हमें क्यों ‘जागते रहना’ चाहिए?
“तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आ रहा है।”—मत्ती 24:42.
गीत: 136, 54
1. उदाहरण देकर समझाइए कि हमें वक्त पर और हमारे आस-पास जो हो रहा है उस पर ध्यान देना क्यों ज़रूरी है। (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
अधिवेशन शुरू होने ही वाला था। चेयरमैन ने स्टेज पर आकर सबका स्वागत किया और संगीत बस बजने ही वाला था। हाज़िर लोग जानते थे कि अब अपनी जगह पर बैठने का समय हो गया है। वे मधुर संगीत का आनंद लेना चाहते थे और उसके बाद होनेवाले भाषण सुनने के लिए बेताब थे। लेकिन कुछ लोगों ने चेयरमैन पर कोई ध्यान नहीं दिया और न ही यह गौर किया कि संगीत बज रहा है। इसलिए उन्हें एहसास नहीं हुआ कि अधिवेशन शुरू हो गया है। वे अब भी घूम रहे थे या दोस्तों के साथ बातें करने में मगन थे। यहाँ जो हुआ वह दिखाता है कि अगर हम वक्त पर और हमारे आस-पास जो हो रहा है उस पर ध्यान न दें, तो क्या हो सकता है। यह हमारे लिए एक ज़रूरी सबक है, क्योंकि जल्द ही बहुत बड़ी घटना घटनेवाली है और हमें उसके लिए तैयार रहना है। वह घटना क्या है?
2. यीशु ने अपने चेलों को ‘जागते रहने’ के लिए क्यों कहा?
2 यीशु मसीह ने अपने चेलों को समझाया कि उन्हें “दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्त” के लिए तैयार रहना चाहिए। उसने उनसे कहा, “चौकन्ने रहो, आँखों में नींद न आने दो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तय किया हुआ वक्त कौन-सा है।” और उसने उन्हें बार-बार समझाया, “जागते रहो।” (मत्ती 24:3; पढ़िए।) मत्ती की किताब से भी पता चलता है कि यीशु ने अपने चेलों को आगाह किया था। उसने उनसे कहा, “जागते रहो क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आ रहा है।” उसने उन्हें दोबारा आगाह किया, “तुम भी तैयार रहने का सबूत दो, क्योंकि जिस घड़ी तुमने सोचा भी न होगा, उस घड़ी इंसान का बेटा आ रहा है।” फिर उसने वही बात कही, “जागते रहो, क्योंकि तुम न तो उस दिन को और न ही उस वक्त को जानते हो।”— मरकुस 13:32-37मत्ती 24:42-44; 25:13.
3. हम यीशु की दी चेतावनी पर क्यों ध्यान देते हैं?
3 यहोवा के साक्षी, यीशु की दी चेतावनी पर ध्यान देते हैं। हम जानते हैं कि हम ‘अन्त के समय’ में जी रहे हैं और “महा-संकट” बहुत जल्द शुरू होनेवाला है! (दानि. 12:4; मत्ती 24:21) ठीक जैसे यीशु ने बताया था, यहोवा के लोग पूरी दुनिया में राज की खुशखबरी सुना रहे हैं। साथ ही हम यह भी देख रहे हैं कि बहुत-सी जगहों पर युद्ध हो रहे हैं, भूकंप आ रहे हैं, बीमारियाँ और भूखमरी फैली हुई है। धर्मों में खलबली मची हुई है और आज पहले से कहीं ज़्यादा अपराध और खून-खराबा हो रहा है। (मत्ती 24:7, 11, 12, 14; लूका 21:11) हम बेसब्री से उस समय का इंतज़ार कर रहे हैं जब यीशु आएगा और अपने पिता के मकसद को अंजाम देगा।—मर. 13:26, 27.
वह दिन पास आ रहा है!
4. (क) हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि अब यीशु जानता है कि हर-मगिदोन का युद्ध कब होगा? (ख) हालाँकि हम नहीं जानते कि महा-संकट कब शुरू होगा, लेकिन हम किस बात का यकीन रख सकते हैं?
