पाठ 93
यीशु स्वर्ग लौट गया
यीशु गलील में अपने चेलों से मिला। उसने उन्हें एक आज्ञा दी जिसे मानना बहुत ज़रूरी था। उसने कहा, ‘जाओ और सब देशों के लोगों को चेला बनाओ। उन्हें वह सब बातें सिखाओ जो मैंने तुम्हें सिखायी हैं और उन्हें बपतिस्मा दो।’ फिर यीशु ने उनसे वादा किया, ‘याद रखना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।’
यीशु ज़िंदा होने के बाद 40 दिन तक गलील और यरूशलेम में सैकड़ों चेलों को दिखायी देता रहा। उसने उन्हें ज़रूरी बातें सिखायीं और बहुत-से चमत्कार किए। फिर वह आखिरी बार अपने प्रेषितों से जैतून पहाड़ पर मिला। उसने उनसे कहा, ‘तुम यरूशलेम छोड़कर मत जाना। पिता ने जो वादा किया है उसके पूरा होने तक इंतज़ार करना।’
प्रेषित उसकी बात समझ नहीं पाए। उन्होंने उससे पूछा, ‘क्या तू अभी इसराएल का राजा बननेवाला है?’ यीशु ने कहा, ‘अब तक यहोवा का समय नहीं आया है कि मैं राजा बनूँ। जल्द ही जब तुम पर पवित्र शक्ति आएगी तो तुम ताकत पाओगे और मेरे बारे में गवाही दोगे। तुम यरूशलेम, यहूदिया और सामरिया और दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में प्रचार करना।’
इसके बाद यीशु को आकाश में उठा लिया गया और एक बादल ने उसे ढाँप दिया। चेले ऊपर की तरफ ताकते रहे, मगर वह चला गया था।
चेले जैतून पहाड़ से यरूशलेम चले गए। वे लगातार एक ऊपरी कमरे में इकट्ठा होते और प्रार्थना करते थे। वे इंतज़ार कर रहे थे कि यीशु उन्हें बताएगा कि आगे क्या करना है।
“राज की इस खुशखबरी का सारे जगत में प्रचार किया जाएगा ताकि सब राष्ट्रों को गवाही दी जाए और इसके बाद अंत आ जाएगा।”—मत्ती 24:14