सवाल 4
अगर मुझसे कोई गलती हो जाए तो क्या करूँ?
आप क्या करते?
ज़रा सोचिए: अपने दोस्तों के साथ खेलते-खेलते टिम ने बॉल को ऐसा मारा कि वह पड़ोसी के कार के शीशे पर जा लगी और शीशा टूट गया।
अगर आप टिम की जगह होते तो क्या करते?
थोड़ा रुककर सोचिए!
आपके पास तीन तरीके हैं:
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भाग जाएँ।
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किसी और का नाम लगा दें।
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अपने पड़ोसी को सच-सच बता दें और माफी माँग लें।
हो सकता है कि आप पहला तरीका अपनाना चाहें। मगर अपनी गलती मान लेना हमेशा अच्छा होता है, फिर चाहे आपने किसी का शीशा तोड़ा हो या कुछ और किया हो।
अपनी गलती मान लेने की तीन वजह
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ऐसा करना सही है।
शास्त्र कहता है, “हम सब बातों में ईमानदारी से काम करना चाहते हैं।”—इब्रानियों 13:18.
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जो अपनी गलती मान लेता है उसे लोग जल्दी माफ कर देते हैं।
शास्त्र कहता है, “जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सुफल नहीं होता, परन्तु जो उनको मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी।”—नीतिवचन 28:13.
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सबसे बड़ी बात, इससे भगवान खुश होता है।
शास्त्र कहता है, “देख, तू [यहोवा] हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है।”—भजन 51:6.
बीस साल की एक लड़की करीना का तेज़ गाड़ी चलाने की वजह से चलान कट गया था। यह बात उसने पापा को नहीं बतायी। मगर वह इसे ज़्यादा दिन तक छिपा नहीं सकी। वह कहती है, “एक साल बाद, पापा को वह चलान मिल गया और मैं पकड़ी गयी!”
उसने क्या सबक सीखा? वह कहती है, “अगर हम अपनी गलतियाँ छिपाएँ तो बात सिर्फ बिगड़ती है। कभी-न-कभी हमें उसका नुकसान भरना ही पड़ता है।”
अपनी गलतियों से सबक कैसे सीखें
शास्त्र कहता है, “हम सब कई बार गलती करते हैं।” (याकूब 3:2) जैसा कि हम देख चुके हैं, समझदारी और नम्रता इसी में है कि हम अपनी गलतियाँ मान लें और वह भी तुरंत!
अगला कदम है, अपनी गलतियों से सीखना। वेरा नाम की एक लड़की कहती है, “मैं कोशिश करती हूँ कि मैं अपनी हर गलती से सबक सीखूँ और खुद में सुधार करूँ। और अगर मुझसे वही गलती दोबारा हो जाए तो कोई दूसरा तरीका अपनाऊँ।” आइए देखें कि आप यह कैसे कर सकते हैं।
आपने पापा की बाइक ली और वह कहीं टकरा गयी। अब आप क्या करेंगे?
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चुप रहेंगे और सोचेंगे कि पापा को कुछ न पता चले।
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पापा को सब सच-सच बता देंगे।
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पापा को सबकुछ बता देंगे मगर किसी और का नाम लगा देंगे।
आपने पढ़ाई नहीं की थी और फेल हो गए। अब आप क्या करेंगे?
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बोलेंगे कि पेपर बहुत मुश्किल था।
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अपनी गलती मान लेंगे।
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बहाना बनाएँगे कि टीचर आपसे चिढ़ता है।
फिर से पिछले पेज पर दी बातों पर ध्यान दीजिए और सोचिए कि आप (1) पापा की जगह हैं और (2) उस टीचर की जगह हैं। अगर आप गलती तुरंत मान लेते तो पापा और टीचर आपके बारे में क्या कहते? अगर आप अपनी गलती छिपाते तो वे आपके बारे में क्या सोचते?
सोचिए कि आपने पिछले साल कौन-सी गलती की थी और इन सवालों का जवाब दीजिए।
गलती क्या थी? उसके बाद आपने क्या किया था?
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मैंने अपनी गलती छिपा ली थी।
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मैंने किसी और पर इलज़ाम डाल दिया था।
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मैंने तुरंत अपनी गलती मान ली थी।
जब आपने अपनी गलती नहीं मानी थी, तो आपको कैसे लगा था?
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अरे वाह! मैं बच गया।
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काश! मैं सच बोल देता।
ऐसे हालात में आप और क्या कर सकते थे?
अपनी गलती से आपने क्या सीखा?
आपको क्या लगता है?
कुछ लोग अपनी गलती मानने से क्यों हिचकिचाते हैं?
अगर आप हर बार अपनी गलती छिपाने की कोशिश करें, तो लोग आपके बारे में क्या सोचेंगे? और अगर आप अपनी गलती मान लें, तब लोग आपके बारे में क्या सोंचेगे?—लूका 16:10.