4 जब हम अधिवेशन में जाते हैं, तो हमें पता होता है कि हर कार्यक्रम कब शुरू होगा। लेकिन हमारे लिए यह जानना नामुमकिन है कि महा-संकट ठीक कब शुरू होगा। यीशु ने कहा, “उस दिन और उस वक्त के बारे में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत, न बेटा, लेकिन सिर्फ पिता जानता है।” (मत्ती 24:36) यीशु हर-मगिदोन के युद्ध में अगुवाई करेगा, इसलिए अब उसे पता होगा कि यह युद्ध कब होनेवाला है। (प्रका. 19:11-16) लेकिन हम अब भी नहीं जानते कि अंत किस दिन या किस घड़ी आएगा। इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि हम जागते रहें। यहोवा यह तय कर चुका है कि महा-संकट कब शुरू होगा और जैसे-जैसे दिन गुज़रते हैं, वह समय और पास आता जा रहा है। “उस में देर न होगी।” (हबक्कूक 2:1-3 पढ़िए।) हम क्यों इतने यकीन के साथ यह कह सकते हैं?
5. एक उदाहरण देकर समझाइए कि यहोवा की भविष्यवाणियाँ हमेशा सही समय पर पूरी होती हैं।
5 यहोवा की भविष्यवाणियाँ हमेशा सही समय पर पूरी हुई हैं! उदाहरण के लिए, उस दिन के बारे में सोचिए जब उसने अपने लोगों को मिस्र की गुलामी से आज़ाद किया था। वह ईसा पूर्व 1513 के निसान महीने का चौदहवाँ दिन था। उस दिन के बारे में मूसा ने बाद में लिखा, “उन चार सौ तीस वर्षों के बीतने पर, ठीक उसी दिन, यहोवा की सारी सेना मिस्र देश से निकल गई।” (निर्ग. 12:40-42) उन “चार सौ तीस वर्षों” की शुरूआत तब हुई थी, जब ईसा पूर्व 1943 में अब्राहम के साथ किया परमेश्वर का करार लागू होना शुरू हुआ था। (गला. 3:17, 18) कुछ समय बाद, यहोवा ने अब्राहम से कहा, “यह निश्चय जान कि तेरे वंश पराए देश में परदेशी होकर रहेंगे, और उस देश के लोगों के दास हो जाएंगे; और वे उनको चार सौ वर्ष लों दु:ख देंगे।” (उत्प. 15:13; प्रेषि. 7:6) वे 400 साल ईसा पूर्व 1913 में शुरू हुए जब इश्माएल, इसहाक के साथ बुरा व्यवहार करने लगा। और वे तब खत्म हुए जब इसराएली मिस्र से आज़ाद हुए। (उत्प. 21:8-10; गला. 4:22-29) जी हाँ, सैकड़ों साल पहले यहोवा ने वह दिन तय कर दिया था जब वह अपने लोगों को आज़ाद करेगा!
6. हम क्यों यह यकीन रख सकते हैं कि यहोवा अपने लोगों को बचाएगा?
