अध्ययन लेख 28
हमेशा परमेश्वर का डर मानें और आशीषें पाएँ
“सिधाई की राह पर चलनेवाला यहोवा का डर मानता है।”—नीति. 14:2.
गीत 122 अटल रहें!
एक झलक a
1-2. लूत की तरह आज मसीहियों को किस मुश्किल का सामना करना पड़ता है?
आज दुनिया में लोगों के नैतिक स्तर दिन-ब-दिन गिरते जा रहे हैं। यह सब देखकर हम लूत की तरह महसूस करते हैं। वह “दुष्टों के निर्लज्ज कामों को देखकर आहें भरता था,” क्योंकि वह जानता था कि यहोवा ऐसे कामों से नफरत करता है। (2 पत. 2:7, 8) लूत परमेश्वर का डर मानता था और उससे प्यार करता था, इसलिए उसने अपने आस-पास के लोगों के तौर तरीके नहीं अपनाए। आज हमारे चारों तरफ भी ऐसे लोग हैं जो अपने हिसाब से ज़िंदगी जीते हैं और यहोवा के नैतिक स्तरों की कोई कदर नहीं करते। लेकिन अगर हम अपने दिल में परमेश्वर के लिए सही किस्म का डर पैदा करें और उससे प्यार करें, तो हम इन लोगों के बीच रहते हुए भी नैतिक तौर पर शुद्ध बने रह पाएँगे।—नीति. 14:2.
2 ऐसा करने में यहोवा हमारी मदद करता है। वह कैसे? उसने नीतिवचन की किताब में बहुत ही बढ़िया सलाह लिखवायी है जिससे नैतिक तौर पर शुद्ध बने रहने का हमारा इरादा और पक्का हो सकता है। इसमें दी सलाह मानने से आदमी-औरत, बूढ़े-जवान सभी मसीहियों को फायदा हो सकता है।
परमेश्वर का डर मानने से हमारी हिफाज़त होती है
3. नीतिवचन 17:3 के मुताबिक, अपने दिल की हिफाज़त करने की एक वजह क्या है? (तसवीर भी देखें।)
3 अपने दिल की हिफाज़त करने की एक वजह यह है कि यहोवा हमारे दिलों को जाँचता है। इसका मतलब वह ना सिर्फ इस बात पर ध्यान देता है कि हम बाहर से कैसे दिखते हैं, बल्कि वह यह भी देखता है कि हम अंदर से कैसे हैं। (नीतिवचन 17:3 पढ़िए।) उसने बहुत-सी बुद्धि-भरी बातें लिखवायी हैं, जिन्हें मानने से हमें जीवन मिल सकता है। (यूह. 4:14) अगर हम उन पर ध्यान दें, तो हमारे मन में शैतान और उसकी दुनिया की फैलायी झूठी और अनैतिक बातों के लिए कोई जगह नहीं होगी जो ज़हर की तरह हैं। (1 यूह. 5:18, 19) फिर यहोवा हमसे और भी प्यार करेगा। और जैसे-जैसे हम यहोवा के करीब आएँगे, हम उससे और भी प्यार करने लगेंगे और उसका आदर करने लगेंगे। फिर हम ऐसा कुछ नहीं करना चाहेंगे, जिससे हमारे पिता यहोवा का दिल दुखे। हमें पाप करने के खयाल से ही नफरत हो जाएगी। और अगर कभी हमें कुछ गलत करने के लिए लुभाया जाए, तो हम सोचेंगे, ‘मैं यह गलत काम करके उसका दिल कैसे दुखा सकता हूँ जो मुझसे इतना प्यार करता है?’—1 यूह. 4:9, 10.
4. यहोवा का डर मानने की वजह से एक बहन की हिफाज़त कैसे हुई?
4 क्रोएशिया में रहनेवाली बहन मार्टा को अनैतिक काम करने के लिए लुभाया गया था। वे इस बारे में बताती हैं, “मैं ठीक से सोच नहीं पा रही थी। पाप करके पल-भर की खुशी पाने की इच्छा इतनी ज़बरदस्त हो गयी थी कि उसे दबाना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो गया था। लेकिन यहोवा का डर मानने की वजह से मेरी हिफाज़त हो पायी।” b परमेश्वर का डर मानने से बहन की हिफाज़त कैसे हुई? उन्होंने इस बारे में बहुत सोचा कि अनैतिक काम करने से उन्हें कितने बुरे अंजाम भुगतने पड़ सकते हैं। हम भी गलत कामों के बुरे अंजामों के बारे में सोच सकते हैं। ऐसे कामों का सबसे बुरा अंजाम तो यह होगा कि हम यहोवा का दिल दुखाएँगे और हमेशा तक उसकी उपासना भी नहीं कर पाएँगे।—उत्प. 6:5, 6.
