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अध्याय आठ

अपने परिवार को विनाशकारी प्रभावों से बचाइए

अपने परिवार को विनाशकारी प्रभावों से बचाइए

१-३. (क) वे विनाशकारी प्रभाव किन स्रोतों से आते हैं जो परिवार को ख़तरे में डालते हैं? (ख) अपने परिवार को बचाने में माता-पिताओं को किस संतुलन की ज़रूरत है?

आप अपने छोटे-से लड़के को स्कूल भेजने ही वाले हैं, और तेज़ बारिश हो रही है। आप स्थिति का सामना कैसे करते हैं? क्या आप उसे बिना किसी बरसाती के कूदते हुए दरवाज़े से बाहर जाने देते हैं? या क्या आप उसे इतने सारे बचाव-वस्त्र पहना देते हैं कि उसे हिलने में भी मुश्‍किल होती है? निःसंदेह, आप इनमें से कोई भी काम नहीं करते। आप उसे बस वही देते हैं जो उसे सूखा रखने के लिए ज़रूरी है।

इसी प्रकार, माता-पिताओं को एक संतुलित तरीक़ा ढूँढने की ज़रूरत है कि अपने परिवार को उन विनाशकारी प्रभावों से बचा सकें जिनकी बारिश उन पर अनेक स्रोतों से होती है, जैसे मनोरंजन उद्योग, जनसंपर्क साधन, समकक्ष, और कभी-कभी स्कूल भी। कुछ माता-पिता अपने परिवार का बचाव करने के लिए थोड़ा या कुछ भी नहीं करते। दूसरे, लगभग हर बाहरी प्रभाव को हानिकर समझते हुए, इतनी सख़्ती करते हैं कि बच्चों को लगता है मानो उनका दम घुट रहा है। क्या एक संतुलन संभव है?

जी हाँ, संभव है। नितांत होना अप्रभावकारी है और विपत्ति को न्योता दे सकता है। (सभोपदेशक ७:१६, १७) लेकिन मसीही माता-पिता अपने परिवार को बचाने में सही संतुलन कैसे प्राप्त करें? तीन क्षेत्रों पर विचार कीजिए: शिक्षा, संगति, और मनोरंजन।

आपके बच्चों को कौन सिखाएगा?

४. मसीही माता-पिताओं को शिक्षा को किस दृष्टि से देखना चाहिए?

मसीही माता-पिता शिक्षा को बहुत महत्त्व देते हैं। वे जानते हैं कि स्कूली शिक्षा बच्चों को पढ़ने, लिखने, और संचार करने, साथ ही समस्याओं को सुलझाने में मदद देती है। इससे उन्हें यह भी सीखना चाहिए कि कैसे सीखें। बच्चे स्कूल में जो कौशल हासिल करते हैं वे उन्हें आज के संसार की चुनौतियों के बावजूद सफल होने में मदद दे सकते हैं। इसके साथ-साथ, एक अच्छी शिक्षा उन्हें शायद बढ़िया काम करने में मदद दे।—नीतिवचन २२:२९.

५, ६. बच्चों को शायद स्कूल में लैंगिक बातों के बारे में उलटी-सीधी जानकारी कैसे मिले?

लेकिन, स्कूल बच्चों को दूसरे बच्चों की संगति में भी लाता है—जिनमें से अनेकों के दृष्टिकोण उलटे-सीधे होते हैं। उदाहरण के लिए, सॆक्स और नैतिकता के बारे में उनके दृष्टिकोणों पर विचार कीजिए। नाइजीरिया के एक माध्यमिक स्कूल में, एक लैंगिक रूप से स्वच्छंद लड़की अपने संगी विद्यार्थियों को सॆक्स के बारे में सलाह दिया करती थी। वे उत्सुकता से उसकी सुनते थे, जबकि उसके विचार बकवास से भरे होते थे जो उसने अश्‍लील साहित्य में से बटोरे थे। कुछ लड़कियों ने उसकी सलाह पर चल कर देखा। फलस्वरूप, एक लड़की बिन ब्याह के गर्भवती हो गयी और स्वयं गर्भपात करने की कोशिश में मर गयी।

