पाठ 85
सब्त के दिन यीशु का चमत्कार
फरीसी, यीशु से नफरत करते थे और उसे गिरफ्तार करने के लिए कोई वजह ढूँढ़ रहे थे। उन्होंने कहा कि उसे सब्त के दिन बीमारों को ठीक नहीं करना चाहिए। एक बार, सब्त के दिन यीशु ने देखा कि सड़क पर एक अंधा आदमी भीख माँग रहा है। उसने अपने चेलों से कहा, ‘अब तुम देखना, परमेश्वर की शक्ति से कैसे इस आदमी को मदद मिलती है।’ यीशु ने अपनी थूक से मिट्टी मिलाकर लेप बनाया और उस अंधे आदमी की आँखों पर लगाया। यीशु ने उससे कहा, “जाकर सिलोम के कुंड में धो ले।” जब उस आदमी ने ऐसा किया तो उसे ज़िंदगी में पहली बार दिखायी देने लगा।
उस आदमी को देखकर लोग हैरान रह गए। वे कहने लगे, ‘क्या यह वही आदमी है जो पहले बैठकर भीख माँगता था या यह आदमी उसके जैसा दिखता है?’ उस आदमी ने उनसे कहा, ‘मैं वही आदमी हूँ जो जन्म से अंधा था!’ लोगों ने उससे पूछा, ‘तुझे अब कैसे दिखायी दे रहा है?’ जब उसने बताया कि वह कैसे ठीक हुआ तो वे उसे फरीसियों के पास ले गए।
उस आदमी ने फरीसियों को बताया, ‘यीशु ने मेरी आँखों पर लेप लगाया और मुझसे कहा कि मैं जाकर अपनी आँखें धो लूँ। जब मैंने ऐसा किया तो मुझे दिखायी देने लगा।’ फरीसियों ने कहा, ‘अगर यीशु सब्त के दिन बीमारों को ठीक करता है तो इसका मतलब है कि उसे परमेश्वर ने शक्ति नहीं दी है।’ मगर दूसरों ने कहा, ‘अगर उसे परमेश्वर ने शक्ति नहीं दी है तो वह किसी को ठीक नहीं कर सकता।’
फरीसियों ने उस आदमी के माता-पिता को बुलाया और उनसे पूछा, ‘तुम्हारा बेटा अब कैसे देख पा रहा है?’ उसके माता-पिता डरे हुए थे
क्योंकि फरीसियों ने कहा था कि जो कोई यीशु पर विश्वास करेगा उसे सभा-घर से निकाल दिया जाएगा। इसलिए उन्होंने कहा, ‘हम नहीं जानते। उसी से पूछो।’ इसके बाद फरीसियों ने उस आदमी से और भी सवाल किए। आखिर में उस आदमी ने कहा, ‘मुझे जितना पता था वह सब मैंने बता दिया है। फिर तुम क्यों सवाल किए जा रहे हो?’ फरीसियों को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया।यीशु उस आदमी से मिलने गया और उससे पूछा, ‘क्या तू मसीहा पर विश्वास करता है?’ उस आदमी ने कहा, ‘अगर मुझे पता होता कि वह कौन है तो मैं ज़रूर उस पर विश्वास करता।’ यीशु ने उससे कहा, ‘मैं ही मसीहा हूँ।’ देखा आपने, यीशु ने कैसे उस आदमी की मदद की? उसने न सिर्फ उसकी आँखें ठीक कीं बल्कि उसे विश्वास करने में भी मदद दी।
“तुम बड़ी गलतफहमी में हो क्योंकि तुम न तो शास्त्र को जानते हो, न ही परमेश्वर की शक्ति को।”—मत्ती 22:29