6 मिस्र से आज़ाद हुए इसराएलियों में से एक था यहो. 23:2, 14) यहोवा ने वादा किया है कि वह महा-संकट से अपने लोगों को बचाएगा और नयी दुनिया में उन्हें हमेशा की ज़िंदगी देगा। और हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि उसका यह वादा ज़रूर पूरा होगा। इसलिए अगर हम नयी दुनिया में जाना चाहते हैं, तो हमें जागते रहना चाहिए।
यहोशू। बहुत सालों बाद उसने लोगों से कहा, “तुम सब अपने अपने हृदय और मन में जानते हो, कि जितनी भलाई की बातें हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमारे विषय में कहीं उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही; वे सब की सब तुम पर घट गई हैं, उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही।” (महा-संकट से बचने के लिए जागते रहिए
7, 8. (क) पुराने ज़माने में पहरेदार का क्या काम होता था और उससे हम क्या सीख सकते हैं? (ख) उदाहरण देकर समझाइए कि अगर पहरेदार सो जाएँ, तो क्या हो सकता है।
7 पुराने ज़माने में शहरों की रखवाली करनेवाले पहरेदारों से हम सबक सीख सकते हैं। यरूशलेम की तरह, बहुत-से शहरों के चारों तरफ ऊँची-ऊँची शहरपनाह होती थी, ताकि दुश्मन अंदर न आ सकें। शहरपनाह पर पहरेदार खड़े रहते थे और वहाँ से शहर के आस-पास का इलाका देख सकते थे। कुछ पहरेदार शहर के फाटक पर पहरा देते थे। पहरेदारों को दिन-रात जागते रहना होता था और अगर उन्हें कोई खतरा नज़र आता, तो उन्हें शहर के लोगों को खबरदार करना होता था। (यशा. 62:6) वे जानते थे कि जागते रहना और आस-पास जो हो रहा है, उस पर पूरी नज़र रखना कितना ज़रूरी है, क्योंकि अगर वे ऐसा न करें तो बहुत-से लोगों की जान जा सकती है।—यहे. 33:6.
8 यहूदियों का इतिहास लिखनेवाले जोसीफस ने समझाया कि ईसवी सन् 70 में रोमी सैनिक कैसे यरूशलेम में घुस पाए थे। दरअसल हुआ यह कि शहर के कुछ हिस्से पर पहरा देनेवाले पहरेदार सो गए थे। नतीजा, रोमी सैनिक शहर में घुस गए। वे मंदिर में गए और उसमें आग लगा दी और बाकी यरूशलेम को तबाह कर दिया। यह उस महा-संकट का आखिरी चरण था, जैसा यहूदियों पर पहले कभी नहीं आया था।
9. आज ज़्यादातर लोग किस बात से अनजान हैं?
9 बहुत-सी सरकारें अपने देश की सरहद पर सुरक्षा के लिए सैनिक तैनात करती हैं और नयी-से-नयी तकनीक का इस्तेमाल करती हैं। वे हर किसी पर और ऐसी हर चीज़ पर नज़र रखती हैं, जिससे देश को खतरा हो सकता है। लेकिन ये सरकारें नहीं जानतीं कि एक और भी ताकतवर सरकार है, जो स्वर्ग में है और जिसका राजा मसीह यीशु है। वह सरकार बहुत जल्द धरती की सभी सरकारों से युद्ध करेगी। (यशा. 9:6, 7; दानि. 2:44) उस दिन का हम बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं और उसके लिए हम तैयार रहना चाहते हैं। इसलिए हम बाइबल की भविष्यवाणियों पर ध्यान देते हैं और वफादारी से यहोवा की सेवा करते रहते हैं।—भज. 130:6.
ध्यान भटकने मत दीजिए
10, 11. (क) हमें किस बात से खबरदार रहना चाहिए और क्यों? (ख) किस बात से आपको यकीन है कि शैतान की वजह से ही लोग बाइबल की भविष्यवाणियों पर ध्यान नहीं देते?
10 ज़रा उस पहरेदार के बारे में सोचिए जो रात-भर जागा है। अपने पहरे के आखिरी कुछ घंटों में उसके लिए जागते रहना मुश्किल होगा, क्योंकि वह बहुत थक चुका है। आज हम भी इस दुनिया की व्यवस्था के आखिरी दिनों में जी रहे हैं। और अंत जितना करीब आएगा, हमारे लिए जागते रहना उतना ही मुश्किल होता जाएगा। अगर हम जागते न रहें, तो यह कितने दुख की बात होगी! आइए ऐसी तीन बातों पर गौर करें, जो जागते रहने से हमें रोक सकती हैं।
11 शैतान लोगों को गुमराह करता है। वह “इस दुनिया का राजा” है। यीशु ने अपनी मौत से कुछ समय पहले अपने चेलों को तीन बार यह बात याद दिलायी। (यूह. 12:31; 14:30; 16:11) शैतान ने लोगों को गुमराह करने के लिए झूठे धर्मों का सहारा लिया है। इसलिए आज ज़्यादातर लोग बाइबल की ऐसी भविष्यवाणियों पर कोई ध्यान नहीं देते जिनसे साफ पता चलता है कि इस दुनिया का अंत बहुत करीब है। (सप. 1:14) ज़ाहिर है कि शैतान ने “अविश्वासियों के मन, अंधे कर दिए हैं।” (2 कुरिं. 4:3-6) नतीजा, जब हम लोगों को यह बताने की कोशिश करते हैं कि अंत करीब है और मसीह राज कर रहा है, तो ज़्यादातर लोग सुनना नहीं चाहते। वे अकसर कहते हैं, “मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं।”
12. हमें शैतान के धोखे में क्यों नहीं आना चाहिए?
