सच्ची दौलत को ढूँढ़ने में लगे रहिए
“बेईमानी की दौलत से अपने लिए दोस्त बना लो।”
गीत: 32, 154
1, 2. शैतान की इस दुनिया में गरीबी क्यों रहेगी?
आज की अर्थव्यवस्था बहुत बेरहम है और इसमें लोगों के साथ भेदभाव होता है। मिसाल के लिए, कई नौजवान नौकरी की तलाश में मारे-मारे फिरते हैं लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिलती। वहीं कुछ लोग अमीर देशों में जाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। मगर वहाँ भी गरीबी है और अमीर-गरीब के बीच का फासला बढ़ता जा रहा है। हाल के कुछ आँकड़े दिखाते हैं कि दुनिया की 99 प्रतिशत आबादी के पास कुल मिलाकर जितना पैसा है, उतना पैसा सबसे रईस लोगों की 1 प्रतिशत आबादी के पास है। इससे साफ पता चलता है कि कुछ लोगों के पास इतना पैसा है कि उनकी कई पुश्तें बैठकर खा सकती हैं, वहीं दूसरी तरफ अरबों लोग गरीबी में जीते हैं। इस बात को जानते हुए यीशु ने कहा था, “गरीब तो हमेशा तुम्हारे साथ होंगे।” (मर. 14:7) आखिर लोगों के साथ यह अन्याय क्यों हो रहा है?
2 यीशु जानता था कि परमेश्वर का राज ही इस दुनिया की अर्थव्यवस्था को बदलेगा। बाइबल बताती है कि राजनीति और धर्म के साथ-साथ “सौदागर” यानी व्यापार व्यवस्था भी शैतान की दुनिया का हिस्सा है। (प्रका. 18:3) यहोवा के लोग राजनीति और झूठे धर्मों से अपने आपको पूरी तरह अलग रखते हैं। लेकिन ज़्यादातर सेवकों के लिए इस दुनिया की अर्थव्यवस्था से पूरी तरह दूर रहना मुमकिन नहीं।
3. हम किन सवालों पर गौर करेंगे?
3 हम मसीहियों को जाँचने की ज़रूरत है कि दुनिया के व्यापार जगत के बारे में हमारा क्या रवैया है। ऐसा करने के लिए हम खुद से पूछ सकते हैं, ‘मैं किस तरह अपनी धन-संपत्ति का इस्तेमाल कर सकता हूँ जिससे यह साबित हो कि मैं परमेश्वर का वफादार हूँ? मैं क्या कर सकता हूँ ताकि धन-दौलत के चक्कर में मेरा ज़्यादा वक्त और मेहनत ज़ाया न हो? कौन-से अनुभव दिखाते हैं कि आज परमेश्वर के लोग उस पर पूरा भरोसा रखते हैं?’
बेईमान प्रबंधक की मिसाल
4, 5. (क) यीशु की मिसाल में प्रबंधक के साथ क्या हुआ? (ख) यीशु ने अपने चेलों को क्या करने के लिए कहा?
4 लूका 16:1-9 पढ़िए। यीशु ने बेईमान प्रबंधक की जो मिसाल दी वह हमें सोचने पर मजबूर कर देती है। उस प्रबंधक के बारे में शिकायत की गयी कि वह अपने मालिक के माल की बरबादी कर रहा है। मालिक ने उसे नौकरी से निकालने का फैसला किया। * मगर प्रबंधक ने “होशियारी से काम लिया।” उसने उन लोगों से दोस्ती की जो बाद में उसकी मदद कर सकते थे। यीशु इस मिसाल से यह नहीं कह रहा था कि उसके चेले गुज़ारा करने के लिए बेईमानी करे। ऐसा तो दुनिया के लोग करते हैं। इसके बजाय यीशु इस मिसाल से हमें एक ज़रूरी सीख दे रहा था।
5 यीशु जानता था कि जिस तरह उस प्रबंधक को अचानक मुश्किल हालात का सामना करना पड़ा, उसी तरह उसके चेलों को भी अन्याय से भरी इस दुनिया में अपना गुज़ारा करना मुश्किल होगा। इसलिए उसने कहा, “बेईमानी की दौलत से अपने लिए दोस्त बना लो ताकि जब यह दौलत न रहे, तो ये दोस्त [यानी यहोवा और यीशु] तुम्हें उन जगहों में ले लें जो हमेशा बनी रहेंगी।” यीशु की इस सलाह से हम क्या सीख सकते हैं?
