प्रहरीदुर्ग अंक 3 2019 | क्या यही है ज़िंदगी?
यह सवाल हर इंसान के मन में उठता है और इस सवाल के जवाब का उसकी ज़िंदगी पर गहरा असर पड़ता है।
मौत—ज़िंदगी का कड़वा सच
हम चाहे जितनी भी कोशिश कर लें, हम बुढ़ापे और मौत से नहीं बच पाते। क्या यही है ज़िंदगी?
लंबी ज़िंदगी की तलाश
कुछ जीव-वैज्ञानिक और आनुवंशिकी वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि इंसान बूढ़ा क्यों होता है। उनकी खोज के क्या नतीजे निकले?
हमें हमेशा तक जीने के लिए बनाया गया है
हम सब यही चाहते हैं कि हम खुशहाल और लंबी ज़िंदगी जीएँ।
हम क्यों बूढ़े होकर मर जाते हैं?
परमेश्वर कभी नहीं चाहता था कि इंसान मरे। हमारे पहले माता-पिता, आदम और हव्वा तन और मन से परिपूर्ण थे। अगर वे परमेश्वर की बात मानते, तो आज ज़िंदा होते।
मौत को कैसे मिटाया जाएगा?
परमेश्वर ने फिरौती का प्यार-भरा इंतज़ाम किया ताकि इंसानों को मौत से छुटकारा दिलाया जा सके।
आप एक बेहतर ज़िंदगी कैसे जी सकते हैं?
परमेश्वर एक बेहतरीन ज़िंदगी उन सभी लोगों को देना चाहता है, जो उससे प्यार करते हैं। इसके लिए आपको परमेश्वर के बताए ‘रास्ते’ पर चलना होगा।
आज भी हम खुशहाल ज़िंदगी जी सकते हैं!
बाइबल की सलाह मानने से हम कैसे संतुष्ट रह सकते हैं, शादी का बंधन मज़बूत कर सकते हैं और धीरज धरते हुए बीमारी का सामना कर सकते हैं?
जो अब नहीं रहे, क्या हम उन्हें दोबारा देखेंगे?
बाइबल इसका जवाब देती है।