दुःख की बात है कि स्कूल में लैंगिक बातों के बारे में कुछ ग़लत जानकारी बच्चों से नहीं, बल्कि शिक्षकों से आती है। अनेक माता-पिता व्याकुल हो जाते हैं जब स्कूल नैतिक स्तरों और ज़िम्मेदारी पर जानकारी दिए बिना बच्चों को सॆक्स के बारे में सिखाते हैं। एक १२-वर्षीय लड़की की माँ ने कहा: “हम एक बहुत धार्मिक, रूढ़िवादी क्षेत्र में रहते हैं, और फिर भी स्थानीय हाई स्कूल में ही, वे बच्चों को गर्भ निरोधक बाँट रहे हैं!” वह और उसका पति चिन्तित हो गए जब उन्हें पता चला कि उनकी पुत्री को उसी की उम्र के लड़कों की ओर से लैंगिक प्रस्ताव मिल रहे थे। माता-पिता अपने परिवार को ऐसे ग़लत प्रभावों से कैसे बचा सकते हैं?

७. लैंगिक बातों के बारे में ग़लत जानकारी को सबसे अच्छी तरह कैसे काटा जा सकता है?

क्या बच्चों को लैंगिक बातों के ज़िक्र से भी बचाकर रखना सर्वोत्तम है? जी नहीं। अपने बच्चों को सॆक्स के बारे में ख़ुद सिखाना बेहतर है। (नीतिवचन ५:१) यह सच है कि यूरोप और उत्तर अमरीका के कुछ भागों में अनेक माता-पिता इस विषय से कतराते हैं। उसी प्रकार, कुछ अफ्रीकी देशों में माता-पिता अपने बच्चों के साथ सॆक्स के बारे में शायद ही कभी चर्चा करते हैं। “ऐसा करना अफ्रीकी संस्कृति का भाग नहीं है,” सीएरा लीयोन में एक पिता कहता है। कुछ माता-पिताओं को लगता है कि बच्चों को सॆक्स के बारे में सिखाना उनमें ऐसे विचार डालना है जो उनको अनैतिकता करने की ओर ले जाएँगे! लेकिन परमेश्‍वर का दृष्टिकोण क्या है?

सॆक्स के बारे में परमेश्‍वर का दृष्टिकोण

८, ९. बाइबल में लैंगिक बातों के बारे में कौन-सी उत्तम जानकारी मिलती है?

बाइबल स्पष्ट करती है कि उचित संदर्भ में सॆक्स के बारे में चर्चा करने में लाज की कोई बात नहीं। इस्राएल में, परमेश्‍वर के लोगों को कहा गया था कि ऊँचे स्वर में मूसा की व्यवस्था का पठन सुनने के लिए एकसाथ इकट्ठा हों। इसमें उनके “बालक” सम्मिलित थे। (व्यवस्थाविवरण ३१:१०-१२; यहोशू ८:३५) व्यवस्था ने कई लैंगिक बातों का साफ़-साफ़ ज़िक्र किया, जिसमें मासिक धर्म, वीर्य स्खलन, व्यभिचार, परस्त्रीगमन, समलिंगकामुकता, कौटुम्बिक व्यभिचार, और पशुगमन सम्मिलित थे। (लैव्यव्यवस्था १५:१६, १९; १८:६, २२, २३; व्यवस्थाविवरण २२:२२) इसमें कोई संदेह नहीं कि ऐसे पठनों के बाद माता-पिताओं को अपने जिज्ञासु युवजनों को काफ़ी कुछ समझाना पड़ता था।

