अध्याय बारह
आप परमेश्वर के दोस्त कैसे बन सकते हैं?
1, 2. यहोवा के कुछ दोस्त कौन थे?
आप किससे दोस्ती करना पसंद करते हैं? बेशक उससे जो आपको अच्छा लगता हो, जिसके साथ आपकी अच्छी बनती हो, जिसका स्वभाव अच्छा हो और जिसमें अच्छे गुण हों।
2 यहोवा परमेश्वर इंसानों में से कुछ को अपना दोस्त चुनता है। उदाहरण के लिए, पुराने ज़माने में अब्राहम यहोवा का दोस्त था। (यशायाह 41:8; याकूब 2:23) दाविद को भी यहोवा पसंद करता था। उसने दाविद के बारे में कहा, वह “मेरे दिल को भाता है।” (प्रेषितों 13:22) भविष्यवक्ता दानियेल भी यहोवा के लिए “बहुत अनमोल” था।—दानियेल 9:23.
3. अब्राहम, दाविद और दानियेल यहोवा के दोस्त कैसे बने?
3 अब्राहम, दाविद और दानियेल यहोवा के दोस्त कैसे बने? यहोवा ने अब्राहम से कहा था, “तूने मेरी आज्ञा मानी है।” (उत्पत्ति 22:18) यहोवा उन लोगों से दोस्ती करता है जो नम्र होकर उसकी आज्ञा मानते हैं। यहाँ तक कि एक पूरा राष्ट्र भी उसका दोस्त बन सकता है। इसकी एक मिसाल है इसराएल राष्ट्र। यहोवा ने उस राष्ट्र के लोगों से कहा, “तुम मेरी आज्ञा मानना, तब मैं तुम्हारा परमेश्वर होऊँगा और तुम मेरे लोग होगे।” (यिर्मयाह 7:23) इसलिए अगर आप वाकई यहोवा के दोस्त बनना चाहते हैं तो आपको उसकी आज्ञा माननी होगी।
यहोवा अपने दोस्तों की रक्षा करता है
4, 5. यहोवा अपने दोस्तों को कैसे बचाता है?
4 बाइबल बताती है कि यहोवा ऐसे मौके ढूँढ़ता है कि कब “उन लोगों की खातिर अपनी ताकत दिखाए जिनका दिल उस पर पूरी तरह लगा रहता है।” (2 इतिहास 16:9) भजन 32:8 में यहोवा ने अपने हरेक दोस्त से वादा किया है, “मैं तुझे अंदरूनी समझ दूँगा, उस राह पर चलना सिखाऊँगा जिस पर तुझे चलना चाहिए। मैं तुझ पर हर पल नज़र रखकर तुझे सलाह दूँगा।”
भजन 55:22 पढ़िए।) यहोवा के दोस्त होने के नाते हम पूरे दिल से उसकी सेवा करते हैं। मुश्किल हालात में भी हम उसके वफादार रहते हैं। भजन लिखनेवाले की तरह हम भी यहोवा पर पूरा भरोसा रखते हैं। उसने यहोवा के बारे में लिखा, “वह मेरे दायीं तरफ रहता है, इसलिए मैं कभी हिलाया नहीं जा सकता।” (भजन 16:8; 63:8) मगर शैतान कैसे यहोवा के साथ हमारी दोस्ती तोड़ने की कोशिश करता है?
5 हमारा एक ताकतवर दुश्मन है जो परमेश्वर के साथ हमारी दोस्ती तोड़ना चाहता है। मगर यहोवा हमें उससे बचाना चाहता है। (शैतान का इलज़ाम
6. शैतान ने इंसानों के बारे में क्या दावा किया?
