था कि वहाँ भी लोग यहोवा का नाम जानें। इसलिए जाने से पहले उसने उस आदमी से जिसे उसने ठीक किया था, कहा कि वह जाकर लोगों को बताए कि यहोवा ने उसके लिए क्या-क्या किया है, ना कि यीशु ने। (मरकुस 5:19 पढ़िए।) a यीशु आज भी यही चाहता है। वह चाहता है कि पूरी दुनिया में उसके पिता के नाम का ऐलान किया जाए। (मत्ती 24:14; 28:19, 20) जब हम इस काम में हिस्सा लेते हैं, तो हमारा राजा यीशु बहुत खुश होता है।
11. यीशु ने अपने चेलों को क्या प्रार्थना करना सिखाया? और यह प्रार्थना करना क्यों बहुत ज़रूरी है? (यहेजकेल 36:23)
11 यीशु जानता था कि यहोवा का मकसद क्या है। यही कि उसका नाम पवित्र किया जाए और उसके नाम पर लगा हर कलंक मिटा दिया जाए। और इसी वजह से हमारे गुरु ने हमें इस तरह प्रार्थना करना सिखाया, “हे हमारे पिता तू जो स्वर्ग में है, तेरा नाम पवित्र किया जाए।” (मत्ती 6:9) यीशु जानता था कि यहोवा के नाम को पवित्र किया जाना पूरे विश्व में सबसे बड़ा मसला है। (यहेजकेल 36:23 पढ़िए।) और उसने इस नाम को पवित्र करने के लिए जो कुछ किया, उतना इस पूरे जहान में किसी ने नहीं किया। फिर भी जब यीशु को गिरफ्तार किया गया, तो दुश्मनों ने उस पर क्या इलज़ाम लगाया? परमेश्वर की निंदा करने का! यीशु को पता था कि अपने पिता के पवित्र नाम की बदनामी करना सबसे बड़ा पाप है। और वह जानता था कि उस पर यह इलज़ाम लगाया जाएगा। शायद यही वजह थी कि गिरफ्तार होने से कुछ घंटों पहले यीशु का मन ‘दुख और चिंता से छलनी हो गया था।’—लूका 22:41-44.
12. यीशु ने कैसे सबसे मुश्किल घड़ी में भी अपने पिता के नाम को पवित्र किया?
12 अपने पिता के नाम को पवित्र करने के लिए यीशु ने हर तरह का ज़ुल्म, बेइज़्ज़ती और बदनामी सही। लेकिन इस वजह से उसने कोई शर्मिंदगी महसूस नहीं की, क्योंकि वह जानता था कि उसने हमेशा अपने पिता की आज्ञा मानी है। (इब्रा. 12:2) उसे यह भी पता था कि उस मुश्किल घड़ी में शैतान सीधे-सीधे उस पर हमला कर रहा है। (लूका 22:2-4; 23:33, 34) शैतान ने पूरी उम्मीद की थी कि यीशु यहोवा का वफादार नहीं रहेगा, लेकिन उसे मुँह की खानी पड़ी। यीशु ने यह साबित कर दिया कि शैतान कितना बेरहम और झूठा है और इस दुनिया में यहोवा के ऐसे सेवक हैं, जो मुश्किल-से-मुश्किल घड़ी में भी उसके वफादार रहते हैं।
13. आप अपने राजा यीशु को खुश करने के लिए क्या कर सकते हैं?
13 क्या आप अपने राजा यीशु को खुश करना चाहते हैं? तो यहोवा के नाम की तारीफ करते रहिए, दूसरों को यह बताते रहिए कि परमेश्वर असल में कैसा है। जब आप ऐसा करेंगे, तो आप यीशु के नक्शे-कदम पर चल रहे होंगे। (1 पत. 2:21) यीशु की तरह आप यहोवा का दिल खुश कर रहे होंगे और यह साबित कर रहे होंगे कि उसके दुश्मन शैतान ने जो इलज़ाम लगाए हैं, वे एकदम बेबुनियाद हैं।
यहोवा के नाम की तारीफ करने से लोगों की जान बच सकती है
14-15. जब हम लोगों को यहोवा के बारे में सच्चाई बताते हैं, तो इसके क्या नतीजे निकल सकते हैं?
14 जब हम यहोवा के नाम की तारीफ करते हैं, तो इससे लोगों की जान बच सकती है। वह कैसे? शैतान ने ‘अविश्वासियों की बुद्धि अंधी कर दी है।’ (2 कुरिं. 4:4) इस वजह से लोग शैतान की फैलायी झूठी शिक्षाओं पर यकीन कर लेते हैं। जैसे यह कि परमेश्वर है ही नहीं और अगर वह है भी, तो उसे इंसानों की कोई परवाह नहीं, वह बहुत बेरहम है और पाप करनेवालों को हमेशा तड़पाता रहता है। शैतान ने ये झूठ बस इसलिए फैलाए हैं, क्योंकि वह यहोवा का नाम खराब करना चाहता है, उसकी इज़्ज़त मिट्टी में मिलाना चाहता है, ताकि लोग यहोवा के पास आने के बजाय उससे दूर चले जाएँ। लेकिन जब हम प्रचार काम करते हैं, तो शैतान का मकसद नाकाम हो जाता है। हम लोगों को अपने पिता के बारे में सच्चाई बताते हैं और इस तरह उसके पवित्र नाम की तारीफ करते हैं। इससे और क्या फायदा होता है?