6. परमेश्वर का मकसद क्या नहीं था?
6 यीशु ने यह नहीं समझाया कि उसने दौलत को “बेईमानी की दौलत” क्यों कहा। लेकिन बाइबल से साफ पता चलता है कि परमेश्वर का यह मकसद कभी नहीं था कि इंसान खरीदे-बेचे और बहुत पैसा कमाए। यहोवा ने खुद भी अदन के बाग में दिल खोलकर आदम और हव्वा की ज़रूरतें पूरी कीं। (उत्प. 2:15, 16) आगे चलकर जब उसने अभिषिक्त जनों को अपनी पवित्र शक्ति दी तो “उनमें से कोई भी अपनी संपत्ति को अपना नहीं कहता था, बल्कि सब चीज़ें वे आपस में बाँट लेते थे।” (प्रेषि. 4:32) यशायाह ने एक ऐसे वक्त के बारे में भविष्यवाणी की जब सब लोग धरती की चीज़ों का जी-भरकर मज़ा लेंगे। (यशा. 25:6-9; 65:21, 22) लेकिन तब तक यीशु के चेलों को “होशियारी से काम” लेना होगा। उन्हें “बेईमानी की दौलत” से अपना गुज़ारा करने के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि वे यहोवा की मंज़ूरी न खोएँ।
अपनी दौलत का सही इस्तेमाल कीजिए
7. लूका 16:10-13 में यीशु ने क्या सलाह दी?
7 लूका 16:10-13 पढ़िए। यीशु की मिसाल में बताए प्रबंधक ने अपने फायदे के लिए दोस्त बनाए। लेकिन यीशु ने अपने चेलों को बढ़ावा दिया कि वे बिना किसी लालच के स्वर्ग में दोस्त बनाएँ। वह यह समझाना चाहता था कि हम अपनी दौलत का जिस तरह इस्तेमाल करते हैं उससे साबित कर सकते हैं कि हम परमेश्वर के वफादार हैं या नहीं। हम अपनी दौलत का सही इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं?
8, 9. बताइए कि कुछ भाई-बहन किस तरह अपनी दौलत का सही इस्तेमाल करते हैं।
8 एक तरीका है, दुनिया-भर में हो रहे प्रचार काम के लिए दान देना, जिस काम के बारे में यीशु ने भविष्यवाणी की थी। (मत्ती 24:14) भारत में रहनेवाली एक छोटी लड़की की मिसाल लीजिए। वह एक गुल्लक में धीरे-धीरे पैसे जमा कर रही थी। इस दौरान उसने अपने लिए कोई खिलौना नहीं खरीदा। जब गुल्लक भर गया तो उसने सारा पैसा प्रचार काम के लिए दान किया। इसी देश में रहनेवाले एक भाई की नारियल की खेती है। उसने एक बार वहाँ के मलयालम भाषा के रिमोट ट्रांस्लेशन ऑफिस को ढेर सारे नारियल दान किए। वहाँ भाइयों को नारियल की ज़रूरत होती है। इसलिए इस भाई को लगा कि पैसे देने के बजाय नारियल देने से भाइयों की ज़्यादा मदद होगी। वाकई, उस भाई ने “होशियारी से काम” लिया। यूनान में रहनेवाले भाई भी कुछ ऐसा ही करते हैं। वे समय-समय पर वहाँ के बेथेल परिवार को जैतून का तेल, पनीर और खाने की दूसरी चीज़ें दान करते हैं।
9 श्रीलंका में एक भाई ने सभाओं-सम्मेलनों के लिए और पूरे समय के सेवकों के रहने के लिए अपनी जगह दी है। वहाँ के भाइयों के पास ज़्यादा पैसे नहीं हैं इसलिए इस भाई की मदद से उन्हें बहुत फायदा हुआ है। यह सच में इस भाई के लिए एक त्याग है क्योंकि वह चाहे तो यह जगह किराए पर दे सकता है। एक देश में जहाँ हमारे काम पर रोक लगी है, कई भाइयों ने अपने घर के दरवाज़े खोले हैं ताकि वहाँ सभाएँ रखी जा सकें। इससे उन पायनियरों और दूसरे भाइयों को फायदा हुआ है जिनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे सभाओं के लिए एक जगह किराए पर ले सकें।
10. दरियादिल होने से हमें क्या फायदे होते हैं?
