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ज़माने से पीछे या अपने ज़माने से आगे?

ज़माने से पीछे या अपने ज़माने से आगे?

विज्ञान

बाइबल विज्ञान की किताब नहीं है। लेकिन वैज्ञानिकों ने हाल ही में जिन तथ्यों का पता लगाया, वे बाइबल में सदियों पहले लिखे गए थे।

क्या विश्‍व-मंडल की कोई शुरूआत थी?

एक ज़माने में बड़े-बड़े वैज्ञानिक दावे के साथ कहते थे कि विश्‍व-मंडल की कोई शुरूआत नहीं है। मगर बाइबल में सदियों पहले लिखा गया था कि विश्‍व-मंडल की शुरूआत हुई है। (उत्पत्ति 1:1) आज ज़्यादातर वैज्ञानिक भी यही मानते हैं।

पृथ्वी का आकार क्या है?

प्राचीन समय में बहुत-से लोग मानते थे कि पृथ्वी चपटी है। आज से करीब 2,500 साल पहले यूनानी वैज्ञानिकों ने कहा था कि इसका आकार गोल है, जबकि बाइबल के एक लेखक यशायाह ने करीब 2,800 साल पहले ही लिखा था कि ‘पृथ्वी गोल’ है।​—यशायाह 40:22, फुटनोट।

क्या आकाश मंडल की चीज़ें नष्ट हो सकती हैं?

ईसवी सन्‌ चौथी सदी के यूनानी वैज्ञानिक अरस्तु ने सिखाया कि सिर्फ पृथ्वी की चीज़ें समय के गुज़रते नष्ट होती हैं, आकाश मंडल की नहीं। सदियों तक लोग यही मानते थे। मगर 19वीं सदी में वैज्ञानिक ‘एन्ट्रोपी’ का सिद्धांत सिखाने लगे, जिसके मुताबिक आकाश मंडल के सारे पदार्थ भी नष्ट हो जाते हैं। वैज्ञानिक लॉर्ड कैल्विन ने इस शिक्षा को विकसित करने में काफी योगदान दिया था। उन्होंने बताया कि बाइबल भी आकाश और पृथ्वी के बारे में कहती है, “एक कपड़े की तरह वे सब पुराने हो जाएँगे।” (भजन 102:25, 26) कैल्विन यह भी मानते थे कि परमेश्‍वर चाहे तो अपनी सृष्टि को नष्ट होने से बचा सकता है, ठीक जैसे बाइबल में लिखा है।​—सभोपदेशक 1:4.

हमारी पृथ्वी और बाकी ग्रह किस नींव पर टिके हैं?

अरस्तु ने सिखाया कि हर आकाशीय पिंड काँच के एक गोले में जड़ा हुआ है और ये सारे गोले एक-के-अंदर-एक समाए हुए हैं। सबसे अंदरवाले गोले में धरती है। इस तरह सारे पिंड एक-दूसरे के सहारे टिके हुए हैं। पर ईसवी सन्‌ 18वीं सदी के आते-आते वैज्ञानिक मानने लगे कि तारे और ग्रह बिना किसी सहारे के लटके हुए हैं। मगर बाइबल में इससे हज़ारों साल पहले यानी ईसा पूर्व 15वीं सदी में लिखा गया था कि सृष्टिकर्ता “पृथ्वी को बिना किसी सहारे के लटकाए हुए है।”​—अय्यूब 26:7.

इलाज

वैज्ञानिकों ने स्वास्थ्य संबंधी जो जानकारी पायी है, उसमें से कुछ बातें बाइबल में सदियों पहले बतायी गयी थीं, जबकि यह चिकित्सा की किताब नहीं है।

मरीज़ों को बाकी लोगों से अलग रखा जाए।

करीब 700 साल पहले जब महामारियों का दौर चला, तब जाकर ही डॉक्टरों ने पता लगाया कि छूत की बीमारी से पीड़ित लोगों को अलग रखना चाहिए। मगर सदियों पहले परमेश्‍वर ने अपने सेवक मूसा के ज़रिए निर्देश दिया था कि कोढ़ के मरीज़ों को अलग रखा जाए। आज भी चिकित्सा क्षेत्र में इस सिद्धांत को माना जाता है।​—लैव्यव्यवस्था, अध्याय 13 और 14.

शव छूने के बाद पानी से खुद को शुद्ध किया जाए।

पुराने ज़माने में डॉक्टर शव छूने के बाद बिना हाथ धोए दूसरे मरीज़ों का इलाज करने लगते थे। इस वजह से कई मरीज़ों की मौत हो जाती थी। कुछ 150 साल पहले ही पता लगाया गया कि ऐसा करना कितना खतरनाक है। मगर परमेश्‍वर ने बहुत पहले ही अपने लोगों को बताया था कि शव छूने से एक इंसान अशुद्ध हो जाता है और उपासना से जुड़े काम नहीं कर सकता, इसलिए उसे पानी से खुद को शुद्ध करना चाहिए। इस धार्मिक नियम को मानने से बीमारियों से भी बचाव होता था।​—गिनती 19:11, 19.

मल का सही विसर्जन किया जाए।

हर साल दस्त के कारण 5 लाख से ज़्यादा बच्चे मर जाते हैं। इसकी मुख्य वजह है कि मल का सही विसर्जन नहीं किया जाता। लेकिन परमेश्‍वर ने सदियों पहले अपने लोगों को कानून दिया था कि वे बस्ती से दूर जाकर शौच करें, फिर मिट्टी से ढाँप दें।​—व्यवस्थाविवरण 23:13.

खतना आठवें दिन कराया जाए।

परमेश्‍वर ने कानून दिया था कि लड़का पैदा होने पर आठवें दिन उसका खतना किया जाए। (लैव्यव्यवस्था 12:3) खून जमने की प्रक्रिया एक बच्चे के जन्म के एक हफ्ते बाद ही ठीक से काम करती है। इसके पहले खतना करने से बच्चे को नुकसान हो सकता है। इस नियम को मानने से उस ज़माने के लोगों को काफी फायदा हुआ होगा, क्योंकि तब आज की तरह इलाज की नयी-नयी तकनीकें नहीं थीं।

तन की सेहत के लिए मन की खुशी का ध्यान रखा जाए।

बाइबल में लिखा है, “दिल का खुश रहना बढ़िया दवा है, मगर मन की उदासी सारी ताकत चूस लेती है।” (नीतिवचन 17:22) आज चिकित्सा क्षेत्र के कई खोजकर्ता और वैज्ञानिक मानते हैं कि खुश रहना, किसी भी हाल में उम्मीद न खोना, एहसानमंद होना और दूसरों को माफ करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है और इसका तन की सेहत पर अच्छा असर होता है।