6 अध्याय 11 में हमने सीखा कि शैतान ने यहोवा पर इलज़ाम लगाया कि वह झूठा है। उसने यह भी कहा कि परमेश्वर आदम और हव्वा के साथ अन्याय कर रहा है क्योंकि उसने उन्हें यह तय करने का अधिकार नहीं दिया कि उनके लिए क्या अच्छा है क्या बुरा। बाइबल में अय्यूब नाम की किताब बताती है कि शैतान ने उन इंसानों पर भी इलज़ाम लगाया है, जो परमेश्वर के दोस्त बनना चाहते हैं। शैतान ने दावा किया कि वे परमेश्वर की सेवा इसलिए करते हैं क्योंकि वे बदले में उससे कुछ पाना चाहते हैं, न कि इसलिए कि वे परमेश्वर से प्यार करते हैं। उसने यह भी दावा किया कि वह किसी को भी परमेश्वर के खिलाफ कर सकता है। आइए देखें कि हम अय्यूब से क्या सीख सकते हैं और यहोवा ने कैसे उसकी रक्षा की।
7, 8. (क) यहोवा अय्यूब के बारे में कैसा महसूस करता था? (ख) शैतान ने अय्यूब के बारे में क्या कहा?
7 अय्यूब कौन था? वह एक भला आदमी था, जो आज से करीब 3,600 साल पहले जीया था। यहोवा ने कहा था कि उस वक्त धरती पर अय्यूब जैसा नेक आदमी कोई नहीं था। अय्यूब के दिल में यहोवा के लिए गहरा आदर था और उसे बुराई से सख्त नफरत थी। (अय्यूब 1:8) जी हाँ, अय्यूब यहोवा का एक सच्चा दोस्त था।
8 मगर शैतान ने दावा किया कि अय्यूब सिर्फ अपने मतलब के लिए यहोवा अय्यूब 1:10, 11.
की सेवा कर रहा है। शैतान ने यहोवा से कहा, “क्या तूने उसकी, उसके घर की और उसकी सब चीज़ों की हिफाज़त के लिए चारों तरफ बाड़ा नहीं बाँधा? तूने उसके सब कामों पर आशीष दी है और उसके जानवरों की तादाद इतनी बढ़ा दी है कि वे देश-भर में फैल गए हैं। लेकिन अब अपना हाथ बढ़ा और उसका सबकुछ छीन ले। फिर देख, वह कैसे तेरे मुँह पर तेरी निंदा [या बुराई] करता है!”—9. यहोवा ने शैतान को क्या इजाज़त दी?
9 शैतान ने अय्यूब पर इलज़ाम लगाया कि वह यहोवा की सेवा सिर्फ इसलिए करता है क्योंकि वह परमेश्वर से कुछ पाना चाहता है। शैतान ने यह भी कहा कि वह अय्यूब को यहोवा के खिलाफ कर सकता है। यहोवा जानता था कि यह बात सच नहीं है। फिर भी, उसने शैतान को अय्यूब की परीक्षा लेने की इजाज़त दी ताकि यह साबित हो जाए कि अय्यूब को सचमुच यहोवा से प्यार था, इसलिए वह उसका दोस्त था।
शैतान, अय्यूब पर मुसीबतें लाया
10. (क) शैतान, अय्यूब पर कौन-सी मुसीबतें लाया? (ख) अय्यूब ने क्या किया?
10 शैतान, अय्यूब पर कई मुसीबतें लाया। सबसे पहले, उसके कुछ जानवर लूट लिए गए और बाकी मार डाले गए। फिर शैतान ने अय्यूब के ज़्यादातर सेवकों को भी मरवा डाला। इस तरह अय्यूब ने अपनी सारी संपत्ति खो दी। आखिर में शैतान ने एक भयंकर तूफान लाकर अय्यूब के दस बच्चों को मरवा डाला। फिर भी अय्यूब यहोवा का वफादार बना रहा। बाइबल बताती है, “इतना सब होने पर भी अय्यूब ने कोई पाप नहीं किया, न ही उसके साथ जो बुरा हुआ उसके लिए परमेश्वर को दोष दिया।”—अय्यूब 1:12-19, 22.
11. (क) शैतान, अय्यूब पर और कौन-सी मुसीबत लाया? (ख) मगर अय्यूब ने क्या किया?