नीतिवचन के पाँचवें, छठवें, और सातवें अध्यायों में ऐसे परिच्छेद हैं जो लैंगिक अनैतिकता के ख़तरों के बारे में प्रेममय जनकीय सलाह देते हैं। ये आयतें दिखाती हैं कि कभी-कभी अनैतिकता शायद प्रलोभक लगे। (नीतिवचन ५:३; ६:२४, २५; ७:१४-२१) लेकिन वे सिखाती हैं कि यह ग़लत है और इसके विपत्तिजनक परिणाम होते हैं, और वे ऐसा मार्गदर्शन देती हैं जो अनैतिक मार्ग से बचने के लिए युवा लोगों की मदद करता है। (नीतिवचन ५:१-१४, २१-२३; ६:२७-३५; ७:२२-२७) इसके अलावा, अनैतिकता की विषमता विवाह में लैंगिक सुख की संतुष्टि के साथ की गयी है, जो कि उसका सही स्थान है। (नीतिवचन ५:१५-२०) माता-पिताओं के अनुकरण के लिए क्या ही उत्तम शिक्षा-आदर्श!

१०. बच्चों को सॆक्स के बारे में ईश्‍वरीय ज्ञान देना क्यों उन्हें अनैतिकता करने की ओर नहीं ले जाता?

१० क्या ऐसी शिक्षा बच्चों को अनैतिकता करने की ओर ले जाती है? इसके विपरीत, बाइबल सिखाती है: “धर्मी लोग ज्ञान के द्वारा बचते हैं।” (नीतिवचन ११:९) क्या आप अपने बच्चों को इस संसार के प्रभावों से नहीं बचाना चाहते? एक पिता ने कहा: “जब बच्चे बहुत छोटे थे, तभी से हमने उनके साथ सॆक्स के सम्बन्ध में पूरी तरह से खुलकर बात करने की कोशिश की है। इस तरह, जब वे दूसरे बच्चों को सॆक्स के बारे में बात करते सुनते हैं तो वे जिज्ञासु नहीं होते। इसमें कोई बड़ा रहस्य नहीं है।”

११. बच्चों को जीवन के व्यक्‍तिगत मामलों के बारे में धीरे-धीरे कैसे सिखाया जा सकता है?

११ जैसा कि पिछले अध्यायों में बताया गया है, लैंगिक शिक्षा जल्दी शुरू की जानी चाहिए। छोटे बच्चों को शरीर के अंगों के नाम सिखाते समय उनके गुप्तांगों को मत छोड़िए मानो यह किसी तरह से लाज की बात हो। उन्हें इनके सही नाम सिखाइए। जैसे-जैसे समय बीतता है, गोपनीयता और सीमाओं के बारे में पाठ अत्यावश्‍यक हैं। बेहतर होगा कि दोनों, माता और पिता बच्चों को सिखाएँ कि शरीर के ये अंग विशेष हैं, सामान्य रूप से दूसरों द्वारा छूए अथवा दूसरों को दिखाए नहीं जाने चाहिए, और इनके बारे में कभी-भी गन्दी बातें नहीं की जानी चाहिए। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उन्हें बताया जाना चाहिए कि किस प्रकार एक पुरुष और स्त्री के मिलन से बच्चा गर्भ में पड़ता है। जिस समय तक उनके ख़ुद के शरीर में यौवनारंभ होता है, उन्हें होनेवाले परिवर्तनों का पहले से ही अच्छी तरह बोध होना चाहिए। जैसा कि अध्याय ५ में चर्चा की गयी थी, ऐसी शिक्षा बच्चों को लैंगिक दुर्व्यवहार से बचाने में भी मदद दे सकती है।—नीतिवचन २:१०-१४.

माता-पिताओं का गृह-कार्य

१२. स्कूलों में अकसर कैसे उलटे-सीधे विचार सिखाए जाते हैं?