5. आप भाई लियो से क्या सीख सकते हैं?
5 जब हम यहोवा का डर मानेंगे, तो हम यह सफाई नहीं देंगे कि मैं जो कर रहा हूँ वह इतना भी बुरा नहीं है। कांगो में रहनेवाले भाई लियो ने गलती करने के बाद यह बात सीखी। उनके बपतिस्मे के चार साल बाद उनकी कुछ ऐसे लोगों से दोस्ती हो गयी जो बुरे काम करते थे। भाई सोचने लगे, ‘इन लोगों से दोस्ती करने में क्या बुराई है, मैं कौन-सा उनकी तरह पाप कर रहा हूँ।’ लेकिन देखते-ही-देखते भाई भी अपने दोस्तों की तरह खूब शराब पीने लगे और अनैतिक काम कर बैठे। मगर बाद में वे उन बातों के बारे में सोचने लगे, जो उनके मम्मी-पापा ने सिखायी थीं और यह भी कि जब वह उनके साथ यहोवा की उपासना करते थे, तो कितने खुश रहते थे। यह सब सोचने से भाई को मानो होश आया। फिर प्राचीनों की मदद से भाई यहोवा के पास लौट आए। आज वे एक प्राचीन और खास-पायनियर के तौर पर सेवा कर रहे हैं।
6. अब हम किन दो औरतों के बारे में चर्चा करेंगे?
6 आइए अब हम नीतिवचन अध्याय 9 पर ध्यान दें जहाँ दो औरतों के बारे में बताया गया है। एक बुद्धि को दर्शाती है और दूसरी मूर्खता को। c याद रखिए कि शैतान की दुनिया अनैतिक काम (सेक्स) करने और गंदी तसवीरें और वीडियो (पोर्नोग्राफी) देखने के पीछे पागल है। (इफि. 4:19) इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि हम हमेशा यहोवा का डर मानें और बुराई से मुँह फेरें। (नीति. 16:6) इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम नीतिवचन अध्याय 9 पर चर्चा करेंगे। इससे आदमी-औरतों सभी को बहुत फायदा हो सकता है। इस अध्याय में बतायी दोनों ही औरतें नादान लोगों को यानी “जिनमें समझ नहीं” है, बुला रही हैं और कह रही हैं, “आओ और मेरे यहाँ रोटी खाओ।” (नीति. 9:1, 5, 6, 13, 16, 17) लेकिन दोनों का बुलावा कबूल करने के जो नतीजे होंगे, उनमें ज़मीन-आसमान का फर्क है।
मूर्ख औरत का बुलावा ठुकरा दीजिए
7. नीतिवचन 9:13-18 के मुताबिक मूर्ख औरत का बुलावा कबूल करनेवाले का क्या अंजाम होता है? (तसवीर भी देखें।)
7 ज़रा “मूर्ख औरत” के बुलावे पर गौर कीजिए। (नीतिवचन 9:13-18 पढ़िए।) जिन लोगों में समझ नहीं है, उन्हें वह बेशर्म होकर आवाज़ लगाती है, ‘इधर आओ’ और दावत का मज़ा लो। लेकिन इसका अंजाम क्या होता है? उसी अध्याय में आगे बताया गया है, “उसका घर मुरदों का घर है।” आपको शायद याद होगा कि इस किताब के पिछले कुछ अध्यायों में भी एक ऐसी ही औरत से खबरदार रहने के लिए कहा गया है, जो “नीच” और “बदचलन” है। वहाँ कहा गया है, “उसके घर जाना, मौत के मुँह में जाना है।” (नीति. 2:11-19) और नीतिवचन 5:3-10 में एक और “बदचलन औरत” के बारे में खबरदार किया गया है, जिसके “पैर मौत की तरफ बढ़ते हैं।”
8. हमें क्या फैसला लेना पड़ सकता है?
8 जो लोग “मूर्ख औरत” का बुलावा सुनते हैं, उन्हें एक फैसला करना होता है: क्या वे उसका बुलावा कबूल करेंगे या उसे ठुकरा देंगे? आज हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही हो सकता है। शायद हमें अनैतिक काम करने के लिए लुभाया जाए या सोशल मीडिया या इंटरनेट पर अचानक कोई गंदी तसवीर या वीडियो खुल जाए। यह ऐसा होगा मानो मूर्ख औरत हमें आवाज़ लगा रही हो। ऐसे में हमें फैसला करना होगा कि हम क्या करेंगे।
9-10. हमें अनैतिक काम करने से क्यों दूर रहना चाहिए?