10 सच्ची दौलत के मुकाबले धन-संपत्ति की अहमियत बहुत कम है। फिर भी पिछले पैराग्राफों में दिए अनुभवों में भाई-बहनों ने अपनी धन-संपत्ति से दूसरों की मदद की और इस तरह दिखाया कि वे ‘थोड़े में भी भरोसे के लायक हैं।’ (लूका 16:10) इस तरह के त्याग करके यहोवा के इन दोस्तों को कैसा लगता है? उन्हें बहुत खुशी होती है क्योंकि वे जानते हैं कि दरियादिल होने से उन्हें “सच्ची दौलत” मिलती है। (लूका 16:11) एक बहन राज के कामों के लिए नियमित तौर पर दान करती है। वह कहती है कि ऐसा करने का उस पर अच्छा असर हुआ है। वह समझाती है, “मैंने पाया है कि दरियादिल होने से मुझे कई फायदे हुए हैं। अब मैं पहले से ज़्यादा दिल खोलकर माफ कर पाती हूँ और सब्र रख पाती हूँ। मैंने यह भी देखा है कि जब दूसरे मुझे ठेस पहुँचाते हैं या मुझे सलाह देते हैं तो मैं जल्दी बुरा नहीं मानती।” दूसरे भाई-बहनों को भी दरियादिली दिखाने से कई फायदे हुए हैं।
11. (क) “होशियारी से काम” लेने का एक और तरीका क्या है? (ख) आज परमेश्वर के लोगों के बीच क्या-क्या हो रहा है? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
11 “होशियारी से काम” लेने का एक और तरीका है, अपनी धन-संपत्ति से प्रचार काम को सहयोग देना। हम शायद पूरे समय की सेवा न कर पाएँ या जहाँ ज़्यादा ज़रूरत है वहाँ जाकर सेवा न कर पाएँ, फिर भी हमारे सहयोग से दूसरों को फायदा होता है। (नीति. 19:17) मिसाल के लिए, कुछ गरीब देशों में कई लोग सच्चाई अपना रहे हैं। हमारे दान से उन इलाकों में प्रचार काम आगे बढ़ रहा है और लोगों तक प्रकाशन पहुँच रहा है। कांगो, मेडागास्कर और रवांडा जैसे देशों में बाइबल बहुत महँगी है। एक बाइबल खरीदने के लिए लोगों को हफ्ते-भर या महीने-भर की कमाई देनी पड़ती है। कई सालों तक भाइयों को चुनना पड़ा कि वे अपने पैसे से परिवार के लिए खाना खरीदेंगे या एक बाइबल। लेकिन भाई-बहनों के दान से उनकी घटी पूरी हुई है। इसी दान से यहोवा के संगठन ने बाइबल का अनुवाद किया है और परिवार के हर सदस्य और बाइबल विद्यार्थियों को मुफ्त में बाइबल उपलब्ध करायी है। (2 कुरिंथियों 8:13-15 पढ़िए।) इस तरह देनेवाले और लेनेवाले दोनों यहोवा के दोस्त बन सकते हैं।
क्या करें ताकि हम धन-दौलत के चक्कर में न फँसें?
