भाग 4
राज की जीत—खुशखबरी को कानूनी मान्यता दिलायी गयी
आप एक भाई या बहन के साथ घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं। तभी आपको दूर से साइरन सुनायी देता है। उसकी आवाज़ धीरे-धीरे तेज़ हो जाती है। जब आप अगले घर में बात करना शुरू करते हैं तो आपका साथी प्रचारक देखता है कि पुलिस की गाड़ी वहाँ आ पहुँची है। गाड़ी से पुलिसवाला बाहर आता है और आप दोनों से पूछता है, “क्या तुम यहाँ सबको बाइबल के बारे में बता रहे हो? हमें तुम्हारे बारे में शिकायत मिली है।” आप उसे अदब से जवाब देते हैं और बताते हैं कि आप यहोवा के साक्षी हैं। इसके बाद क्या होगा?
यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि सालों से आपके देश की सरकार यहोवा के साक्षियों के साथ कैसे पेश आयी है। क्या आपके यहाँ अपने धर्म को मानने की आज़ादी है? अगर हाँ, तो इसका मतलब है कि कई सालों तक आपके भाई-बहनों ने “खुशखबरी की पैरवी करने और उसे कानूनी मान्यता दिलाने” के लिए बहुत मेहनत की। (फिलि. 1:7) आप चाहे जहाँ भी रहते हों, अगर आप उन मुकदमों के बारे में गहराई से सोचें जो साक्षियों ने जीते हैं, तो आपका विश्वास बहुत मज़बूत हो सकता है। इस भाग में हम इस तरह की कुछ अनोखी घटनाओं पर चर्चा करेंगे। हमारी जीत इस बात का ज़बरदस्त सबूत है कि परमेश्वर का राज सचमुच हुकूमत कर रहा है, क्योंकि हम अपने बलबूते ये मुकदमे नहीं जीत पाते!
इस भाग में
अध्याय 13
राज के प्रचारक अदालत का दरवाज़ा खटखटाते हैं
आज के कुछ हाई कोर्ट के जज भी साक्षियों के बारे में गमलीएल के जैसा नज़रिया रखते हैं, जो पुराने ज़माने में कानून का शिक्षक था।
अध्याय 14
परमेश्वर के लोग सिर्फ उसके राज के वफादार रहते हैं
राजनैतिक मामलों में निष्पक्ष रहने की वजह से यहोवा के साक्षियों पर विरोध की नदी उमड़ आयी, मगर अचानक किसी ने उस नदी का पानी निगल लिया।
अध्याय 15
उपासना करने की आज़ादी के लिए लड़ाई
परमेश्वर के लोगों ने परमेश्वर के राज के नियमों को मानने के अधिकार के लिए मुकदमे लड़े हैं।