12 हालाँकि कई लोग बाइबल की भविष्यवाणियों में दिलचस्पी नहीं लेते, लेकिन उनके इस रवैए से हमें निराश नहीं होना चाहिए। हम जानते हैं कि जागते रहना क्यों इतना ज़रूरी है। पौलुस ने अपने मसीही भाइयों से कहा था, “तुम खुद यह अच्छी तरह जानते हो कि यहोवा का दिन ठीक वैसे ही आ रहा है जैसे रात को चोर आता है।” (1 थिस्सलुनीकियों 5:1-6 पढ़िए।) यीशु ने हमें खबरदार किया था, “तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी तुम्हें लगता भी न होगा, उसी घड़ी इंसान का बेटा आ रहा है।” (लूका 12:39, 40) जल्द ही, शैतान लोगों में यह सोच डालकर भी उन्हें गुमराह करेगा कि दुनिया में “शांति और सुरक्षा” है। तब अचानक यहोवा का दिन आ जाएगा और उनके जी में जी न रहेगा। लेकिन हमारे साथ क्या होगा? अगर हम उस दिन के लिए तैयार रहना चाहते हैं और लोगों की तरह गुमराह नहीं होना चाहते, तो ज़रूरी है कि हम अभी से “जागते रहें और होश-हवास बनाए रखें।” इसलिए हमें हर दिन परमेश्वर का वचन पढ़ना चाहिए और यहोवा हमसे जो कहता है, उस पर मनन करना चाहिए।
13. दुनिया की फितरत लोगों पर कैसे असर कर रही है और हम इस खतरे में पड़ने से कैसे बच सकते हैं?
13 दुनिया की फितरत लोगों की सोच पर असर करती है। आज बहुत-से लोगों को लगता है कि उन्हें परमेश्वर को जानने की कोई ज़रूरत नहीं। (मत्ती 5:3) इसके बजाय वे अपना ज़्यादातर समय और ताकत उन ढेर सारी चीज़ों को बटोरने में लगाते हैं, जो दुनिया पेश करती है। (1 यूह. 2:16) आज तरह-तरह का मनोरंजन है और दिन-पर-दिन यह बढ़ता ही जा रहा है। यह लोगों को लुभाता है और उन्हें मौज-मस्ती से प्यार करने और अपनी हर इच्छा पूरी करने का बढ़ावा देता है। (2 तीमु. 3:4) इस वजह से लोग ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातों पर ध्यान नहीं देते और न ही परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते के बारे में सोचते हैं। इसलिए पौलुस ने मसीहियों को याद दिलाया कि उन्हें “नींद से जाग” जाना चाहिए, यानी उन्हें अपनी ख्वाहिशें पूरी करने में नहीं लगे रहना चाहिए।—रोमि. 13:11-14.
14. लूका 21:34, 35 में हमें क्या चेतावनी दी गयी है?
