पवित्र शास्त्र सँवारे ज़िंदगी
“अब मैं खुश हूँ और मेरा ज़मीर साफ है।”—विक्टोरिया टौन्ग
जन्म: 1957
देश: ऑस्ट्रेलिया
अतीत: बचपन दुखों से भरा था
मेरा बीता कल:
मेरा बचपन न्यू साउथ वेल्स राज्य के न्यू कासल शहर में बीता। मैं अपने सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी हूँ। पिताजी बहुत शराब पीते थे और खूब मार-पीट करते थे। मम्मी से भी हमें कभी प्यार नहीं मिला। वह बात-बात पर मुझ पर हाथ उठाती थी और चीखती-चिल्लाती थी। वह मुझसे कहती थी कि मैं बहुत बुरी हूँ और मैं नरक में जाऊँगी। मम्मी की बातें सुनकर मैं बहुत सहम जाती थी।
कई बार मम्मी मुझे इतना मारती-पीटती थी कि मैं स्कूल नहीं जा पाती थी। घर का माहौल अच्छा नहीं था, इस वजह से सरकारी अधिकारियों ने मेरी देखभाल की ज़िम्मेदारी ले ली। उन्होंने मुझे एक कॉन्वेंट में डाल दिया। मैं 11 साल की थी। फिर जब मैं 14 साल की हुई, मैं कॉन्वेंट से भाग गयी। मैं वापस घर नहीं जाना चाहती थी। इसलिए मैं सिडनी की सड़कों पर रहने लगी।
सड़कों पर रहते वक्त मैंने ड्रग्स लेना और शराब पीना शुरू कर दिया। मैं अश्लील तसवीरें भी देखने लगी और वेश्या का काम करने लगी। एक बार एक ऐसी घटना हुई जिससे मैं बहुत डर गयी। मैं कुछ समय से एक आदमी के घर रह रही थी जो एक नाइट क्लब चलाता था। एक शाम दो आदमी उससे मिलने आए। उसने मुझे दूसरे कमरे में भेज दिया, लेकिन मैं उनकी बातें सुन सकती थी। वह आदमी मुझे बेचने की कोशिश कर रहा था। और वे दो आदमी मुझे जहाज़ में छिपाकर जापान ले जाना चाहते थे जहाँ वे मुझसे एक शराबखाने में काम करवाते। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ, इसलिए मैं बरामदे से कूदकर भाग गयी।
जब मैं भाग रही थी तो मेरी मुलाकात एक आदमी से हुई जो सिडनी घूमने आया हुआ था। मैंने उसे अपनी मजबूरी बतायी और मुझे लगा कि वह पैसे देकर मेरी मदद करेगा। लेकिन उसने मुझे अपने यहाँ बुलाया ताकि मैं कुछ खाकर आराम कर सकूँ और फिर सोच सकूँ कि मुझे आगे क्या करना है। लेकिन मैं उसी के साथ रह गयी और फिर एक साल बाद हमने शादी कर ली।
पवित्र शास्त्र ने मेरी ज़िंदगी किस तरह बदल दी:
जब मैंने यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल पढ़ना शुरू किया, तो मुझे बहुत खुशी हुई लेकिन गुस्सा भी आया। गुस्सा इस बात पर था कि अब तक मुझे यही सिखाया गया कि परमेश्वर ही हम पर दुख-तकलीफें लाता है। लेकिन बाइबल से मैंने जाना कि दुख-तकलीफों की असली वजह तो शैतान है। यही नहीं, मुझे सालों से यह कहकर डराया-धमकाया गया था कि ईश्वर हमें नरक की आग में तड़पाता है। लेकिन जब मैंने बाइबल से सीखा कि यह सच नहीं है, तो मुझे बहुत राहत महसूस हुई।
मुझे साक्षियों की यह बात बहुत अच्छी लगी कि उनका हर फैसला बाइबल के हिसाब से होता है। वे सिर्फ कहने के लिए बाइबल को नहीं मानते बल्कि सच में उसके मुताबिक चलते भी हैं। मेरा स्वभाव ऐसा था कि हर किसी के लिए मुझे झेलना आसान नहीं था। लेकिन भाई-बहन हमेशा मुझसे प्यार और आदर से पेश आते हैं।
मेरी सबसे बड़ी लड़ाई खुद से थी। मैं खुद को एकदम बेकार और किसी लायक नहीं समझती थी। मुझे खुद से बहुत नफरत थी। और बपतिस्मा लेने के सालों बाद भी मैं ऐसा ही महसूस करती थी। मैं यहोवा से तो प्यार करती थी लेकिन मुझे पूरा यकीन था कि यहोवा मुझ जैसे इंसान से कभी प्यार नहीं कर सकता।
फिर एक दिन मैंने सभा में एक भाषण सुना जिससे मेरी सोच बदलने लगी। तब तक मुझे बपतिस्मा लिए 15 साल हो चुके थे। भाषण में भाई ने याकूब 1:23, 24 का ज़िक्र किया, जिसमें परमेश्वर के वचन की तुलना एक आइने से की गयी है। उसमें झाँककर हम जान सकते हैं कि यहोवा हमें किस नज़र से देखता है। मैं सोचने लगी कि क्या मैं खुद को उसी नज़र से देखती हूँ जिस नज़र से यहोवा मुझे देखता है। यह मेरे लिए नयी बात थी और मैंने तुरंत इस बात को मन से निकाल दिया। मुझे अब भी लग रहा था कि यहोवा मुझसे कैसे प्यार कर सकता है।
कुछ दिनों बाद मैंने एक आयत पढ़ी जिसने मेरी ज़िंदगी बदल दी। वह आयत थी यशायाह 1:18 जहाँ यहोवा कहता है, “आओ हम आपस में मामला सुलझा लें, चाहे तुम्हारे पाप सुर्ख लाल रंग के हों, तो भी वे बर्फ के समान सफेद हो जाएँगे।” मुझे लगा मानो यहोवा मुझसे कह रहा हो, “आओ विकी हम आपस में मामला सुलझा लें। तेरे पाप मुझसे छिपे नहीं हैं। लेकिन मैं तुझे जानता हूँ, तेरा दिल भी जानता हूँ और मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ।”
मैं उस रात सो नहीं पायी। मेरा दिल अब भी यह मानने को तैयार नहीं था कि यहोवा मुझसे प्यार करता है। फिर मैं यीशु के फिरौती बलिदान के बारे में सोचने लगी। तब पहली बार मुझे एहसास हुआ कि यहोवा अब तक मेरे साथ सब्र रख रहा था। वह अलग-अलग तरीकों से दिखा रहा था कि वह मुझसे प्यार करता है। मैं ही उसका प्यार समझ नहीं पायी। मैं मानो उससे कह रही थी, “आपके प्यार से मुझे कोई फायदा नहीं हो सकता। आपके बेटे का बलिदान मेरे पापों को नहीं ढक सकता।” एक तरह से मैं फिरौती के तोहफे को ठुकरा रही थी, जो यहोवा ने इतने प्यार से मेरे लिए दिया। लेकिन इस तोहफे पर मनन करने से अब मुझे यकीन हो गया है कि यहोवा सचमुच मुझसे प्यार करता है।
मुझे क्या फायदा हुआ:
अब मैं खुश हूँ और मेरा ज़मीर साफ है। मेरे पति के साथ मेरा रिश्ता और अच्छा हो गया है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि मैं अपना अनुभव बताकर दूसरों की मदद कर पाती हूँ, उनका हौसला बढ़ा पाती हूँ। मैंने यह भी महसूस किया है कि मैं यहोवा के और भी करीब आ गयी हूँ।