आपका दुख देखकर ईश्वर को कैसा लगता है?
कुछ लोग सोचते हैं कि ईश्वर न तो हमारे दुखों पर ध्यान देता है, न ही हमारी परवाह करता है।
पवित्र शास्त्र क्या बताता है?
ईश्वर हमारा दुख देखता है और उसे हमारी परवाह है
‘यहोवा ने देखा कि धरती पर इंसान की दुष्टता बहुत बढ़ गयी है, इसलिए उसका मन बहुत उदास हुआ।’—उत्पत्ति 6:5, 6.
ईश्वर सारे दुखों का अंत कर देगा
“बस थोड़े ही समय बाद दुष्टों का नामो-निशान मिट जाएगा, तू उन्हें वहाँ ढूँढ़ेगा जहाँ वे होते थे, मगर वे नहीं होंगे। मगर दीन लोग धरती के वारिस होंगे और बड़ी शांति के कारण अपार खुशी पाएँगे।”—भजन 37:10, 11.
ईश्वर क्या चाहता है?
“यहोवा ऐलान करता है, ‘मैंने सोच लिया है कि मैं तुम्हारे साथ क्या करूँगा। मैं तुम पर विपत्ति नहीं लाऊँगा बल्कि तुम्हें शांति दूँगा। मैं तुम्हें एक अच्छा भविष्य और एक आशा दूँगा। तुम मुझे पुकारोगे, मेरे पास आकर मुझसे प्रार्थना करोगे और मैं तुम्हारी सुनूँगा।’”—यिर्मयाह 29:11, 12.
“परमेश्वर के करीब आओ और वह तुम्हारे करीब आएगा।”—याकूब 4:8.