9 नाजायज़ यौन-संबंध रखने के बहुत बुरे अंजाम होते हैं, इसलिए हमें उनसे दूर रहना चाहिए। “मूर्ख औरत” कहती है, “चोरी का पानी मीठा होता है।” ‘चोरी के पानी’ का क्या मतलब है? बाइबल में बताया गया है कि पति-पत्नी आपस में जो संबंध रखते हैं, वे ताज़गी देनेवाले पानी की तरह हैं। (नीति. 5:15-18) अगर एक आदमी-औरत की कानूनी तौर पर शादी हुई है, तो वे एक-दूसरे के साथ स्वाभाविक तौर पर संबंध रखकर खुशी पा सकते हैं। लेकिन ‘चोरी के पानी’ के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। इसका मतलब नाजायज़ यौन-संबंध हो सकते हैं। ऐसे काम अकसर छिपकर किए जाते हैं, जैसे लोग अकसर छिपकर चोरी करते हैं। “चोरी का पानी” उन लोगों को खासकर और भी मीठा लग सकता है जिन्हें लगता है कि उन्होंने जो किया है, उस बारे में किसी को पता नहीं चलेगा। ऐसे लोग खुद को कितना बड़ा धोखा देते हैं। यहोवा सबकुछ देखता है! सच तो यह है कि यह अनुभव “मीठा” नहीं, बल्कि बहुत ही कड़वा होता है, क्योंकि ऐसा करके एक व्यक्ति यहोवा की मंज़ूरी खो देता है। (1 कुरिं. 6:9, 10) पर इसके और भी कई बुरे अंजाम होते हैं।
10 नाजायज़ यौन-संबंध रखने के बाद कई लोग शर्म के मारे दूसरों से नज़रें नहीं मिला पाते और खुद को बेकार समझने लगते हैं। इसके अलावा, परिवार टूट सकते हैं और एक औरत ना चाहते हुए भी गर्भवती हो सकती है। इसलिए भलाई इसी में है कि हम मूर्ख औरत के “घर” ना जाएँ और उसकी दावत का मज़ा ना लें। जो लोग अनैतिक काम करते हैं, उनका यहोवा के साथ रिश्ता टूट जाता है। एक मायने में उनकी मौत हो जाती है। इसके अलावा, बहुत-से लोगों को ऐसी बीमारियाँ लग जाती हैं जिनकी वजह से वक्त से पहले ही उनकी सचमुच में मौत हो जाती है। (नीति. 7:23, 26) अध्याय 9 के आखिर में कितना सही लिखा है, ‘मूर्ख औरत के मेहमान कब्र की गहराइयों में पड़े हैं।’ (आयत 18) जब मूर्ख औरत का बुलावा कबूल करने के इतने बुरे अंजाम होते हैं, तो फिर क्यों बहुत-से लोग उसके घर जाते हैं?—नीति. 9:13-18.
11. पोर्नोग्राफी देखना क्यों बहुत खतरनाक है?
11 आज बहुत-से लोग पोर्नोग्राफी देखने के फंदे में फँस जाते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि इसे देखने में कोई बुराई नहीं। लेकिन सच तो यह है कि इसे देखने से लोगों को बहुत नुकसान होता है। वे अपनी ही नज़रों में गिर जाते हैं और दूसरों को भी गलत नज़र से देखने लगते हैं और उन्हें इसे देखने की लत लग जाती है। जब कोई गंदी तसवीरें देखता है, तो वे उसके दिमाग में छप जाती हैं और फिर उन्हें निकालना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा पोर्नोग्राफी बुरी इच्छाएँ दबाती नहीं, बल्कि उन्हें भड़काती है। (कुलु. 3:5; याकू. 1:14, 15) जो लोग पोर्नोग्राफी देखते हैं, उनमें से बहुत-से लोग आगे चलकर अनैतिक काम कर बैठते हैं।
12. अगर हम चाहते हैं कि हमारे मन में बुरे खयाल ना आएँ, तो हमें क्या करना होगा?