१२ माता-पिताओं को अन्य झूठे विचारों को भी काटने के लिए तैयार रहने की ज़रूरत है जो शायद स्कूल में सिखाए जाएँ—क्रमविकास, राष्ट्रीयवाद जैसे सांसारिक तत्वज्ञान, या यह विचार कि कोई सत्य परम सत्य नहीं है। (१ कुरिन्थियों ३:१९. उत्पत्ति १:२७; लैव्यव्यवस्था २६:१; यूहन्‍ना ४:२४; १७:१७ से तुलना कीजिए।) अनेक निष्कपट स्कूल अधिकारी अतिरिक्‍त शिक्षा को अनुचित महत्त्व देते हैं। यूँ तो संपूरक शिक्षा का मामला एक व्यक्‍तिगत चुनाव है, कुछ शिक्षक मानते हैं कि यह किसी भी व्यक्‍तिगत सफलता का एकमात्र मार्ग है। *भजन १४६:३-६.

१३. स्कूल जानेवाले बच्चों को ग़लत विचारों से कैसे बचाया जा सकता है?

१३ यदि माता-पिताओं को ग़लत या उलटी-सीधी शिक्षाओं को काटना है, तो उन्हें यह जानना है कि उनके बच्चों को कैसी शिक्षा प्राप्त हो रही है। सो माता-पिताओं, याद रखिए कि आपके पास भी गृह-कार्य है! अपने बच्चों की स्कूली शिक्षा में असली दिलचस्पी दिखाइए। स्कूल के बाद उनके साथ बात कीजिए। पूछिए कि वे क्या सीख रहे हैं, उन्हें सबसे अच्छा क्या लगता है, कौन-सी बात उन्हें सबसे चुनौतीपूर्ण लगती है। गृह-कार्य नियुक्‍तियाँ, नोटस्‌, और परीक्षा-फल देखिए। उनके शिक्षकों से परिचित होने की कोशिश कीजिए। शिक्षकों को बताइए कि आप उनके कार्य का मूल्यांकन करते हैं और कि यदि आप कोई मदद कर सकते हैं तो आप उसके लिए तैयार हैं।

आपके बच्चों के मित्र

१४. यह क्यों अत्यावश्‍यक है कि धर्म-परायण बच्चे अच्छे मित्र चुनें?

१४ “आपने यह कहाँ से सीखा?” कितने माता-पिताओं ने यह प्रश्‍न पूछा है जब वे अपने बच्चे के कुछ कहने या करने पर और जो बच्चे के स्वभाव से बिलकुल भिन्‍न लगता है, भयभीत हुए हैं? और कितनी बार उत्तर में स्कूल या पड़ोस का कोई नया मित्र जुड़ा होता है? जी हाँ, साथी हम पर गहरा प्रभाव डालते हैं, चाहे हम जवान हों या बूढ़े। प्रेरित पौलुस ने चेतावनी दी: “धोखा न खाना, बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।” (१ कुरिन्थियों १५:३३; नीतिवचन १३:२०) ख़ासकर युवा लोग समकक्ष दबाव में आसानी से आ सकते हैं। वे अकसर अपने बारे में अनिश्‍चित होते हैं और शायद कभी-कभी उनमें अपने साथियों को प्रसन्‍न और प्रभावित करने की तीव्र अभिलाषा हो। तो, यह कितना ज़रूरी है कि वे अच्छे मित्र चुनें!

१५. मित्र चुनने में माता-पिता अपने बच्चों को कैसे मार्गदर्शन दे सकते हैं?

१५ जैसा कि हर जनक जानता है, बच्चे हमेशा अच्छा चुनाव नहीं करेंगे; उन्हें कुछ मार्गदर्शन की ज़रूरत होती है। यह उनके लिए उनके मित्र चुनने की बात नहीं है। इसके बजाय, जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उन्हें समझदारी सिखाइए और यह देखने में उनकी मदद कीजिए कि उन्हें मित्रों में किन गुणों को महत्त्व देना चाहिए। मुख्य गुण है यहोवा का और जो उसकी आँखों में सही है वह कार्य करने का प्रेम। (मरकुस १२:२८-३०) उन्हें सिखाइए कि उन लोगों को प्रेम करें और आदर दें जिनमें ईमानदारी, कृपालुता, उदारता और परिश्रमिता है। पारिवारिक अध्ययन के दौरान, बाइबल पात्रों में ऐसे गुण पहचानने और फिर कलीसिया के अन्दर दूसरों में समान विशेषताएँ ढूँढने में बच्चों की मदद कीजिए। स्वयं अपने मित्र चुनते समय यही नियम लागू करने के द्वारा उदाहरण रखिए।

