सब्त
यह एक इब्रानी शब्द से निकला है जिसका मतलब है “विश्राम करना; रुकना।” यह यहूदियों के हफ्ते का सातवाँ दिन है (यानी शुक्रवार के सूरज ढलने से लेकर शनिवार के सूरज ढलने तक)। साल में त्योहार के कुछ दिनों को और 7वें और 50वें सालों को भी सब्त कहा जाता था। सब्त के दिन कोई भी काम नहीं किया जाना था, सिर्फ पवित्र-स्थान में याजकों को सेवा करने की इजाज़त थी। सब्त के सालों के दौरान खेतों में कोई जुताई-बोआई नहीं की जानी थी और न ही किसी इब्री भाई को कर्ज़ लौटाने के लिए मजबूर किया जाना था। मूसा के कानून में सब्त के लिए जो पाबंदियाँ बतायी गयी थीं उन्हें मानना मुश्किल नहीं था। मगर धर्म गुरुओं ने धीरे-धीरे उनमें बहुत-से नियम जोड़ दिए और यीशु के ज़माने तक इन्हें मानना लोगों के लिए मुश्किल हो गया।—निर्ग 20:8; लैव 25:4; लूक 13:14-16; कुल 2:16.