11 इसके बाद भी शैतान ने हार नहीं मानी। उसने परमेश्वर को चुनौती दी, “ज़रा अपना हाथ बढ़ा और अय्यूब की हड्डी और शरीर को छू। फिर देख, वह कैसे तेरे मुँह पर तेरी निंदा करता है!” तब परमेश्वर ने शैतान को फिर से अय्यूब 2:5, 7) इस बार भी अय्यूब यहोवा का वफादार बना रहा। उसने कहा, “मैंने ठान लिया है, मैं मरते दम तक निर्दोष बना रहूँगा।”—अय्यूब 27:5.
अय्यूब की परीक्षा लेने की इजाज़त दी और शैतान ने अय्यूब को एक दर्दनाक बीमारी से पीड़ित किया। (12. अय्यूब ने कैसे साबित किया कि शैतान झूठा है?
12 अय्यूब को बिलकुल पता नहीं था कि शैतान ने उस पर इलज़ाम लगाया है। न ही वह यह जानता था कि उस पर इतनी तकलीफें क्यों आ रही हैं। उसने सोचा कि यहोवा उस पर ये सारी तकलीफें ला रहा है। (अय्यूब 6:4; 16:11-14) इसके बावजूद अय्यूब यहोवा का वफादार बना रहा। इससे साफ हो गया कि अय्यूब मतलबी नहीं था। वह यहोवा से प्यार करता था इसलिए वह उसका दोस्त था। शैतान के लगाए सारे इलज़ाम झूठे निकले।
13. अय्यूब की वफादारी का क्या नतीजा निकला?
13 अय्यूब नहीं जानता था कि स्वर्ग में क्या चल रहा है, फिर भी वह परमेश्वर का वफादार बना रहा। इस तरह उसने साबित किया कि शैतान कितना दुष्ट है। यहोवा ने अपने दोस्त अय्यूब को उसकी वफादारी के लिए इनाम दिया।—अय्यूब 42:12-17.
शैतान ने आप पर भी इलज़ाम लगाया है
14, 15. शैतान ने सभी इंसानों पर क्या इलज़ाम लगाया?
14 अय्यूब के साथ जो हुआ उससे आप कुछ ज़रूरी बातें सीख सकते हैं। आज शैतान हम पर भी इलज़ाम लगाता है कि हम यहोवा की सेवा इसलिए करते हैं क्योंकि हम उससे कुछ पाना चाहते हैं। अय्यूब 2:4 में उसने दावा किया, “इंसान अपनी जान बचाने के लिए अपना सबकुछ दे सकता है।” इस तरह उसने न सिर्फ अय्यूब पर बल्कि सभी इंसानों पर इलज़ाम लगाया कि वे मतलबी हैं। अय्यूब की मौत के सैकड़ों साल बाद भी शैतान ने यहोवा का अपमान करना और उसके सेवकों पर इलज़ाम लगाना नहीं छोड़ा। इसलिए नीतिवचन 27:11 में परमेश्वर ने कहा, “हे मेरे बेटे, बुद्धिमान बन और मेरा दिल खुश कर, ताकि मैं उसे जवाब दे सकूँ जो मुझे ताने मारता है [या मेरा अपमान करता है]।”
15 आप भी यहोवा की आज्ञा मानने और उसके वफादार दोस्त बनने का फैसला कर सकते हैं। अगर आप ऐसा करेंगे तो आप शैतान को झूठा साबित कर पाएँगे। परमेश्वर का दोस्त बनने के लिए चाहे आपको अपनी ज़िंदगी में बड़े-बड़े बदलाव क्यों न करने पड़ें, आप यकीन रख सकते हैं कि यह फैसला आपकी ज़िंदगी का सबसे बेहतरीन फैसला होगा! मगर यह एक गंभीर फैसला भी है। क्योंकि शैतान ने दावा किया है कि मुश्किलें आने पर आप यहोवा के वफादार नहीं रहेंगे। वह हमें परमेश्वर से विश्वासघात करने के लिए बहकाता है। वह कैसे?
16. (क) शैतान किन तरीकों से यहोवा के साथ लोगों की दोस्ती तोड़ने की कोशिश करता है? (ख) शैतान किस तरह आपको यहोवा की सेवा करने से रोक सकता है?