१६. उनके बच्चे कैसे मित्रों का चुनाव करते हैं इस पर माता-पिता कैसे निगरानी रख सकते हैं?

१६ क्या आप जानते हैं कि आपके बच्चों के मित्र कौन हैं? क्यों न अपने बच्चों से कहें कि उन्हें घर बुलाएँ ताकि आप उनसे मिल सकें? आप अपने बच्चों से यह भी पूछ सकते हैं कि दूसरे बच्चे इन मित्रों के बारे में क्या सोचते हैं। क्या वे व्यक्‍तिगत सत्यनिष्ठा दिखाने के लिए जाने जाते हैं या एक दोहरा जीवन जीने के लिए? यदि यह सच है कि वे दोहरा जीवन जीते हैं तो अपने बच्चों को इस बात पर तर्क करने में मदद दीजिए कि क्यों ऐसी संगति उनको नुक़सान पहुँचा सकती है। (भजन २६:४, ५, ९-१२) यदि आप अपने बच्चे के बर्ताव, पहनावे, रुख, या बोली में अप्रिय परिवर्तन देखते हैं तो आपको शायद उसके मित्रों के बारे में उससे बात करने की ज़रूरत पड़े। आपका बच्चा शायद एक ऐसे मित्र के साथ समय बिता रहा हो जो एक नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।—उत्पत्ति ३४:१, २ से तुलना कीजिए।

१७, १८. बुरे साथियों के बारे में चेतावनी देने के अलावा, माता-पिता कैसी व्यावहारिक मदद दे सकते हैं?

१७ फिर भी अपने बच्चों को सिर्फ़ इतना ही सिखाना काफ़ी नहीं है कि बुरे साथियों से दूर रहें। अच्छे मित्र ढूँढने में उनकी मदद कीजिए। एक पिता कहता है: “हम हमेशा बदले में कुछ देने की कोशिश करते। सो जब स्कूल चाहता था कि हमारा पुत्र फुटबॉल टीम में हो, तो मेरी पत्नी और मैं उसके साथ बैठे और हमने चर्चा की कि क्यों यह एक अच्छा विचार नहीं है—क्योंकि उसे नए साथी मिलते। लेकिन तब हमने सुझाव दिया कि क्यों न कलीसिया के कुछ दूसरे बच्चों को इकट्ठा करें और उन सब के साथ मैदान में जाकर बॉल खेलें। और इससे काम बन गया।”

१८ बुद्धिमान माता-पिता अपने बच्चों को अच्छे मित्र ढूँढने में और फिर उनके साथ हितकर मनोरंजन का आनन्द लेने में मदद देते हैं। लेकिन, अनेक माता-पिताओं के लिए, मनोरंजन का यह मामला अपनी ही चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है।

किस क़िस्म का मनोरंजन?

१९. कौन-से बाइबल उदाहरण दिखाते हैं कि मज़ा करना परिवारों के लिए पापमय नहीं है?

१९ क्या बाइबल मज़ा करने की निन्दा करती है? निश्‍चित ही नहीं! बाइबल कहती है कि “हंसने का भी समय . . . और नाचने का भी समय है।” * (सभोपदेशक ३:४) प्राचीन इस्राएल में परमेश्‍वर के लोग संगीत और नृत्य, खेल, और पहेलियों का आनन्द लेते थे। यीशु मसीह एक बड़े विवाह-भोज में उपस्थित हुआ और एक “बड़ी जेवनार” में गया जो मत्ती लेवी ने उसके लिए की थी। (लूका ५:२९; यूहन्‍ना २:१, २) स्पष्ट है कि यीशु मज़ा किरकिरा करनेवाला व्यक्‍ति नहीं था। ऐसा हो कि आपके घराने में हंसी-मज़ाक को कभी पाप न समझा जाए!