12. अब्राहम ने कैसे दिखाया कि उसे परमेश्वर पर भरोसा है?
12 हम दुनिया में पैसा कमाने पर अपना पूरा ध्यान लगाने के बजाय “सच्ची दौलत” को ढूँढ़ने में लगाते हैं। ऐसा करके भी हम यहोवा के दोस्त बन सकते हैं। वफादार अब्राहम ने यही किया। वह यहोवा का दोस्त बनना चाहता था इसलिए उसने उसकी आज्ञा मानी और ऊर नाम के अमीर शहर को छोड़कर तंबुओं में रहने लगा। (इब्रा. 11:8-10) उसने अपनी दौलत पर नहीं बल्कि हमेशा परमेश्वर पर भरोसा रखा। (उत्प. 14:22, 23) यीशु ने दूसरों को इसी तरह का विश्वास रखने का बढ़ावा दिया। एक मौके पर उसने एक अमीर आदमी से कहा, “अगर तू चाहता है कि तुझमें कोई कमी न हो, तो जा और अपना सबकुछ बेचकर कंगालों को दे दे, क्योंकि तुझे स्वर्ग में खज़ाना मिलेगा और आकर मेरा चेला बन जा।” (मत्ती 19:21) उस आदमी में अब्राहम जैसा विश्वास नहीं था। लेकिन ऐसे कई लोग थे जिन्होंने परमेश्वर पर पूरा भरोसा रखा।
13. (क) पौलुस ने तीमुथियुस को क्या सलाह दी? (ख) आज हम उसकी सलाह को कैसे मान सकते हैं?
13 तीमुथियुस एक ऐसा इंसान था जिसमें मज़बूत विश्वास था। पौलुस ने उसे ‘मसीह यीशु का एक बढ़िया सैनिक’ कहा और उसे यह सलाह दी, “कोई भी सैनिक खुद को दुनिया के कारोबार में नहीं लगाता ताकि वह उसे खुश कर सके जिसने उसे सेना में भरती किया है।” (2 तीमु. 2:3, 4) आज यीशु के सभी चेले जिनमें 10 लाख से भी ज़्यादा पूरे समय के सेवक शामिल हैं, पौलुस की इस सलाह को मानने की कोशिश करते हैं। यह लालची दुनिया तरह-तरह के विज्ञापनों से उन्हें लुभाने की कोशिश करती है लेकिन वे इन्हें ठुकरा देते हैं। वे यह सिद्धांत याद रखते हैं, “उधार लेनेवाला, उधार देनेवाले का गुलाम होता है।” (नीति. 22:7) शैतान चाहता है कि हम अपना सारा समय और मेहनत दुनिया में पैसा कमाने और चीज़ें बटोरने में लगा दें। कभी-कभी कुछ लोग ऊँची शिक्षा, गाड़ी, घर यहाँ तक कि शादी के लिए बड़े-बड़े कर्ज़ लेते हैं। अगर हम सावधान न रहें तो हम ऐसे कर्ज़ में पड़ सकते हैं जिसे चुकाने में सालों लग जाएँ। जब हम सादगी-भरा जीवन जीते हैं, कर्ज़ नहीं लेते और कम पैसे खर्च करते हैं तो हम होशियारी से काम ले रहे होते हैं। इस तरह हम शैतान की इस लालची दुनिया के गुलाम नहीं बनते बल्कि यहोवा की सेवा करने के लिए आज़ाद रहते हैं।
14. हमें क्या करने की ठान लेनी चाहिए? कुछ उदाहरण दीजिए।
