मरकुस 10:1-52
10 यीशु उठा और वहाँ से निकलकर यरदन के पार और यहूदिया प्रदेश की सरहदों के पास आया। उसके पास फिर से भीड़ जमा हो गयी। और जैसा उसका दस्तूर था, वह उन्हें एक बार फिर सिखाने लगा।
2 अब फरीसी आए और यीशु की परीक्षा लेने के लिए उससे यह सवाल किया: एक आदमी के लिए अपनी पत्नी को तलाक देना मूसा के कानून के हिसाब से सही है या नहीं?
3 जवाब में उसने कहा: “मूसा ने तुम्हें क्या आज्ञा दी है?”
4 उन्होंने कहा: “मूसा ने तलाकनामा लिखकर पत्नी को तलाक देने की इजाज़त दी है।”
5 मगर यीशु ने उनसे कहा: “तुम्हारे दिलों की कठोरता की वजह से उसने तुम्हें यह आज्ञा लिखकर दी।
6 मगर, सृष्टि की शुरूआत से ‘परमेश्वर ने उन्हें नर और नारी बनाया था।
7 इस वजह से पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ देगा
8 और पति-पत्नी दोनों एक तन होंगे।’ तो वे अब दो नहीं रहे बल्कि एक तन हैं।
9 इसलिए जिसे परमेश्वर ने एक बंधन में बाँधा है,* उसे कोई इंसान अलग न करे।”
10 एक बार फिर जब वह घर में था, तो चेले इस बारे में उससे सवाल पूछने लगे।
11 यीशु ने उनसे कहा: “जो कोई अपनी पत्नी को तलाक देता है और दूसरी से शादी करता है, वह उस पहली का हक मारने और शादी के बाहर यौन-संबंध रखने का गुनहगार है।
12 और अगर एक स्त्री अपने पति को तलाक देने के बाद कभी किसी दूसरे से शादी करती है, तो वह शादी के बाहर यौन-संबंध रखने की गुनहगार है।”
13 अब लोग यीशु के पास छोटे बच्चों को लाने लगे ताकि वह उन्हें अपने हाथ से छूए, मगर चेलों ने उन्हें डाँटा।
14 यह देखकर यीशु नाराज़ हुआ और उनसे कहा: “बच्चों को मेरे पास आने दो। उन्हें रोकने की कोशिश मत करो, क्योंकि परमेश्वर का राज ऐसों ही का है।
15 मैं तुमसे सच कहता हूँ, जो कोई परमेश्वर के राज को एक छोटे बच्चे की तरह स्वीकार नहीं करता वह उसमें किसी भी तरह दाखिल न होगा।”
16 और उसने बच्चों को अपनी बाँहों में लिया और उन पर हाथ रखकर उन्हें आशीष देने लगा।
17 जब वह निकलकर अपने रास्ते जा रहा था, तो एक आदमी दौड़कर आया और उसके सामने घुटनों के बल गिरा और उससे यह सवाल किया: “अच्छे गुरु, हमेशा की ज़िंदगी का वारिस बनने के लिए मैं क्या काम करूँ?”
18 यीशु ने उससे कहा: “तू मुझे अच्छा क्यों कहता है? कोई अच्छा नहीं है, सिवा एक के, और वह है परमेश्वर।
19 तू आज्ञाओं को तो जानता है, ‘खून न करना, शादी के बाहर यौन-संबंध न रखना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, किसी को न ठगना, अपने पिता और अपनी माँ का आदर करना।’ ”
20 उस आदमी ने कहा: “गुरु, ये सारी बातें तो मैं लड़कपन से ही मानता आया हूँ।”
21 यीशु ने प्यार से उसकी तरफ देखा और कहा: “तुझमें एक चीज़ की कमी है: जा और जो कुछ तेरे पास है उसे बेचकर कंगालों को दे दे क्योंकि तुझे स्वर्ग में खज़ाना मिलेगा और आकर मेरा चेला बन जा और मेरे पीछे हो ले।”
22 मगर इस बात पर वह उदास हो गया और दुःखी होकर चला गया, क्योंकि उसके पास बहुत धन-संपत्ति थी।
23 यीशु ने चारों तरफ देखने के बाद अपने चेलों से कहा: “पैसेवालों के लिए परमेश्वर के राज में दाखिल होना कितना मुश्किल होगा!”
24 मगर चेले उसकी बातें सुनकर ताज्जुब करने लगे। इसलिए यीशु ने उनसे एक बार फिर कहा: “बच्चो, परमेश्वर के राज में दाखिल होना कितनी मुश्किल बात है!
25 परमेश्वर के राज में एक दौलतमंद आदमी के दाखिल होने से, एक ऊँट का सुई के छेद से निकल जाना ज़्यादा आसान है।”
26 इस पर उन्हें और भी हैरानी हुई और उन्होंने उससे कहा: “तो फिर, किसका उद्धार हो सकता है?”