अच्छी तरह से चुना गया मनोरंजन, जैसे कि यह पारिवारिक पड़ाव-यात्रा, बच्चों को सीखने और आध्यात्मिक रूप से बढ़ने में मदद दे सकता है

२०. परिवार के लिए मनोरंजन प्रदान करते समय माता-पिताओं को कौन-सी बात ध्यान में रखनी चाहिए?

२० यहोवा “आनन्दित परमेश्‍वर” है। (१ तीमुथियुस १:११, NW) सो यहोवा की उपासना को हर्ष का स्रोत होना चाहिए, कोई ऐसी चीज़ नहीं जिससे जीवन में उदासी छा जाए। (व्यवस्थाविवरण १६:१५ से तुलना कीजिए।) स्वाभाविक रूप से बच्चे प्रसन्‍न और ऊर्जा से भरे होते हैं जो खेल और मनोरंजन में लगायी जा सकती है। अच्छी तरह से चुना गया मनोरंजन मज़ा करने से ज़्यादा है। यह बच्चे के लिए सीखने और प्रौढ़ होने का एक तरीक़ा है। परिवार का सिर हर चीज़ में अपने घराने की ज़रूरतें पूरी करने के लिए ज़िम्मेदार है, जिसमें मनोरंजन सम्मिलित है। लेकिन, संतुलन की आवश्‍यकता है।

२१. आज मनोरंजन में कौन-से फन्दे हैं?

२१ इन अशांत “अन्तिम दिनों” में, मानव समाज ऐसे लोगों से भरा हुआ है जो “परमेश्‍वर के नहीं बरन सुखविलास ही के चाहनेवाले” हैं, ठीक वैसे ही जैसे बाइबल में भविष्यवाणी की गयी थी। (२ तीमुथियुस ३:१-५) बहुतेरों के लिए, मनोरंजन जीवन में मुख्य बात है। इतना सारा मनोरंजन उपलब्ध है कि वह आसानी से अधिक महत्त्वपूर्ण बातों को पीछे धकेल सकता है। इसके अलावा, बहुत-सा आधुनिक मनोरंजन लैंगिक अनैतिकता, हिंसा, नशीले पदार्थों का दुष्प्रयोग, और अन्य अत्यधिक हानिकर अभ्यास प्रस्तुत करता है। (नीतिवचन ३:३१) युवजनों को हानिकर मनोरंजन से सुरक्षित रखने के लिए क्या किया जा सकता है?

२२. मनोरंजन के सम्बन्ध में बुद्धिमत्तापूर्ण फ़ैसले करने के लिए माता-पिता अपने बच्चों को कैसे प्रशिक्षित कर सकते हैं?

२२ माता-पिताओं को सीमाएँ और रोक-टोक लगाने की ज़रूरत है। लेकिन उससे अधिक, उन्हें अपने बच्चों को यह सिखाने की ज़रूरत है कि कैसे परखें कि कौन-सा मनोरंजन हानिकर है और कैसे जानें कि कितना मनोरंजन बहुत अधिक है। ऐसे प्रशिक्षण के लिए समय और प्रयास लगता है। एक उदाहरण पर विचार कीजिए। दो लड़कों के एक पिता ने देखा कि उसका बड़ा पुत्र एक नए रेडियो स्टेशन को अकसर सुनता था। सो एक दिन काम पर अपना ट्रक चलाकर जाते हुए, पिता ने वही स्टेशन लगाया। बीच-बीच में रुककर उसने कुछ गीतों के बोल लिख लिए। बाद में वह अपने पुत्रों के साथ बैठा और जो उसने सुना था उस पर चर्चा की। उसने दृष्टिकोण प्रश्‍न पूछे, शुरू में पूछा कि “आप क्या सोचते हो?” और उनके उत्तरों को धीरज के साथ सुना। बाइबल का प्रयोग करके मामले पर तर्क करने के बाद, लड़के उस स्टेशन को नहीं सुनने के लिए राज़ी हो गए।

२३. माता-पिता अपने बच्चों को अहितकर मनोरंजन से कैसे बचा सकते हैं?