15 परमेश्वर के वचन में ज़बरदस्त ताकत है। जब हम बाइबल से लोगों को यहोवा के बारे में सिखाते हैं और उन्हें यह बताते हैं कि वह असल में कैसा परमेश्वर है, तो इसके बहुत बढ़िया नतीजे निकलते हैं। शैतान ने लोगों की आँखों पर झूठ की जो पट्टी बाँध रखी है, वह हट जाती है और फिर लोग हमारी तरह यहोवा से प्यार करने लगते हैं। जब उन्हें यहोवा की बेहिसाब ताकत के बारे में पता चलता है, तो वे विस्मय से भर जाते हैं। (यशा. 40:26) उसके न्याय के बारे में जानकर उन्हें बहुत तसल्ली मिलती है। (व्यव. 32:4) जब उन्हें उसकी लाजवाब बुद्धि के बारे में पता चलता है, तो मानो उनकी आँखें खुल जाती हैं। (यशा. 55:9; रोमि. 11:33) और जब वे यह सीखते हैं कि बाइबल में बताया गया है, यहोवा प्यार है, तो उन्हें इससे बहुत दिलासा मिलता है। (1 यूह. 4:8) वे यहोवा की तरफ खिंचे चले आते हैं, उसके साथ उनका रिश्ता मज़बूत होता चला जाता है और उनकी यह आशा पक्की होती जाती है कि वे उसके बच्चों के तौर पर हमेशा जीएँगे। सच में, पिता यहोवा के करीब आने में लोगों की मदद करना कितनी अनोखी और बढ़िया ज़िम्मेदारी है! जब हम यह ज़िम्मेदारी निभाते हैं, तो यहोवा हमें अपना “सहकर्मी” मानता है।—1 कुरिं. 3:5, 9.
16. परमेश्वर का नाम जानकर कुछ लोगों को कैसा लगा? उदाहरण दीजिए।
16 शुरू-शुरू में हम शायद लोगों को बस इतना ही बताएँ कि परमेश्वर का नाम यहोवा है। इतनी सी बात ही अच्छा मन रखनेवाले कई लोगों के दिलों में घर कर जाती है। आलिया b नाम की एक नौजवान के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। उसकी परवरिश एक ऐसे परिवार में हुई थी जिसमें कोई बाइबल को नहीं मानता था। वह अपने धर्म से भी खुश नहीं थी और उसे लगता था कि ईश्वर उससे बहुत दूर है। लेकिन जब उसने यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल अध्ययन करना शुरू किया, तो उसकी सोच बदल गयी। वह समझ पायी कि परमेश्वर उसका दोस्त बन सकता है। उसे यह जानकर भी हैरानी हुई कि बाइबल के कई अनुवादों से परमेश्वर का नाम निकाल दिया गया है और उसकी जगह “प्रभु” जैसी उपाधियाँ डाल दी गयी हैं। जब उसने यहोवा का नाम जाना, तो यह उसके लिए बहुत खास पल था। उसने खुशी से कहा, “मेरे सबसे अच्छे दोस्त का एक नाम भी है!” यह सच्चाई जानने से उसे क्या फायदा हुआ? वह कहती है, “अब मैं बहुत सुकून महसूस करती हूँ। मैं बहुत खुश हूँ कि मुझे यहोवा को जानने का मौका मिला।” अब ज़रा स्टीव नाम के एक आदमी के उदाहरण पर ध्यान दीजिए, जो पहले एक संगीतकार था। उसकी परवरिश एक कट्टर यहूदी परिवार में हुई थी। लेकिन धीरे-धीरे उसने धर्म से नाता तोड़ लिया था, क्योंकि उसने देखा था कि धर्मों में सिखाया कुछ जाता है और लोग करते कुछ और हैं। लेकिन जब उसकी माँ गुज़र गयीं और वह उस गम से उबर ही रहा था, तो वह एक बाइबल अध्ययन पर बैठा जो यहोवा का एक साक्षी चला रहा था। जब उसने परमेश्वर का नाम सुना, तो उसे बहुत अच्छा लगा। उसने कहा, “मैंने पहले कभी परमेश्वर का नाम नहीं सुना था।” उसने यह भी कहा, “मैंने पहली बार यह जाना कि परमेश्वर सच में है और उसमें हमारी जैसी भावनाएँ और गुण हैं। मैं समझ गया कि मुझे एक दोस्त मिल गया है।”
17. आपने क्यों ठान लिया है कि आप हमेशा यहोवा के नाम की तारीफ करते रहेंगे? (तसवीर भी देखें।)
17 क्या आप प्रचार करते और सिखाते वक्त लोगों को बताते हैं कि परमेश्वर का नाम यहोवा है? क्या आप उन्हें समझाते हैं कि हमारा परमेश्वर असल में कैसा है? ऐसा करके आप परमेश्वर के नाम की तारीफ कर रहे होते हैं। हमारी दुआ है कि आप हमेशा यहोवा के पवित्र नाम की तारीफ करते रहें और उसे जानने में लोगों की मदद करते रहें। इस तरह आप हमारे राजा यीशु के नक्शे-कदम पर चल रहे होंगे, आप लोगों की जान बचा पाएँगे और सबसे बढ़कर पिता यहोवा का दिल खुश कर पाएँगे जो हमसे बहुत प्यार करता है। तो आइए ‘सदा तक उसके नाम की तारीफ करते रहें।’—भज. 145:2.
जब हम यहोवा के नाम की तारीफ करते हैं, तो इससे कैसे . . .
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यहोवा खुश होता है?
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यीशु खुश होता है?
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लोगों की जान बच सकती है?
गीत 2 यहोवा तेरा नाम
a सबूतों से पता चलता है कि शुरूआत में जब मरकुस ने यीशु की कही यह बात लिखी, तो उसने परमेश्वर का नाम लिखा था। इसीलिए पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद बाइबल में इस आयत में यहोवा नाम लिखा गया है। इस आयत पर दिया अध्ययन नोट देखें।
b इस लेख में लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।