कहानी 103
बंद कमरे में
जैसा कि हमने पिछली कहानी में पढ़ा, यीशु की कब्र के पास से पतरस और यूहन्ना के चले जाने के बाद मरियम अकेली वहाँ रह गयी थी। वह रोने लगी। फिर उसने कब्र के अंदर झाँका। उसने अंदर दो स्वर्गदूतों को देखा! उन्होंने उससे पूछा: ‘तुम क्यों रो रही हो?’
मरियम ने कहा: ‘वे मेरे प्रभु को कहीं ले गए और मुझे नहीं मालूम कि उन्होंने उसे कहाँ रखा है।’ जब मरियम पीछे मुड़ी तो उसने एक आदमी को देखा। उस आदमी ने मरियम से पूछा: ‘तुम किसे ढूँढ़ रही हो?’
मरियम को लगा कि वह आदमी माली है और शायद वही यीशु की लाश ले गया होगा। इसलिए उसने उस आदमी से कहा: ‘अगर तुम उसे ले गए हो, तो मुझे बता दो कि तुमने उसे कहाँ रखा है।’ पर वह आदमी कोई माली-वाली नहीं था। वह यीशु था। अब वह दिखने में पहले जैसा नहीं था, क्योंकि उसका शरीर नया था। इसलिए मरियम उसे पहचान नहीं पायी। पर जब यीशु ने मरियम का नाम लिया, तो मरियम फौरन पहचान गयी कि यही यीशु है। वह दौड़कर चेलों के पास गयी और उनसे कहा: ‘मैंने प्रभु को देखा है!’
उसी दिन, दो चेले इम्माऊस नाम के गाँव को जा रहे थे। रास्ते में उन्हें एक आदमी मिला और वह उनके साथ चलने लगा। चेले यीशु की मौत की वजह से बहुत उदास थे। पर चलते-चलते वह आदमी उन्हें बाइबल की कई बातें समझाने लगा, जिसे सुनकर उन्हें अच्छा लगने लगा। आगे जाकर जब वे एक जगह खाने के लिए रुके, तब चेलों ने पहचाना कि वह आदमी यीशु है। इसके बाद यीशु वहाँ से गायब हो गया। वे दोनों चेले यीशु के बारे में प्रेरितों को बताने के लिए फौरन यरूशलेम को लौट गए।
इस दौरान, यीशु पतरस को भी दिखायी दिया। जब यह बात यीशु के दूसरे चेलों को पता चली, तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। तब तक वे दोनों चेले भी यरूशलेम में प्रेरितों के पास पहुँच गए। उन दोनों ने सबको बताया कि कैसे उन्हें रास्ते में यीशु मिला था। वे यह कह ही रहे थे कि पता है क्या हुआ?
यीशु उनके बीच आ गया, जबकि कमरे का दरवाज़ा बंद था। यीशु को देखकर चेलों के चेहरे खिल उठे! वाकई, क्या दिन था? क्या आप गिनकर बता सकते हैं कि अब तक यीशु कितनी बार अपने चेलों को दिखायी दिया? क्या कहा, पाँच? बिलकुल सही।
जब यीशु चेलों को दिखायी दिया, तब प्रेरित थोमा वहाँ नहीं था। बाकी चेलों ने उसे बताया: ‘हमने प्रभु को देखा है!’ लेकिन थोमा ने कहा कि वह तब तक यकीन नहीं करेगा, जब तक वह खुद अपनी आँखों से यीशु को नहीं देख लेगा। आठ दिन बाद, चेले फिर से एक बंद कमरे में थे। इस बार थोमा भी उनके साथ था। अचानक यीशु कमरे में उनके बीच आ गया। अब थोमा को यकीन हो गया कि यीशु ज़िंदा है।