२३ बुद्धिमान मसीही माता-पिता ऐसे संगीत, टीवी कार्यक्रमों, वीडियो टेपस्‌, कॉमिक पुस्तकों, वीडियो गेमस्‌, और फ़िल्मों को जाँचते हैं जो उनके बच्चों को पसन्द हैं। वे कवर पर बने चित्र, बोल, और पैकिंग को देखते हैं, और वे अख़बारों में दी गयी समीक्षाएँ पढ़ते हैं और कुछ हिस्से देखते हैं। अनेक जन आज बच्चों के लिए बनाए गए कुछ “मनोरंजन” से स्तब्ध रह जाते हैं। जो अपने बच्चों को अशुद्ध प्रभावों से बचाना चाहते हैं वे परिवार के साथ बैठकर ख़तरों पर चर्चा करते हैं। चर्चा में वे बाइबल और बाइबल आधारित प्रकाशनों का प्रयोग करते हैं, जैसे पुस्तक युवाओं के प्रश्‍न—व्यावहारिक उत्तर (अंग्रेज़ी) और प्रहरीदुर्ग तथा सजग होइए! पत्रिकाओं के लेख। * जब माता-पिता संगत और कोमल होकर दृढ़ सीमाएँ लगाते हैं, तो प्रायः वे अच्छे परिणाम देखते हैं।—मत्ती ५:३७; फिलिप्पियों ४:५.

२४, २५. कुछ हितकर क़िस्म के मनोरंजन कौन-से हैं जिनका आनन्द परिवार एकसाथ ले सकते हैं?

२४ निःसंदेह, हानिकर क़िस्म के मनोरंजन पर रोक लगाना लड़ाई का केवल एक भाग है। बुरे को भले से काटने की ज़रूरत है, नहीं तो बच्चे शायद एक ग़लत मार्ग पर बहक जाएँ। अनेक मसीही परिवारों के पास एकसाथ मनोरंजन का आनन्द लेने की अनगिनत सुखद और मीठी यादें हैं—पिकनिक जाना, पैदल सैर करना, पड़ाव डालना, खेल खेलना, रिश्‍तेदारों या मित्रों से भेंट करने के लिए सफ़र करना। कुछ लोगों ने पाया है कि विश्राम के लिए एकसाथ ऊँचे स्वर में पढ़ना ही सुख और आराम का एक बड़ा स्रोत है। दूसरे हास्यकर या रुचिकर कहानियाँ सुनाने का आनन्द लेते हैं। और दूसरे हैं जिन्होंने एकसाथ शौक विकसित किए हैं, उदाहरण के लिए, लकड़ी का काम और अन्य शिल्प सीखना, साथ ही वाद्य बजाना, चित्रकारी करना, या परमेश्‍वर की सृष्टि का अध्ययन करना। जो बच्चे ऐसे मनबहलाव का आनन्द लेना सीखते हैं वे बहुत-से अशुद्ध मनोरंजन से बचते हैं, और वे सीखते हैं कि मनोरंजन में बस निष्क्रिय होकर बैठे तमाशा देखने से ज़्यादा शामिल है। भाग लेने में अकसर देखने से ज़्यादा मज़ा आता है।

२५ सामाजिक समूहन भी एक क़िस्म का फलदायी मनोरंजन हो सकते हैं। जब उन पर अच्छा निरीक्षण रखा जाता है और ज़रूरत से ज़्यादा बड़े या समय बरबाद करनेवाले नहीं होते, तो वे आपके बच्चों को सिर्फ़ मज़े से ज़्यादा दे सकते हैं। वे कलीसिया में प्रेम के बंधनों को गहरा करने में मदद दे सकते हैं।—लूका १४:१३, १४; यहूदा १२ से तुलना कीजिए।

आपका परिवार संसार को जीत सकता है

२६. जब परिवार को अहितकर प्रभावों से बचाने की बात आती है, तब सबसे महत्त्वपूर्ण गुण क्या है?

