गीत 27
यहोवा की ओर हो जा!
1. झू-ठे धर्-मों में थे जब हम फँ-से
मन में थीं तब कित्-नी ही उल-झ-नें।
फिर उ-ठीं कै-सी उ-मं-गें दिल में
राज का सं-देश जब सु-ना।
(कोरस)
संग रह-ना तू याह के
हो जा उस-की ओर
छो-ड़े-गा ना साथ वो
चा-हे जो भी हो।
शां-ति और उद्-धार का
कर जा के प्र-चार,
राज उस-के म-सीह का
रह-ता बर-क़-रार।
2. से-वा क-रें-गे ख़ु-शी से याह की
फै-ला-एँ-गे धर-ती पे सच्-चा-ई।
हिम्-मत ब-ढ़ा-एँ-गे इक-दू-जे की
याह का स-रा-हें-गे नाम।
(कोरस)
संग रह-ना तू याह के
हो जा उस-की ओर
छो-ड़े-गा ना साथ वो
चा-हे जो भी हो।
शां-ति और उद्-धार का
कर जा के प्र-चार,
राज उस-के म-सीह का
रह-ता बर-क़-रार।
3. हम ना ड-रें-गे शै-ताँ जो क-रे
याह की ता-क़त पे भ-रो-सा ह-में।
जब मुश्-कि-लों के भँ-वर में फँ-सें
हम-को नि-का-ले-गा याह।
(कोरस)
संग रह-ना तू याह के
हो जा उस-की ओर
छो-ड़े-गा ना साथ वो
चा-हे जो भी हो।
शां-ति और उद्-धार का
कर जा के प्र-चार,
राज उस-के म-सीह का
रह-ता बर-क़-रार।
(भज. 94:14; नीति. 3:5, 6; इब्रा. 13:5 भी देखिए।)