14 हम दुनिया की फितरत नहीं, बल्कि परमेश्वर की पवित्र शक्ति पाना चाहते हैं क्योंकि तभी हम सही तरह से सोच पाएँगे। अपनी पवित्र शक्ति से ही यहोवा ने हमें यह समझने में मदद दी है कि आगे क्या होनेवाला है। (1 कुरिं. 2:12) [1] लेकिन हमें खबरदार रहना चाहिए। ज़िंदगी से जुड़ी मामूली बातें भी हमें यहोवा की सेवा से बहका सकती हैं। (लूका 21:34, 35 पढ़िए।) दूसरे शायद हमसे कहें कि हम पागल हैं क्योंकि हम मानते हैं कि हम दुनिया के आखिरी दिनों में जी रहे हैं। (2 पत. 3:3-7) लेकिन इससे हमें निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि हमारे पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि अंत बहुत जल्द आनेवाला है। अगर हम चाहते हैं कि परमेश्वर की पवित्र शक्ति हम पर असर करे, तो हमें अपने भाइयों के साथ लगातार सभाओं में हाज़िर होना चाहिए।
15. पतरस, याकूब और यूहन्ना के साथ क्या हुआ और वैसा ही कुछ हमारे साथ कैसे हो सकता है?
15 हमारी कमज़ोरियाँ हमारे लिए चौकस रहना मुश्किल कर सकती हैं। यीशु जानता था कि इंसान असिद्ध हैं और उनमें कमज़ोरियाँ हैं। सोचिए कि उसकी मौत से पहले की रात क्या हुआ। हालाँकि यीशु सिद्ध था, लेकिन वह जानता था कि वफादार रहने के लिए उसे अपने पिता से प्रार्थना करनी होगी ताकि वह उसकी मदद करे। यीशु ने अपने प्रेषितों पतरस, याकूब और यूहन्ना से कहा कि जब तक वह प्रार्थना करे, तब तक वे जागते रहें। लेकिन प्रेषितों को यह एहसास ही नहीं हुआ कि जागते रहना कितना ज़रूरी है। वे थके हुए थे इसलिए वे सो गए। यीशु भी थका हुआ था लेकिन वह जागता रहा और अपने पिता से प्रार्थना करता रहा। प्रेषितों को भी उस समय प्रार्थना करनी चाहिए थी।—मर. 14:32-41.
16. लूका 21:36 के मुताबिक, ‘जागते रहने’ के लिए यीशु ने हमें क्या करने को कहा?
16 ‘जागते रहने’ और यहोवा के दिन के लिए तैयार रहने में क्या बात हमारी मदद करेगी? हममें सही काम करने का मज़बूत इरादा होना चाहिए। लेकिन सिर्फ इरादा होना काफी नहीं है। यीशु ने अपनी मौत से कुछ दिन पहले अपने प्रेषितों से कहा कि उन्हें मदद के लिए यहोवा से प्रार्थना करते रहना चाहिए। (लूका 21:36 पढ़िए।) अंत के इस समय में सतर्क रहने के लिए, हमें भी हर वक्त यहोवा से प्रार्थना करते रहना चाहिए।—1 पत. 4:7.
जागते रहिए
17. बहुत जल्द जो होनेवाला है, हम उसके लिए कैसे तैयार हो सकते हैं?
17 यीशु ने कहा था कि “जिस घड़ी [हमने] सोचा भी न होगा, उस घड़ी” अंत आ जाएगा। (मत्ती 24:44) इसलिए हमें हर वक्त तैयार रहना चाहिए। अब उस तरह ज़िंदगी जीने का वक्त नहीं है, जिसके बारे में शैतान की दुनिया कहती है कि उससे खुशी मिलेगी। यह सिर्फ एक सपना है। यहोवा और यीशु ने बाइबल के ज़रिए हमें बताया है कि हम कैसे जागते रह सकते हैं। तो आइए हम बाइबल की भविष्यवाणियों पर और ये किस तरह पूरी हो रहीं हैं, उस पर ध्यान दें। साथ ही, यहोवा के करीब आते रहें और उसके राज को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह दें। ऐसा करने से हम अंत का सामना करने के लिए तैयार होंगे। (प्रका. 22:20) इसी बात पर हमारी ज़िंदगी निर्भर करती है!
^ [1] (पैराग्राफ 14) गॉड्स किंगडम रूल्स! किताब का अध्याय 21 और 15 जुलाई, 2013 की प्रहरीदुर्ग के पेज 3-8 पर दिया लेख “हमें बता, ये सब बातें कब होंगी?” देखिए।