२६ निःसंदेह, अपने परिवार को संसार के विनाशकारी प्रभावों से बचाने के लिए बहुत मेहनत की ज़रूरत है। लेकिन दूसरी किसी भी चीज़ से बढ़कर, एक चीज़ है जो सफलता संभव बनाएगी। वह है प्रेम! घनिष्ठ, प्रेममय पारिवारिक बंधन आपके घर को एक सुरक्षित आश्रय बनाएँगे और संचार को बढ़ाएँगे, जो बुरे प्रभावों से एक बड़ी सुरक्षा है। इसके अलावा, एक और क़िस्म का प्रेम विकसित करना और भी ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है—यहोवा के लिए प्रेम। जब परिवार में ऐसे प्रेम का बोलबाला होता है, तो इसकी संभावना अधिक है कि बच्चे सांसारिक प्रभावों से दब जाने के द्वारा परमेश्‍वर को अप्रसन्‍न करने के विचार से ही घृणा करते हुए बड़े होंगे। और जो माता-पिता हृदय से यहोवा से प्रेम करते हैं वे उसके प्रेममय, कोमल, संतुलित व्यक्‍तित्व की नक़ल करने की कोशिश करेंगे। (इफिसियों ५:१; याकूब ३:१७) यदि माता-पिता ऐसा करते हैं, तो उनके बच्चों के पास यहोवा की उपासना को इस दृष्टि से देखने का कोई कारण नहीं होगा कि वह मात्र उन बातों की एक सूची के समान है जिनकी उनको अनुमति नहीं है या हँसी-मज़ाक से वंचित एक जीवन-शैली के समान है, जिससे वे जल्द-से-जल्द दूर भागना चाहते हैं। इसके बजाय, वे देखेंगे कि परमेश्‍वर की उपासना करना यथासंभव आनन्दपूर्ण और अर्थपूर्ण जीवन-शैली है।

२७. एक परिवार संसार को कैसे जीत सकता है?

२७ जो परिवार परमेश्‍वर की आनन्दपूर्ण, संतुलित सेवा में संयुक्‍त रहते हैं, इस संसार के दूषक प्रभावों से “निष्कलंक और निर्दोष” रहने के लिए तन-मन से प्रयास करते हैं, वे यहोवा के लिए आनन्द का स्रोत हैं। (२ पतरस ३:१४; नीतिवचन २७:११) ऐसे परिवार यीशु मसीह के पदचिन्हों पर चलते हैं, जिसने शैतान के संसार के उन सभी प्रयासों का विरोध किया जो उसे भ्रष्ट करने के लिए थे। अपने मानव जीवन के अन्त के निकट, यीशु यह कह सका: “मैं ने संसार को जीत लिया है।” (यूहन्‍ना १६:३३) ऐसा हो कि आपका परिवार भी संसार को जीत ले और सर्वदा जीवन का आनन्द ले!

^ पैरा. 12 संपूरक शिक्षा पर चर्चा के लिए, वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित ब्रोशर यहोवा के साक्षी और शिक्षा (अंग्रेज़ी) के पृष्ठ ४-७ देखिए।

^ पैरा. 19 यहाँ “हंसने” अनुवादित इब्रानी शब्द दूसरे रूपों में “खेलने,” “कुछ मनबहलाव करने,” “मनाने,” या “मज़ा करने” भी अनुवादित किया जा सकता है।

^ पैरा. 23 वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।