12 अगर हमारे फोन या कंप्यूटर वगैरह पर अचानक कोई गंदी (पोर्नोग्राफी वाली) तसवीर आ जाए, तो हम मसीहियों को क्या करना चाहिए? हमें तुरंत उससे अपनी नज़रें हटा लेनी चाहिए। उस वक्त अगर हम याद रखें कि यहोवा के साथ हमारा रिश्ता कितना अनमोल है, तो हम यह कदम उठा पाएँगे। हो सकता है, कोई तसवीर इतनी गंदी ना हो, लेकिन उसे देखने से हमारे मन में अनैतिक खयाल आएँ। इस तरह की तसवीरें भी हमें क्यों नहीं देखनी चाहिए? क्योंकि हम ऐसा कुछ नहीं करना चाहते जिससे हमारे मन में बुरे खयाल आएँ या हम दिल में व्यभिचार कर बैठें। (मत्ती 5:28, 29) थाईलैंड में रहनेवाले भाई डेविड जो एक प्राचीन हैं, कहते हैं, “मैं सोचता हूँ, ‘भले ही कोई तसवीर इतनी गंदी ना हो, लेकिन अगर मैं उसे देखता रहूँ, तो क्या यहोवा मुझसे खुश होगा?’ इस तरह सोचने से मैं सही कदम उठा पाता हूँ।”
13. क्या बात याद रखने से हम बुद्धि से काम ले पाएँगे?
13 अगर हममें इस बात का डर हो कि कोई गलत काम करने से हम यहोवा का दिल दुखाएँगे, तो हम बुद्धि से काम लेंगे। असल में, परमेश्वर का डर मानना “बुद्धि की शुरूआत” है। (नीति. 9:10) यही बात नीतिवचन अध्याय 9 की पहली कुछ आयतों में समझायी गयी है। वहाँ एक और औरत के बारे में बताया गया है, जो “सच्ची बुद्धि” को दर्शाती है।
बुद्धिमान औरत का बुलावा कबूल कीजिए
14. नीतिवचन 9:1-6 में क्या बुलावा दिया गया है?
14 नीतिवचन 9:1-6 पढ़िए। इन आयतों में हमें एक और बुलावा दिया गया है। यह बुलावा यहोवा की तरफ से है, जो हमारा बनानेवाला है और सबको बुद्धि देता है। (नीति. 2:6; रोमि. 16:27) इन आयतों में एक बड़े घर के बारे में बताया गया है, जो सात खंभों पर खड़ा है। इससे पता चलता है कि यहोवा का दिल बहुत बड़ा है, वह सभी को यह बुलावा दे रहा है कि वे उससे सीखें और बुद्धिमान बनें।
15. यहोवा हमें क्या करने का बढ़ावा देता है?
15 यहोवा एक उदार परमेश्वर है और हमें बहुत-सी अच्छी चीज़ें देना चाहता है। यही बात हम नीतिवचन अध्याय 9 में बतायी उस औरत के उदाहरण से समझ सकते हैं जो “सच्ची बुद्धि” को दर्शाती है। उसने अपने मेहमानों के लिए गोश्त बनाया है, दाख-मदिरा तैयार की है और खाने की मेज़ सजायी है। (नीति. 9:2) आयत 4 और 5 में लिखा है, “जिनमें समझ नहीं, उनसे वह [सच्ची बुद्धि] कहती है, ‘आओ और मेरे यहाँ रोटी खाओ।’” यहोवा हमें बढ़ावा देता है कि हम “सच्ची बुद्धि” का बुलावा कबूल करें और उसने जो दावत तैयार की है, उसका मज़ा लें। वह क्यों? क्योंकि यहोवा चाहता है कि उसके बच्चे बुद्धिमान बनें और सुरक्षित रहें। वह यह नहीं चाहता कि हम गलती करके पछताएँ और फिर सीखें। यहोवा के पास “ऐसी बुद्धि का भंडार है, जिससे सीधे लोगों को फायदा होता है।” (नीति. 2:7) अगर हम परमेश्वर का डर मानें, तो हम उसे खुश करने की कोशिश करेंगे। हम उसकी बुद्धि-भरी सलाह पर ध्यान देंगे और खुशी से उसे मानेंगे।—याकू. 1:25.
16. परमेश्वर का डर मानने की वजह से भाई ऐलन कैसे सही फैसला ले पाए और इसका क्या नतीजा हुआ?
