जीएँ मसीहियों की तरह
परमेश्वर और पड़ोसी के लिए प्यार कैसे बढ़ाएँ?
मूसा के कानून की दो आज्ञाएँ सबसे बड़ी आज्ञाएँ हैं। एक है, परमेश्वर से प्यार करना और दूसरी, पड़ोसी से प्यार करना। (मत 22:37-39) हालाँकि मूसा का कानून मसीहियों के लिए नहीं है, मगर ये दोनों आज्ञाएँ हम पर भी लागू होती हैं और इनसे हम समझ पाते हैं कि यहोवा हमसे क्या चाहता है। यहोवा के लिए और पड़ोसी के लिए प्यार हममें जन्म से नहीं होता। हमें इसे बढ़ाना होता है। इसका एक अहम तरीका है, रोज़ बाइबल पढ़ना। बाइबल में परमेश्वर के कई खूबसूरत गुणों के बारे में लिखा है। जब हम इन गुणों के बारे में पढ़ते हैं, तो हम “यहोवा की मनोहरता” देख पाते हैं। (भज 27:4) इस तरह हमारे दिल में यहोवा के लिए प्यार बढ़ने लगता है और हम उसकी तरह सोचने लगते हैं। हमारा मन हमें यहोवा की आज्ञाएँ मानने के लिए उभारता है। इनमें से एक आज्ञा है, हम लोगों से प्यार करें और उनकी खातिर कुछ त्याग करें। (यूह 13:34, 35; 1यूह 5:3) नीचे तीन सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें अपनाने से बाइबल पढ़ना आपके लिए और मज़ेदार हो जाएगा।
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कल्पना कीजिए, ज्ञानेंद्रियों का इस्तेमाल कीजिए। किसी घटना के बारे में पढ़ते वक्त सोचिए कि आप वहीं पास में खड़े देख रहे हैं। आप वहाँ क्या देख रहे हैं, क्या सुन रहे हैं और आपको आस-पास कैसी महक आ रही है? इस घटना में जो लोग हैं, वे कैसा महसूस कर रहे हैं?
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अलग-अलग तरीके आज़माइए। बाइबल पढ़ने के कई तरीके हैं। बोलकर पढ़िए या ऑडियो रिकॉर्डिंग सुनते हुए अपनी बाइबल में देखिए। एक क्रम से अध्यायों को पढ़ने के बजाय बाइबल के किसी किरदार या विषय के बारे में पढ़कर खोजबीन कीजिए। जैसे, यीशु के बारे में पढ़ते वक्त पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद में दिया अतिरिक्त लेख क7 या ख12 देखिए। एक और तरीका है, ‘रोज़ाना बाइबल वचन’ की आयत जिस अध्याय से ली गयी है, वह पूरा अध्याय पढ़िए। बाइबल की किताबें जिस क्रम में लिखी गयी थीं, उस क्रम में उन्हें पढ़िए।
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समझने के इरादे से पढ़िए। हर दिन बहुत-से अध्याय यूँ ही पढ़ते जाने से आप सिर्फ नाम के लिए पढ़ रहे होंगे। वहीं अगर आप दिन में एक अध्याय भी पढ़कर उसे अच्छी तरह समझें और उस पर मनन करें, तो आपको फायदा होगा। जानने की कोशिश कीजिए कि उस अध्याय में बतायी बातें या घटना कब और किन हालात में हुई। उसमें दी बारीकियों पर ध्यान दीजिए। संबंधित आयतें और नक्शे देखिए। जो बातें आपको समझ में नहीं आयीं, उनमें से कम-से-कम एक बात पर खोजबीन कीजिए। हो सके तो जितना समय आप पढ़ने में लगाते हैं, उतना ही समय मनन करने में बिताइए।