मौत को कैसे मिटाया जाएगा?
यह सच है कि जब पहले इंसानी जोड़े आदम और हव्वा ने परमेश्वर की आज्ञा तोड़ी, तो उनके बच्चों को विरासत में पाप और मौत मिली। फिर भी इंसानों के लिए परमेश्वर का मकसद नहीं बदला। शास्त्र में परमेश्वर ने बार-बार हमें यकीन दिलाया है कि उसका मकसद वही है जो पहले था।
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“नेक लोग धरती के वारिस होंगे और उस पर हमेशा की ज़िंदगी जीएँगे।”—भजन 37:29.
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“वह मौत को हमेशा के लिए निगल जाएगा, सारे जहान का मालिक यहोवा हर इंसान के आँसू पोंछ देगा।”—यशायाह 25:8.
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“सबसे आखिरी दुश्मन जो मिटा दिया जाएगा, वह है मौत।”—1 कुरिंथियों 15:26.
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“न मौत रहेगी, न मातम, न रोना-बिलखना, न ही दर्द रहेगा।”—प्रकाशितवाक्य 21:4.
परमेश्वर मौत को कैसे “निगल जाएगा” या ‘मिटा देगा’? जैसा हमने देखा, शास्त्र में साफ बताया गया है कि ‘नेक लोग हमेशा की ज़िंदगी जीएँगे।’ लेकिन इसमें यह भी लिखा है, “धरती पर ऐसा कोई नेक इंसान नहीं, जो हमेशा अच्छे काम करता है।” (सभोपदेशक 7:20) इसका मतलब नेक इंसानों से भी गलतियाँ होती हैं। तो क्या यहोवा इंसानों को हमेशा की ज़िंदगी देने के लिए अपने स्तरों से समझौता कर लेगा? बिलकुल नहीं, क्योंकि शास्त्र में लिखा है कि ‘परमेश्वर झूठ नहीं बोलता’ यानी उसने जो स्तर तय किए हैं, उनसे वह हरगिज़ समझौता नहीं करेगा। (तीतुस 1:2) तो फिर वह अपना मकसद कैसे पूरा करेगा?
परमेश्वर “मौत को हमेशा के लिए निगल जाएगा।”—यशायाह 25:8
मौत को मिटाने के लिए फिरौती दी गयी
यहोवा परमेश्वर ने एक प्यार-भरा इंतज़ाम किया जिससे इंसानों को मौत से छुटकारा दिलाया जा सकता है, वह है फिरौती का इंतज़ाम। फिरौती का मतलब है, किसी नुकसान की भरपाई करने के लिए या न्याय की माँगें पूरी करने के लिए दिया जानेवाला बराबर का दाम। इंसान पापी हैं और उन्हें मौत की सज़ा मिली है, इसलिए शास्त्र बताता है, “उनमें से कोई भी अपने भाई को हरगिज़ नहीं छुड़ा सकता, न ही उसके लिए परमेश्वर को फिरौती दे सकता है (उनकी जान की कीमत इतनी ज़्यादा है कि वे उसे कभी नहीं चुका सकते) ।”—भजन 49:7, 8.
जब एक अपरिपूर्ण इंसान मरता है तो यह सिर्फ उसके पापों की सज़ा होती है। वह न खुद को छुटकारा दिला सकता है, न ही किसी और के पापों के लिए फिरौती दे सकता है। (रोमियों 6:7) हमें एक ऐसे इंसान की फिरौती की ज़रूरत थी जो परिपूर्ण होता और जिसने कोई पाप न किया होता। ऐसा व्यक्ति अपने पापों के लिए नहीं, बल्कि हमारे पापों के लिए अपना जीवन फिरौती के तौर पर देता।—इब्रानियों 10:1-4.
परमेश्वर ने ऐसा ही इंतज़ाम किया। उसने अपने बेटे यीशु को स्वर्ग से भेजा ताकि वह धरती पर एक ऐसे इंसान के तौर पर जन्म ले, जो परिपूर्ण हो और जिसमें कोई पाप न हो। (1 पतरस 2:22) यीशु ने कहा कि वह इसलिए आया है कि “बहुतों की फिरौती के लिए अपनी जान बदले में दे।” (मरकुस 10:45) यीशु हमारे पापों के लिए मरा, ताकि हमें मौत से छुटकारा मिल सके।—यूहन्ना 3:16.
मौत को कब मिटाया जाएगा?
बाइबल में पहले से बताया गया था कि “संकटों से भरा ऐसा वक्त आएगा जिसका सामना करना मुश्किल होगा।” आज हम उसी समय में जी रहे हैं यानी इस दुष्ट व्यवस्था के “आखिरी दिनों” में। (2 तीमुथियुस 3:1) जल्द ही परमेश्वर के ‘न्याय का दिन और भक्तिहीन लोगों के नाश का दिन’ आएगा। (2 पतरस 3:3, 7) लेकिन जो लोग परमेश्वर से प्यार करते हैं, वे आनेवाले विनाश से बचेंगे और “हमेशा की ज़िंदगी” पाएँगे।—मत्ती 25:46.
इसके अलावा उन करोड़ों लोगों को दोबारा ज़िंदा किया जाएगा, जिनकी मौत हो गयी है और उन्हें भी हमेशा तक जीने का मौका लूका 7:11-15) पौलुस ने लिखा, “मैं . . . परमेश्वर से यह आशा रखता हूँ कि अच्छे और बुरे, दोनों तरह के लोगों को मरे हुओं में से ज़िंदा किया जाएगा।” यह आशा पक्की है और इस बात का सबूत है कि परमेश्वर इंसानों से बहुत प्यार करता है।—प्रेषितों 24:15.
मिलेगा। जब यीशु धरती पर था तो उसने मरे हुओं को ज़िंदा किया। जैसे जब वह नाईन शहर में था, तो वहाँ एक विधवा औरत के बेटे की मौत हो गयी थी। यीशु यह देखकर “तड़प उठा” और उसने उसके बेटे को दोबारा ज़िंदा किया। (सच में, धरती पर जीनेवाले करोड़ों लोगों को हमेशा तक जीने का मौका मिलेगा। बाइबल बताती है, “नेक लोग धरती के वारिस होंगे और उस पर हमेशा की ज़िंदगी जीएँगे।” (भजन 37:29) जब वह समय आएगा तो लोग अपनी आँखों से बाइबल में 2,000 साल पहले लिखे ये शब्द पूरे होते देखेंगे, “हे मौत, तेरी जीत कहाँ है? हे मौत, तेरा डंक कहाँ है?” (1 कुरिंथियों 15:55) उस वक्त लोगों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं होगा और उन्हें कितना दिलासा मिलेगा। हमारे दुश्मन, मौत को हमेशा के लिए मिटा दिया जाएगा!