16 ध्यान दीजिए कि परमेश्वर का डर मानने की वजह से ऐलन नाम के एक भाई कैसे सही फैसला ले पाए। वे एक प्राचीन हैं और एक स्कूल में पढ़ाते हैं। वे बताते हैं, “मेरे स्कूल के कई टीचरों का मानना था कि पोर्नोग्राफी वाली फिल्में देखने में कोई बुराई नहीं है। वे कहते थे कि यह बस सेक्स के बारे में जानकारी लेने का एक तरीका है।” पर भाई जानते थे कि यह गलत है। वे कहते हैं, “मैं परमेश्वर का डर मानता था, इसलिए मैंने ऐसी फिल्में देखने से साफ इनकार कर दिया। मैंने उन टीचरों को यह भी बताया कि मैं क्यों ऐसी फिल्में नहीं देखता।” भाई ने “सच्ची बुद्धि” की पुकार सुनी और ‘समझ की राह पर सीधे चलते गए।’ (नीति. 9:6) भाई अपने फैसले पर डटे रहे। यह देखकर कुछ टीचरों को इतना अच्छा लगा कि वे भी बाइबल अध्ययन करने लगे और हमारी सभाओं में आने लगे।
17-18. जो लोग “सच्ची बुद्धि” की पुकार सुनते हैं, उन्हें आज कौन-सी आशीषें मिल रही हैं और उनका भविष्य कैसा होगा? (तसवीर भी देखें।)
17 दो औरतों का उदाहरण देकर यहोवा हमें समझाना चाहता है कि एक अच्छा भविष्य पाने के लिए हमें क्या करना होगा। जो लोग बक-बक करनेवाली “मूर्ख औरत” का बुलावा कबूल करते हैं, वे सिर्फ छिपकर अनैतिक कामों का मज़ा लेना चाहते हैं। वे बस आज के लिए जीते हैं और आगे की ज़रा भी नहीं सोचते। उन्हें एहसास ही नहीं है कि उनका भविष्य “कब्र की गहराइयों में” है।—नीति. 9:13, 17, 18.
18 मगर जो लोग “सच्ची बुद्धि” का बुलावा कबूल करते हैं, उनका भविष्य कितना अच्छा होगा। सच्ची बुद्धि ने अपने मेहमानों के लिए जो बढ़िया दावत रखी है, तरह-तरह का जो लज़ीज़ खाना तैयार किया है, वे आज उसका मज़ा ले रहे हैं और यहोवा के करीब आ रहे हैं। (यशा. 65:13) यहोवा ने भविष्यवक्ता यशायाह के ज़रिए कहा था, “मेरी बात ध्यान से सुनो! बढ़िया खाना खाओ, तब तुम चिकना-चिकना खाना खाकर खुश हो जाओगे।” (यशा. 55:1, 2) आज हम सीख रहे हैं कि हमें उन बातों से प्यार करना है, जिनसे यहोवा प्यार करता है और उन बातों से नफरत करनी है, जिनसे वह नफरत करता है। (भज. 97:10) हम दूसरों को भी “सच्ची बुद्धि” की पुकार सुनने का बुलावा देते हैं। एक तरह से हम ‘शहर की ऊँची जगहों से यह पुकार रहे हैं, “जो नादान हैं, वे इधर आएँ।”’ इससे हमें बहुत खुशी मिलती है। जो कोई बुद्धि की पुकार सुनता है, उसे ना सिर्फ आज फायदा होता है बल्कि आगे चलकर भी फायदे होंगे। वह हमेशा “जीवित” रहेगा और ‘समझ की राह पर सीधा चलता जाएगा।’—नीति. 9:3, 4, 6.
19. सभोपदेशक 12:13, 14 के मुताबिक हमें क्या ठान लेना चाहिए? (“ परमेश्वर का डर मानने के फायदे” नाम का बक्स भी देखें।)
19 सभोपदेशक 12:13, 14 पढ़िए। आइए हम ठान लें कि हम हमेशा परमेश्वर का डर मानेंगे। इस तरह इन आखिरी दिनों में भी हम अपने दिल की हिफाज़त कर पाएँगे, नैतिक तौर पर शुद्ध बने रहेंगे और यहोवा के साथ हमारा रिश्ता मज़बूत बना रहेगा। परमेश्वर का डर होने से हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को बुलावा देते रहेंगे कि वे “सच्ची बुद्धि” की पुकार सुनें और उससे फायदा पाएँ।
गीत 127 यहोवा चाहे जैसा, बनूँ मैं वैसा
a मसीहियों को अपने दिल में परमेश्वर के लिए सही किस्म का डर पैदा करना चाहिए। इस तरह हम अपने दिल की हिफाज़त कर पाएँगे और अनैतिक काम करने और पोर्नोग्राफी देखने के फंदे में नहीं फँसेंगे। इस लेख में हम नीतिवचन के अध्याय 9 पर चर्चा करेंगे, जिसमें दो औरतों के बारे में बताया गया है। एक मूर्खता को दर्शाती है और एक सच्ची बुद्धि को। इस अध्याय पर चर्चा करने से हमें आज भी फायदे होंगे और भविष्य में भी।
b इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।
c बाइबल की दूसरी आयतों में भी कुछ बातों को ऐसे बताया गया है मानो वे व्यक्ति हों। उदाहरण के लिए, रोमियों 5:14 और गलातियों 4:24 पढ़ें।