27 यीशु ने सीधे उनकी तरफ देखते हुए कहा: “इंसानों के लिए यह नामुमकिन है, मगर परमेश्वर के लिए नहीं, क्योंकि परमेश्वर के लिए सबकुछ मुमकिन है।”
28 पतरस उससे कहने लगा: “देख! हम तो सबकुछ छोड़कर तेरे पीछे चल रहे हैं।”
29 यीशु ने कहा: “मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ, ऐसा कोई नहीं जिसने मेरी और खुशखबरी की खातिर, घर या भाइयों या बहनों या पिता या माँ या बच्चों या खेतों को छोड़ा हो,
30 और जो इस ज़माने में घरों, भाइयों और बहनों और माँओं और बच्चों और खेतों का सौ गुना न पाए पर ज़ुल्मों के साथ, और आनेवाली दुनिया* में हमेशा की ज़िंदगी।
31 फिर भी, बहुत-से जो पहले हैं वे आखिरी होंगे और जो आखिरी हैं वे पहले।”
32 अब वे यरूशलेम के रास्ते पर बढ़े चले जा रहे थे और यीशु उनके आगे-आगे चल रहा था और चेलों को ताज्जुब हो रहा था। मगर जो उनके पीछे-पीछे चल रहे थे उन्हें डर लगने लगा। एक बार फिर वह उन बारहों को अलग ले गया और उन्हें वे बातें बताने लगा जो उस पर गुज़रनी तय थीं:
33 “देखो, हम यरूशलेम जा रहे हैं और इंसान का बेटा प्रधान याजकों और शास्त्रियों के हवाले किया जाएगा और वे उसे मौत की सज़ा सुनाएँगे और उसे दूसरी जातियों के लोगों के हवाले करेंगे।
34 वे उसका मज़ाक उड़ाएँगे और उस पर थूकेंगे और कोड़े लगाएँगे और उसे मार डालेंगे, मगर वह तीन दिन बाद जी उठेगा।”
35 जब्दी के दो बेटे, याकूब और यूहन्ना उसके पास आए और उससे कहा: “गुरु, हम चाहते हैं कि हम तुझसे जो कुछ कहें, तू हमारे लिए कर दे।”
36 उसने उनसे कहा: “तुम क्या चाहते हो, मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ?”
37 उन्होंने कहा: “जब तू महिमा का पद पाएगा, तब हममें से एक को अपने दाएँ और दूसरे को अपने बाएँ बैठने देना।”
38 मगर यीशु ने उनसे कहा: “तुम नहीं जानते कि तुम क्या माँग रहे हो। क्या तुम वह प्याला पी सकते हो जिसे मैं पी रहा हूँ? या, क्या वह बपतिस्मा ले सकते हो जिसमें मेरा बपतिस्मा हो रहा है?”
39 उन्होंने कहा: “हम कर सकते हैं।” इस पर यीशु ने उनसे कहा: “जो प्याला मैं पी रहा हूँ, उसे तुम पीओगे, और जैसा बपतिस्मा मेरा हो रहा है, वैसा बपतिस्मा तुम्हारा भी होगा।
40 मगर मेरी दायीं या बायीं तरफ बैठने की इजाज़त देना मेरे अधिकार में नहीं, लेकिन ये जगह उनके लिए हैं जिनके लिए ये तैयार की गयी हैं।”
41 जब बाकी दस ने इस बारे में सुना, तो वे याकूब और यूहन्ना पर भड़कने लगे।
42 मगर यीशु ने चेलों को अपने पास बुलाकर उनसे कहा: “तुम जानते हो कि दुनिया में जिन्हें राज करनेवाले माना जाता है, वे लोगों पर हुक्म चलाते हैं और उनके बड़े-बड़े लोग उन पर अधिकार जताते हैं।
43 मगर तुम्हारे बीच ऐसा नहीं है, बल्कि तुममें जो बड़ा बनना चाहता है, उसे तुम्हारा सेवक होना चाहिए।
44 और जो कोई तुममें पहला होना चाहता है, उसे सबका दास होना चाहिए।
45 क्योंकि इंसान का बेटा भी सेवा करवाने नहीं, बल्कि सेवा करने आया है और इसलिए आया है कि बहुतों की फिरौती के लिए अपनी जान बदले में दे।”
46 और वे यरीहो शहर में आए। मगर जब यीशु और उसके चेले और भारी तादाद में लोग, यरीहो से बाहर जा रहे थे, तो (तिमाई का बेटा) बरतिमाई नाम का एक अंधा भिखारी सड़क के किनारे बैठा था।
47 जब उसने सुना कि यह यीशु नासरी है, तो वह चिल्लाकर कहने लगा: “दाविद के वंशज, यीशु, मुझ पर दया कर!”
48 इस पर कई लोगों ने उसे कड़ाई से कहा कि चुप हो जाए, मगर वह और ज़्यादा ज़ोर से चिल्लाता रहा: “दाविद के वंशज, मुझ पर दया कर!”
49 इस पर यीशु रुक गया और उसने कहा: “उसे बुलाओ।” और उन्होंने उस अंधे आदमी को यह कहकर बुलाया: “हिम्मत रख, खड़ा हो, वह तुझे बुला रहा है।”
50 उसने अपना चोगा फेंका और उछलकर खड़ा हो गया और यीशु के पास गया।
51 तब यीशु ने उससे कहा: “तू क्या चाहता है, मैं तेरे लिए क्या करूँ?” उस अंधे आदमी ने उससे कहा: “हे मेरे गुरु,* मेरी आँखों की रौशनी लौट आए।”
52 यीशु ने उससे कहा: “जा, तेरे विश्वास ने तुझे ठीक किया है।” उसी घड़ी उसकी आँखों की रौशनी लौट आयी और वह रास्ते में यीशु के पीछे हो लिया।