14 अपने जीवन को सादा रखने के लिए ज़रूरी है कि हम परमेश्वर के राज को पहली जगह दें। एक भाई और उसकी पत्नी ने कुछ ऐसा ही किया। उनका एक फलता-फूलता कारोबार था। लेकिन वे दोबारा पूरे समय की सेवा शुरू करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपना कारोबार, अपनी महँगी बोट और सुख-सुविधा की दूसरी चीज़ें बेच दीं। फिर उन्होंने न्यू यॉर्क के वॉरविक में मुख्यालय के निर्माण काम के लिए खुद को पेश किया। इससे उन्हें एक बढ़िया आशीष मिली। उन्हें अपनी बेटी और दामाद के साथ काम करने का मौका मिला जो बेथेल में सेवा कर रहे थे। यही नहीं, उस भाई के माँ-बाप भी कुछ हफ्तों के लिए निर्माण काम में हाथ बँटाने आए थे। वे सब साथ मिलकर काम कर पाए! एक और मिसाल पर ध्यान दीजिए। अमरीका के कोलोराडो राज्य में रहनेवाली एक पायनियर बहन बैंक में पार्ट-टाइम काम करती थी। सब उसके काम से इतने खुश थे कि बॉस ने उससे कहा कि वह पूरे समय की नौकरी करे और उसकी तनख्वाह तीन गुना बढ़ा दी जाएगी। हालाँकि पेशकश अच्छी थी लेकिन अगर बहन इसे कबूल करती तो अपनी पायनियर सेवा पर पूरा ध्यान नहीं दे पाती। उसने पेशकश ठुकरा दी। ऐसे ढेरों अनुभव हैं जिनमें यहोवा के
सेवकों ने इस तरह के कई त्याग किए हैं। आइए हम ठान लें कि हम राज के कामों को पहली जगह देंगे। इस तरह हम दिखाएँगे कि हम यहोवा की दोस्ती और सच्ची दौलत को धन-संपत्ति से ज़्यादा अनमोल समझते हैं।जब धन-दौलत नहीं रहेगी
15. हमें किस तरह की दौलत से सच्ची खुशी मिलती है?
15 अगर किसी के पास धन-दौलत है तो इसका यह मतलब नहीं कि उस पर परमेश्वर की आशीष है। यहोवा उन लोगों को आशीष देता है जो “भले कामों में धनी” हैं। (1 तीमुथियुस 6:17-19 पढ़िए।) इटली की एक बहन लूसीया का उदाहरण लीजिए। * जब उसे पता चला कि अल्बानिया में प्रचारकों की ज़रूरत है, तो वह 1993 में वहाँ जाकर सेवा करने लगी। उसके पास नौकरी नहीं थी लेकिन उसने यहोवा पर भरोसा रखा कि वह उसकी देखभाल करेगा। उसने वहाँ की भाषा सीखी और 60 से भी ज़्यादा लोगों की मदद की कि वे अपना जीवन यहोवा को समर्पित करें। हमें अपने इलाके में शायद इस बहन की तरह अच्छे नतीजे न मिलें। लेकिन हमें दूसरों को यहोवा के बारे में सिखाने और उसके दोस्त बनने में उनकी मदद करनी चाहिए। हम जो भी मेहनत करते हैं वह ऐसी दौलत है जो कभी नहीं मिटेगी।
16. (क) बहुत जल्द इस दुनिया की व्यापार व्यवस्था का क्या होगा? (ख) इस बात को ध्यान में रखकर हम धन-संपत्ति के बारे में कैसा नज़रिया रखेंगे?