16 शैतान कई तरीकों से यहोवा के साथ हमारी दोस्ती तोड़ने की कोशिश करता है। वह “गरजते हुए शेर की तरह” हम पर हमला करता है ताकि हमें “फाड़ खाए।” (1 पतरस 5:8) इसलिए अगर आपके दोस्त, परिवारवाले या कोई और आपको बाइबल का अध्ययन करने से या सही काम करने से रोके तो हैरान मत होइए। यह ऐसा है मानो शैतान आप पर हमला कर रहा है। * (यूहन्ना 15:19, 20) शैतान खुद को ऐसे भी पेश करता है मानो वह ‘रौशनी देनेवाला स्वर्गदूत’ हो ताकि वह हमें यहोवा की आज्ञा तोड़ने के लिए बहका सके। (2 कुरिंथियों 11:14) शैतान एक और तरीके से हमें यहोवा की सेवा करने से रोकने की कोशिश करता है। वह हमें महसूस कराता है कि हम परमेश्वर की सेवा करने के बिलकुल लायक नहीं हैं।—नीतिवचन 24:10.
यहोवा की आज्ञा मानिए
17. हम यहोवा की आज्ञा क्यों मानते हैं?
17 जब हम यहोवा की आज्ञा मानते हैं तो हम शैतान को झूठा साबित करते हैं। आज्ञा मानने में क्या बात हमारी मदद करेगी? बाइबल बताती है, “तू अपने व्यवस्थाविवरण 6:5) हम यहोवा की आज्ञा इसलिए मानते हैं क्योंकि हम उससे प्यार करते हैं। जैसे-जैसे यहोवा के लिए हमारा प्यार बढ़ेगा, हम वे सब काम करने के लिए तैयार रहेंगे जो वह हमसे कहेगा। यूहन्ना ने लिखा था, “परमेश्वर से प्यार करने का मतलब यही है कि हम उसकी आज्ञाओं पर चलें और उसकी आज्ञाएँ हम पर बोझ नहीं हैं।”—1 यूहन्ना 5:3.
परमेश्वर यहोवा से पूरे दिल, पूरी जान और पूरी ताकत से प्यार करना।” (18, 19. (क) यहोवा ने हमें किन गलत कामों से दूर रहने के लिए कहा है? (ख) हम कैसे जानते हैं कि यहोवा कभी हमसे कोई ऐसा काम करने के लिए नहीं कहता जिसे करना हमारे बस में न हो?
18 यहोवा ने हमें बताया है कि हमें किन गलत कामों से दूर रहना चाहिए। इनमें से कुछ काम यहाँ दिए बक्स में बताए गए हैं जिसका शीर्षक है, “ उन कामों से नफरत कीजिए जिनसे यहोवा नफरत करता है।” शुरू-शुरू में आपको शायद लगे कि इनमें से कुछ काम इतने बुरे नहीं हैं। लेकिन जब आप यहाँ दी गयी बाइबल की आयतें पढ़ेंगे और उनके बारे में गहराई से सोचेंगे, तो आप समझ पाएँगे कि यहोवा की आज्ञा मानने में ही बुद्धिमानी है। आपको शायद यह भी लगे कि आपको अपनी ज़िंदगी में कुछ बदलाव करने की ज़रूरत है। हालाँकि ऐसा करना आसान नहीं, फिर भी अगर आप इन्हें करेंगे तो आप दिखा रहे होंगे कि आप यहोवा के एक वफादार दोस्त हैं। और इससे आपको शांति और खुशी मिलेगी। (यशायाह 48:17, 18) हम कैसे जानते हैं कि हम ये बदलाव कर सकते हैं?