16 ध्यान दीजिए कि यीशु ने यह नहीं कहा, ‘अगर यह दौलत न रहे’ बल्कि यह कहा, “जब यह दौलत न रहे।” (लूका 16:9) इससे साफ पता चलता है कि इस दुनिया की अर्थव्यवस्था खत्म हो जाएगी। इन आखिरी दिनों में कुछ बैंकों का दिवाला पिट गया है और कुछ देशों की अर्थव्यवस्था बहुत खराब है। आनेवाले समय में हालात और बदतर हो जाएँगे। शैतान की दुनिया के अलग-अलग हिस्से यानी राजनीति, धर्म और व्यापार व्यवस्था सबकुछ मिट जाएगा। यहेजकेल और सपन्याह ने भविष्यवाणी की थी कि उस वक्त सोना-चाँदी किसी काम नहीं आएँगे। (यहे. 7:19; सप. 1:18) ज़रा सोचिए अगर हमें अपनी ज़िंदगी की आखिरी घड़ी में एहसास होता है कि हमने इस दुनिया की धन-दौलत पाने के लिए सच्ची दौलत छोड़ दी है, तो हमें कैसा लगेगा? हम शायद उस आदमी की तरह महसूस करें जो ज़िंदगी-भर नोटों से अपनी तिजोरी भरता रहा, मगर आखिर में उसे पता चलता है कि सारे-के-सारे नोट जाली हैं। (नीति. 18:11) इसमें कोई शक नहीं कि इस दुनिया की दौलत और ऐशो-आराम की चीज़ें मिट जाएँगी। इसलिए अभी मौका है कि हम अपनी धन-संपत्ति से स्वर्ग में अपने लिए दोस्त बना लें। यहोवा और उसके राज के लिए हम जो कुछ करते हैं उसी से हमें सच्ची खुशी मिल सकती है।
17, 18. परमेश्वर के दोस्त किस बात की आस लगाते हैं?
17 परमेश्वर के राज में किसी को भी घर के लिए कर्ज़ नहीं लेना पड़ेगा, न ही किराया देना पड़ेगा। खाने-पीने की चीज़ों की कोई कमी नहीं होगी, वे मुफ्त में मिलेंगी। डॉक्टरों और दवाइयों पर पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे। यहोवा के दोस्त धरती की बेहतरीन उपज का मज़ा लेंगे। सोना-चाँदी और हीरे-जवाहरात सिर्फ सजने-सँवरने के लिए होंगे, इनसे कोई अमीर नहीं बनेगा। बेहतरीन किस्म की लकड़ी, पत्थर और धातु मुफ्त में और बहुतायत में उपलब्ध होंगे। इनसे लोग अपने लिए खूबसूरत घर बनाएँगे। हमारे दोस्त पैसों के लिए नहीं बल्कि खुशी-खुशी हमारी मदद करेंगे। हम धरती की सभी चीज़ें मिल-बाँटकर इस्तेमाल करेंगे।
18 यह सिर्फ एक झलक है कि जो अपने लिए स्वर्ग में दोस्त बनाते हैं, उन्हें क्या आशीषें मिलेंगी! यहोवा के सेवकों को उस वक्त क्या ही खुशी होगी जब यीशु उनसे कहेगा, “मेरे पिता से आशीष पानेवालो, आओ, उस राज के वारिस बन जाओ जो दुनिया की शुरूआत से तुम्हारे लिए तैयार किया गया है।”
^ पैरा. 4 यीशु ने यह नहीं कहा कि वह शिकायत सच्ची थी या झूठी। दरअसल लूका 16:1 में शब्द “शिकायत” का मतलब यह भी हो सकता है कि किसी ने प्रबंधक को बदनाम करने के इरादे से झूठ बोला था। लेकिन यीशु इस बात पर ध्यान नहीं दिला रहा था कि प्रबंधक को किस वजह से नौकरी से निकाला गया बल्कि इस बात पर ध्यान दिला रहा था कि प्रबंधक ने क्या किया जब उसे पता चला कि उसकी नौकरी जानेवाली है।
^ पैरा. 15 लूसीया मूसानेट की जीवन कहानी 22 जून, 2003 की सजग होइए! (अँग्रेज़ी) के पेज 18-22 पर दी गयी है।