19 यहोवा कभी हमसे कोई ऐसा काम करने के लिए नहीं कहता जिसे करना हमारे बस में न हो। (व्यवस्थाविवरण 30:11-14) वह हमारा सच्चा दोस्त है और वह हमारे बारे में हमसे बेहतर जानता है। वह हमारी खूबियाँ और कमज़ोरियाँ, दोनों जानता है। (भजन 103:14) पौलुस ने हमें बढ़ावा दिया, “परमेश्वर विश्वासयोग्य है और वह तुम्हें ऐसी किसी भी परीक्षा में नहीं पड़ने देगा जो तुम्हारी बरदाश्त के बाहर हो, मगर परीक्षा के साथ-साथ वह उससे निकलने का रास्ता भी निकालेगा ताकि तुम इसे सह सको।” (1 कुरिंथियों 10:13) हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमें सही काम करने की हिम्मत देगा। वह हमें मुश्किल हालात में धीरज धरने के लिए ऐसी ताकत देगा जो “आम इंसानों की ताकत से कहीं बढ़कर है।” (2 कुरिंथियों 4:7) जब पौलुस मुश्किल में था तो यहोवा ने उसकी मदद की थी। इसलिए वह कह सका, “जो मुझे ताकत देता है, उसी से मुझे सब बातों के लिए शक्ति मिलती है।”—फिलिप्पियों 4:13.
उन कामों से प्यार कीजिए जिनसे यहोवा प्यार करता है
20. हमें यहोवा के जैसे कौन-से गुण दिखाने चाहिए और क्यों?
20 अगर हम यहोवा के दोस्त बनना चाहते हैं, तो हमें उन कामों को करना छोड़ देना चाहिए जिनसे यहोवा नफरत करता है। लेकिन हमें कुछ और भी करने की ज़रूरत है। (रोमियों 12:9) परमेश्वर के दोस्त उन कामों से प्यार करते हैं जिनसे वह प्यार करता है। इन कामों के बारे में भजन 15:1-5 में बताया गया है। (पढ़िए।) यहोवा के दोस्त उसके जैसे गुण भी दिखाते हैं। ये गुण हैं “प्यार, खुशी, शांति, सब्र, कृपा, भलाई, विश्वास, कोमलता, संयम।”—गलातियों 5:22, 23.
21. आप यहोवा के जैसे गुण दिखाना कैसे सीख सकते हैं?
21 आप ये बढ़िया गुण दिखाना कैसे सीख सकते हैं? आपको जानना होगा कि यहोवा को किन बातों से प्यार है। यह आप रोज़ बाइबल पढ़कर और उसकी जाँच करके जान सकते हैं। (यशायाह 30:20, 21) जब आप ऐसा करेंगे तब यहोवा के लिए आपका प्यार बढ़ेगा। और जैसे-जैसे आपका प्यार बढ़ेगा वैसे-वैसे उसकी आज्ञा मानने की आपकी इच्छा बढ़ेगी।
22. अगर आप यहोवा की आज्ञा मानेंगे तो इसका क्या नतीजा होगा?
22 आपको अपनी ज़िंदगी में जो बदलाव करना है वह ऐसा है मानो आप पुराने कपड़े उतारकर नए कपड़े पहन रहे हों। बाइबल बताती है कि आपको ‘पुरानी शख्सियत उतार फेंकने’ और ‘नयी शख्सियत पहन लेने’ की ज़रूरत है। (कुलुस्सियों 3:9, 10) हालाँकि यह बदलाव करना आसान नहीं, फिर भी अगर हम ऐसा करेंगे और यहोवा की आज्ञा मानेंगे तो वह वादा करता है कि वह हमें “बड़ा इनाम” देगा। (भजन 19:11) यहोवा की आज्ञा मानने और शैतान को झूठा साबित करने का फैसला कीजिए। यहोवा की सेवा कीजिए, मगर भविष्य में इनाम पाने के लिए नहीं बल्कि प्यार की वजह से कीजिए। ऐसा प्यार जिसमें कोई स्वार्थ न छिपा हो। तब आप परमेश्वर के सच्चे दोस्त बन पाएँगे।
^ पैरा. 16 इसका यह मतलब नहीं कि आपका विरोध करनेवाले सभी शैतान के काबू में हैं। लेकिन शैतान ‘इस दुनिया की व्यवस्था का ईश्वर’ है और “सारी दुनिया [उसके] कब्ज़े में पड़ी हुई है।” इसलिए जब कुछ लोग हमें यहोवा की सेवा करने से रोकते हैं तो यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है।—2 कुरिंथियों 4:4; 1 यूहन्ना 5:19.